शिवभक्त पंछियों की सच्ची कहानी।shivbhakt chidiya ki kahani। birds story #motivation

शिवभक्त पंछियों की सच्ची कहानी।shivbhakt chidiya ki kahani। birds story #motivation


 नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे युटुब चैनल  बुद्धि मां की कहानी हम आप सभी को सुनने वाले हैं दोस्तों चिड़िया वाली बुद्धि मां का मंदिर जो की गुजरात में स्थित है यह एक सच्ची कहानी है दोस्तों कौन है यह चिड़िया वाली बुद्धि मां क्या है चिड़िया की कहानी आई जानते हैं इस कहानी के मध्य से इस कथा के मध्य से एक बात और दोस्तों अगर आप यह कहानी सुन रहे हैं तो पूरा सुनिए इस कथा को आधा अधूरा छोड़कर जान की गलती मत करेगा क्योंकि इस

(00:58) पवित्र कथा को आधा अधूरा छोड़ने से आपको पाप भी ग सकता है इसीलिए इस कथा को पूरा सुनिए आप शिवा भक्ति हैं तो भोलेनाथ का अनदर ना करें इससे पहले की हम कहानी को शुरू करें आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए लाइक करिए शेर करिए और अच्छे-अच्छे कमेंट किया करिए आज हम सुनेंगे शिवा भक्ति चिड़िया और बुद्धि मां की कहानी यह एक सच्ची कहानी है चिड़िया वाली बुद्धि मां का मंदिर गुजरात में स्थित है  एक बड़े से शिवा मंदिर में उसके पास स्थित पेड़ पर रहते थे और उससे मंदिर में जब भी पूजा पाठ आरती होती तब तक वह दोनों पंछी उसे मंदिर में आते और भगवान शिवा किराधना करते अंग तो बैठने महादेव की भक्ति में ली रहते इतनी भक्ति करते निराधार भक्ति करते उनके तन मां का अगल-बगल का होश वास कोई पता नहीं राहत उन दोनों पंछियों का रोज का

(00:49) यही नियम था सुबह शाम जब भी मंदिर में घंटी बजती आरती होती तो वह पंछी मंदिर में पहुंच जाते और भगवान शिवा किराधना करने लगता उसके बाद जीप अपने बच्चों के लिए और अपने लिए दाना पानी की व्यवस्था करते उन दोनों पंछियों का रोज का यही नियम था और इस मंदिर के बगल में थोड़ी ही दूरी पर एक बुद्धि मां का घर था उसे बुद्धि मां की कोई भी संतान नहीं थी उनके आगे पीछे देखरेख करने वाला उनका कोई नहीं था वह अकेले ही जीवन व्यतीत कर रही थी और उसे बुद्धि मां को पंछियों के प्रति बड़ा लगाव था वह पंछियों को बहुत प्रेम किया करती थी उनके लिए रोज अपने घर की छठ पर पानी डेन

(01:39) सब चीज डालते थी उसे बुद्धि मां का रोज का यही कम था और वह दोनों चिड़िया उसे बुद्धि मां के शर्ट पर आते और आसानी से दाना चुगते खाता पीते और उनमें से कुछ अपने बच्चों के लिए ले जाते इसी तरह उनका जीवन व्यतीत हो रहा था उसे बुद्धि मां की वजह से उन मानों का पेट भर रहा था और साथ ही राम सेन निरंतर भगवान शिवा की आराधना कर का रहे थे अब इसी तरह दिन गुजरते रहे एक दिन की बात है वह बुद्धि मां बीमा हो जाति है वह अपने बिस्तर पर पद जाति है उनका बहू बेटा तो था नहीं की उनकी सेवा करता उनके लिए दवाई लता अब बुद्धि मां बिना दवा के इसी तरह बिस्तर पर पड़ी रहती वह अपनी छठ

(02:29) पर दाना पानी नहीं दाल का रही थी और वह पंछी उसे बुद्धि मां की शर्ट पर दाना चुगने के लिए आई वहां दाना पानी नहीं देखते तो वह सोचते बुद्धि मां कहां चली गई दाना पानी क्यों नहीं डा रही है इसी तरह दोनों दिन बताते रहे तो वह घबरा जाते हैं वह बहुत ही परेशान होते हैं और उसे बुद्धि मां को पूरे गांव में और आसपास ढूंढने लगता दोनों तक जाते हैं उसमें से जो मडगारिया थी वह अपने पति से कहती है स्वामी बुद्धि मां का कोई पता नहीं चल रहा है बुद्धि मां कहां चली गई वह हमें दाना पानी दिया करती थी और पंछियों की देखरेख किया करती थी वह कहां गई हमने उन्हें इतना ढूंढा पर मिल

