सावन में शिव जी का चमत्कार | Sawan Me Shiv Ji | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Moral Stories | Sawan -

 (4) सावन में शिव जी का चमत्कार | Sawan Me Shiv Ji | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Moral Stories | Sawan 


मां पार्वती ने भगवान शिव से एक प्रश्न पूछा जिसके बाद भोलेनाथ ने एक कथा सुनाई और अमर हो गया कबूतर का जोड़ा उसी अमर कथा से जुड़ी है यह पौराणिक कथा एक नारद मुनि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव से मिलने पहुंचे नारायण नारायण प्रणाम माते आइए देवर्ष नारद कैसे आना हुआ माते मैं तो भगवान शिव और आपके दर्शन करने आया हूं पर महादेव कहीं दिखाई नहीं दे रहे वे तो भ्रमण के लिए गए हैं कुछ देर में लौटेंगे देवर्षि नारद मां पार्वती से वार्तालाप करने लगे तभी उन्होंने मां पार्वती से पूछा मा श अमर क के बेन अमर कथा वो कौन सी कथा है उसके बारे

(01:06) में तो मैं नहीं जानती नारायण नारायण माते जब भगवान भोलेनाथ आएंगे तब आप उनसे इस बारे में पूछना अच्छा माते मैं चलता हूं नारायण नारायण पार्वती माता सोच में पड़ गई कि ऐसी कौन सी कथा है जो स्वामी ने मुझसे नहीं कही तभी भोलेनाथ कैलाश पर लौट आते हैं माता पार्वती उनसे इस बारे में चर्चा करती हैं प्रभु आपने मुझे कभी अमर कथा के बारे में क्यों नहीं बताया मुझे आज और अभी अमर कथा सुननी है ठीक है देवी मैं आपको आज अमर कथा सुनाऊंगा परंतु उसके कुछ नियमों का पालन आपको करना पड़ेगा अमर कथा के दौरान आपको एक क्षण के लिए भी सोना नहीं है आप बीच-बीच में हुंकार भरती रहना ताकि

(01:52) मुझे आभास रहे कि आप कथा सुन रही हैं क्योंकि मेरे नेत्र भी उस क्षण बंद रहेंगे ठीक है स्वामी मैं ऐसा ही करूंगी भगवान शंकर ने माता पार्वती से एकांत और गुप्त स्थान पर अमर कथा सुनने को कहा जिससे कि अमर कथा कोई अन्य जीव ना सुन पाए क्योंकि जो कोई भी इस अमर कथा को सुन लेता है वह अमर हो जाता इसके पश्चात शिवजी देवी पार्वती को अमर कथा कहने एक गुफा मिले गए पुराणों में कहा जाता है शिवजी ने देवी पार्वती को अमरनाथ की गुफा में अपनी साधना की अमर कथा सुनाई थी जिसे हम अमृत्व कहते हैं प्रचलित कथा के अनुसार भगवान भोलेनाथ ने अपनी सवारी नंदी को पहल गांव पर छोड़

(02:35) दिया जटाओं से चंद्रमा को चंदनवाड़ी में अलग कर दिया और गंगा जी को पंचतरणी में तथा कंठा भूषण सर्पों को शेष नाग पर छोड़ दिया इस प्रकार इस पड़ाव का नाम शेषनाग पड़ा अगला पड़ाव गणेश पड़ता है इस स्थान पर भोलेनाथ ने अपने पुत्र गणेश को भी छोड़ दिया था जिसको महागुण का पर्वत भी कहा जाता है पिस्सू घाटी में पिस्सू नामक कीड़े को भी त्याग दिया इस प्रकार महादेव ने जीवन दयनी पांचों तत्त्वों को भी अपने से अलग कर दिया इसके बाद मां पार्वती सहित उन्होंने गुप्त गुफा में प्रवेश किया और अमर कथा मां पार्वती को सुनाने लगे पर कथा सुनते सुनते देवी पार्वती को

