गरीब की कांवड़ यात्रा | Shiv Ji Ki Bhakti Kahani | Dharmik Kahani | Bhakti kahani

 गरीब की कांवड़ यात्रा | Shiv Ji Ki Bhakti Kahani | Dharmik Kahani | Bhakti kahani 


सोमपुर गांव में सुंदर अपनी पत्नी कविता और बेटे गोपाल के साथ रहा करता था सुंदर बहुत मेहनती था वह मेहनत मजदूरी करके अपना घर चला रहा था वहीं सुंदर की पत्नी कविता भी बाजार में सब्जी बेचकर दो चार पैसे कमा लिया करती थी एक रोज सुबह-सुबह सुंदर पूजा कर रहा था हे भोलेनाथ मेरे परिवार और बच्चों को खुश रखना आपके नाम से मेरा दिन शुरू होता है और आपके नाम से ही मेरी रात होती है सुंदर पूजा करने के बाद अपने बेटे गोपाल से कहता है गोपाल आज तुझे अपनी मां के साथ बाजार जाना है क्योंकि कल तेरी मां को चक्कर आ गया था गोपाल बोला ठीक है

(00:45) पिताजी मैं शाम को मां के साथ बाजार जाऊंगा सुंदर भी काम पर जाते हुए कहता है अच्छा तो कविता मैं चलता हूं अपना ध्यान रखना और खाना खाकर ही बाजार जाया करो कितनी गर्मी है सुंदर इतना कहकर काम के लिए निकल पड़ता है सुंदर एक बड़े से गोदाम में बोरियां उठाने और लादने का काम किया करता था और पूरी मेहनत से काम करता था एक रोज देर शाम गोपाल अपनी मां से कहता है मां मेरा जन्मदिन आने वाला है आप तो जानती हैं नितिन और रिया का जन्मदिन उनके मम्मी पापा ने कितने धूमधाम से मनाया था कविता ने यह सुनकर कहा हां तो उनके माता-पिता के पास अच्छा खासा पैसा भी तो है बेटा लेकिन

(01:27) तू तो जानता है कि तेरे पिता इतना कमाते हैं कि कि दो वक्त की रोटी का गुजारा हो जाए वही काफी है गोपाल ने कहा वो सब तो ठीक है मां लेकिन क्या पापा मेरे लिए छोटा सा केक भी नहीं ला सकते कविता ने कहा मैं तेरे पापा से बात करूंगी चल जा अभी पढ़ाई कर ले तेरा 12वीं का एग्जाम आने वाला है हां हां मां आप पिताजी से बात करना ताकि मैं अपने दो तीन दोस्तों को अपने जन्मदिन पर बुला सकूं यह कहकर गोपाल पढ़ने चला गया कविता सोचती है मेरा बच्चा कभी मुझसे कुछ भी नहीं मांगता आज पहली बार इसने कहा है कि मुझे अपने जन्मदिन पर केक चाहिए मैं

(02:05) इनसे बात करूंगी अब देर शाम सुंदर घर आता है और कविता सभी के लिए खाना लगाती है और खाना लगाते हुए अपने पति सुंदर से कहती है सुनिए जी आपको तो याद होगा ना कि गोपाल का जन्मदिन आने वाला है सुंदर ने यह सुनकर कहा अरे तुम कैसी बातें करती हो भला मुझे अपने ही बेटे का जन्मदिन याद नहीं होगा कविता बोली हां तो मैं यह कह रही थी कि इस बार आप गोपाल के जन्मदिन पर उसके लिए एक छोटा सा केक ला देंगे आप तो जानते हैं गोपाल कभी किसी चीज की जिद नहीं करता सुंदर कहता है अरे तो इसमें कौन सी बड़ी बात है मैं अपने बेटे के लिए इतना तो कर ही सकता हूं गोपाल भी सुंदर की बातें सुन

(02:47) रहा होता है और व भी खुश था अब अगले ही दिन सुंदर भोलेनाथ को जल चढ़ाकर काम के लिए निकल जाता है और पूरे दिन काम करने के बाद अपने मालिक से कुछ पैसे उधार लेने पहुंचता है मालिक क्या आप मुझे कुछ पैसे उधार दे सकते हैं आप रोज मेरी पगार से थोड़े-थोड़े पैसे काटकर अपना कर्ज का पैसा वापस उतार लेना सुंदर का मालिक जानता था कि सुंदर बेहद ही मेहनती और ईमानदार है इसलिए सुंदर का मालिक उसे पैसे दे देता है लेकिन जब सुंदर उन पैसों को लेकर घर आ रहा होता है तभी सुंदर के पीछे दो चोर पड़ जाते हैं सुंदर सोचता है लगता है इन लोगों को मालूम है कि मेरे पास कुछ पैसे हैं

