जगन्नाथ जी बने भिखारी | Jagannath Ji Bane Bhikhari | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories -

 नारद जी की कांवड़ यात्रा | Kanwar Yatra | Hindi Kahani | Moral Stories | Bhakti Stories | Kahaniya - 


 श्रवण मास शुरू हो चुका था कैलाश पर्वत पर विराजमान भगवान भोलेनाथ समाधि मिली थी उन पर गंगाजल की वर्षा हो रही थी कैलाश पर्वत पर यह बहुत ही अद्भुत और मनोरम दृश्य था तभी वहां नारद मनी फिर भी कैलाश का सुंदर नजर देखकर मोहित हो गए नारायण प्रणाम देवी पार्वती यह दृश्य कितना मनमोहन है महादेव के ऊपर तो गंगाजल की वर्षा हो रही है कितने सुंदर ग रहे हैं महादेव के नाम का हर हर महादेव और बम बम भोले का जयकारा लगाते सभी शिवा भक्ति कांवड़ यात्रा पर अलग-अलग तीर्थ स्थान से गंगाजल लेने निकाल चुके हैं अद्भुत अति मनमोहन

(01:11) तभी वंशकार अपने नेत्र खोलने हैं प्रणाम महादेव आपका संदेश प्रकार मैं शीघ्र ही ए गया अब साधना में लेने थे इसलिए मैं कैलाश के मनोरम दृश्य को देख रहा था और मां पार्वती के साथ इस विषय पर वार्तालाप कर रहा था कहिए मेरे लिए क्या गया है देवर्षि औरत अब तो जानते ही हैं सावन मास में निकॉन भक्ति कावड़ यात्रा पर जाते हैं और गंगाजल से मेरा अभिषेक करते हैं और मेरा आशीर्वाद पाते हैं और आज मेरे एक भक्ति बिरजू को आज मेरी सहायता की आवश्यकता है वो मुझमें पर विश्वास करके कुछ पैसे जोड़कर कावड़ यात्रा पर निकाला था ताकि वो कबाड़ का जाला कर मेरा अभिषेक

(01:54) कर सके वह मुझमें पर पूर्ण विश्वास रखना है और उसकी कावड़ यात्रा पूर्ण होने से उसके सारे कष्ट मिट्टी जाएंगे और रास्ते में पैदल यात्रा करते हुए बिरजू के पर में चोट ए गई है पर फिर भी वो बड़ी मुश्किल से मेरा अभिषेक करने के लिए जल लेने जा रहा है वो देखिए देवरा सही हर हर महादेव महादेव आप चिंता मत कीजिए मैं बिरजू की कावड़ यात्रा पूर्ण करके ही लौटूंगा और इसी बहाने में भी कावड़ यात्रा के फल को प्राप्त कर लूंगा मुझे भी आपकी सेवा का अवसर प्राप्त हो जाएगा आपके भक्ति आप पर पूर्ण विश्वास रखते हैं की आप उनकी प्रत्येक मनोकामना अवश्य ही पूर्ण करेंगे

(02:36) बिरजू भी इसी विश्वास पर आपके नाम की कावड़ यात्रा लेकर निकाला है और मैं उसके इस विश्वास में भागीदारी अवश्य करूंगा मुझे आजा दीजिए प्रभु मैं चला हूं नारायण नारायण प्रभु आप अपने भक्तों पर ना जान कब कृपा करते इसका भेद कोई नहीं जान सकता देवी पार्वती की बात सुनकर भगवान शिवा मुस्कुरा देते हैं कंवर को लेकर चल रहा था और हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव इतनी दूर का लंबा सफर कैसे ते करोगे भाई भैया मुझे अपनी चोट की परवाह नहीं है मुझे तो बस भगवान भोलेनाथ का नाम लेकर अपनी कावड़ यात्रा पुरी करनी है लो कुछ डर अपनी कावड़ मुझे दे दो और वहां पत्थर पर बैठकर