(03:22) नींद आ गई और वह सो गई जिसका शिवजी को पता नहीं चला भगवान शिव अमर होने की कथा सुनाते रहे उस समय दो सफेद कबूतर शिवजी से कथा सुन रहे थे और बीच-बीच में गूं गू की आवाज निकाल रहे थे शिवजी को लगा कि माता पार्वती कथा सुन रही हैं और बीच-बीच में हुंकार भर रही हैं इस तरह दोनों कबूतरों ने अमर होने की पूरी कथा सुन ली थी कथा समाप्त होने पर शिव जी का ध्यान देवी पार्वती की ओर गया जो सो रही थी अरे देवी पार्वती तो गहरी निद्रा में है तो फिर यह हुंकार कौन भर रहा था अचानक महादेव की दृष्टि अमर कथा को सुनते कबूतरों पर पड़ी तो भी क्रोधित हो गए और उन्हें मारने के

(04:03) लिए आगे बढ़े मेरे क्रोध से तुम दोनों को कोई नहीं बचा सकता तुम्हें इसका दंड अवश्य मिलेगा हे प्रभु हमें क्षमा कीजिए हमने अनजाने में ही भूल की पर हमने आपसे अमर होने की कथा सुनी है यदि आप हमें मार देंगे तो अमर होने की यह कथा झूठी हो जाएगी इस पर भगवान शिव का क्रोध शांत हो गया प्रभु इन दोनों का इसमें कोई दोष नहीं मैं गहरी निद्रा में सो गई थी मैंने आपके आदेश का पालन नहीं किया इसलिए इन दोनों को क्षमा कर दीजिए भगवान शिव जानते थे कि अनजाने ही सही पर कबूतरों ने अमर कथा को सुन लिया था इसलिए वे दोनों अमर हो चुके हैं इस पर महादेव ने कबूतरों को जीवित

(04:42) छोड़ दिया भगवान शिव के आशीर्वाद से वह कबूतर का जोड़ा अजर अमर हो गया कहते हैं आज भी इन दोनों कबूतरों का दर्शन भक्तों को इस गुफा में प्राप्त होता है और तब से यह गुफा अमर कथा की साक्षी हो गई व इसका नाम अमरनाथ गुफा के नाम से प्र सिद्ध हो [संगीत] गया 


 सावन में शिव जी का चमत्कार | Sawan Me Shiv Ji | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Moral Stories | Sawan -


एक बार मां पार्वती कैलाश पर भ्रमण कर रही थी तभी उनकी नजर पृथ्वी लोक पर [संगीत] पड़ी सेठ जी यह माल गाड़ी में से उतार दिया है यह ले तेरे आज की कमाई के 00 पूरा दिन मेहनत करके सिर्फ यह 00 ही कमाई हुई है अब इसमें से 50 दूध के 50 सब्जी के बाकी बचे 00 जो पूरे तीन दिन चलाने हैं आ यह हो गए पूरे

(05:47) 0000 इन्हें तिजोरी में रख देता हूं नहीं भैया यह बहुत महंगी साड़ी है कोई सस्ती से दिखा दो हां यह 50 वाली ठीक है भैया यह तीन साड़ी पैक कर दो यह लो 000 मां पार्वती गरीब और अमीर दोनों को देख रही थी आखिर जिसे जो चाहिए उसे मिलता नहीं और जिसके पास पहले से हो उसे और मिल जाता है इस प्रश्न का उत्तर तो महादेव ही दे सकते हैं धरती का यह नजारा देखकर मां पार्वती भगवान शंकर के पास जाती है महादेव मैंने देखा है कि धरती पर जो व्यक्ति पहले से ही गरीब और दुखी है उसे और ज्यादा दुख मिलता है और जो सुख में है आप उसे दुख नहीं देते ऐसा क्यों भगवन यह

(06:34) आपकी कौन सी लीला है देवी पार्वती इस बात का उत्तर जानने के लिए आपको हमारे साथ धरती पर चलकर वहां के प्राणियों का हालचाल जानना होगा वहीं इस प्रश्न का उत्तर आपको प्राप्त होगा भगवान शिव के कहे अनुसार कुछ समय बाद मां पार्वती उनके साथ मृत्यु लोक में प्राणियों का हालचाल जानने के लिए चल पड़ी तभी रास्ते में उन्हें गरीब पति-पत्नी जाते दिखाई दिए उर्मिला कुछ समझ नहीं आ रहा हमारी गरीबी के दिन कब दूर होंगे वो चंदन ने फिर एक नई जमीन खरीद ली सबका भाग्य एक सा नहीं होता है जी उसके भाग्य में अमीर बनना लिखा है हमारे में नहीं भगवान की इच्छा होगी तो हम भी अमीर

