राधा कृष्ण और कंजूस औरत | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Moral Stories | Kahaniya

 राधा कृष्ण और कंजूस औरत | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Moral Stories | Kahaniya 



 हरिपुर गांव में चंदू नाम का एक दूध वाला अपनी पत्नी शांति और बेटी सुनैना के साथ राहत था और सुनैना यह दूध का भारत गिलास किस देने जा रही है मां वो एक बुद्धि है मैड दरवाजे पर खड़ी है उन्हें बहुत भूख लगी है मां हमारे पास तो बहुत सर दूध है मैंने सोचा थोड़ा सा दूध बड़ी आई गरीबों में फालतू का दूध बांटने वाली लाइट इधर ला इधर लाइए दूध का गिलास पता है कितना महंगा दूध पाव भर दूध ऐसे दे डन और ये सब छोड़ तू जाकर ये मक्खन गांव में बीच कर ए तो वह दूध बेचे गई तो मेरे पैरों में अभी तक दर्द हो रहा है और कभी कोई कहे की मक्खन के पैसे तेरे बापू को

(01:06) देंगे तो तू साफ बोल देना की यह हिसाब अलग है और तेरे बापू अभी 8-10 दिन बाद ही शहर से लौटेंगे तब तक इंतजार थोड़ी करेंगे ठीक है मां सुनाना मक्खन बेचे चली जाति है मक्खन ले लो मत कर ताजा ताजा मगन बेचे आई है सुबह दूध शांति दे गई थी तेरे बापू घर पर नहीं है क्या हां कई बापू कुछ दोनों के लिए शहर गए हैं मां सुबह दूध बेचे आई थी पर उनके पैरों में दर्द था इसलिए अब मैं मक्खन बेचे निकली हूं अच्छा अच्छा लाइक किलो मक्खन करते और फिर इसी तरह सुनैना गांव में मक्खन बेचकर घर नोटी उसके पास बहुत सारे पैसे थे यह देखकर शांति खुश हो गई अरे वह सुबह दूध

(01:53) की भी अच्छी कमाई हो गई और अब साथ ही साथ मक्खन भी बहुत अच्छे डेमन में बाईक गया मां जब तक बापू ने ये आते तब तक मैं मक्खन बेचूंगी इससे तुम्हें आराम मिलेगा ठीक है पर मक्खन अच्छे डेमन में बेचना ताकि हमारी अच्छी कमाई हो अब सुनैना रोज मक्खन बेचे जान लगी एक दिन सुनैना मक्खन बेचे जा रही थी रास्ते में राधा कृष्णा मंदिर पड़ा सुनाना कुछ डर आराम करने मंदिर की सीडीओ पर बैठ गई तब भी उसे मंदिर में पंडित जी द्वारा कहीं जा रही भगवान कृष्णा के बाल कल की कथा की आवाज आई यशोदा मैया भगवान कृष्णा के लिए रोजाना माखन निकाल कर रख दी पर कृष्णा को माखन इतना प्रिया था की वह

(02:34) अपने मित्रों के साथ गांव की गोपियों का भी माखन चूड़ा कर का जाते थे गांव में जी घर भी माखन बंता था कृष्णा अपने साड़ी शाखों के साथ झट से पहुंच जाते और ताजा ताजा मटकी का माखन का लेते थे कृष्णा को माखन बहुत प्रिया है पंडित जी क्या भगवान कृष्णा को आज भी माखन कब भोग लगा सकते हैं हां बेटी क्यों नहीं भगवान कृष्णा तो प्रेम के भूखे हैं और माखन तो उन्हें बहुत पसंद है पर गांव के लोग केवल जन्माष्टमी पर ही भगवान कृष्णा को माखन खिलाने हैं और दोनों में कोई माखन नहीं लता पंडित जी चिंता मत कीजिए अब मैं रोजाना कृष्णा के लिए माखन लेकर आऊंगी यह