(03:33) नहीं रही है अब हम क्या करें उसे ग्रह का पति कहता है की प्रिया हमने हर जगह बुढ़िया मां को तलाश किया कर देखते हैं बुद्धि मां अपने बिस्तर पर लेती है उनके शरीर में कोई हलचल नहीं उनके चेहरे पर उनके बदन पर मक्खियों बिन बना रही है वह पंछी अपने पंखों से फटाफट से उन मक्खियों को हटाते बुद्धि मां को जागने की कोशिश करती है लेकिन उनके शरीर में कोई हलचल नहीं अब ग्रे का पति कहता है की प्रिया बुद्धि मांस दुनिया में नहीं रहे उनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें बड़ा ही दुख होता है अब उन्हें

(04:40) दाना चुगने के लिए दूर-दूर जाना पड़ता अब इसी तरह शाम हो जाति जब शाम को मंदिर में पहुंचती है और एक पर पर खड़े होकर भगवान शिवा की निराधार भक्ति करते हैं एक घंटा पिता है दो घंटे बिताते हैं इसी तरह बोलना समय बीट जाता है इसी तरह बिना खाए पिए लगातार महादेव की भक्ति करते रहते हैं ऐसे करते-करते एक महीना भी जाता है उन पंछियों ने महादेव की भक्ति करना सोड़ा नहीं महादेव प्रश्न होते हैं और उन पंछियों को दर्शन देते हैं और कहते हैं तुम जो मांगोगे मैं तुम्हें वह दूंगा मैं तुम्हारी इस भक्ति से बड़ा ही प्रश्न हूं छोटी जान होते हुए तुमने अपनी क्षमता से

(05:42) बाहर भक्ति की है तुम जो मैंगो मैं तुम्हें वो दूंगा तब ग्रह ने कहा है प्रभु हमें कुछ नहीं चाहिए हमें बस एक चीज चाहिए आप हमारी इस बुद्धि मां को फिर से हमें लूट दीजिए उन्हें जीवित कर दीजिए बस समय यही चाहिए भोलेनाथ ने कहा है पंछियों जय सृष्टि का नियम है जो मा जाता है वह कैसे जीवित हो सकता है मैं सृष्टि के चक्कर में कैसे बांध बन सकता हूं तुम और कुछ मांग लो तब उसे चिड़िया ने कहा नहीं भोलेनाथ हमें कुछ नहीं चाहिए हमें बस हमारी बुद्धि मां चाहिए और कुछ नहीं भगवान शिवा ने कहा अब बुद्धि मां का शरीर गाल चुका है उसमें से

(06:28) कीड़े निकालने लगे हैं मैं उन्हें कैसे जीवित कर सकता हूं उनका शरीर सही नहीं रहा उनमें प्राण कैसे डालूं तब दोनों पंछी है करने लगता हैं और कहते हैं प्रभु आपने हमें वचन दिया था जो मांगोगे वह दूंगा तो प्रभु आप अपने वचन से पीछे और उसमें प्राण दाल दिए और इस प्रकार वह मां फिर से जीवित हो गई वह बुद्धि मां अपने सामने भगवान शिवा को देखकर हरण हो जाति है और कहती है है प्रभु मेरे जन्मो जन्म के दुख आपके दर्शन करने से कट गए है प्रभु मैंने ऐसा क्या पुण्य किया था आपने मुझे जीवित कर दिया भगवान शिवा ने कहा बुद्धि मां मैंने तुम्हारे करण जीवन नहीं

(07:24) किया मैंने तो तुम्हारे उन दोनों पंछियों के लिए तुम्हें जीवित किया है उन दोनों पंछियों ने मेरी निराधार बत्ती की है एक पर पर खड़े होकर मेरी आराधना की इसी करण मैंने उन्हें आशीर्वाद दिया की वजह से आज आप जीव तो वह पंछी कोई और नहीं जो तुम्हारी शर्ट पर ग्रे पंछी का जोड़ा रोज डेन चुगने आते हैं उन्होंने ही मेरी भक्ति की है उन्हें के करण तुम्हार जीवित हो अब बुद्धि मां ने प्रणाम किया और फिर भोलेनाथ वहां से अंदर डायन हो गए और वो बुद्धि मां फिर से दाना डालने लगी पानी रखना लगी और वह ग्रे पंछी का जोड़ा छठ पर आते पानी पीते दाना चूकते ताबूदी मैन उन

