सावन सोमवार की कहानी, एक भाई को तोता बनने की कहानी। #sawan #kahani‪

 (1) सावन सोमवार की कहानी, एक भाई को तोता बनने की कहानी। #sawan #kahani‪@ShivaniStoryChanal‬ - YouTube

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Transcript:

(00:00) सावन सोमवार की कहानी एक भाई की तोता बनने की कहानी मित्रों किसी गांव में एक ग्वाला अपने बीवी बच्चों के साथ रहता था उसके एक बेटा और एक बेटी थी वेग वाला था तो उसके पास बहुत गाय और बछड़े थी वे गायों को चराने जाता था और गायों का दूध दही घी बेचकर ही अपने परिवार का पालन पोषण करता था जितना कमाता था उसकी पत्नी उसी में संतुष्ट थी और अपने बच्चों को पाल रही थी एक दिन उसकी पत्नी बहुत बीमार हो गई और उसकी मृत्यु हो गई अब ग्वाले के ऊपर ही अपने दोनों बच्चों की जिम्मेदारी आ गई कहते हैं कि अगर पिता मर जाए तो मां अपने बच्चों को सही तरीके से पाल लेती है लेकिन

(00:47) एक पिता ऐसा नहीं कर पाता उस ग्वाले को भी बहुत परेशानी हो रही थी वह गाय चराने जाता तो अपने बच्चों के लिए भोजन तैयार नहीं कर पाता बच्चे अभी छोटे थे बेटी एक साथ की थी और बेटा 8 साल का कुछ में ऐसे ही बीत गया फिर ग्वाले ने बच्चों के पालन पोषण के लिए दूसरी शादी कर ली ग्वाले की दूसरी पत्नी घर आ गई ग्वाले के बच्चों को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी और ग्वाला भी अपनी दूसरी पत्नी के साथ खुश रहने लगा अब ग्वाला अपनी दूसरी पत्नी के ही सारी बात मानता था धीरे-धीरे समय बीतता है और बच्चे और बड़े हो जाते हैं लड़का 12 साल का हो

(01:29) जाता है उसकी दूसरी मां लड़के को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी एक बार वे अपने पति से कहती हैं कि आप गाय बछड़ों को चराने जाते हो अभी लड़का बड़ा हो गया है अब से गाय बछड़े चराने यह लड़का जाएगा फिर बेचारा लड़का रोज सुबह जंगल में गाय बछड़े चराने जाता और शाम को वापस आता इधर लड़की भी बड़ी हो गई थी वे घर का सारा काम करती और खाना बनाती और अपने भाई को अपने हाथों से खाना खिलाती वह लड़की भगवान शिव की परम भक्त थी वह भगवान शिव का का रोज पूजा पाठ करती थी वह दोनों भाई बहन एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे और दोनों आपस में बातें करते कि

(02:13) पता नहीं हमारे पिताजी को क्या हो गया है वह हम पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते जब से हमारी मां की मृत्यु हुई है हमारे कितने कष्ट भरे दिन आ गए हैं तब बहन अपने भाई को समझाती है कि तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो तुम्हारी बड़ी बहन है ना यह कहकर वे अपने भाई को ढांढस बंधा हैं फिर भाई कहता है दीदी मुझे मां की बहुत याद आती है अगर आज हमारी मां होती तो हमें कितने प्यार से खाना खिलाती दोनों भाई बहन अपनी मां को याद करके रोने लगते हैं ऐसे ही दिन बीत रहे थे एक दिन लड़का गाय चराने जंगल गया जंगल में लड़के को एक शेर मिल गया तो लड़का दौड़कर एक पेड़ पर चढ़ गया और शर से

(02:57) कहा शेर भाई तुम मुझे क्यों खाना चाह ते हो तब शेर ने कहा भाई मैं बहुत भूखा हूं अगर तुम चाहते हो कि मैं तुम्हें ना खाऊं तो तुम मुझे एक गाय बछड़ा दे दो जिसे खाकर अपनी भूख मिटा सकू लड़के ने कहा भाई मैं अपनी बहन का इकलौता सहारा हूं मेरी बहन तो रोरो कर मर जाएगी मेरे पिता और सौतेली मां है जो हम दोनों पर बहुत अत्याचार करते हैं मैं अपनी बहन की उम्मीद नहीं टूटते दे सकता अगर फिर भी तुमने मुझे खाना है यह गाय और बछड़ा खाना है है तुम्हें नहीं कह सकता क्योंकि इसके लिए मुझे अपने माता-पिता से पूछना होगा तब शेर ने कहा ठीक है कल तुम अपने माता-पिता से पूछकर

