नटखट कन्हैया - पार्ट 1 | Janmashtami Story | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Hindi Stories | Bhakti -

  नटखट कन्हैया - पार्ट 1 | Janmashtami Story | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Hindi Stories | Bhakti 


पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्णा बचपन से ही बड़े नटखट थे उनकी बाल लियाओ के हमेशा ही गुणगान होते हैं तो आई जानते हैं उनकी ऐसी ही कुछ बाल लियाओ के बड़े में एक बार की बात है जब कान्हा छोटे थे तो एक राक्षसी पटना जिसे कंस ने भेजो था कृष्णा को करने के लिए सुंदर सी महिला का विश धरण कर गोकुल में आई और यशोदा से खाने लगी मैं देवलोक की वासी हूं मुझे एक वरदान प्राप्त है जो भी शिशु मेरा स्तनपान करेगा वह अमर और शक्तिशाली हो जाएगा इसीलिए मैं आपके पुत्र को अपना स्तनपान करवाने आई हूं भीतर आई [संगीत]

(01:10) जी भर के दूध पी मेरे लाल क्योंकि इसके बाद तुम्हें कभी भूख नहीं लगेगी [संगीत] ये मेरा छोड़ो हा ये तुम क्या कर रहे हो विश्व भारत दूध पीला रही प्रभु को बालक जान दूध पान में पी लिए प्रभु ने उसके पर एन छोड़ो छोड़ो मुझे कुछ पाल में वह एक भयंकर राक्षसी बन गई और दर्द के मारे जोर-जोर से चिल्लाने लगी लेकिन बालकृष्ण ने उन्हें तब तक नहीं छोड़ जब तक उसकी मृत्यु नहीं हो गई मेरे लाल ठीक है ना तू मेरा लाला को माखन इतना पसंद था की वह अपने दोस्तों के साथ लोगों के घरों में जाकर माखन चूड़ा

(02:13) कर खाता वह रहा माखन चलो दोस्तों टूट पड़ो और उनके दोस्त गोकुल के हर घर से माखन चुराया करते थे अब हम उसे मटकी तक कैसे पहुंचेंगे हम गुलेल से मटकी फोड़ सकते हैं और सर माखन नीचे ए जाएगा अरे बेवकूफ वो माखन है दूध नहीं जो छेद से नीचे ए जाएगा कान्हा अब तुम ही कोई उपाय बताओ फिर कान्हा को एक तरकीब सूजी और उन्होंने सब ग्वालो की टोली बनाकर एक के ऊपर एक चढ़ना को कहा और आखिर में उन सब के ऊपर चढ़कर कान्हा ने मटकी नीचे उतारे तभी यमुना का की वहां ए गई और वो सब वहां से भाग गए यमुना का की कान्हा की शिकायत लेकर यशोदा के पास गई यशोदा आज

(03:04) तुम्हारा कान्हा फिर मेरा माखन चूड़ा कर का गया लेकिन मैं कहानी देती हूं उसे डांटना मत हां इसी तरह और भी औरतें कान्हा क्यों लाना लेकर आई जिससे यशोदा मैया गुस्से में ए गई कुछ डर बाद कान्हा घर आते हैं बहुत भूख लगी है थोड़ा माखन दोनों खाने को नहीं बिल्कुल नहीं मिलेगा माखन पहले तूने जो लोगों के घरों से माखन चूड़ा कर खाया है उसके लिए क्षमा मांग तभी तुझे माखन मिलेगा माखन दो नहीं तो साड़ी मटकी फोड़ दूंगा अच्छा मैं भी तो देखूं कैसे मटकी फोड़ता है कान्हा ने लाठी से पाल भर में ही साड़ी मटकी फोड़ दी यह देख यशोदा मैया बड़ी गुस्सा हुई यशोदा मैया उसे पड़कर बाहर ले

(03:49) गई और रस्सी से बांधने लगी आज सर दिन इस एक ओखा से बांधकर रखूंगी तुझे फिर देखते हूं तू कैसे माखन चुराता है मैं तो पहले से ही तेरी ममता के बंधन में बांध हुआ हूं लेकिन यशोदा जब नन्हे कान्हा को रस्सी से बांधती तो हर बार वो दो अंगूर छोटी ही र जाति उसने कई बार कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हुई वो बड़ी रेसिपी लाई लेकिन वह भी छोटी ही र जाति इतना बड़ा पेट है रे तेरा [संगीत] पेड़ों के बीच फसाया और जोर से रस्सी को खींच जिससे दोनों वृक्ष नीचे गिर गए और वो दोनों ही वृक्ष जो अपने पिछले कर्मों की सजा भोग रहे थे उससे आजाद हो गए लेकिन जब

