शिवलिंग पर माँस चढ़ाने वाला अनूखे भक्त की कहानी | Story of Kannapa Nayanar | Moral Kahaniyan

 शिवलिंग पर माँस चढ़ाने वाला अनूखे भक्त की कहानी | Story of Kannapa Nayanar | Moral Kahaniyan - 


 नमस्कार दोस्तों आज हम आपको भगवान शिव के एक परम भक्त जो शिवलिंग पर अक्सर भोग के तौर पर मांस चढ़ाता था की कहानी सुनाने जा रहे हैं बहुत समय पहले एक शिकारी जंगल में शिकार करके अपना जीवन यापन करता था एक बार वह जब जंगल में शिकार करने गया तो उसने एक मंदिर को देखा वह मंदिर के अंदर चला गया तो उसने मंदिर में एक को स्थापित पाया उस शिवलिंग को देखकर उस शिकारी के मन में भगवान शिव के प्रति प्रेम उमड़ आया उसने अपने प्रेम भाव से शिवलिंग में कुछ अर्पित करना चाहा पर उसके पास शिवलिंग में चढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं था उसने सोचा मुझे

(00:49) शिवलिंग में पूजा करने की विधि ज्ञात नहीं है और कुछ चढ़ाने के लिए भी नहीं है तो मैं क्या करूं फिर थोड़ी देर सोचने के बाद उसने अपने पास रखे शिकार किए हुए जानवर का ताजा मांस शिवलिंग में चढ़ाने का निर्णय किया इसके बाद वह मांस को अर्पित करके वहां से चला गया उस मंदिर की देखभाल एक ब्राह्मण किया करता था जो मंदिर से काफी दूर रहता था वह कई दिनों बाद मंदिर की साफ सफाई और पूजा अर्चना करने के लिए आ पाता था इस बार जब वह वापस पूजा अर्चना करने आया तो उसने शिवलिंग पर मांस चढ़ा पाया उसने सोचा कि कोई जानवर यह काम करके गया है उसने मांस को शिवलिंग से हटाकर शिवलिंग

(01:43) को साफ किया और पूजा अर्चना करके भगवान को भोग लगाकर वह वापस चला गया थोड़े दिन बाद फिर वही शिकारी वापस आया और उसने देखा कि जो मांस उसने चढ़ाया था वह भगवान के पास अब नहीं है यह सोच के कि भगवान ने उसका दिया हुआ मांस ग्रहण कर लिया है उसने फिर शिवलिंग पर शिकार का ताजा मांस चढ़ाया और वहां से चला गया इसके कुछ दिन बाद ब्राह्मण दोबारा आया और मांस को दोबारा चढ़ा दे यह सोचा कि यह जानवर का ही कार्य है और फिर शिवलिंग की साफ सफाई करके पूजा अर्चना करी और वापस चला गया थोड़े दिन बाद फिर वही शिकारी मंदिर के पास से गुजरा उसने देखा कि इस बार शिवलिंग पर काफी धूल

(02:39) जमी हुई है उसने सोचा कि मेरे पास तो पानी भी नहीं है तो मैं शिवलिंग को कैसे साफ करूं उसने फिर पास की नदी में जाकर पानी लाकर शिवलिंग को साफ करने का सोचा उसने नदी के पास जाकर पानी लाने का प्रयास किया पर उस के पास कोई बर्तन नहीं था अता उसने अपने मुंह में पानी भर लिया और शिवलिंग पर आकर अपने मुंह से पानी शिवलिंग पर डाल दिया ऐसा उसने कई बार किया और साफ सफाई करके फिर वहां पर मांस चढ़ा के वह वापस चला गया इस बार जब ब्राह्मण वापस आया तो उन्होंने देखा कि इस बार सीलिंग पर मांस के साथ थू भी छड़ा हुआ था ब्राह्मण को बहुत ही गुस्सा आया उसे ज्ञात हो गया कि