(07:26) बन जाएंगे पता नहीं कौन से पिछले जन्मों के कर्मों की सजा भुगतनी पड़ रही है ना जाने कौन से बुरे पाप किए थे हे महादेव आप इन दोनों पति-पत्नी को कुछ ही पलों में अमीर बना सकते हैं मेरे कहने पर आप इन्हें अमीर बना दीजिए यह बेचारी कितने दुखी हैं देवी पार्वती इन दोनों के भाग्य में अभी अमीर बनना नहीं लिखा है महादेव जब हम इन्हें धंधे देंगे तो इनकी गरीबी दूर हो जाएगी फिर यह भी अमीर और सुखी हो जाएंगे कृपया करके आप इनकी मदद कीजिए प्रभु देवी पार्वती मैं तुम्हारी इच्छा अनुसार इन्हें धन प्रदान कर देता हूं पर उसका मिलना या ना मिलना कर्मों पर निर्भर करता है

(08:15) पार्वती जी के कहने पर भगवान शिव ने सोने की अशर्फियां से भरी एक पोटली उस रास्ते में डाल दी पोटली से कुछ दूरी पर उर्मिला की नजर गुजरते हुए एक अंधे व्यक्ति पर पड़ी सुनो जी हम तो गरीब हैं इसलिए हैं पर यह सामने व्यक्ति तो नेत्रहीन है एक बात समझ नहीं आई यह नेत्रहीन लोग कैसे जीवन व्यतीत करते होंगे हां बड़ी मुश्किल होती होगी उर्मिला इन बेचारे नेत्रहीन लोगों को चलो आज हम भी अंधों की तरह चलकर देखते हैं देखें यह कैसे जीवन जीते हैं उर्मिला और सूरज आंखें बंद कर एक दूजे का हाथ थामे चलने लगे सोने की अशर्फियां की पोटली रास्ते में ही पड़ी रह गई और वे दोनों

(08:57) करीब से गुजर गए भगवान शिव बोले देखा देवी पार्वती इनके भाग्य में अभी गरीबी ही लिखी है हम कुछ दिन धरती पर ही रहेंगे यहां मनुष्य रूप में रहकर मैं तुम्हारे मन की सभी शंकाओं को दूर करना चाहता हूं भगवान शिव और देवी पार्वती ने मनुष्य का रूप धारण किया और पति पत्नी के रूप में एक गांव के पास डेरा जमाया शाम के समय देवी पार्वती भगवान शिव से बोली स्वामी मैं रसोई की तैयारी शुरू करती हूं यहां पृथ्वी लोक में यदि हम रहने आ ही चुके हैं तो हमें भोजन की भी व्यवस्था करनी होगी मैं चूल्हा बनाने की तैयारी करती हूं आप तब तक भोजन बनाने की सामग्री

(09:44) ले आइए मां पार्वती चूल्हा बनाने के लिए बाहर से ईट लेने गई चूल्हा बनाने के लिए मुझे ईटों की जरूरत है यह एक जरजर और टूटा मकान दिखाई दे रहा है इसकी ईट मेरे काम आ जाएंगी यही ले लेती हूं [प्रशंसा] चूल्हा तो तैयार कर लिया महादेव आते ही होंगे अरे आप आ गए यह देखिए मैंने चूल्हा तैयार कर लिया पर आप खाली हाथ क्यों लौट आए स्वामी भोजन कैसे बनेगा देवी पार्वती अब सामग्री की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि जिस प्रश्न का उत्तर ढूंढने के लिए आप आई थी वह आपको स्वयं मिल गया मैं कुछ समझी नहीं स्वामी मेरे प्रश्न का उत्तर मेरे समक्ष ही है हां देवी पार्वती

