शिव जी की सच्ची भक्ती एक बहेलिया की कहानी............

 शिव जी की सच्ची भक्ती एक बहेलिया की कहानी............ 


 शिव जी की सच्ची कहानी एक बहेली की शिव भक्ति एक गांव में हरिया नाम का एक बहेलिया रहता था वह गांव में जाल बिछाकर चिड़िया कबूतर तोता और अन पक्षियों को पकड़ता था फिर उन्हें पिंजरे में बंद करके रख लेता और गांव के बाजार में बेच देता था हरिया के घर में उसकी पत्नी शोभा भगवान शिव की भक्त थी वह दिन रात भगवान शिव की पूजा करती थी शोभा अपने पति के काम से खुश नहीं थी एक दिन उसने हरिया से कहा सुनो जी तुम जिन पक्षियों को पकड़कर बेचते हो इससे उन्हें कितनी तकलीफ होती होगी उसकी बात सुनकर हरिया हंसने लगा और उसने कहा तुझे कैसे पता इन्हें तकलीफ होती है इन्हें

(00:45) बाजार में बेचने से मुझे अच्छे पैसे मिलते हैं यह सुनकर शोभा रोने लगी उसने कहा आपको शायद यह नहीं पता कि इन भोले बेजुबान पक्षियों की हाय हमें लग रही है इसी कारण हमारे कोई संतान नहीं है मैं दिन रात भगवान शिव की पूजा करती हूं लेकिन फिर भी हम संतान के सुख से वंचित हैं तब हरिया ने कहा मैं यह सब नहीं मानता तू भी इस सब के बारे में सोचना छोड़ दे यह कहकर हरिया पक्षी पकड़ने चल देता है शाम को हरिया पिंजरे में पक्षियों को लेकर आता है और झोपड़ी में रख देता है अगले दिन फिर से हरिया पक्षियों को पकड़ने चले जाता है तभी कोई घर का दरवाजा खटखटा आता है शोभा

(01:28) दरवाजा खोलकर देखती है तो उसके सामने एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ खड़े थे शोभा उनसे कहती है महाराज आप लोग कौन हैं तब ब्राह्मण कहता है बेटी हम बहुत दूर से कुछ दिन इस गांव के शिव मंदिर में अमर कथा वांचने आए हैं इसलिए घर-घर जाकर उसका निमंत्रण दे रहे हैं तुम भी कल से अपने परिवार के साथ कथा सुनने आना यह सुनकर शोभा बहुत खुश हुई उसने कहा हे ब्राह्मण देवता मेरे तो भाग्य खुल गए ऐसा अवसर तो किस्मत वालों को मिलता है परंतु आप दोनों की रहने की व्यवस्था कहां है तब ब्राह्मण ने कहा बेटी मंदिर के पंडित जी ने हमारे रहने का इंतजाम मंदिर में ही कर दिया है

(02:09) और इस गांव में जो भी हमें सम्मान और प्यार से भोजन कराएगा हम भोजन कर लेंगे यह सुनकर शोभा की आंखों से आंसू बहने लगे उसने रोते हुए कहा महाराज मैं बहुत गरीब हूं लेकिन मेरी इच्छा है कि जब तक आप इस गांव में र आप मेरे घर में भोजन करें परंतु मेरे घर में रूखा सूखा है जो आपको पसंद नहीं आएगा यह सुनकर ब्राह्मण की पत्नी बोली बेटी तुम चिंता मत करो यदि तुम्हारी इच्छा में भोजन कराने की है तो हर दिन हम तुम्हारे घर में ही भोजन करेंगे तुम्हारे रूखे सूखे एक निवाले से ही हमारी तृप्ति हो जाएगी यह सुनकर शोभा बहुत खुश हो गई उसने कहा मैं आपके लिए भोजन तैयार

(02:52) करती हूं तब ब्राह्मण ने कहा माई तुम भोजन तैयार करो हम पूरे गांव में निमंत्रण देकर तुम्हारे घर आएंगे यह कहकर दोनों चले जाते हैं शोभा भोजन तैयार करती है कुछ समय बीत जाने के बाद दोनों पति-पत्नी शोभा के घर भोजन करने आ जाते हैं जब वे भोजन करने बैठते हैं तभी ब्राह्मण की नजर पिंजड़े में पक्षियों पर पड़ती है वे उठकर खड़े हो जाते हैं शोभा उनसे पूछती है महाराज क्या मेरे से कोई भूल हो गई ब्राह्मण ने क्रोधित होते हुए कहा तुमने इन बेजुबान पक्षियों को पिंजरे में कैद कर रखा है हम तुम्हारे घर भोजन नहीं कर सकते तो तुम भगवान शिव की अमर कथा सुनना चाहती हो और