(04:46) यशोदा वापस लोटी तो उसने देखा कान्हा के बगल में दो बड़े-बड़े वृक्ष गियर हुए थे जिन पर बैठकर कान्हा मुस्कुरा रहे थे है दैया मेरे लाल ठीक तो है ना तू मैं इसको ओपन से बांधकर गई थी जी लेकिन पता नहीं कैसे यह बड़े वृक्ष आकर गिर गए मेरे लाल तो ठीक तो है ना मैया मैं बिल्कुल ठीक हूं आप चिंता मत करो गाना बचपन में केवल माखन मिश्री ही नहीं बल्कि माटी भी खाता थे एक बार यशोदा मैया से किसी ने शिकायत की हम सब खेल रहे थे तब इसने मिट्टी खाई है हां भैया इसने मिट्टी खाई है मैया देखो तो इसके मुंह में नहीं मैया मैं क्यों मिट्टी खाऊंगा मिट्टी

(05:31) तो गांधी होती है ना यह सब झूठ बोल रहे हैं मुंह खोल मुंह खोल लाला जैसे ही कान्हा ने अपना मुख खोल मैया यशोदा को पूरे ब्रह्मांड के दर्शन हो गए कान्हा के छोटे से मुख में अंतरिक्ष दिशाएं द्वीप पर्वत समुद्र समेत पूरा ब्रह्मांड नजर ए रहा था कान्हा के मुख में ऐसा दृश्य देख मैया यशोदा चकित होकर वहीं गिर पड़ी लगता है मैया मेरे तत्व और अलौकिक शक्तियों से अवगत हो गई है तब श्री कृष्णा ने तुरंत अपनी शक्ति रूप माया विस्तृत करती जिससे क्षणभर में मैया यशोदा सब कुछ भूल गई और अगले दिन कान्हा अपने दोस्तों के साथ नदी के पास पेड़ों पर चढ़कर बैठे हुए थे तभी

(06:13) कुछ गावरान पानी भरने नदी पर आई है यह देखो यह नया घड़ा कल पास के गांव में मिले में गई थी वहीं से लाई हूं [संगीत] नहीं तो बात हो बटन में यही शाम हो जाएगी अच्छा नया गड़ा अब देखो मेरी गुलेल का कमल सभी सर पर घड़ा उठा जान लगी तभी कान्हा ने अपनी गुलेल के पहले ही निशानी से चांदनी का पानी से भारत घड़ा फोड़ दिया हर दहिया घड़ा तोड़ दिया कान्हा के बच्चे रुक तो अभी लेकिन नटखट कान्हा अपने मित्रों के साथ वहां से भाग जाते हैं ऐसे ही उनकी कई नटखट शरारतों के बड़े में हम जानेंगे नटखट कन्हैया पार्ट तू में 


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खाटू श्याम बाबा का प्रसिद्ध मंदिर

(07:05) राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है खाटू श्याम जी को भगवान श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है [संगीत] [संगीत] और विशेष रूप से होली से कुछ दिन पहले सीकर जिले में खाटू श्याम जी का विशाल मेला आयोजित होता है बर्बरी भीम का पौत्र और घटोत्कच का पुत्र था बर्बरीक बचपन से ही बहुत वीडियो था बर्बरीक ने अपनी मां से युद्ध कल सखी थी बर्बरी देवी शक्ति का बहुत बड़ा भक्ति था इंसान बर्बरीक में देवी शक्ति कठोर तपस्या की बर्बादी तपस्या को देखकर देवी शक्ति वहां प्रकट हुई

