बहेलिये पर भगवान शिव का क्रोध | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Moral Stories -

 बहेलिये पर भगवान शिव का क्रोध | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Moral Stories - 


मंगलपुर गांव में बिरजू नाम का एक बड़ी लिए रहता था वह जरा जाल बिछाकर तरह तरह के पक्षियों को पकड़ता और उन्हें पिंजरे में बंद करके गांव के बाज़ार में बेचा था बिरजू की पत्नी कमला भगवान शिव के परम भक्त थे वह दिन-रात भगवान शिव की पूजा करती पक्षियों को पकड़कर बेचने का काम अच्छा नहीं लगता तुम यह पक्षियों को पिंजरे में पकड़कर बाजार में कितनी तकलीफ होती होगी यह काम छोड़ दो कोई और काम कर लो की चिंता क्यों अरे यह तो बाजार में बेचकर पैसे मिल जाते हैं इस चलते हुए को छोड़कर

(01:05) दूसरा आपको नहीं पता आप इन पट्टियों को पकड़कर पिंजरे में बंद कर देते हो पता लग रही है हमें इसी कारण आज तक हमारे घर में भगवान शिव की पूजा करती हूं मुझे तो लगता है कि आप किस कार्य के कारण भगवान शिव हमसे रूठ हुए हैं इन बातों को नहीं मानता और तू भी है फालतू बातें करके मेरा समय खराब मत कर मैं पक्षियों को पकड़ने जा रहा हूं मुझे देर हो रही है कमला रोने लगती है और बिरजू पक्षियों को पकड़ने के लिए चला जाता है शाम को बिरजू घर आता है और पक्षियों को पिंजरे में कैद कर के घर में रख देता है अगले दिन बेल सुबह-सुबह फिर से नए पक्षियों को पकड़ने चला जाता है कमला

(01:47) घर के काम कर रहे थे अचानक किसी ने घर का दरवाजा खटखटाया यह तो काम पर चले गए इतनी सुपर सुपर कौन प्रणाम जीती रहो मेरा नाम की और मेरी पत्नी सुभद्रा बहुत दूर से कुछ दिन के लिए इस गांव के शिव मंदिर में अमर कथा का पाठ करने गांव के सभी घरों में जाकर उन्हें अपने परिवार के साथ शिव मंदिर में अमर कथा को सुने हुआ था मेरी तो भाग्य खुल गए अमर कथा सुनने का अवसर तो किस्मत वालों को मिलता है इस गांव में पहली बार आए हैं आप दोनों के रहने की व्यवस्था की गई मंदिर के पंडित जी ने हमारे रहने की व्यवस्था मंदिर में और इस गांव में हमें जो भी अपने घर प्रेम पूर्वक भोजन

(02:39) ग्रहण करें सब्सक्राइब तक आप मेरे घर में अतिथि के रूप में भोजन ग्रहण करें अब पूरी नहीं आ सकती जो भी बन पड़ेगा मैं आप दोनों के लिए बना दिया बेटी तुम चाहती हो कि हम प्रतिदिन तुम्हारे घर में भोजन करें तो तुम हमें जो भोजन खिलाओगी अतिप्रिय है फिर मैं आप दोनों के लिए भोजन तैयार कर आप भोजन करके चाहिए तुम हमारे लिए भोजन तैयार करो तब तक हम लोगों के घर जाने के बाद भोजन तैयार करने लगती है शुभेंद्र उसकी परतीत कमला के घर भोजन करने के लिए आ जाते हैं कमला उन दोनों को भोजन प्रवृत्ति है भोजन खाते हुए ब्राह्मण और उसकी पत्नी की नजर पिंजरे में बंद पक्षी

(03:32) पर पड़ती ब्राह्मण और उसकी पत्नी अचानक उठ कर खड़े हो जाते हैं भोजन बनाने में कोई भूल हो गई जिस घर में मेजबान पक्षियों को कैद करके रखा जाता घर में भोजन ग्रहण नहीं कर सकते हैं भगवान शिव की कथा सुनना चाहती हो और तुमने बेजुबान पक्षियों को पिंजरे में कैद करके रखा हुआ है अब यहां नहीं कर सकते हैं ब्राह्मण देवता मेरे घर से इस प्रकार करना चाहिए मैं तो पहले से ही संतान सुख से ऊपर से यदि आप दोनों रूठ कर चले जाएंगे तो हमारा सर्वनाश निश्चित यह मेरे पति हैं अभी पक्षियों को पिंजरे उठाकर घर से बाहर ले जाती और खोलकर पक्षियों को आजाद कर दें यह ब्राह्मण और