(03:41) आना फिर लड़का शाम को अपने घर गया और अपने पिता से कहा पिताजी आज मुझे जंगल में शेर मिला अभी पूरी बात हुई भी नहीं थी कि उसके पिता ने दो उसे चाटा के लगा दी फिर वह रोने लगा रोते-रोते उसने कहा पिताजी मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं आप मेरी बात तो सुन लीजिए जैसे तैसे लड़के ने अपने पिता को सारी बात बताई कि जंगल में उसे कल एक शेर मिला था वह मुझे खाएगा यह गाय और बछड़े को यह सब बात उसकी सौतेली मां सुन रही थी उसने कहा कि गाय और बछड़ा कम नहीं होने चाहिए पता है वह कितनी कीमती है उनके दूध से ही तो हमारा घर चलता है और तुम्हारे बिना तो हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा

(04:25) इसलिए अच्छा है शेर तुम्हें खा जाए अब वह बेचारा दुखी मन से अपने नी बहन के पास गया उसकी बहन ने खाना खिलाया और पूछा कि तुम इतने उदास क्यों हो तब लड़के ने सारी बात अपनी बहन को बताती तो उसकी बहन उसे समझाने लगी कि तुम तो मेरी जिंदगी का आधार हो भाई तुम्हारे बिना ना तो मैं जीने की सोच भी नहीं सकती अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं भी जिंदा नहीं रहूंगी इसलिए तुम जंगल को जाना और एक बछड़ा सिर को खाने को दे देना अगर गाय जिंदा रहेगी तो दूसरा बछड़ा और आ जाएगा और उसके पिता ने भी यही कहा था कि शेर तुझे खा जाएगा तो पुत्र तो और भी हो

(05:07) जाएगी यह सारी बातें बहन ने सुन ली थी तो भाई ने कहा ठीक है वह दूसरे दिन वह फिर जंगल में गया तो शेर उसका इंतजार करता मिला शेर ने कहा कहो तुम अपने माता-पिता से आज्ञा लेकर आए हो या मैं तुम्हें खा लू तब लड़के ने सारी बात शेर को बताई और कहा मेरी बहन ने कहा है कि तुम एक बछड़े को खा लो फिर शेर बछड़े को लेकर अपनी गुफा की तरफ चला गया और लड़का खुशी-खुशी अपनी गाय चराने लगा और शाम को अपने घर आ गया तो उसके माता-पिता गाय बछड़ों की गिनती करने लगे तो एक बछड़ा कम था वह समझ गए कि वह बछड़ा लड़का शेर को दे आया है इस बात पर वह दोनों बहुत गुस्सा हो गए और उसे मारने

(05:52) लगे उसके पिता ने उसे डंडे से इतना मारा कि वह बेहोश होकर गिर पड़ा उसकी बहन यह सब देख रही थी और उसको बहुत बुरा लग रहा था लेकिन वह कर भी क्या सकती थी जब उसके माता-पिता चले गए तब बहन अपने भाई को उठाकर कमरे में ले गई और उस पर पानी के छींटे मारे जब होश में आ गया तो उसे पानी पिलाया खाना खिलाया दोनों भाई बहन बहुत देर तक रोती रही फिर बहन ने कहा भाई अब तुम्हारा यहां रहना खतरे से खाली नहीं है मेरे पास मां की यह निशानी यह अंगूठी है तुम यह अंगूठी पहन लो और यह घर छोड़कर चले जाओ अगर तुम जीवित रहोगे तो मुझे आशा रहेगी और हम कभी ना कभी जरूर मिल