(03:33) उनके प्रिय कबूतरों को तुमने कैद कर रखा है यह कहकर वे चल देते हैं शोभा उनके पैर पकड़ लेती है और कहती है हे ब्राह्मण देवता मेरे घर से रुष्ट होकर ना जाइए मैं तो वैसे भी संतान सुख से वंचित हूं अगर आप भी बिना भोजन किए चले गए तो हमारा सर्वनाश निश्चित है यह पक्षी मेरे पति ने पकड़े हैं मैं अभी इन्हें आजाद कर देती हूं यह कहकर वह बाहर जाकर सारे पक्षियों को आजाद कर देती है यह देखकर ब्राह्मण पत्नी सहित भोजन करते हैं और शोभा को सौभाग्यवती और पुत्रवती होने का आशीर्वाद देकर चले जाते हैं शाम को जब हरिया आता है वह पिंजरा खाली देखकर शोभा से पूछता है तब शोभा उसे

(04:13) सारी घटना बता देती है हरिया गुस्से में कहता है मैं इतनी मेहनत से पक्षी पकड़ कर लाया था और तूने सब उड़ा दिए आज के बाद किसी को भोजन पर मत बुलाना तब शोभा कहती है मैंने तो उन दोनों को सातों दिन का न्योता दे दिया है अब मैं पीछे नहीं हट सकती उन्होंने मुझे सौभाग्यवती और पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया है अमर कथा वांचने वाले सच्चे ब्राह्मण का आशीर्वाद कभी बेकार नहीं जाता अगर उन्हें भोजन नहीं कराया और उन्होंने गुस्से में श्राप दे दिया तो हमारा सर्वनाश हो जाएगा आप केवल सात दिन तक पक्षियों को मत पकड़ना बाद में जो चाहे करना हरिया को हारकर उसकी

(04:52) बात माननी पड़ी वह बेमन से सात दिन घर पर ही रहने लगा हर दिन ब्राह्मण और उनकी पत्नी भोजन करने आते उनके आने से पहले हरिया घर से चला जाता उसे यह सब पसंद नहीं था शाम के समय शोबा कथा सुनने जाती वह हरिया से भी चलने को कहती लेकिन हरिया मना कर देता था इसी तरह सात दिन बीत गए रात को शोभा ने हरिया से कहा आपने मेरे कहने से छह दिन पक्षियों को नहीं पकड़ा बस आप मेरी एक बात और मान लीजिए हरिया ने कहा क्या बात है वैसे भी मैं केवल कल ही घर पर रुकूंगा परसों से अपने काम पर जाऊंगा तब शोभा ने कहा कल अमर कथा समाप्त हो जाएगी मैं चाहती हूं आप कल मेरे साथ मंदिर में

(05:33) कथा सुनने चलें और वहां से वापस आने के बाद ब्राह्मण और उनकी पत्नी को अंतिम बार भोजन कराकर उनसे आशीर्वाद ले क्या पता उनके आशीर्वाद से हमें संतान का सुख मिल जाए हरिया उसकी बात सुनकर अगले दिन कथा सुनने चल देता है मंदिर में कथा सुनते सुनते हरिया की आंखों से आंसू बहने लगते हैं शोभा के पूछने पर वह कहता है भगवान शिव ने जिन कबूतरों को अमरता का आशीर्वाद दिया मैं ने जीवन भर उन्हें बेचकर अपना जीवन नरक बना लिया कथा समाप्त होने पर वे दोनों घर आ गए हरिया क मन निर्मल हो गया था उसने शोभा से कहा मैं आज से ही यह काम छोड़ दूंगा और मेहनत मजदूरी करूंगा कुछ

(06:14) देर बाद ब्राह्मण और उनकी पत्नी भोजन करने आए हरिया ने उनका स्वागत किया उन्हें भोजन कराया उसके बाद हरिया ने अपने मन की सारी बात उनके सामने रख दी तभी ब्राह्मण और उनकी पत्नी भगवान शिव और मां पार्वती के रूप में प्रकट हो जाते हैं भगवान शिव कहते हैं तुम्हारी पत्नी की भक्ति देखकर हम तुम्हें संतान सुख देना चाहते थे किंतु तुम्हारे पाप के कारण यह संभव नहीं था इसलिए हमें तुम्हारा मन बदलने के लिए वेष बदलकर यहां आना पड़ा यह सुनकर दोनों पति-पत्नी रोने लगते हैं और उनके चरणों में गिर जाते हैं भगवान शिव और मां पार्वती उन्हें पुत्रवती होने का आशीर्वाद

(06:53) देकर अंतर्ध्यान हो जाते हैं भगवान के आशीर्वाद से उनके घर एक सुंदर कन्या का जन्म होता है कन्या के आने के बाद उनके दिन बदल जाते हैं वे काफी धनवान हो जाते हैं


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