(04:18) उसकी पत्नी खुश हो जाते हैं और फिर से चीन ग्रहण करने लगते हैं और खुश होकर कमला को सौभाग्यवती और पुत्रवती होने का आशीर्वाद देकर वहां से चले जाते हैं शाम को जब घर आता है तो वह खाली पिंजरा देखकर हैरान रह जाता पिंजरे में कहां अच्छी को मैंने या साथ कर दिया अब वह बीजों को सारी घटना बताती है कि कितनी मुश्किल से पक्षियों को पकड़ लाओ और उड़ने वाले पक्षी पिंजरे से किसी को गुस्सा शांत हो तो ब्राह्मण देवता और उनकी पत्नी को जब तक गांव में तब तक हमारे घर भोजन करने का निमंत्रण दिया है अब मैं उन्हें मना कैसे कर सकती थी आपको पता है वह मुझे और

(05:03) पुत्रवती होने का आशीर्वाद देकर गए हैं बहुत ही पहुंचे हुए ब्राह्मण और उनकी पत्नी जो इस गांव में अमर कथा का वाचन करने आए उनका आशीर्वाद खाली नहीं जा सकता आप मेरी बस इतनी बात मान लीजिए आप सात दिन तक पक्षियों को पिंजरे में मत पकड़ो इस गांव से चले जाएं तब आप दो पन्या योगर्ट यदि आपने मेरी बात को नहीं माना और गुस्से में ब्राह्मण देवता ने शाप दे दिया तो हमारा सर्वनाश निश्चित है ठीक है मैं कुछ दिन के लिए पक्ष ने बकायदा ढूंढ कमला की बात को मान लिया और सात दिन तक वो घर पर ही रहा वह पक्षी पकड़ने नहीं गया ब्राह्मण और उसकी पत्नी रोजाना ही कमला के घर भोजन

(05:41) करने आते उनके आने से पहले ही बिरजू घर से चला जाता उसे यह सब पसंद नहीं था सूजी भोजन के समय पर तो आप घर से चले जाते हो अभी शाम का वक्त है मंदिर में अमर कथा का पाठ हो रहा होगा आप मेरे साथ चलते तो आपको भी आनंद की प्राप्ति होती है कि मैं तुम्हारे साथ मंदिर नहीं आऊंगा मैं तुम्हारी एक बात मान ली और दूसरी बात नहीं मानूंगा मैं घर पर ही आराम करूंगा कथा सुनने को मिल जाया कर अपना ऐसे ही देखते देखते के दिन बीत के सातवें दिन कमला बिरजू से पूरी आपने मेरी बात मानकर छह दिन तक एक विपक्षी नहीं पकड़ा आज एक बात और मार दीजिए प्रॉपर बोलो वैसे भी वह कल के

(06:18) दिन घर पर हूं और से मैं फिर से पक्षी अपने चला जाऊंगा कायल अमर कथा समाप्त हो जाएगी मैं चाहती हूं कल भी मेरे साथ कथा सुनने बंद-चालू और वहां से आने के पश्चात आप मेरे साथ ब्राह्मण और उसकी पत्नी को भोजन कराओ और उनका आशीर्वाद प्राप्त करो क्या पता उनके आशीर्वाद से हमें संतान का सुख प्राप्त हो जाए विड्रॉल मैं कल तुम्हारे साथ मंदिर में कथा सुनने चलूंगा का योग ने कबूतरों को अमरता का वरदान दिया मैंने कबूतरों को बेचकर अपना जीवन नरक बना लिया मैंने सोच लिया कि विपक्षियों को पकड़कर पिंजरे में कैद बहुत स्वागत करता हूं झालर आधे ईंधन

(07:22) उसकी संतान पूर्व दिशा हम दोनों की [संगीत] जिंदगी में कर दो



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