(06:36) जाएंगे भाई की समझ में बहन की सारी बात आ रही थी लेकिन उसने कहा बहन तुम ठीक कह रही हो लेकिन मैं तुम्हें यहां अकेले छोड़कर कैसे चला जाऊ मां तुम पर भी तो अत्याचार करती है सब काम करवाती है मारती पीटती है तब बहन ने कहा भाई अगर तुम ठीक रहोगे तो मैं सब सहन कर लूंगी लेकिन तुम यहां से चले जाओ भाई अपनी बहन की बात मान लेता है और एक धागा उठाता है और अपनी बहन की कलाई में बांध देता है यह मेरी निशानी है जब भी हम मिलेंगे तो यह देखकर एक दूसरे को पहचान लेंगे तुम यह धागा टूटने मत देना बहन ने कहा ठीक है जब दोनों भाई बहन बातें कर रहे थे तो उनकी सौतेली मां सब बातें

(07:24) सुन रही थी तब मन में सोचने लगी अच्छा यह बात है इन्हे अब अभी मजा चखा हूं जब लड़का और लड़की सो गए तो सौतेली मां ने अपने पति से कहा कि मुझे तो इस लड़के का मांस खाना है पति ने कहा ठीक है अगर तुम्हारी ज्यादा इच्छा होती है तो मैं अभी इसका मास लेकर आता हूं बाप इतना निर्दय इतना कठोर हृदय का हो गया कि उसने अपने बेटे को उठाया और बाहर ले गया और कुल्हाड़ी से उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए फिर टुकड़े लेकर अपनी पत्नी के पास आया और कहा यह खा लो तब उसकी पत्नी ने उन टुकड़ों की सब्जी बनाई और खाना बनाया फिर उसने एक थाली अपने लिए और एक

(08:08) पति के लिए लगाई तभी उसके मन में विचार आया कि भाई बहन का बहुत गहरा प्यार है तो बहन को उसके भाई के मांस जरूर खिलाना चाहिए तो उसने बहन को बुलाया और एक थाली उसके लिए भी लगाई और कहा खाओ तब वह सोचने लगी कि इतने प्यार से तो मां ने कभी खाना नहीं दिया जरूर कोई बात है जब वह खाना खाने लगे तो बहन ने देखा कि थाली में वही उंगली आ गई जिससे वे अंगूठी थी बहन तुरंत समझ गई क्योंकि वे सुबह से अपने भाई को खोज रही थी लेकिन वह उसे कहीं दिखाई नहीं दिया उसका शक यकीन में बदल गया वे अंगूठी देखकर हैरान हो गई और अंदर जाकर जोर-जोर से रोने लगी और भगवान शिव से कहने लगी हे

(08:54) भगवान यह क्या हुआ इन लोगों ने मेरे भाई को मार डाला अब मैं अकेली रह गई अब वे रोए जा रही थी तभी उसे बड़े बूढ़ों की बात याद आई कि किसी इंसान की मुक्ति तब तक नहीं होती जब तक कि उसकी अस्थियां नदी में विसर्जित नहीं होती उसने सोचा मेरे भाई की भी तो मुक्ति भी नहीं होगी यह लोग तो उसे मारकर खा गए तभी उसने वे उंगली उठाई और चलते-चलते वे नदी के किनारे पहुंच गई वह उंगली को अपने हाथों में लेकर जोर-जोर से रोने लगी वह भगवान को याद कर रही थी क्योंकि वह लड़की की बहुत धार्मिक थी वह रोज भगवान शिव का पूजा पाठ किया करती थी सोमवार का व्रत रखती थी और

(09:37) हमेशा भगवान से यही प्रार्थना करती थी कि हे भगवान मेरे भाई की रक्षा करना उस दिन भी रोते-रोते कह रही थी हे भगवान मेरे इस संसार में कोई नहीं है एक भाई था उसे भी तुमने ले लिया मां को तो पहले ही छीन लिया अब मैं किसके लिए जीवित रहूंगी मैं भी इसी नदी में कूदकर अपनी जान दे दूंगी फिर उंगली उसने नदी में डाली और भगवान से प्रार्थना की हे भगवान मेरे भाई को मुक्ति देना वह जहां कहीं भी है उसकी आत्मा को शांति मिले फिर नदी में कूदने वाली होती है तो उसने देखा कि जो उंगली उसने नदी में डाली है वे तोता बनकर उड़ गया और नदी के पास एक पेड़ था उस पर जाकर बैठ गया फिर