(10:32) आप यही जानना चाहती है ना कि इस पृथ्वी पर क्यों गरीब लोग ज्यादा परेशान होते रहते हैं अच्छा यह बताइए आप इस चूल्हे को बनाने के लिए टे कहां से लेकर आई हो प्रभु इस गांव में बहुत से ऐसे घर भी हैं जिनका रखरखाव सही ढंग से नहीं हो रहा है उन पुराने घरों की जरजर हो चुकी दीवारों में से मैं ईटी निकाल कर ले आई इसका मतलब जो घर पहले से खराब थे आपने उन्हें और खराब कर दिया जबकि आप मजबूत घरों की दीवारों से भी तो ईट ला सकती थी प्रभु जो घर अच्छे और सुंदर दिख रहे थे उस घर के लोगों ने अपने घरों का रख रखाव बहुत अच्छी तरह किया है ऐसे में उन सुंदर घरों को बिगाड़ना मुझे

(11:23) उचित नहीं लगा देवी पार्वती कुछ दिन पहले पूछे आपके प्रश्न का उत्तर भी यही है जिन लोगों ने अपने जीवन को अच्छे कर्मों से सुंदर बना रखा है उन्हें दुख कैसे हो सकता है इस संसार में हर मनुष्य अपने कर्मों का ही फल पाता है सबके पास सब कुछ नहीं होता मनुष्य के पिछले जन्मों का कर्म उसे इस जन्म में भुगतना ही पड़ता है और यदि वो अपने इस जन्म और आने वाले अन्य जन्मों को सुखी बनाना चाहता है तो हमें सदैव ही पुण्य कार्य करते रहना चाहिए ताकि हमारे कर्म उसमें जुड़ते रहे आपको ज्ञात है वो मार्ग में उस दिन एक नेत्रहीन व्यक्ति हां स्वामी मुझे ज्ञात है वो देखिए देवी

(12:26) पार्वती उसके पास धन दौलत ऐशो आराम की कोई कमी नहीं है परंतु उसकी आंखों का इलाज नामुमकिन है यह उसके पिछले जन्म के कर्मों से जुड़ा है उसने पिछले जन्म में जानबूझकर किसी निर्दोष की आंखों की रोशनी छीन ली थी इसलिए यह इस जन्म में नेत्रहीन हो गया पर इसके कुछ पुण्य कार्यों की वजह से यह अमीर बना और वह गरीब पति पत्नी स्वामी देवी वह दोनों पिछले जन्म में एक कंजूस अमीर सेठ सेठानी थे जो कभी भी कोई दान पुण्य नहीं करते थे इसलिए इस जन्म में उन्हें गरीबी और दुख मिला पर इन दोनों के अच्छे कर्म इनका आगे का जीवन सुखी बना सकते हैं इस

(13:27) पृथ्वी पर कोई भी मनुष्य पूरी तरह से सुखी नहीं है देवी हर मनुष्य के पास कोई ना कोई दुख और समस्या है मुझे उत्तर मिल गया है स्वामी इस पृथ्वी पर सुख पूर्वक जीवन यापन करने के लिए मनुष्य को अपने द्वारा अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि उसे उसके पिछले बुरे कर्मों का फल ना भुगतना पड़े और फिर अपने प्रश्नों का उत्तर पाकर देवी पार्वती भगवान शंकर के साथ अपने रू में आकर कैलाश वापस लौट गई आनंदी की शादी को 5 साल हो गए थे पर शादी के बाद उसे मां बनने का सुख नहीं मिला था पति अनिल का काम भी बंद पड़ा था पहले अनिल एक कोल्ड ड्रिंक की फैक्ट्री

(14:18) में नौकरी करता था पर अचानक फैक्ट्री बंद हो गई पिछले छ महीने से अनिल काम ढूंढ रहा है पर उसे कोई काम नहीं मिल रहा आनंदी भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती है व कई वर्षों से सावन सोमवार के व्रत और सावन पूजा करती आ रही है पर उसकी सास कमला हमेशा इस बात से चढती थी अब कौन से व्रत पूजा आ गए सारा दिन जब देखो शिव पार्वती की पूजा ही करती रहती है आज तक तेरी इस पूजा का कोई फल तो प्राप्त हुआ नहीं ना इस घर में कोई काम आया ना पैसा आया ना तेरी गोदी भरी है मां जी सावन का महीना शुरू हो गया है मैं सावन के सोमवार व्रत शुरू कर

