Janmashtami Ki Kahani - Shri Krishan Ke Janam Ki Katha - Krishan Janmashtami Story -

 Janmashtami Ki Kahani - Shri Krishan Ke Janam Ki Katha - Krishan Janmashtami Story  - 



नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको बताने जा रही हूं की भगवान श्रीकृष्ण का नाम लड्डू गोपाल कैसे पड़ा वैसे तो दोस्तों भगवान श्रीकृष्ण के बहुत सारे नाम हैं लेकिन लड्डू गोपाल नाम से जुड़ी कहानी आज मैं आपको सुनती हूं बहुत समय पहले ब्रजभूमि में भगवान श्रीकृष्ण के बहुत ही परम भक्ति हुआ करते थे जिनका नाम कुंभन दास जी था उनके पास भगवान श्रीकृष्ण की एक बांसुरी बजती हुई प्रतिमा थी जिनकी वह दिन-रात सेवा किया करते और उसे मूर्ति को छोड़कर कहानी नहीं जाते थे क्योंकि उनका मानना था की अगर वह कहानी चले गए तो ठाकुर जी की सेवा ठीक से नहीं हो पाएगी

(01:00) एक दिन उन्हें भागवत पढ़ने का न्योता आया वे जाना तो नहीं चाहते थे परंतु लोगों के बहुत आग्रह करने पर उन्हें जाना ही पड़ा चार-पांच दोनों तक उन्हें सुबह से शाम भागवत करने जाना था तो जान से पहले उन्होंने अपने बेटे जिसका नाम रघुनंदन था उससे कहा की मैंने भूख बना दिया है तुम ठाकुर जी को भोग लगा देना यह कहकर वह चले गए जब भूख लगाने के लिए रघुनंदन ने भजन की थाली श्री कृष्णा की प्रतिमा के सामने राखी और भजन करने का आग्रह किया तो उसने देखा की भजन तो वैसे का वैसा ही रखा था वह तो रन लगा उसे डर था की भगवान को भजन एन करने पर पिताजी उसे डटेंगे उसने श्री

(01:58) कृष्णा से कहा की आप भजन करने क्यों नहीं ए रहे पिताजी मुझे नाराज हो जाएंगे बालक अबोध था वह नहीं जानता था की पिताजी ईश्वर को भूख कैसे लगाते हैं वह ज़िद पकड़ कर बैठ गया की जब तक आप भजन नहीं करेंगे तब तक मैं भी बिल्कुल भूख ही रहूंगा परंतु भगवान नहीं आए भूख से रघुनंदन व्याकुल हो गया और रोटी हुए भगवान से भजन करने का आग्रह करने लगा उसने कहा मुझे बहुत ही भूख लगी है आप भजन करने आई तभी मैं भजन कर सकता हूं बच्चे का भोलापन और प्रेम देखकर श्री कृष्णा बाल रूप में प्रकट हो गए यह देख रघुनंदन प्रश्न हो गया पुत्र ने बताया की ठाकुर जी ने तो सर भजन

(03:03) का लिया तब कुंदन दास जी ने सोचा की बच्चे को बहुत भूख लगी होगी इसलिए उसने खुद ही सर भजन का लिया अब तो जैसे यह रोज का नियम सा बन गया कुंबनदास जी भजन की थाली लगाकर जाते और रघुनंदन ठाकुर जी को भोग लगाते जब भी कुंदन दास जी प्रसाद मांगते तो एक ही जवाब मिलता की सर भजन तो ठाकुर जी ने का लिया कुंदन दास जी ने सोचा की बेटे का झूठ पकड़ना ही होगा और उन्होंने उसे दिन लड्डू बनाकर थाली में सजा दिए और छुपकर देखने लगे रघुनंदन ने रूस की तरह ठाकुर जी को पुकार ठाकुर जी बाल रूप धरण करके लड्डू खाने के लिए प्रकट हो गए [संगीत] और प्रभु के चरणों में गिर गए उसे समय

(03:58) ठाकुर जी के हमें लड्डू था और दूसरा लड्डू उनके मुख में जान ही वाला था लेकिन कुंदन दास जी के आने पर उन्होंने एक प्रतिमा का रूप ले लिया और जड़ हो गए बोले की है ईश्वर मैं हमेशा आपकी भक्ति करता रहा परंतु आपने कभी मुझे दर्शन नहीं दिए पर ये बालक जो भक्ति के बड़े में कुछ भी नहीं जानता आपने उसे दर्शन दे दिए ये आपकी कैसी लीला है प्रभु तब आकाशवाणी हुई की बालक का मां सच्चा है उसका मां निर्मल है इसके मां में किसी के लिए कोई भी चल कपाट नहीं है इसलिए मुझे आना पड़ा जो भी मुझे सच्चे मां से याद करता है मैं सदैव उसके साथ राहत हूं लड्डू हाथ में लिए हुए

(04:53) जी रूप में श्री कृष्णा ने प्रतिमा का रूप ले लिया था इस रूप को लड्डू गोपाल कहा जान लगा इसी रूप में उनकी पूजा होने लगी तो दोस्तों कैसा लगा हमारा वीडियो यह हमें कमेंट करके जरूर बताएं और इसी तरीके की रोचक जानकारी के लिए हमारे चैनल को जरूर सब्सक्राइब


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