(10:21) तोते ने कहा बहन तुम क्यों दुखी होती है मैं तेरा भाई हूं बहन तुम्हें यह बहुत अच्छा किया जो तुमने यह उंगली नदी में डाल दी इससे मेरी मुक्ति हो गई और मुझे तोते का जन्म मिल गया बहन तुम चिंता मत करो मैं तोता बनकर भी तुम्हारी हर तरह से मदद करूंगा हम दोनों आपस में सुख दुख की बात है क्या करेंगे यह देखकर बहन बहुत खुश हुई कि चलो मेरा भाई साथ तो है किसी भी रूप में सही फिर बहन घर वापस आ गई सौतेली मां उसे सारा काम करवाती और बहुत खुश होती कि चलो इसके कोई भाई नहीं है इसके भाई से तो पीछा छूटा लेकिन वह लड़की जल्दी से अपना काम पूरा करती और बाग बगीचे में जाती वहां

(11:06) उसका भाई उसका इंतजार करता रहता था दोनों भाई बहन खूब बातें करते हुए अपनी बहन को अच्छे-अच्छे फल खिलाता सावन का महीना चल रहा था लड़की सावन महीने में पूजा पाठ करती सावन सोमवार का व्रत रखती और पूजा पाठ करने के बहाने ही वे बगीचे में जाती थी भाई ने बहन से कहा बहन तुम चिंता मत करना यदि मां पिताजी तुम उहे यहां ना आने दें तो मैं घर के बाहर किसी डाल परर में बैठ जाऊंगा बहन बहुत खुश थी वे मन से बहुत खुश रहने लगी रक्षा बंधन का त्यौहार आने वाला था तो भाई ने सोचा मुझे अपनी बहन के लिए कुछ करना चाहिए यह वहां निर्दय लोगों के साथ रहती है जो उन्होंने मेरी साथ किया

(11:49) कहीं मेरी बहन के साथ ना कर दे मुझे उनसे बदला लेना होगा फिर उसने भगवान से प्रार्थना की कि हे भगवान मेरी बहन की रक्षा करना तभी वह एक लोहार के पास पहुंचा लोहार से तोते ने कहा पिता ने मारा मां ने मरवाया बहन सरासर रोई थी मैं हरियर तोता बन उड़ाया फिर वह लोहार कहने लगा तुम क्या कह रहे हो मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आया फिर उसने वही दोहराया पिता ने मारा मा ने मरवाया बहन सरासर रोई थी मैं हरियल तोता बन्न उड़ाया तोते को बोलता हुआ देखकर उसे उसकी बातें सुनने का मन हुआ वह कहने लगा हे तोता तुम मुझे खुलकर बताओ तुम क्या कहना चाहते हैं वो तब तोते ने सारी बात

(12:32) लोहार को बताई लोहार तोते की बात सुनकर कहता है तुम्हारी कहानी तो बहुत ही दुख भरी है यह सुनकर मुझे रोना आ रहा है तुम बताओ तुम मुझसे क्या चाहते हो अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे सकता हूं तब तोते ने कहा मुझे कुछ नहीं चाहिए बस तुम मेरे लिए एक ऐसी कतार बना दो जो तलवार से भी तेज हो लोहार ने कहा ठीक है भाई फिर लोहार ने तोते के लिए कतार बनाई कतार बन गई तोते ने कहा इस कतार को मेरे पंखों में छुपा दो लोहार ने कतार तोता के पंखों में छुपा दी वह तोता वापस पेड़ पर आ गया उसने अपनी बहन को कुछ नहीं बताया उसकी बहन उससे मिली बातें की साथ