(03:32) थोड़ी डर विश्राम कर लो मेरे पास कुछ खाने का समाज है थोड़ा कुछ का लोग तो तुम्हें अच्छा महसूस होगा बड़े भले दिखाई पढ़ते हो भाई वैसे तुम्हारा नाम क्या है मेरा नाम है नारद एक पाल के लिए तो बिरजू नाम सुनकर थोड़ा सा चौक गया तुम्हारे आचरण को देखकर तो ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो साक्षात देवर्षि नारद मेरे सामने खड़े हैं मुझे देखकर आपको ऐसा प्रतीत हो रहा है फिर तो लीजिए मेरी तरफ से ये कुछ पकवान भगवान भोलेनाथ का नाम लेकर इन्हें ग्रहण कीजिए नारद मनी अपने झूले में से खाने के पौष्टिक व्यंजन फलाहार निकाल कर बिरजू को देते हैं और बिरजू के हाथ से कावड़ अपने

(04:13) कंधे पर ले लेते हैं और हमसे आप भजन कीजिए और उसके पश्चात ये औषधि लिप इसे आप अपने पैरों पर लगा लेना आपकी चोट ठीक हो जाएगी इतने सारे भगवान आप भी तो खाओ भाई मैं इतना सब कुछ अकेले कैसे खाऊंगा मेरा तो पेट बहुत भारत हुआ है मैं पहले ही इनमें से बहुत कुछ का चुका हूं यह कोई ज्यादा नहीं है थोड़ा ही प्रसाद है आप आराम से खाओ फिर आपकी खबर मैं उठा लूंगा और वार्तालाप करते हुए हम अपना रास्ता ते कर लेंगे उसे पता ही नहीं चला पानी से जल भरकर लाया और हर बीच-बीच में नारद मनी बिरजू की कावड़ को उठाते रहे और फिर बिरजू ने जलाकर भगवान शिवा का

(05:05) जलाभिषेक पूरा कर बिरजू की पत्नी और बच्चे भी पूजा में शामिल थे आज मेरी कावड़ यात्रा पुरी हो गई नारद नाम के इन सज्जन पुरुष ने मेरी कावड़ यात्रा में बहुत सहायता की है अरे शीला अभी यहां पर नारद नाम के वो सज्जन पुरुष खड़े थे जो मेरे साथ आए थे जब मेरे पर में यह चोट अरे मेरी चोट कहां गई मेरे पर में तो गाव था मैंने वो औषधि लिप लगाया था जो नारद नाम के उसे व्यक्ति ने दिया था इस्लामी आपके साथ तो कोई भी नहीं था आप अकेले ही तो आए थे आपके साथ तो इतनी डर से मैंने किसी को भी नहीं देखा कौन था आपके साथ मैं पहचान गया साथ कौन था मेरे साथ साक्षात देवर्षि नारद

(05:49) थे है प्रभु मैं देवर्षि नारद को पहचान नहीं पाया मुझे एक क्षमा कर दो प्रभु मुझे क्षमा कर दो शिवा शंकर आपने ही नारद मनी को मेरी सहायता के लिए भेजो था ना मुझे सब कुछ ज्ञात हो गया है बिरजू अपनी पत्नी शीला और मंदिर के पंडित जी को ये बात बताता है सब लोग जॉन की बात सुनकर हैरान र जाते हैं सब मिलकर हर हर महादेव के नाम का जयकारा लगाते हैं साथ ही साथ बिरजू नारद मनी को भी धन्यवाद कहता है की आज उन्होंने उसकी कावड़ यात्रा में उसकी सहायता करके कावड़ यात्रा को सकुशल पूरा करवाया नारद मनी कैलाश पर्वत पर भगवान शिवा और माता पार्वती के समक्ष उपस्थित थे और मंद मंद

(06:29) मुस्कुरा रहे थे सच भगवान शिवा अपने भक्तों पर सदैव कृपा करते हैं और उनका कल्याण करते हैं तभी तो कहते हैं की जो कोई भक्ति कांवड़ यात्रा करता है उसका विशेष फल उसे अवश्य प्राप्त होता है बिरजू के जीवन में खुशियों का आगमन होता है उसके घर में सुख समृद्धि का वास होता है और यह सब भगवान भोलेनाथ की कृपा का ही फल था 


