सकट चौथ पर कर लें कोई भी एक उपाय, संकटों से मिलेगी मुक्ति, गणेश जी की बरसेगी कृपा

 

sakat chauth



आइए
, जानते हैं सकट चौथ के आसान उपाय

 

हिंदू कैलेंडर में प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी तिथियां होती हैं। कृष्ण पक्ष के दौरान या पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को सकट चौथ  (Sakat Chauth)’ के रूप में जाना जाता है और अमावस्या के बाद या शुक्ल पक्ष के दौरान आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है।

वैसे तो संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने किया जाता है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सकट चौथ (Sakat Chauth) माघ और पौष के महीने में आती है। यदि सकट चौथ मंगलवार को पड़ती है तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है और इसे अत्यधिक शुभ माना जाता है। सकट चौथ व्रत ज्यादातर पश्चिमी और दक्षिणी भारत में विशेष रूप से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में मनाया जाता है।

नए साल की पहली संकष्टी चतुर्थी सकट चौथ है. इसे तिलकुट चतुर्थी और माघी चतुर्थी भी कहते हैं. यह माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. सकट चौथ के दिन व्रत रखकर विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि सकट चौथ के व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देना महत्वपूर्ण है. गणेश पूजन के बाद रात में विधिपूर्वक चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं. इसके बिना यह व्रत अधूरा रहता है. चंद्र अर्घ्य के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. सकट चौथ के दिन सुबह में शोभन योग बन रहा है, उस समय में ही आपको सकट चौथ की पूजा कर लेनी चाहिए

सकट चौथ चंद्र अर्घ्य समय


सकट चौथ वाले दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय रात में है. उस समय चंद्रमा का उदय होगा. इस व्रत में चंद्रमा के उदय के लिए व्रती को प्रतीक्षा करनी पड़ती है क्योंकि कृष्ण पक्ष का चंद्रोदय देर से होता    

 

सकट चौथ  का व्रत कैसे करें?

 

सकट चौथ (Sakat Chauth) पर भगवान गणेश के भक्त सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखते हैं। संकष्टी का अर्थ है संकट के समय में मुक्ति। भगवान गणेश, बुद्धि के सर्वोच्च स्वामी, सभी बाधाओं के निवारण के प्रतीक हैं। इसलिए यह माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी बाधाओं से छुटकारा मिल सकता है।

इस व्रत को बहुत सख्त माना जाता है। ज्यादातर लोग पूरे दिन बिना खाए व्रत करते हैं, और कुछ लोग केवल फल, जड़ें और सब्जी उत्पादों का सेवन करते हैं। सकट चौथ  पर मुख्य भारतीय आहार में साबूदाना खिचड़ी, आलू और मूंगफली शामिल हैं। रात में चांद दिखने के बाद श्रद्धालु उपवास तोड़ते हैं।

उत्तर भारत में माघ मास की सकट चौथ (Sakat Chauth) को संकट चौथ के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा भाद्रपद महीने के दौरान विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेश चतुर्थी को दुनिया भर के हिंदू भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं।

sankashthi chaturthi

सकट
चौथ  की पूजा कैसे करें ?

 

·         ब्रह्मचर्य बनाए रखें।

·         जल्दी उठें और स्नान करें

·         सुबह स्नान के बाद गणेश अष्टोत्तर का जाप करें।

·         शाम के समय भगवान गणेश की मूर्ति को एक साफ मंच पर रखें, उसे सुंदर फूलों से सजाएं।

·         मूर्ति के सामने अगरबत्ती और दीया जलाएं।

·         देवताओं को फल चढ़ाएं।

·         भगवान से प्रार्थना करें।

·         भगवान गणेश की आरती करें

·         अब चन्द्रमा को दूर्वा घास, तिल के लड्डू और अर्घ्य अर्पित करें।

सकट चौथ  व्रत का महत्व Sakat Chauth:  

(Sakat Chauth Vrat Ka Mahatva)

संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है।- कठिन समय से मुक्ति पाना इस दिन विधि विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान गणेश अपने भक्तों के हर दुख को हर लेते हैं। अतः संकष्टी चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा करें।
इस दिन भगवान गणेशजी की पूजा करने से घर से सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर की सभी परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही यश, धन, वैभव और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
चतुर्थी के दिन सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखने से इस व्रत का पूरा लाभ मिलता हैं।
सकट चौथ के व्रत में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से बच्चे की जीवन की सभी परेशानियां और दिक्कतें दूर हो जाती हैं। इस दिन भगवान गणेश को तिल, गुड़ और गन्नें का भोग भी अर्पित किया जाता है और इस दिन गणेश जी के अलावा मां पार्वती, शिव जी, चंद्र देव और कार्तिकेय जी की भी पूजा की जाती है।
संतान की सफलता के लिए रखा जाता है सकट चौथ व्रत
 
संतान की सफलता के लिए माताएं सकट चौथ व्रत को निर्जला रहती हैं. व्रती महिलाएं शाम को गणेश पूजन और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही वो प्रसाद के साथ भोजन करती हैं. पुराणों के मुताबिक, महाभारत काल में श्रीकृष्ण की सलाह पर पांडु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने सबसे पहले इस व्रत को रखा था. तबसे अब तक महिलाएं अपने पुत्र की कुशलता के लिए इस व्रत को रखती रही है.
 