(13:15) में भोजन किया और वे घर वापस चली गई अगले दिन तोता एक सुनार के पास गया और सुनार से भी वही बातें कहीं की बाप ने मारा मां ने मरवाया बहन सरासर रोई मैं हरियल तोता बन उड़ाया सुनार ने कहा तुम क्या कह रहे हो मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा वे फिर से वही कहने लगा सुनार को भी उसकी बातें जानने की इच्छा हुई कि यह क्या कहना चाहता है सुनार ने तोते से कहा कि तुम मुझे सीधे-सीधे बताओ तुम क्या कहना चाहते हो तो तोता ने सुनार को भी अपनी सारी बात बता दी सुनार भी तोते की बात सुनकर बहुत दुखी हुआ सुनार को उससे बहुत हमदर्दी हो जाती है और सुनार भी उसकी बातें सुनकर रोने

(13:59) लगता है फिर सुनार कहता है बताओ मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं तोते ने कहा कि भाई रक्षाबंधन आने वाला है मैं अपनी बहन को सोने के कुछ गहने देना चाहता हूं तो तुम मेरी बहन के लिए गहने बना दो सुनार ने कहा बस इतनी सी बात बताओ क्या-क्या बनाना है फिर सुनार ने उसकी बहन के लिए कुछ गहने बना दिए तो तोते ने उसे बहुत धन्यवाद दिया और कहा भाई यह गहने तुम मेरी गर्दन में डाल दो सुनार ने वह ग ने उसकी गर्दन में डाल दिए फिर तोता उड़कर उसी पेड़ पर आ गया जिस पेड़ पर वे रहता था उसी पेड़ के खोल में तोता ने उन गहनों को रख दिया फिर रक्षाबंधन का त्यौहार आया तो

(14:42) उसकी बहन उसे राखी बांधने आई तो दोनों भाई बहन बहुत खुश हुए तोते ने सारे गहने अपनी बहन को दे दिए गहने पाकर बहन बहुत खुश हुई फिर उसने पूछा कि तुम्हारे पास यह गहने कहां से से आए तोते ने कहा मेरा एक दोस्त है उसने मुझे बनाक दिए हैं फिर बहन खुशी-खुशी घर चली गई जब सौतेली मां ने उसे गहने पहने हुए देखा तो जल भुन गई और उसे मारते हुए बोली यह गहने कहां से चोरी करके लाई है तब उसने कहा मां मैंने यह गहने कहीं से चुराए नहीं है यह तो मेरे भाई ने मुझे दिए हैं जो एक तोता है वह सौतेली मां को पूरी बात नहीं बताते कि उसका भाई ही तोता बन

(15:25) गया है उसने कहा एक तोता है वह मुझसे बातें करता है और मैंने उसे अपना भाई बना लिया है उसी ने मुझे यह गहने दिए हैं तब सौतेली मां सोचने लगती है कि ऐसा कौन सा तोता है जो इसका भाई बन गया है जैसे तैसे तो एक भाई से पीछा छुड़ाया है अभी दूसरा भाई कहां से आ गया फिर दूसरे दिन उसकी मां उस तोते को ढूंढने जंगल में जाती है तभी उसे तोता दिखाई देता है वे तोते को पकड़ने की कोशिश करती है लेकिन तोता उसके हाथ में नहीं आता थक हार कर बैठ बैठ जाती है कुछ देर बाद फिर तोते को पकड़ने की कोशिश करती है लेकिन तोता उसकी पकड़ में नहीं आता वह सोचती है कि कैसे मैं इसे

(16:13) पकड़ूं और इसे मार दूं इससे ज्यादा भाई बनने का शौक है सुबह से शाम तक तोते को पकड़ने की कोशिश करती है लेकिन तोते को नहीं पकड़ पाती फिर वे घर आती हैं तो उसका सारा गुस्सा उस लड़की पर निकलता है वह उसे सारे गहने भी छीन लेती हैं अगले दिन लड़की तोते से मिलने जाती है फिर तोता कहता है बहन जो गहने मैंने तुम्हें दिए थे वह कहां है तब बहन कहती है भैया वह गहने तो मां ने छीन लिए यह सुनकर तोता को बहुत गुस्सा आता है और वह कहता है बस अब इनके पाप का घड़ा भर चुका है अब इनको सजा मिलनी ही चाहिए फिर वह तोता उस घर के बाहर एक पेड़ की डाल पर बैठ जाता है और इंतजार करता है