भोला अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ हरिपुर गांव में राहत था वो गांव के साहूकार के पास मजदूरी करता था भोला ने अपनी बहन की शादी के लिए साहूकार से कर्ज लिया था जिसका भुगतान वह साहूकार को कई वर्षों से कर रहा था भोला भगवान शंकर की

(07:16) बहुत पूजा करता था ऐसे ही एक दिन मंदिर में शिवरात्रि का भाव आयोजन था वो पत्नी और बच्चों के साथ मंदिर पहुंच पर साहूकार भी वहां मौजूद था मंदिर में दर्शन करने के लिए पुण्य करने पढ़ते हैं तो जैसे कंगाल के पास ऐसा क्या है भगवान शंकर को देने के लिए बता कोई दान दक्षिण या कोई चढ़ावा भूलो उदास मां से पत्नी और बच्चों को लेकर वापस घर की और चल पड़ता है तभी कुछ खाने को दे दो बड़े जोरो की भूख लगी है स्वादिष्ट लगता है क्या नाम है तुम्हारा मेरा नाम शिवा है मैं कम की तलाश में हूं की आप मुझे कोई कम दे सकते हो मैं कुछ भी कर लूंगा पर मैं तो

(08:03) खुद एक गरीब मजदूर हूं गांव के साहूकार के पास मजदूरी करता हूं मैं तुम्हें भला क्या कम दूंगा भैया मुझे कोई भी कम दे दो बदले में मुझे पैसे नहीं बस रहने की जगह दे देना भोले शिवा की मजबूरी देख हां का देता है अगले दिन से शिवा वही रहने लगता है और घर के कम में मदद करता था एक दिन भोला अपनी पत्नी माला से बोला माला शिवा हमारे लिए इतना सब कुछ क्यों कर रहा है बच्चों के लिए भी यह इतना दूध फल सब्जी सब ले आता है पर कब तक हम इससे बिना पैसे दिए कम करवाते रहेंगे तुम एक कम क्यों नहीं करते साहूकार से कहकर इसे भी अपने साथ कम पर लगता लो वहां तो इसे कम के बदले पगार मिल

(08:43) जाएगी भोला को माला की बात सही लगी वह शिवा को लेकर साहूकार के पास जाता है और कम दिवा देता है शिवम भोला के साथ अब खेतों पर भी कम करने जान लगा साहूकार शिवा को जो पगार देता वह पैसे शिवा को जोड़ने के लिए रखवा देता था बोला कई बार शिवा से कहता की वह अपने पैसे वापस ले ले परंतु शिवा उसे कहता की जब वक्त आएगा की पैसे तभी कम आएंगे एक दिन साहूकार भोला और शिवा को किसी कम से दूसरे गांव भेजता है रास्ते में रात हो जाति है जंगल का रास्ता था तभी एक शेर के दहाड़ने की आवाज आई है भोला घबरा जाता है भोला भैया आप तो भगवान शंकर के परम भक्ति हो तो डर कैसा और जब भक्ति

(09:22) मुसीबत में हो तो भगवान को भी सहायता के लिए आना ही पड़ता है आप उसे पेड़ के ऊपर चढ़कर बैठ जो बाकी सब मैं देख लूंगा शिवा मैं तुम्हें अकेला छोड़कर कैसे पेड़ पर चढ़कर बैठ जाऊं यह भी तो सही बात नहीं है भोला भैया आप निश्चित रहो मुझे कुछ नहीं होगा आंखें बैंड करके ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय का जब करने लगता है शिवा भोला के आगे ए जाता है शेर शिवा को थोड़ी डर तक देखा राहत है और बिना कुछ कहे जंगल की और चला जाता है भोला और शिवा दोनों घर ए जाते हैं भोला पुरी रात उसे घटना को याद करता राहत है अगली सुबह जब वह सो कर उठाता है तो शिवा घर पर नहीं था भोला आसपास में