इन सामग्री का होता है इस्तेमाल
 
सकट चौथ के व्रत में पूजन सामग्री के अलावा गुड़, तिल, शकरकंद और फलों का विशेष रूप से उपयोग होता है. इस दिन तिल और लाई के लड्डू भी भगवान गणेश को अर्पित किये जाते हैं. तिल को भूनकर उसे गुड़ की चाशनी में मिलाकर तित का लड्डू बनाया जाता है और फिर से भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि पूजन से प्रसन्न होकर प्रथम पूज्य गणेश जी अपने भक्तों के सभी कष्टों को क्षण में दूर कर देते हैं.
 

sankashthi chaturthi

सकट
चौथ  संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि (sankashti chaturthi puja vidhi)

 

आइए, अब जानते हैं सकट चौथ  /संकष्टी चतुर्थी की पूजा कैसे करें

 

·         इस दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर व्रत का संकल्प लें। 

·         इसके बाद स्नादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहन लें। 

·         इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है।

·         इसके बाद गणपति की पूजा की शुरुआत करें।

·         गणपति की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।

·         सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें।

·         पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें।

·         ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।

·         भगवान गणेश को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें।

·         संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं और फिर धूप-दीप जलाएं।

·         इसके बाद शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (sankashti Chaturthi Vrat katha) का पाठ करें।

·         पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें। रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है। 

    

सकट चौथ  -ये है पूजा विधि

·       सकट चौथ व्रत शुरू करने से सबसे पहले सुबह स्नान कर पूजा के लिए भगवान गणेश को स्थापित करें.

·       गणेश भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें.

·       अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करें.

·       गणेश पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य देकर पूजन के बाद लड्डू को प्रसाद को रूप में ग्रहण करें.

·       अंत में (ओम गं गणपतये नम:) मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें.

 

सकट चौथ  व्रत के लाभ

·         विघ्न, बाधाओं को दूर करता है।

·         जीवन में धन, समृद्धि और सफलता लाता है।

·         बुध ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करता है।

·          

sakat chauth

सकट
चौथ की व्रत कथा
-(sankashti Chaturthi Vrat katha) 

 

सकट चौथ  व्रत से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, संकट में पड़े देवताओं ने भगवान शिव से उनकी मदद करने की अपील की। हालांकि भगवान शिव देवों की मदद कर सकते थे, उन्होंने अपने दो पुत्रों में से एक कार्तिकेय और गणेश को यह कार्य सौंपने का फैसला किया। इसलिए, उसने उन दोनों से यह जानने को कहा कि कौन कार्य करने को तैयार है। दिलचस्प बात यह है कि कार्तिकेय और गणेश दोनों ही इसे करने के इच्छुक थे।

देव की सेना के सेनापति कार्तिकेय ने कहा कि संकटग्रस्त देवताओं की देखभाल करना उनका कर्तव्य था। गणेश ने भी यह कहकर उत्तर दिया कि उन्हें जरूरतमंदों की मदद करने में खुशी होगी। इसलिए, उनमें से एक को चुनने के लिए, भगवान शिव ने उनकी परीक्षा लेने का फैसला किया।

महादेव ने कार्तिकेय और गणेश को पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए कहा और कहा कि जो पहले कार्य पूरा करेगा उसे अपनी ताकत साबित करने का मौका मिलेगा। जल्द ही, भगवान कार्तिकेय ने पृथ्वी की परिक्रमा शुरू की, जबकि भगवान गणेश ने भगवान शिव और देवी पार्वती के चारों ओर घूमते हुए कहा कि उनके माता-पिता ब्रह्मांड के मूल हैं। इस प्रकार, भगवान गणेश ने सभी का दिल जीत लिया और उनकी बुद्धि के लिए उनकी प्रशंसा की गई। तब से, भगवान गणेश की पहली पूजा करने की परंपरा शुरू हुई।

 