(03:29) मुझे कैसे भीय सुनसान रास्ता पार करना ही होगा हे भोलेनाथ मेरी रक्षा करना इतना कहकर सुंदर जल्दी-जल्दी चलने लगता है सुनसान रास्ता पाकर जो दो लोग सुंदर का पीछा कर रहे थे वह सुंदर को घेर लेते हैं सुंदर उनसे कहता है कौन हो तुम लोग और क्या चाहते हो मुझसे देखो तुम लोग जो भी हो मेरे रास्ते से हट जाओ मुझे घर जाना है उनमें से एक चोर बोला चला जा हमने कब रोका है हमें तो बस पैसे चाहिए जो तेरे पास हैं सुन र हड़बड़ा करर कहने लगा कौन से पैसे मेरे पास कोई पैसे नहीं है मैं तो खुद मजदूर आदमी हूं तभी दूसरा चोर कहता है शराफत से पैसे देता है या मार खाकर देगा

गरीब की कांवड़ यात्रा | Shiv Ji Ki Bhakti Kahani | Dharmik Kahani | Bhakti kahani


(04:12) यहां तुझे बचाने वाला कोई दूसरा नहीं आने वाला सुंदर कहता है मेरे पास कोई पैसे नहीं है मुझे जाने दो यह ऐसे नहीं मानने वाला इसे खर्चा पानी देना ही होगा इतना कहने के बाद दोनों चोर सुंदर का पैसा छीनने लगते हैं और जब सुंदर उन्हें पैसे नहीं देता तो वह दोनों चोर सुंदर को खूब मारते पीटते हैं और सुंदर की हालत बिगाड़ देते हैं अब एक चोर जाते-जाते एक बड़ा सा पत्थर उठाता है और सुंदर के हाथों पर दे मारता है सुंदर वहीं दर्द से बेहोश हो जाता है हालांकि गांव के लोग जब उस रास्ते से गुजरते हैं तो वह सुंदर को उसके घर पहुंचा देते हैं और जब सुंदर को डॉक्टर के

(04:52) पास ले जाया जाता है तो डॉक्टर भी बता नहीं पाते कि सुंदर को ठीक होने में कितना समय लगेगा क्योंकि सुंदर को उन चोरों ने पैसे न कर खूब मारा था गोपाल उदास होकर सुंदर से कहता है पिताजी आप जल्दी ठीक हो जाइए सुंदर भी उदास मन से कहता है मुझे माफ कर दे बेटा मैं तेरे लिए केक नहीं ला पाया तभी कविता कहती है आप ऐसी बातें तो मत कहिए अब तो बस भोलेनाथ से यही प्रार्थना है कि आप जल्द से जल्द ठीक हो जाएं सुंदर की हालत ऐसी हो चुकी थी कि वह बिना किसी सहारे के चल भी नहीं पा रहा था अब एक रोज सुंदर कविता से बातें कर रहा होता है और उसी समय गोपाल कहीं बाहर से घर

(05:32) आता है गोपाल कविता से कह रहा था एक तो मैं पूजा भी नहीं कर पा रहा हूं और मेरे मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे हैं जब से मैं बीमार पड़ा हूं एक बार मुझे भोलेनाथ के दर्शन को हरिद्वार जाने का मन है और लगता है मैं इस बार कावड़ उठा भी नहीं पाऊंगा कविता कहती है आप ठीक हो जाइए तो हम सब भोलेनाथ के दर्शन को चलेंगे सुंदर मायूस होकर कहता है मुझे नहीं लगता कि अब मैं ठीक हो पाऊंगा लेकिन भोले भोलेनाथ अगर मेरी सुन रहे हैं तो वो मेरी इस इच्छा को पूरा जरूर करेंगे भोलेनाथ तो सुंदर की सुन ही रहे थे लेकिन सुंदर का बेटा गोपाल जो कि 1718 साल का था व भी अपने पिता की

(06:12) बातें सुन लेता है अब वह कावड़ उठाने का मन बनाता है और जब इस बात को बीते हुए दो-तीन दिन हो जाते हैं तो गोपाल अपनी मां से कहता है मां मेरे स्कूल की छुट्टियां चल रही हैं और मुझे हरिद्वार जाने का बहुत मन है लेकिन मैं इस बार अकेले कामण उठाकर हरिद्वार नहीं जाऊंगा बल्कि पिताजी के साथ जाऊंगा कविता यह सुनकर कहती है तेरा दिमाग तो ठीक है तेरे पिताजी ठीक से चल भी नहीं पा रहे और तू उन्हें हरिद्वार ले जाने की बात कर रहा है गोपाल कहता है मैं अच्छे से जानता हूं कि पिताजी चल फिर नहीं पा रहे हैं इसलिए तो मैंने कावड़ बनाई है यह कहते