(10:08) पूछता है पर शिवा का कहानी भी पता नहीं था वो साहूकार से जाकर पूछता है मेरे पास आया और मेरे से बोला की अमरनाथ यात्रा पर निकालना है इसलिए वो अपना हिसाब कर गया भोला घर आता है और साड़ी बात माला को बताता है माला भी सुनकर बहुत हैरान होती है की अचानक बिना बताए शिवा अमरनाथ की इतनी लंबी यात्रा पर कैसे निकाल गया भोला को कुछ समझ नहीं ए रहा था इस रात को सपना में भगवान शंकर भोला को दिखाई देते हैं [संगीत] मैं ही तुम्हारा शिवा हूं जिसके बड़े में तुम चिंता कर रहे हो भगवान शंकर आप ही शिवा हो मैंने आपको पहचाना नहीं यह कैसी भूल हो गई महादेव मुझे माफ कर दीजिए मैंने

(10:51) आपकी सेवा नहीं की बल्कि आपसे सेवा करवाई आप मुझे छोड़कर क्यों चले गए प्रभु है महादेव लोट आओ मेरे पास भोला अब तुम मेरे पास अमरनाथ यात्रा करके आओगे मैं अमरनाथ में ही तुम्हें अपने दर्शन दूंगा इतना कहकर भगवान भोलेनाथ अंतर्ध्यान हो गए अगले दिन भोला ने साड़ी बात माला को बताई पर भोला इसी चिंता में था की अमरनाथ की यात्रा के लिए उसके पास पैसे कहां से आएंगे तभी माला उससे बोली सुनो आपको याद है ना शिवा हमारे पास पैसे जोडा था इसका मतलब महादेव ने स्वयं हमारी अमरनाथ यात्रा की व्यवस्था कर दी आपकी जय हो बाबा बर्फानी जय भोला भंडारी आपकी जय

(11:32) हो माला हमारे शिवा शंकर ने हमें अपने धाम बुलाया है अमरनाथ बुलाया है भोला उन रुपयो से अपनी अमरनाथ यात्रा पर जान की तैयारी करता है और साहूकार के पास कुछ दिन की छुट्टी मांगने जाता है [संगीत] उतने दिन के कार्ड ही लूंगा पर यह बता तू अमरनाथ की यात्रा के बड़े में जानता भी है पता है कितनी दूर है अमरनाथ धाम पैसा कपड़ा खाना पीना बूढ़े परिवार के साथ तू कैसे अमरनाथ की यात्रा कर पाएगा बहुत कुछ देखना पड़ता है वहां पर पूरा पंजीकरण होता है पुरी तरह से स्वस्थ मनुष्य ही अमरनाथ की यात्रा कर सकता है नहीं तो रास्ते में ही रॉक देते हैं

(12:13) गरीब कमजोर दो-दो दिन दो तो रोटी नहीं खाता रास्ते में गिरकर में होश हो गया तो वापस भेज देंगे देख मैं भी अमरनाथ जा रहा हूं अपने परिवार के साथ देख लो मैं अमरनाथ की पुरी यात्रा करके वापस आऊंगा बोला अपने परिवार के साथ अमरनाथ की यात्रा के लिए निकाल पड़ता है उधर साहूकार को भी अपने परिवार को लेकर अमरनाथ की यात्रा के लिए जम्मू निकालना था पर किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था 75 वर्ष से ज्यादा उम्र होने की वजह से साहूकार के पंजीकरण को स्थगित कर दिया गया साहूकार ने मां में सोचा भगवान शंकर ने शायद मुझे सबक दिया है की उनकी यात्रा के लिए कोई गरीब या अमीर