सकट चौथ / संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, विष्णु भगवान का विवाह लक्ष्‍मी जी के साथ तय हो गया था। विवाह की तैयारी होने लगी। सभी देवताओं को निमंत्रण भेजे गए, परंतु गणेशजी को निमंत्रण नहीं दिया। 

जब भगवान विष्णु की बारात जाने का समय गया। सभी देवता अपनी पत्नियों के साथ विवाह समारोह में आए। उन सबने देखा कि गणेशजी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। तब वे आपस में चर्चा करने लगे कि क्या गणेशजी को न्योता नहीं गया है? या स्वयं गणेशजी ही नहीं आए हैं? सभी को इस बात पर आश्चर्य होने लगा। तभी सबने विचार किया कि विष्णु भगवान से ही इसका कारण पूछा जाए।

विष्णु भगवान से पूछने पर उन्होंने कहा कि हमने गणेशजी के पिता भोलेनाथ महादेव को न्योता भेजा है। यदि गणेश जी अपने पिता के साथ आना चाहते तो जाते, अलग से न्योता देने की कोई आवश्यकता भी नहीं थीं। दूसरी बात यह है कि उनको सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन दिनभर में चाहिए। यदि गणेशजी नहीं आएंगे तो कोई बात नहीं। दूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-पीना अच्छा भी नहीं लगता।

इतनी बात कर ही रहे थे कि किसी एक ने सुझाव दिया- यदि गणेशजी भी जाएं तो उनको द्वारपाल बनाकर बैठा देंगे कि आप घर की याद रखना। आप तो चूहे पर बैठकर धीरे-धीरे चलोगे तो बारात से बहुत पीछे रह जाओगे। यह सुझाव भी सबको पसंद गया, तो विष्णु भगवान ने भी अपनी सहमति दे दी।

होना क्या था कि इतने में गणेशजी वहां पहुंचे और उन्हें समझा-बुझाकर घर की रखवाली करने बैठा दिया। बारात चल दी, तब नारदजी ने देखा कि गणेशजी तो दरवाजे पर ही बैठे हुए हैं, तो वे गणेशजी के पास गए और रुकने का कारण पूछा। गणेशजी कहने लगे कि विष्णु भगवान ने मेरा बहुत अपमान किया है। नारदजी ने कहा कि आप अपनी मूषक सेना को आगे भेज दें, तो वह रास्ता खोद देगी जिससे उनके वाहन धरती में धंस जाएंगे, तब आपको सम्मानपूर्वक बुलाना पड़ेगा।

अब तो गणेशजी ने अपनी मूषक सेना जल्दी से आगे भेज दी और सेना ने जमीन पोली कर दी। जब बारात वहां से निकली तो रथों के पहिए धरती में धंस गए। लाख कोशिश करें, परंतु पहिए नहीं निकले। सभी ने अपने-अपने उपाय किए, परंतु पहिए तो नहीं निकले, बल्कि जगह-जगह से टूट गए। किसी की समझ में नहीं रहा था कि अब क्या किया जाए।

तब तो नारदजी ने कहा- आप लोगों ने गणेशजी का अपमान करके अच्छा नहीं किया। यदि उन्हें मनाकर लाया जाए तो आपका कार्य सिद्ध हो सकता है और यह संकट टल सकता है। शंकर भगवान ने अपने दूत नंदी को भेजा और वे गणेशजी को लेकर आए। गणेशजी का आदर-सम्मान के साथ पूजन किया, तब कहीं रथ के पहिए निकले। अब रथ के पहिए निकल को गए, परंतु वे टूट-फूट गए, तो उन्हें सुधारे कौन?

पास के खेत में ब्राह्मण काम कर रहा था, उसे बुलाया गया। ब्राह्मण अपना कार्य करने के पहले श्री गणेशाय नम:’ कहकर गणेशजी की वंदना मन ही मन करने लगा। देखते ही देखते ब्राह्मण ने सभी पहियों को ठीक कर दिया।

वह ब्राह्मण कहने लगा कि हे देवताओं! आपने सर्वप्रथम गणेशजी को नहीं मनाया होगा और ही उनकी पूजन की होगी इसीलिए तो आपके साथ यह संकट आया है। हम तो मूर्ख अज्ञानी हैं, फिर भी पहले गणेशजी को पूजते हैं, उनका ध्यान करते हैं। आप लोग तो देवतागण हैं, फिर भी आप गणेशजी को कैसे भूल गए? अब आप लोग भगवान श्री गणेशजी की जय बोलकर जाएं, तो आपके सब काम बन जाएंगे और कोई संकट भी नहीं आएगा।

ऐसा कहते हुए बारात वहां से चल दी और विष्णु भगवान का लक्ष्मीजी के साथ विवाह संपन्न कराके सभी सकुशल घर लौट आए।