(08:15) मैं तुम्हारी तपस्या से अति प्रश्न हूं बोलो क्या वरदान चाहिए आपने मुझे दर्शन देकर कृतार्थ कर दिया अब तो बस एक ही अभिलाषा है की आपका आशीर्वाद सदैव मुझमें पर बना रहे और मैं अपना संपूर्ण जीवन दिन दुखियों की सहायता में व्यतीत कर सुकून तुम सदा दुर्बलों का सहारा बनोगे मैं तुम्हें ऐसी शक्ति प्रधान करूंगी जो तीनों लोकन में किसी के पास भी नहीं है तुम्हें इन शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करना भगवती शक्ति ने बर्बरी को तीन दिव्या बाद वरदान स्वरूप दिए वह बाढ़ अपने निर्वापस लोटा देते इसी वजह से बर्बरी एक हो गया बर्बरी अपने माता के पास

(08:57) पहुंच और देवी शक्ति के दिए वरदानों के बड़े में बताया मैं अभी गौरव और पांडव के युद्ध में जाना चाहता हूं मेरी युद्ध में जान की बहुत इच्छा है तुम एक महान योद्धा हो इसलिए मैं तुम्हें रोकूंगी नहीं पर मुझे वचन दो की तुम्हारे का सहारा बनोगे तुम युद्ध में हारने वाले की तरफ से लड़ोगे मैं आपको वचन देता हूं मैं हारने वाले की और से ही युद्ध करूंगा तीन बार लेकर रावण हो गया भगवान कृष्णा तो अंतर्यामी है वह यह सब लीला होते देख रहे थे भगवान कृष्णा जानते थे की बर्बादी सी की तरफ से लड़ेगा और वह यह भी जानते थे की कोरबो को भी बर्बरी के इस वचन के बड़े में

(09:39) पता है बर्बरीक कौरवों का सहयोग कर पांडवों का विनाश कर देगा इस प्रकार जब वह कौरवों की तरफ से लड़ेगा तो पांडवों की लाड रही सी कमजोर हो जाएगी उसके बाद वो पांडव ऑन की सी में चला जाएगा [संगीत] तो कोई भी सी नहीं जीत पाएगी और अंत में गौरव पांडव दोनों का विनाश हो जाएगा और केवल बर्बरी शेष र जाएगा इसलिए रास्ते में ही श्री कृष्णा बर्बरीक को रोकने का अब एक ही उपाय है मुझे बर्बरीक से उसके शीश का दान मांगना होगा है महावीर योद्धा तुम कौन हो ये कुरुक्षेत्र की रणभूमि है तुम गौरव और पांडवों के युद्ध में क्या कर रहे हो है ब्राह्मण देव मैं घटोत्कच का पुत्र

(10:29) बर्बरीक हूं मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए मैं महाभारत के युद्ध में सम्मिलित होने आया हूं ऐसा कैसे हो सकता है तुम मंत्र तीन बार से युद्ध में सम्मिलित होने जा रहे हो ब्राह्मण देव यह बाढ़ कोई साधारण बाढ़ नहीं है इनमें से मंत्र एक बार भी शत्रु सिंह को परस्त करने के लिए पर्याप्त है और ऐसा करने के बाद बाद वापस सर्कस में ही लोट आएगा अच्छा तो फिर इस पीपल के पेड़ के सभी पत्रों को छेद कर दिखाओ बस इतनी सी बात ब्राह्मण रुपीस श्री कृष्णा की चुनौती स्वीकार कर ली और ईश्वर को स्मरण कर पेड़ के पत्तों की बाढ़ चलाएं पत्तों को भेज दिया और श्रीकृष्ण पैरों के

(11:13) इर्द-गिर्द चक्कर लगाने लगा क्योंकि एक पत्ता उन्होंने अपने पर के नीचे छुपा लिया था अपना पर यहां से हटा लीजिए वरना ये तीर आपके पर को भेज देगा ये तीर बिना लक्ष्य पूरा किया वापस सर्कस में नहीं लौटते बर्बरी के तीर अचूक हैं लेकिन अपने निशाने के बड़े में खुद बर्बरी को भी पता नहीं राहत है असली रणभूमि में अगर मैं सभी पांडव भाइयों को अलग-अलग कहानी छिपा भी दूंगा ताकि वो बर्बरी का शिकार होने से बैक जाए तब भी बर्बरी के तीरों से कोई नहीं बैक पाएगा इन चक तीरों से कोई नहीं बैक सकता है वीर योद्धा मैं तुम्हारे साहस की सराहन करता हूं मैं तुमसे डांस स्वरूप