(12:51) नहीं होता वो जी पर कृपा करते हैं वही उनके दर्शन कर पता है शायद भोला उनका मेरे से भी ज्यादा बड़ा सेवक इसलिए उसे अमरनाथ यात्रा पर जान का शुभ अवसर प्राप्त हुआ मैं यह क्यों नहीं समझ पाया की भगवान तो प्रेम के भूखे हैं उन्हें धन दौलत बड़े-बड़े पकवानों से कोई मतलब नहीं उन्हें कोई एक सुखी रोटी भी मिला दे तो उसमें भी प्रश्न हो जाते हैं शिवा शंकर मुझे माफ कर दो मैंने उसे गरीब मजदूर की गरीबी का हमेशा फायदा उठाया बस एक बार भोला यात्रा से वापस ए जाए फिर मैं खुद उससे माफी मांगूंगा भोला माला और बच्चों के साथ पहलगाम पहुंचता है वहां से वो पैदल

(13:30) ही यात्रा शुरू करता है जय बम भोले का जब करता हुआ वह आगे बढ़ता राहत है चलते-चलते बच्चों को भूख लगती है रुको तुम लोग यहां इस पत्थर पर बैठो मैं किसी से पूछता हूं सुनिए भैया जी यहां खाने के लिए कोई सुविधा मिल जाएगी अरे भाई अमरनाथ श्रद्धालुओं के लिए लंगर कॉमेडियन जी जान से पलके बेचकर उनका सरकार करती है खाने पीने से लेकर सोनी तक की सुविधा उपलब्ध करवाई जाति है अमरनाथ यात्रा के लिए दोस्तों मैं तो मैं वहां का रास्ता बताता हूं भोला ने अपनी यात्रा को भगवान भोलेनाथ के भरोसे शुरू किया था और उसे पता था की वही उसकी ये यात्रा पुरी कर पाएंगे

(14:09) व्यक्ति भोला को लेकर जब लंगर कमेटी के पास पहुंचता है भोला ने देखा अमरनाथ यात्रा में लोग जगह-जगह खाने-पीने और सोनी की सुख सुविधा दे रहे हैं अमीर भक्ति इस कार्य में दान दक्षिण देकर अपना योगदान देते हैं सुबह के समय लंगर कमेटियान श्रद्धालुओं की भूख और प्यास को बुझाता है और रात होते ही लंगर स्थल धर्मशाला में तब्दील हो जाते हैं श्रद्धालुओं को बिस्तर और सर्दी से बचाने के लिए बुखारी भी मुहैया करवाई जाति है अमरनाथ यात्रा के लिए उन्हें पांच पड़ाव पर करने थे पहले पड़ाव पहलगाम उन्होंने पर कर लिया था बाबू अभी हमें कितनी और यात्रा करनी है अभी

(14:45) कितनी दूर है अमरनाथ की गुफा नमन पहले पड़ाव पहलगाम में अभी हम हैं अभी हमें चंदनवाड़ी शेषनाग पंचतारिणी पर करना है उसके बाद पांचवा पड़ाव अमरनाथ की गुफा है जहां बाबा बर्फानी भोलेनाथ के शिवलिंग के दर्शन होंगे मतलब अमरनाथ की यात्रा के रास्ते में पांच पड़ाव आते हैं भोले बाबा का नाम लेते जो तो ये रास्ता आराम से कट जाता है और यह पांच पड़ाव भी पर हो जाता है अलग-अलग पड़ावों पर रुकते हुए आखिर भोला और उसका परिवार अमरनाथ की गुफा पर पहुंचता है पूरा परिवार इतने सुंदर दृश्य को देखकर खुशी से झूठ उठाता है तुम्हें पता है माला अमरनाथ को तीर्थ का तीर्थ कहा जाता है

(15:35) क्योंकि यही पर भगवान शिवा ने मां पार्वती को अमृत्वकर रहस्य बताया था यह कबूतर का जोड़ा बहुत ही किस्मत वालों को दिखाई देता है जैसे तुमने देखा सब मिलकर अमरनाथ बर्फानी शिवलिंग के दर्शन करते हैं नाथ यात्रा करके खुशी-खुशी गांव वापस ए जाता है साहूकार भोला से अपनी गलतियां के लिए माफी मांगता है और उसे अच्छी पगार देने लगता है दिल से भगवान शंकर के आशीर्वाद से भोला की जिंदगी में खुशियां ए जाति है [संगीत]


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