(03:36) यह काम किसी जानवर का नहीं है उसने शिवलिंग पर इस बार मंत्र से शुद्धिकरण किया अच्छे से साफ सफाई करके पूजा अर्चना करी और भगवान शिव से पूछा कि हे भगवान ऐसा कौन प्राणी है जो आपको रोज अपमानित करता है पर आप कुछ भी नहीं कर रहे मुझे समझ नहीं आ रहा आप इतना अपमान क्यों बर्दाश्त कर रहे हैं तभी वहां पर भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए उन्होंने बोला हे ब्राह्मण देवता जिसे तुम अपमान मानते हो वह एक भक्त का अर्पण है मैं इस भक्त की भक्ति से बंधा हुआ हूं वह भक्त जो कुछ भी प्रेम पूर्वक अर्पित करता है मैं उसे स्वीकार कर लेता हूं मेरा वह भक्त बहुत ही भोला भाला है वह निस्वार्थ

(04:31) भाव से मेरी पूजा आराधना करता है अगर तुम उसकी भक्ति की गहराई देखना चाहते हो तो कल सुबह मंदिर के पास में कहीं छुप जाना और दूर से उसे देखना भगवान शिव के आदेश अनुसार ब्राह्मण वहीं पास की झाड़ियों में छुप जाता है थोड़ी देर में वह देखता है एक शिकारी मांस का टुकड़ा लेकर मंदिर में आ रहा है शिकारी ने मंदिर में अंदर जाकर देखा कि उसका पहले का दिया हुआ मांस वहीं पर रखा हुआ है उसने सोचा भगवान ने उसके चढ़ावे को अस्वीकार कर दिया है परेशान होकर वह प्रभु से पूछता है कि उससे ऐसी क्या भूल हो गई तभी उसकी नजर शिवलिंग के दाहिने आख पर पड़ती है उससे खून की धारा

(05:23) निकल रही थी वह शिवलिंग से कहता है कि आप चिंता ना करें मैं जड़ीबूटी कर लाता हूं आपकी आंख बिल्कुल ठीक हो जाएगी वह जंगल में जाकर कुछ जड़ीबूटी लाता है और शिवलिंग के दाहिने आंख में लगा देता है इसके बाद शिवलिंग से खून और तेजी से बहने लगता है झाड़ियों में छुपा ब्राह्मण यह सब देख रहा था खून को तेजी से बहता देख शिकारी परेशान हो जाता है और अपनी आंख देने का निर्णय करता है एक चाकू से अपनी आंख निका डालकर शिवलिंग पर लगा देता है इसके बाद शिवलिंग के दाहिने आंख से खून बहना बंद हो जाता है पर थोड़ी देर में बाई आंख से खून बहने लगता है यह देख शिकारी और

(06:14) परेशान हो जाता है खून को ज्यादा निकलता देख शिकारी अपनी दूसरी आंख भी शिवलिंग में लगाने का निर्णय करता है पर वह यह सोचता है कि यदि वह अपनी आंख निकाल देगा तो वह यह से देख पाएगा कि शिवलिंग में आंख को लगाना कहां है काफी देर सोचने के बाद वह निर्णय लेता है कि वह अपने पैर को शिवलिंग पर रख देगा और अपनी आंख निकाल के वहां लगा देगा यह सोचकर वह अपने पैर को शिवलिंग पर रख देता है और अपनी चाकू से आंख को निकालने लगता है तभी वहां एक प्रकाश उत्पन्न होता है और भगवान शंकर प्रकट होते हैं भगवान को अपने सामने देख शिकारी से रहा नहीं गया और वह उनके चरणों में गिर

(07:07) जाता है ब्राह्मण भी मंदिर में भागते हुए भोलेनाथ के चरणों में गिर जाता है भगवान शिव शिकारी की पूजा से अत्यंत प्रसन्न होते हैं और उसे कनपा नायर नाम देते हैं कनपा का अर्थ है आंख अर्पित करने वाला और नायर का अर्थ है भगवान शिव का परम भक्त साथ में ही उसकी दृष्टि भी प्रदान कर देते हैं इसके बाद उस शिकारी को हमेशा कनपा नायर के नाम से जाना जाता है यदि भगवान शंकर के भक्त की यह कहानी आपको पसंद आई हो तो वीडियो को लाइक और चैनल को सब्सक्राइब करें बोलो जय भोलेनाथ


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