(11:49) कुछ मांगना चाहता हूं ब्रह्मांड महाराज यदि मेरे वाश में होगा तो मैं आपकी इच्छा स्वरूप दान के अभिलाषा जरूर पूर्ण करूंगा मैं वचन देता हूं आप मुझे गंद में जो भी मांगेंगे मैं आपको माना नहीं करूंगा मुझे तुम्हारा शिष्टां चाहिए क्या तुम ऐसा कर सकते हो आप कौन है मुझे अपना परिचय दीजिए आप मुझे ब्राह्मण नहीं दिखाई देते कृपया करके मुझे अपने वास्तविक रूप से अवगत कीजिए बर्बरी की प्रार्थना करने पर भगवान कृष्णा अपने रूप में ए जाते हैं बर्बरीक उन्हें प्रणाम करता है आप स्वयं मेरे शिष्टां के अभिलाषा ही दुआएं हैं बर्बरी युद्ध भूमि की पूजा के

(12:27) लिए एक वीर वर्ग क्षत्रिय के शीश के दान की आवश्यकता होती है और तुम महावीर महा योद्धा हो अतः मैं तुमसे शीश दान मांगता हूं है वासुदेव कृष्णा मैं आपको शीश दान अवश्य दूंगा पर मेरी दो इच्छाएं हैं पहले यह की मेरी डे को आप स्वयं अग्नि देंगे और दूसरी इच्छा यह की मैं अंत तक इस युद्ध को देखना चाहता हूं ऐसा ही होगा वीर शिरदानी बर्बरीक कलयुग में लोग तुम्हें हरे का सहारा बोलेंगे तुम्हें शाम नाम से पुकारेंगे मेरे नाम से ही तुम्हारी कलयुग में पूजा की जाएगी कलयुग में खाटू श्याम नाम से तुम्हारी पूजा होगी उनकी मृत्यु पृथ्वी लोक पर भगवान कृष्णा

(13:11) के हाथों ही होगी तभी वह श्राप मुक्त हो सकता है बर्बरीक का सिर्फ युद्ध भूमि के समीप ही एक पहाड़ी पर सुशोभित किया गया जहां से बर्बरीक में संपूर्ण महाभारत का युद्ध देखें युद्ध की समाप्ति पर पांडवों में ही आपसी बहस होने लगी की युद्ध में विजय का श्री किसको जाता है इस पर श्री कृष्णा बोले तुम सबको आपस में विवाद में पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं है बर्बरीक का शीश संपूर्ण युद्ध का साक्षी है अतः उससे बेहतर निर्णायक भला कौन हो सकता है ठीक है वासुदेव फिर हम इस निर्णय को जन के लिए बर्बरी के पास ही चलते हैं पौत्र बर्बरीक तुमने तो युद्ध को बहुत ध्यान से देखा है

(13:50) क्या तुम बता सकते हो हम सब हीरो में से इस युद्ध को जितने का श्री किस जाता है श्री कृष्णा ने ही युद्ध में विजय प्राप्त करने में सबसे महान कार्य किया है उनकी शिक्षा उनकी उपस्थित उनकी युद्ध नीति निर्णायक थी मुझे तो युद्ध भूमि में सिर्फ वासुदेव कृष्णा का सुदर्शन चक्र घूमता हुआ दिखाई दे रहा था जो की शत्रु सी कैट रहा था इस धर्म युद्ध को जितने का संपूर्ण श्री भगवान श्रीकृष्ण को ही जाता है वीर बर्बरीक तुम धन्य हो तुमने बिल्कुल सही निष्कर्ष दिया इसकी पश्चात सभी पांडव बर्बरी के निर्णय की सराहन करते हैं और भगवान कृष्णा से क्षमा मांगते हैं क्योंकि

(14:29) वो जानते थे यदि स्वयं वासुदेव ना होते तो ये धर्म युद्ध जितना असंभव था धर्म की विजय स्वयं वासुदेव कृष्णा के करण ही हुई थी भगवान कृष्णा के आशीर्वाद से बर्बरी को कलयुग में श्याम नाम से पुकार जान लगा आज भी खाटू श्याम जी महाराज के निकॉन भक्ति रोजाना उनके दर्शन करने जाते हैं और उनसे मनवांछित फल की प्रताप करते हैं


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