 

सकट चौथ / संकटा चौथ पौराणिक कथा

 

माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी गणेश चतुर्थी, तिलकूट चतुर्थी, संकटा चौथ, तिलकुट चौथ व्रत को लेकर एक कथा भी प्रचलित है. कहा जाता है कि सत्यवादी राजा हरिशचंद्र के राज में एक ब्राम्हण उसकी पत्नी भी रहते थे. एक समय उनका एक पुत्र की प्राप्ति हुई और कुछ समय बाद वे मृत्यु को प्राप्त हो गए. ब्राम्हणी दुखी लेकिन पुत्र के जीवन को संवारना ही उसका लक्ष्य था. अतः वह गणपति का चौथ का व्रत रखते हुए उसकी परवरिश करने लगी. एक दिन एक कुम्हार ने बच्चे की बलि अपनी कन्या के विवाह के उद्देश्य से धन के लिए दे दी. इसके बाद वह कष्टों में घिर गया जबकि बच्चा खेलता हुआ मिला. यह वृत्तांत जब राजा हरिशचंद्र को सुनाया गया तो वह उसने व्रत की महिमा बताई.

पंडित तिवारी ने बताया कितिल चौथसकट चौथ पर चंद्रोदय का समय शुभ मुहूर्त रात्रि को हैं इसमें चन्द्रमा को जल अर्पित किया जाता हैं उसके बाद ही व्रत खोलकर खाना खाया जाता हैं. सबसे पहले भगवान् गणेश की मूर्ति को पंचामृत से स्नान करने के बाद फल, लाल फूल, अक्षत, रोली, मौली अर्पित करें और फ़िर तिल से बनी वस्तुओं अथवा तिल-गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाकर भगवान गणेश की स्तुति की जाती है. सकट चौथ पर 108 बार गणेश मंत्र गणेशाय नमः का जप करें, अपने हर दुःख को भगवान गणेश से कहे. इससे आप पर आने वाली हर एक विपदा का समाधान होगा और जो भी परेशानियां चली रही हैं उससे भी मुक्ति मिलेगी.

·          

सकट चौथ  पर गणेशजी के महत्वपूर्ण मंत्र

 

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

अर्थ 

घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली। मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें)

 

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।

नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

अर्थ 

विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है

 

अमेयाय हेरम्ब परशुधारकाय ते

मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः

अर्थ 

हे हेरम्ब ! आपको किन्ही प्रमाणों द्वारा मापा नहीं जा सकता, आप परशु धारण करने वाले हैं, आपका वाहन मूषक है आप विश्वेश्वर को बारम्बार नमस्कार है

 

एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः।

प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने॥ 

अर्थ 

जिनके एक दाँत और सुन्दर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करनेवाले हैं, उन शुद्धस्वरूप आप गणपति को बारम्बार नमस्कार है

 

एकदंताय विद्‍महे। वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात।।

अर्थ 

एक दंत को हम जानते हैं। वक्रतुण्ड का हम ध्यान करते हैं। वह दन्ती (गजानन) हमें प्रेरणा प्रदान करें।

सकट चौथ  के आसान उपाय

·       सकट चौथ के दिन आप गणेश जी की पूजा के समय संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें. इसके प्रभाव से सभी दुख, कष्ट और विघ्न-बाधा दूर होगी.

·       सकट चौथ पर संकट को दूर करने और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ओम गं गणपतये नम: मंत्र का जाप 108 बार करें. इस मंत्र के शुभ प्रभाव आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगे.

·       सकट चौथ वाले दिन गणेश जी की कृपा पाने के लिए तिल और गुड़ का लड्डू बनाएं. पूजा के समय गणेश जी को तिलवाले लड्डू का भोग लगाएं. गणेश जी आपके दुखों को दूर करके जीवन में खुशहाली लाएंगे.

·       धन में वृद्धि के लिए सकट चौथ पर पूजा के दौरान गणपति बप्पा के समक्ष एक श्री यंत्र स्थापित करें. उस पर दो सुपारी रखें. पूजा के बाद उसे लाल रंग के कपड़े में बांध दें और तिजोरी या धन स्थान पर रख दें.

·       करियर में बाधारहित होकर तरक्की पाने के लिए सकट चौथ पर मंदिर में जाकर गणेश जी का दर्शन करें. उसके बाद गरीबों को तिल का दान करें. बच्चों को मोदक खिलाएं.

दोस्तों, हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई  जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी और आप इससे बहुत लाभ उठाएंगे। हम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं और आपका हर सपना सच हो।

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

डिस्क्लेमरयहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

 

धन्यवाद  

https://youtu.be/kWULzuSaHW4 

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.