(14:57) रही थी आज पहला सोमवार है इसीलिए मंदिर जा रही थी बस पूजा पाठ के बहाने मंदिर चली जाती है जा लेकिन जल्दी आना और हां कोई पैसे नहीं मिलेंगे तू ऐसे ही मंदिरों में फालतू के खर्चे करती है घर में कोई पैसों का पेड़ नहीं लगा हुआ और पहले ही हमारे यहां पैसों की इतनी तंगी है ऊपर से तेरे माइके वाले आज तक ₹ की चीज घर नहीं लाए तभी आनंदी के मम्मी पापा मिलने के लिए आ जाते हैं मां पापा आप हां बेटा सावन का सोमवार था मंदिर गए तो सोचा रास्ते में तुमसे मिलते हुए घर चले जाए नमस्ते समधन जी बेटा अच्छा हुआ तुम घर पर मिल गई तुम्हारी मां तो कह रही थी कि कहीं तुम

(15:36) मंदिर ना गई हो अ नमस्ते बहन जी समधन जी कुछ फल और मिठाई कुछ समझ नहीं आया कि क्या खरीदें अ गरम-गरम जलेबी बन रही थी तो हमने वही पैक करा ली बाकी दशहरी आम का सीजन आ गया है बहुत अच्छा दशहरी आम आया हुआ है सोचा यही ले लेते हैं दशहरी आम तो हमारे यहां यूं ही पड़े रहते हैं फ्रिज में सड़ जाते हैं और फेंकने पड़ते हैं कोई नहीं खाता है पर ठीक है अगर ले ही आए हो तो क्या ही कहूं आनंदी के साथ सरासर झूठ बोल रही थी क्योंकि उसके घर में तो कितने महीने बीत गए थे एक भी आम नहीं आया था वह तो उसके मम्मी पापा की जितनी गुंजाइश थी उस हिसाब से वह अपनी बेटी के लिए कुछ ना

(16:17) कुछ लाते रहते थे आनंदी अपने माता-पिता को चाय नाश्ता पूछती है पर आनंदी के माता-पिता कमला के स्वभाव को जानते थे इसलिए वह ज्यादा देर नहीं रुके और अपनी बेटी से मिलकर चले गए यह दो आम कहां लेकर जा रही है हद हो गई भला तेरे मां-बाप देकर गए तो तू तो सारे आम ही हड़प रही है इन्हें चुपचाप फ्रिज में रख दे रात में काट कर खा लेंगे मां जी वो जोड़े का फल मंदिर में लेकर जाना था मैं सोच रही थी दो आम मंदिर ले जाती कोई जरूरत नहीं है एक काम चुपचाप यहां रख एक ही लेकर जा बड़ा भगवान को पता चल रहा है कि तू एक चढ़ा रही है या दो आनंदी अपनी सांस से कुछ नहीं

(16:53) कहती वो एक काम और पूजा के जल और फूल लेकर मंदिर चली जाती है आनंदी मंदिर जा हुए बहुत रो रही थी उसकी आंखों में आंसू थे हे शिवशंकर हे मां पार्वती आप मेरी प्रार्थना कब सुनोगे ना ही मेरे पति का कोई काम चल रहा है और ना ही हमारे घर में संतान का सुख आया है मुझे इन दुखों से कब छुटकारा मिलेगा प्रभु मुझे अपनी पूजा का फल कब मिलेगा मेरी प्रार्थना सुनो प्रभु मेरी सहायता करो अब मुझसे और दुख नहीं सहा जाता बेटी बहुत जोरों की भूख लगी है कुछ भी खाने का नहीं है तुम्हारे पास कु कुछ खाने का है तो मुझे दे दो भगवान तुम्हारा भला करेंगे मेरे पास मेरे पास तो बस याम है पर