(03:20) लीजिए पंडित जी मेरे पास बहुत सर माखन है और इसमें से थोड़ा सा भगवान कृष्णा को मिला दीजिए तो थोड़ा माखन भगवान कृष्णा के लिए निकलते और उसके बाद बच्चा हुआ माखन बीच देती माखन के पैसे क्या बात है वह तो ग रहा है गे भैंस दूध पतला दे रही है इसी करण माखन कब निकलता है कुछ तो गड़बड़ है मुझे इसका पीछा करना होगा जरूर सुन ना मेरे से झूठ बोल रही है शांति सुन ना का पीछा करती है सुनैना मंदिर के आगे जैसे ही रुकती है शांति उसका हाथ पकड़ लेती है यह तो मंदिर में कहां जा रही है मैं तुझे माखन बेचे के लिए भेजती हूं या खेलने के लिए चल अब से मैं भी तेरे

(04:16) साथ माखन बेचे जय करूंगी अकेले तू इधर उधर खेलती रहती है अब क्या करूं मैं तो मेरे साथ है अब तो मैं मंदिर में राधा कृष्णा को माखन भी नहीं मिला शक्ति शांति ने सुनैना के साथ मक्खन बेचे जाना शुरू कर दिया इसलिए अब सुनैना मंदिर में राधा कृष्णा को मक्खन खिलौने नहीं जा पाती थी ऐसे ही कुछ दिन बीट गए एक दिन सुनाना बाबू के साथ बाजार गई हुई थी तभी पीछे से बहुत ही सुंदर सालों ने दो बच्चे शांति के पास आए मेरा नाम राधा है और इसका नाम कृष्णा है हम दोनों मंदिर में रहते हैं तो मैं क्या करूं यहां क्यों आए हो सुनैना हम दोनों को रोज माखन खिलौने मंडी आई है पर कुछ दोनों

(05:00) से वो नहीं ए रही थी इसलिए हम दोनों खुद ही ए गए हां मैंने तो बहुत दोनों से माखन खाया ही नहीं अच्छा तो तुमने सुनैना को माखन के पैसे दिए थे नहीं हमने माखन के पैसे नहीं दिए अच्छा तब भी मैं कहूं माखन के पैसे इतने कम क्यों बन रहे हैं मुफ्त कंकर नहीं है हमारे पास अगर तुम्हारे पास पैसे हैं तभी माखन मिलेगा और हां इतने दोनों से तुमने जो माखन खाया है ना उसके भी पैसे मैं वसूल करके रहूंगी लो पैसे दो हमारे पास पैसे नहीं है यह हमारे पास सोनी के कड़े हैं आप यह रख लो ये तो सोनी पर सुहाग वाली बात हो गई हां हां मैं तुम्हें अभी माखन देती हूं शांति

(05:51) की खुशी का ठिकाना नहीं था थोड़े से माखन के बदले उसे चमकते हुए वजनदार सोनी के कड़े मिल गए थे कुछ डर बाद चंदू और सुनैना वापस लौटते हैं शांति उन्हें सोनी के कड़े दिखाई है वो कड़ी देख कर सुनैना चौक जाति है मां यह तो राधा कृष्णा के हाथों के कड़े हैं मंदिर में उनकी जो मूर्ति है उसमें राधा कृष्णा ने यह कड़े पहने हुए हैं तुमने यह क्या कर दिया मां राधा कृष्णा खुद माखन खाने आए थे और तुमने उनसे यह कड़े ले लिए भगवान तो प्रेम के भूखे हैं तुमने माखन भगवान को बीच दिया इतनी कंजूसी और इतना लालच अच्छी बात नहीं शांति तुमने भगवान से