(06:49) हुए गोपाल कविता को कावड़ दिखाता है इसकी एक टोकरी में सामान और दूसरी टोकरी में पिताजी बैठेंगे कविता पूछती है तू अपने पिताजी का भार उठा भी पाएगा अभी तो तू बहुत छोटा है मेरे बच्चे तू इतनी दूर नहीं चल पाएगा गोपाल कहता है जब भोलेनाथ ने खुद बुलाया हो तो ऐसे मना नहीं करते मां क्यों पिताजी ठीक कह रहा हूं ना यह सुनकर सुंदर कहता है जाने दो कविता अब हमारा बेटा बड़ा हो गया है और अगर वह अपने पिता को श्रवण कुमार की तरह तीर्थ यात्रा कराना चाहता है तो इससे अच्छे सौभाग्य की बात एक पिता के लिए हो ही नहीं सकती सुंदर तो पहले से

(07:26) हरिद्वार जाने के लिए तैयार था अब गोपाल अपने पिता को एक टोकरी में बिठा है और दूसरी टोकरी में सामान लादकर हर हर महादेव के जयकारे के साथ कावड़ लेकर हरिद्वार के लिए निकल पड़ता है उसे रास्ते में एक बूढ़ा आदमी मिलता है और कहता है अरे बेटा मेरी मदद करो मुझे भी हरिद्वार जाना है और मैंने दूर से तुम्हें अपने पिता को टोकरी में लाते देखा तो मैंने सोचा दूसरी टोकरी में तुम मुझे बिठा लोगे गोपाल यह सुनकर बोला अरे क्यों नहीं आप इस सामान को हटाकर यहां बैठ जाइए और इसे अपने हाथों में पकड़ लीजिए मैं आपको भी हरिद्वार तक ले चलूंगा

(08:05) बूढ़ा आदमी कहता है भगवान तुम्हें हमेशा खुश रखे भोलेनाथ की कृपा तुम पर और तुम्हारे घर वालों पर हमेशा बनी रहे यह सब देखकर सुंदर सोचता है मेरा बेटा वाकई बहुत समझदार हो गया है गोपाल अब जैसे ही कामण उठाता है उसे कामण का वजन भारी लगने की बजाय बहुत हल्का लगने लगता है वह सोचता है अभी जब मैं पिताजी को कामण के साथ लेकर आ रहा था तो मुझे काव में वजन लग रहा था लेकिन इनके बैठते ही काव का वजन कम कैसे हो गया लगता है मुझ में हिम्मत आ गई है चलो जो भी है मैं जल्दी ही गंगा जी तक पहुंच जाऊंगा इतना सोचने के बाद गोपाल चल देता है और यात्रा करते हुए हरिद्वार

(08:48) पहुंच जाता है तभी वह बूढ़ा व्यक्ति जाते हुए गोपाल के हाथों में रुद्राक्ष देता है और गोपाल से कहता है इसे अपने पिता की आंखों से और सर से लगाकर गले में धारण करवा देना उसके बाद सब मंगलमय होगा अब मैं चलता हूं बेटा गोपाल भी उस बूढ़े आदमी का दिया हुआ रुद्राक्ष ले लेता है और अपने पिता को गंगा स्नान करवाने के बाद उस बूढ़े आदमी के कहे अनुसार उस रुद्राक्ष को आंखों और सर से लगाकर गले में धारण करवा देता है तभी गोपाल देखता है कि उसके पिता खुद बखुदा जान नहीं है सुंदर भी हैरान हो जाता है और गोपाल से कहता है यह क्या हो गया मेरे साथ इस रुद्राक्ष को पहनते ही ऐसा

(09:30) लगने लगा जैसे मुझे एक नया जीवन दान मिल गया हो मेरे हाथ पैर और बेजान शरीर में फुर्ती कहां से आ गई कहीं कहीं ये बूढ़े आदमी साक्षात भोलेनाथ तो नहीं थे गोपाल उसे ढूंढो सुंदर और गोपाल उस बूढ़े आदमी को आसपास सब जगह ढूंढते हैं लेकिन वो बूढ़ा आदमी उन्हें नहीं मिलता असलियत में तो वो बूढ़ा आदमी साक्षात महादेवी थे जो बूढ़े व्यक्ति के रूप में सुंदर की मदद के लिए आए थे और गोपाल की परीक्षा लेने गोपाल अपनी परीक्षा में पास हो जाता है और भगवान भोलेनाथ सुंदर को पूरी तरह ठीक कर देते हैं और गोपाल की कावड़ यात्रा भी सफल होती है दोस्तों आशा है यह कहानी आपको पसंद आई

(10:12) होगी अगर पसंद आई हो तो वीडियो को लाइक करके कमेंट में ओम नमः शिवाय जरूर लिखें ओम नमः शिवाय [संगीत]


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