(16:59) कि उसके माता-पिता कब बाहर निकले तब लड़की बाहर को कुछ काम कर रही थी तो उसकी मां किसी बात पर उसे डांट रही थी और उसे मार रही थी तभी उसका पिता भी बाहर आ जाता है और लड़की को मारने लगता है यह सब तोता पेड़ पर बैठकर देख रहा था उससे यह सब देखा नहीं गया और वह अपनी सौतेली मां और बाप पर झपट पड़ा उसके पंखों में जो कतार थी उसने उन दोनों की आंखों में घस्स दी अब दोनों अंधे हो गए और तड़पने लगे फिर उसने अपनी चोंच से कतार उठाई और उन पर वार कर दिया फिर दोनों जमीन पर गिर पड़े तोते ने कहा तुम दोनों ने बहुत पाप किए हैं मैं तुम दोनों को नहीं छोड़ सकता तब वह दोनों कहते

(17:44) हैं कि तुम्हारा हमसे क्या बैर है तब तोते ने कहा तुमने तो मुझे मार करर खा लिया और पूछ रही हो कि तुमसे क्या बैर है फिर वह दोनों तड़प-तड़प कर मर जाते हैं तब तोता अपनी बहन से कहता है कि कि चलो अब हम यहां नहीं रहेंगे अगर यहां रहेंगे तो हमें अपने दुख याद आएंगे हम उनको कभी भूल नहीं पाएंगे और दुखी रहेंगे तो उसकी बहन कहती है हां भैया अब हम यहां नहीं रहेंगे अब हम ऐसी जगह रहेंगे जहां कोई हम दोनों को अलग ना कर सके फिर वह वहां से चलते हैं तो चलते-चलते एक मंदिर में पहुंच जाते हैं फिर तोता कहता है बहन इससे अच्छी जगह हमें कोई और

(18:27) नहीं मिल सकती अब दोनों भाई बहन उस मंदिर में रहने लगते हैं बहन तो पहले ही पूजा पाठ करती थी सोमवार का व्रत रखती थी अब तोता भी पूजा पाठ करता है पास में ही एक सरोवर था उससे अपने पंख गीले करके लाता है उस शिवलिंग पर जल चढ़ाता है और लड़की भी भगवान शिव और पार्वती की पूज करती है ऐसी ही दिन बीत रहे थे उसकी सच्ची भक्ति को देखकर एक दिन मां पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि देखो कितने दुख िया बहन भाई हैं इनको देखकर मुझे रोना आता है यह कितने तन मन से आपकी सेवा करते हैं आपको इनका दुख दूर करना चाहिए तब शिवजी ने कहा हे पार्वती यह तो संसार सागर है हम

(19:13) किस-किस का दुख दूर करेंगे लेकिन पार्वती मां हट करने लगी लेकिन पार्वती मां हट करने लगी और कहने लगी नहीं भगवान आपको इनके दुख को दूर करना ही होगा तो भगवान शिव पार्वती मां के हट के आगे मान जाते हैं जब वह दोनों भाई बहन पूजा कर रहे थे तो भगवान शिव और पार्वती प्रकट होते हैं और उनसे मनचाहा वरदान मांगने को कहते हैं तो लड़की ने कहा हे भगवान मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं तो बस इतना चाहती हूं कि मेरा भाई पहले वाले रूप में आ जाएं और हम भाई बहन को कोई अलग ना कर सके उसकी यह बात सुनकर भगवान शिव और और पार्वती बहुत खुश होते हैं और उन्हें वरदान देते हैं कि

(19:57) उसका भाई पहले जैसा हो जाए फिर भगवान शिव पार्वती की कृपा से वे लड़का पहले जैसा हो गया और अब भाई बहन बहुत खुश हो गए और भाई बहन खुश होकर भगवान शिव की पूजा करने लगी और बड़े प्यार से रहने लगे तो दोस्तों यह थी आज की ज्ञानवर्धक वीडियो अगर आप ऐसे ही रोचक कहानियों का लाभ अधिक से अधिक लेना चाहते हैं तो इस वीडियो को लाइक करके हमारे इसको अभी सब्सक्राइब करें और इस वीडियो को अपने दोस्तों एवं परिवार के साथ-साथ शेयर भी जरूर करें


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