(17:36) यह तो आनंदी एक पल के लिए सोचती है फिर वह अपना पूजा का आम उस औरत को दे देती है मम्मा जी मेरे पास यह एक आम है मैं यह मंदिर ले जा रही थी पर अब आप इसे रख लो बेटी पर यह तो तुम मंदिर में चढ़ाने के लिए ले जा रही थी फिर तुम मंदिर में क्या चढ़ाओ गी मेरे पास मंदिर में पूजा के लिए फूल है मैं उन्हीं से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा कर लूंगी पर आपको भूख लगी है ना आप यह आम खा लो जीती रहो बेटी भगवान शंकर और माता पार्वती तुम्हारी हर मनोकामना पूरी करें आनंदी भगवान शिव के मंदिर पहुंचती है और वहां जल और फूल चढ़ाकर पूजा आरती करती

(18:15) है कुछ देर बाद जब आनंदी घर पहुंचती है वह देखती है उसके घर के बाहर आम से भरा हुआ एक ट्रक खड़ा है उसका पति अनिल और उसकी सास कमला ट्रक में से आम उतार रही थी अरे बहू कहां रह गई थी इतनी देर से तुम्हारा इंतजार कर रहे थे तुमने तो कमाल ही कर दिया बहुत अच्छा किया जो मंदिर में तुम्हें सेठ गौरी शंकर जी मिल गए बोल रहे थे कि तुमने उन्हें अपने घर की परिस्थिति बताई थी और उन्हें एक सहायक की जरूरत थी जो उनके बागों के आम बेच सके वह आम का ट्रक लेकर आए हैं अब हमारे अनिल के पास काम आ जाएगा अनिल थोड़े पैसे कमा लेगा सेठ गौरी शंकर पर मुझे तो मंदिर में कोई नहीं

(18:53) मिला मां जी मां वो जो सेठ गौरी शंकर जी आए थे अब वह कहां चले गए आम तो सारे ट्रक से उतार लिए थे पर अचानक से ना ट्रक है ना सेठ गौरी शंकर है अब इतनी जल्दी वह चले कहां गए साक्षात भगवान शंकर देवी पार्वती मेरी प्रार्थना सुनकर मेरी मदद के लिए आए हे शिवशंकर हे मां पार्वती मैं आपको पहचान नहीं पाई आनंदी अपनी आंखें बंद करती है तो उसे देवी पार्वती की झलक उस औरत में दिखाई देती है जिसे आनंदी ने आम दिया था आनंदी की आंखों में खुशी के आंसू थे सेठ गौरी शंकर और कोई नहीं बल्कि स्वयं भगवान शिव थे अचानक आनंदी चक्कर खाकर जमीन पर गिर

(19:31) जाती है उसकी सास और पति उसे अंदर लेकर आते हैं अनिल पड़ोस में रहने वाले एक डॉक्टर को बुलाता है डॉक्टर से पता चलता है कि आनंदी मां बनने वाली है आनंदी की सास और पति की खुशी का ठिकाना नहीं था एक तरफ अनिल को व्यापार मिल गया और दूसरी तरफ आनंदी मां बन गई आनंदी कमला और अनिल को सारी सच्चाई बताती है जिसे सुनकर वह भी हैरान रह जाते हैं बहू तेरी भक्ति में बहुत शक्ति है तूने अपनी सावन पूजा से भगवान शिव और मां पार्वती को प्रसन्न किया और देख आज तेरी वजह से ही हमारे घर में खुशियों के दिन आए हैं जय शिवशंकर जय मां पार्वती आपकी सदा ही जय हो मैं वादा करती

(20:12) हूं भगवान मैं अपनी बहू को अब कभी भी तंग नहीं करूंगी मैं अपनी बहू को बेटी की तरह रखूंगी आनंदी सचमुच तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में पाकर मैं बहुत खुश हूं तुमने तो हमारे घर पर आए सारे संकट दूर कर दिए हमारे गरीबी के दिन चले गए आनंदी और यह सब तुम्हारी पूजा का फल है तुम्हारे ऊपर भगवान शिव और माता पार्वती की बहुत कृपा है जय शिवशंकर जय मां पार्वती आनंदी अपने पति और सास के साथ मिलकर भगवान शिव के मंदिर जाती है और अपने जीवन में आए सुखों के लिए भगवान शिव और माता पार्वती को धन्यवाद कहती है


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