(06:32) भी कंजूसी करने नहीं छोड़ी राधा कृष्णा बच्चों के रूप में तुम्हारे पास आए थे वो थोड़ा सा मक्खन ही तो मांग रहे थे बहुत गलत किया तुमने शांति बहुत गलत वह तो भगवान थे किसी साधारण बच्चे के साथ भी तुम्हें ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए बच्चे भी भगवान का रूप होते हैं मैंने यह क्या कर दिया मैंने राधा कृष्णा को माखन बीच दिया जबकि मैं जानती थी इस सोनी की कड़ी के दम ज्यादा है मैंने उन्हें साधारण बच्चे समझ कर ल लिया है भगवान मुझे क्षमा कर दो मुझे पाप हो गया सुनैना चल बेटी मंदिर ले चल मैं राधा कृष्णा से क्षमा मांग कर उनके हाथों में खुद ही कड़े

(07:13) पहनूंगी शांति चंदू और सुनैना के साथ राधा कृष्णा मंदिर में जाति है वो देखते है राधा कृष्णा के हाथ खाली है उनके हाथों में कड़े नहीं है उसकी आंखों से आंसू झलकने लगता हैं वो रोटी रोटी राधा कृष्णा के हाथों में कड़े पहनती है मेरी भूल क्षमा कर दो भगवान मुझे गलती हो गई मुझे दर्शन दो आई राधा-कृष्ण मुझे दर्शन दो शांति के प्रार्थना पर राधा कृष्णा से दर्शन देते शांति चंदू और सुनैना तीनों राधा कृष्णा के सामने शीश झुका कर खड़े थे राधा कृष्णा उन्हें आशीर्वाद देकर ध्यान हो जाते हैं उसे दिन से शांति ने कंजूसी करना छोड़ दिया शांति अपनी बेटी सुनैना के

(07:53) साथ रोजाना माखन का पहले भोग राधा कृष्णा को ही लगती थी उसके पश्चात ही वो माखन बेचा करती थी शांति ने गरीब और मजबूर लोगों की भी सहायता करनी शुरू कर दी थी और अब वो दान पुण्य किया करती थी आज से लगभग हजारों वर्ष पहले की बात है जब भारत में राजाओं का शासन हुआ करता था ऐसा माना जाता है की राजस्थान की जयपुर का गोविंद देव मंदिर इस समय का बना हुआ है गोविंद देव मंदिर में शुरू से ही पुजारी पूरे दिन भक्ति भाव से भगवान गोविंद देव जी की पूजा अर्चना किया करते फिर शाम के समय आरती करते और रात को सायन के लिए जाते समय मंदिर का पट बैंड करने से पहले भगवान

(08:44) के पास कर लड्डू रख देते थे जय गोविंद पुजारी जी अच्छा एक बात बताइए आप गोविंद देव के सामने रात के समय रोजाना यह कर लड्डू रखकर ही मंदिर के पट बैंड करते हैं ऐसा क्यों मतलब इसका क्या करण है कर लड्डू रखना के पीछे का करण यह है की अगर रात के वक्त भगवान गोविंद जी को भूख ग जाए तो वह यह कर लड्डू खाकर अपनी भूख मित सके मेरे मां के भाव भी कुछ ऐसे हैं की ऐसा करने से मुझे अलग ही तृप्ति का अनुभव होता है भगवान तो भक्ति के भाव को देखते [संगीत] और प्रेम रस में डब जाते हैं ऐसा कम रोजाना ही चला था रोजाना ही पुजारी गोविंद देव की मूर्ति के समक्ष आरती के बाद कर

(09:33) लड्डू रखकर मंदिर के पट बैंड करते थे पर एक दिन पुजारी जी ने शाम को भगवान गोविंद देव जी की आरती की परंतु रात में जब वह शयन करने जान लगे तो वो लड्डू रखना भूल गए गोविंद देव लड्डू खाने स्वयं मूर्ति से प्रकट हुए आज थाली में लड्डू नहीं है मुझे तो बहुत जोरो की भूख लगी है यहां तो लड्डू है ही नहीं लगता है पुजारी जी आज लड्डू रखना भूल गए कोई बात नहीं पुजारी जी रोजाना तो राखी देते हैं इसमें अपना लड्डू स्वयं ही ले आता हूं इसकी पश्चात प्रभु श्री कृष्णा ने इस समय बड़ी-बड़ी आंखें और घुंघराले बाल वाले एक छोटे से बालक का रूप धरण कर लिया और मंदिर

