Janmastami Vrat Katha -श्री कृष्ण जन्म की कथा -जन्माष्ठमी व्रत कथा -Janmashtami Ki Kahani Janmastami

Janmastami Vrat Katha -श्री कृष्ण जन्म की कथा -जन्माष्ठमी व्रत कथा -Janmashtami Ki Kahani Janmastami 



 नमस्कार दोस्तों आज के हमारे इस वीडियो में हम आपके लिए जन्माष्टमी पर्व की पावन कथा लेकर आएं हैं द्वापर युग में पृथ्वी पर लगातार पाप और राक्षसों का अत्याचार बढ़ने लगा तब पृथ्वी गाय का रूप धरकर ब्रह्माजी के पास गई तब ब्रह्माजी ने सभी देवताओं के साथ पृथ्वी की व्यथा सुनी और सभी मिलकर भगवान विष्णु के पास गए जहां ब्रह्म देव भगवान विष्णु से बोले हरिनारायण अब समय आ गया है जब आपको पृथ्वी पर आठवें अवतार के रूप में अवतरित होना ही होगा आपने सही कहा ब्रह्मदेव मैं पृथ्वी के उद्धार हेतु ब्रज में कंस की बहन देवकी के गर्भ से जन्म लूंगा तब सभी देवता व्रज

(00:59) हुए दातार और यशोदा तथा गोपियों के रूप में अवतरित हुए कुछ समय बाद मंदिरों के राजा उग्रसेन का पुत्र जो बहुत अत्याचारी स्वभाव का था उसने उग्रसेन को कार्यक्रम में डाल दिया और मथुरा नगरी में राज करने लगा टिप्पणियों प्रकाश जी महाराज को कारागृह में बंदी बना दो और शेष मथुरा नगरी पर मेरा राज होगा हुआ था दीजिए पिताजी कल सु देखना एक दिन एक दिन तेरे पाप का घड़ा जरूर भरेगा जरूर भरे गांव वहीं दूसरी ओर कुर्सी उनके छोटे भाई दीपक की पुत्री देव की शादी की तैयारियां चल रही थी पर रॉ ख्याल मैं अपनी बहन देवकी से बहुत ही स्नेह करता हूं इस लिए मैं मैं

(02:02) अपने रथ पर आपको लेकर चलूंगा का यूज बिल्कुल और वासुदेव को छोड़ने चलता है तभी रास्ते में तेज गर्जना के साथ भविष्यवाणी हुई एग्जाम्स जिस देवकी सुत बहुत इसने से अपने साथ लेकर जा रहा है इस के गर्भ से जन्मा आठवां पुत्र तेरा काल बनकर तेरा वध करें और खोल बनेगा नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता यदि ऐसा है तो मैं वासुदेव का ही वध कर देता हूं फिर तो मुझे कोई डर नहीं रहेगा नहीं भैया नहीं मैं बहुत तंग करती हूं मेरी आठवीं संतान पैदा होते ही मैं आपको दे दूंगी लेकिन आ इन का वध मत करो भैया मत करो मुझ पर दया करो तो ठीक है लेकिन अब से

(03:04) तुम दोनों मथुरा के कारण गृह में मेरे बंधन कराओगे सनसनी वासुदेव और थी कि दोनों को काल कोठरी में बंदी बना लिया समय बीतता गया जैसे ही देव के कोई भी पुत्र पैदा होता कम्स उसे ले जाता और मार देता ऐसे ही देव की को अब आठवीं संतान पैदा होने वाली थी रोशेल लोकप्रिय आठवीं संतान थे में होने का समय पास आ रहा है कारागार का पहरा और कड़ा कर दिया जाए जुआ आज्ञा महाराज उधर वासुदेव के मित्र नंद की पत्नी यशोदा को भी संतान होने वाली थी जिस समय नंद और यशोदा के घर एक कन्या ने जन्म लिया उसी समय यानी भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी के रोहिणी

(04:00) नक्षत्र में श्रीकृष्ण ने देवकी और यशोदा के यहां जन्म लिया उनके जन्म लेते ही देव की बेहोश हो गई और तेज प्रकाश के साथ भगवान विष्णु वासुदेव के सामने प्रकट हुए यह वासुदेव कण्ह से संघार के लिए ही मैंने अवतार लिया है और तुम तत्काल मुझे नंद के यहां पहुंचा दूर और नंद के घर जन्मी कन्या को कंस को सॉन्ग देखते ही देखते सारा गृह के द्वार [संगीत] अपनी गए सभी पहरेदार हां सो गए और वासुदेव की हथकड़ियां भी खुल गई वासुदेव ने कृष्ण को एक टोकरी में रखा और गोकुल की ओर चल दिए तेज बारिश और तूफान के बीच नन्हे कृष्ण फूल लिए वासुदेव चले

(04:53) जा रहे थे भगवान श्रीकृष्ण के चरणों को स्पर्श करने की चाहत से यमुना नदी के ऊपर की ओर बढ़ने लगी प्रभुओं का प्रभु यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है अब मैं क्या करूं भी भगवान श्रीकृष्ण ने अपना पैर टोकरी से लटका दिया यमुना जी भगवान के चरण छूने के बाद घटने लगी अब वासुदेव के घर पहुंच जाते हैं नित्यानंद ने अपने इस पहलू को तुम्हें सौंप रहा हूं यह बालक हाल है और यही बड़ा होकर मथुरा वासी मैं आपको कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाएगा का य य माया रूपी नंद की कन्या को लेकर चल दिए उन के लौटते ही शुक्र ग्रह के द्वार बंद

(05:50) हो जाते हैं वासुदेव के हाथों में हथकड़ियां पड़ जाती है और सिपाही नींद से जाग जाते हैं अरे यह तो बच्चे की रोने की आवाज है महाराज कंस को सूचना देता हूं अरे यह क्या यह तो पुत्री की जगह पुत्री है महाराज की जय हो महाराज की जय हो महाराज युधिष्ठिर ने पुत्र की जगह पुत्री को जन्म दिया है क्या ऐसा कैसे हो सकता है उत्तर की जगह पुत्री विधि का विधान कैसे बदल गया कि ऋतिक छोड़ दो तरह यह तो पुत्री है आपका गाल तू मेरे पुत्र था इसे छोड़ दो परंतु कंस ने देवकी की एक न सुनी और उस कन्या को बंद करने ले गया तभी वह उसके हाथ से छूटकर

(06:42) देवी का स्वरूप धारण कर लेती है कि मुझे कोई लाभ नहीं मिलेगा तुझे मारने वाला जन्म ले चुका हैऔर गोकुल पहुंच गया है यह कह कर वे अंतर्धान हो गई कि दृश्य देखकर गुस्से से छटपटाने लगा और उससे मैं अपने महल में आ गया कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए अनेक देते भेजें श्री कृष्ण ने अपनी अलौकिक माया से सारे व्यक्तियों को मार डाला अंत में भगवान श्री कृष्ण ने बकासुर पूतना तथा कर्ज जैसे राक्षसों का वध कर पृथ्वी की रक्षा करें बड़े होने पर कृष्ण ने कंस को

(10:40) मारकर उग्रसेन को राजगद्दी पर बिठाया उस दिन से श्री कृष्ण के जन्म महोत्सव को सारे देश में बड़े हर्षोल्लास से जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में इस त्योहार की क्विट तुम रहती है और इसी के साथ पूरे ब्रज क्षेत्र में जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है कर दो


 जय श्री कृष्ण


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