(08:08) ग्रे पंछियों से कहा हेगडे तुमने मुझे जीवन दान दिया है भगवान शिवा किराधना की अपने लिए ना मांग कर मेरे लिए मांगा मैं चाहती हूं तुम मेरे घर पर वास करो और तुम हमेशा मेरी आंखों के सामने रहो और वह दोनों पंछी बुद्धि मां का प्रस्ताव स्वीकार कर लेते हैं उसे बुद्धि मां के घर रहने लगता हैं इसी प्रकार दिन बिताने लगता हैं और बुद्धि मां का चर्च गांव गांव में फैलने लगता है की एक मां है जो मार्कर भी जीवित हो गई है और उनमें अजीब सी शक्ति ए गई है अब इसी तरह उसे बुद्धि मां के पास धीरे-धीरे करके लोग जिनको कोई दुख रोग होता उनके पास आते अपना करण बताते भगवान

(08:54) भोलेनाथ के नाम पर पूजा पाठ करते तब उन लोगों का दुख दूर हो जय करता धीरे-धीरे लोग ठीक होने लगे अब इसी प्रकार बहुत दिन हो जाते हैं और वह बुद्धि मां जीवन इस घर में इस जगह पर समाधि ले लेती है आज इस समाधि स्थल पर उसे बुद्धि मां का वह मंदिर है वह मंदिर गुजरात में स्थित है चिड़ियाघर हमेशा देखने को मिलेगा और लोग कहते हैं किसी को कोई तकलीफ कष्ट राहत है कोई रोग राहत है वहां जान पर भक्ति करने पर वह तकलीफ ठीक हो जाति है उसे गढ़िया पंछी ने कैसे उसे बुद्धि मां को जीवन दान दिया भोलेनाथ की कृपा से वह बुद्धि मां जीवन हो गई हमें इस कहानी से एक सिख मिलती है हमें

(09:53) कभी किसी दूसरे पर निर्भर नहीं वो दोनों पंछी उसे बुद्धि मापन निर्भर थे और बुद्धि मां के करने के बाद वह पंछी तिलम लाने लगे की हमें भजन कहां से मिलेगा भजन मिल जाता था इसलिए कथन परिस्थितियों आने पर हमें तैयार रहना चाहिए हमें किसी अन्य पर निर्भर नहीं रहना चाहिए आज है कल नहीं रहेगा तो आप अपने आप को कैसे संभालेंगे यह सूचना चाहिए और हमें हमेशा भगवान पर विश्वास रखना चाहिए सच्चे मां से भक्ति करनी चाहिए भगवान हमारी जरूर सुनते हैं 

दोस्तों जब तक बुद्धि मां जीवित थी वो दोनों पक्षी उसे मां पर आश्रित हैं उनके करने के बाद वह पक्षी तिल मिलने लगे की हमें भजन कहां से मिलेगा अब इसी करण उन्हें कष्ट होने लगा क्योंकि उन्हें आदत नहीं था दूरदास से भजन खोजना
(13:45) का उन्हें रखा रख्या भजन मिल जय करता था इसीलिए कभी कठिन स्थिति आने पर हमें अपने आप को तैयार रखना चाहिए हमें किसी अन्य के भरोसे नहीं रहना चाहिए आज वह व्यक्ति मेरे लिए है कल नहीं रहेगा तो मैं अपने आप को कैसे संभालूंगा यह सोचना चाहिए की हम अगर भगवान का सच्चे मां से निराधार भक्ति करेंगे तो हमें उसे भगवान का दर्शन जरूर होगा तो हमारे पाप जरूर काटेंगे हमारा दुख अवश्य दूर होगा अगर

तो दोस्तों अगर अच्छी लगी हो तो प्लीज वीडियो को लाइक करना और शेर करना और चैनल को सब्सक्राइब

(10:50) करना बिल्कुल नहीं बोलना और बोले नाथ के नाम पर एक प्यार सा कमेंट जरूर करना थैंक यू


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