(10:21) के पास से स्थित हवाई की दुकान पर पहुंच गए वहां पहुंचकर उन्होंने हवाई से कहा बाबा मुझे भूख लगी है मुझे लड्डू चाहिए तुम इतनी रात को लड्डू लेने यहां कैसे आए भूख लगी थी इसी करण मैं तुम्हारे पास लड्डू लेने ए गया [संगीत] [संगीत] तुम इसके बदले में मुझे लड्डू दे सकते हो तुम यह कथा रख लो और मुझे लड्डू दे दो सोनी का कड़ा देखते ही हवाई के मां में लालच ए गया इसके बदले मैं तुम्हें मैं कर लड्डू अभी दिए देता हूं

(11:24) हवाई ने झट से कड़ा अपने हाथ में लिया और भगवान रूपी बालक को कर लड्डू देती है उसके बाद गोविंद देव जी ने लड्डू खाए और अपने मंदिर लोट कर वापस मूर्ति में सम गए अगले दिन सुबह पुजारी जी मंदिर पहुंचे और उन्होंने मंदिर का पट खोल और फिर जब भगवान का श्रृंगार करने से पहले उन्हें स्नान कर रहे थे तभी उन्होंने देखा की भगवान गोविंद देव जी के एक हाथ का सोनी का कड़क आया था यह देखकर पुजारी जी डर गए कल रात को मैंने देखा था दोनों हाथों में सोनी के कड़े थे मंदिर में कौन आया जिसने सोनी का कड़ा ले लिया मुझे महाराष्ट्र की ये खबर पहुंचाई

(12:11) होगी अब तक यह बात मंदिर में सबको पता चल चुकी थी पुजारी जी ने मंदिर के सेवक के द्वारा उसे राज्य के राजा तक ये खबर भिजवाए की गोविंद देव जी के एक हाथ का कड़ा गायब हो गया है और फिर क्या था ये खबर आज की तरफ पूरे राज्य में फेल गई और जब इसका पता उसे हवाई को चला तो वो डर के मारे कांपने लगा लाल दो समोसे देना सोनी के कड़े की बात नगर में फेल जी के मंदिर से गोविंद देव जी के हाथों में जो सोनी के कड़े है ना उसमें से एक हाथ का कड़ा गायब है भाई [संगीत] जो कल रात वह बालक मेरे पास लेकर आया था मुझे तुरंत ही यह बात राजा को बतानी होगी

(12:56) नहीं तो सब मुझे ही जोर समझेंगे पुजारी जी से पूछिए क्या यह वही खड़ा है जी महाराज यह गोविंद देव जी का ही खड़ा है लाल तुम्हारे पास यह कड़ा कैसे आया महाराज कल रात में जब अपनी दुकान बढ़कर घर जान लगा तो इस समय मेरे पास एक बालक लड्डू लेने आया था और इस ने मुझे यह कड़ा दिया था और जिसके बदले मैंने उसे कर लड्डू भी दिए है गोविंद कल रात में आपके लिए थाली में लड्डू रखना भूल गया था पुजारी जी आपके सोच में पद गए कौन था वह बालक महाराज वो बालक कोई और नहीं स्वयं गोविंद देव जी थे है गोविंद है कृष्णा मुरारी मुझे क्षमा कर दो मैं आपके लिए थाली में लड्डू नहीं रख पाया

(13:56) आपकी लीला अपरंपार है मैं आगे से ऐसी भूल कभी नहीं करूंगा [संगीत] [संगीत]


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