महाशिवरात्रि सरल पूजा विधि mahashivratri saral puja vidhi#pradeepmishra #shivling


 

Mahashivratri : महाशिवरात्रि पर कैसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न? जानें शिव पूजा के 5 सही नियम, सबसे सरल विधि 

 

mahashivratri :  इस साल शिव जी की पूजा का सबसे उत्तम दिन महाशिवरात्रि को है. इस बार महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि समेत 5 शुभ संयोग भी बन रहे हैं. महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखते हैं और शुभ मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं. उस दिन आप सच्चे मन से शिव पूजा करके अपने मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको जानना होगा कि महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को कैसे प्रसन्न करें? महाशिवरात्रि पर शिव पूजा की विधि क्या है 

  • हिंदू धर्म में पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी और इसी दिन सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने शिवलिंग की पूजा की थी. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. हिंदू धर्म शास्त्रों में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है 

इस दिन शिव मंदिर में जाएं. पूजा में पान, होली, चंदन, सुपारी, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा,धूप, दीप, फल, फूल आदि भगवान शिव को अर्पित करें. इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाएं और चंदन अर्पित करें. इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें. रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करें. इसके बाद महाशिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करें. रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे प्रहर में दही, तीसरे प्रहर घी और चौथे प्रहर में शहद से अभिषेक करें. दिन में फलाहार करें और रात्रि में उपवास रखें. 

महाशिवरात्रि का महत्व 

महाशिवरात्रि का व्रत शिव भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन शिव भक्त महादेव की विशेष पूजा अर्चना कर उनका जलाभिषेक करते हैं. प्राचीन कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि शिव शक्ति के मिलन का त्योहार है. कहा जाता है कि इस रात में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है जिससे आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं. 

महाशिवरात्रि व्रत के नियमके नियम  

महाशिवरात्रि व्रत रखने और पूजा करने वाले भक्तों को नियमानुसार एक दिन पूर्व से ही तामसिक भोजन का त्याग कर देना चाहिए. शिव जी को बेलपत्र चढ़ाते समय ध्यान रखें कि बेलपत्र के तीनों पत्ते पूरे हों और कहीं से कटे-फटेहों. साथ ही बेलपत्र चढ़ाते समय इसका चिकना भाग शिवलिंग से स्पर्श करना चाहिए. भगवान शिव की पूजा में कदंब और केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 

भगवान शिव की पूजा में सिंदूर, हल्दी और मेहंदी आदि का प्रयोग वर्जित होता है. वहीं, भोलेनाथ की पूजा में शंख, नारियल, तुलसी के पत्ते और काले तिल आदि का प्रयोग करने की भी मनाही होती है. तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के मैल से मानी जाती है. शिव जी की पूजा में केतकी, केवड़ा, कनेर और कपास आदि के फूलों को भी अर्पित करना वर्जित माना गया है. 

 

महाशिवरात्रि पूजा के नियम 

1. महाशिवरात्रि के दिन व्रती को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रिया से निवृत होकर स्नान और ध्यान करना चाहिए. सूर्य को जल चढ़ाएं और उसके बाद महाशिवरात्रि व्रत और भगवान भोलेनाथ की पूजा का संकल्प करें. 

2. महाशिवरात्रि की पूजा के लिए अपने घर पर पारद के शिवलिंग की स्थापना करें या फिर किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करें. सबसे पहले शिवजी का गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें. 

3. उसके बाद भगवान महादेव को अक्षत्, फूल, बेलपत्र, शक्कर, शमी के पत्ते, धतूरा, भांग, मदार या आक के फूल, बेर, शहद, सफेद चंदन, भस्म आदि अर्पित करें. बेलपत्र का चिकना भाग शिवलिंग से स्पर्श कराएं. घी या तेल का दीपक जलाएं. 

4. भगवान शिव की पूजा के लिए उनके पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय का उच्चारण करें. शिव पंचाक्षर स्तोत्र, शिव चालीसा और महाशिवरात्रि व्रत कथा जरूर पढ़ें. उसके बाद शिव जी की विधि विधान से आरती करें. आरती के अंत में कर्पूरगौरं करुणावतारं मंत्र पढ़ें. 

 

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् 
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।। 

5. शिव पूजा में आपको हल्दी, सिंदूर, नारियल, केतकी के फूल आदि नहीं चढ़ाने हैं औरही तुलसी और शंख का उपयोग करना है. ये चीजें शिव पूजा में सर्वथा वर्जित मानी गई हैं. 

 

महाशिवरात्रि पूजा में ध्यान देने वाली बात 
महाशिवरात्रि की पूजा माता पार्वती की आराधना के बिना अधूरी है. महाशिवरात्रि पर शिव पूजा के साथ ही मां गौरी की भी पूजा करें. भगवान शिव की पूजा के बाद माता पार्वती को सिंदूर, लाल फूल, अक्षत्, हल्दी, रोली, फल, श्रृंगार की सामग्री, चुनरी आदि अर्पित करें. गणेश जी और नंदी को भी अक्षत्, हल्दी, चंदन, फूल, धूप, दीप, गंध, फल, मिठाई आदि चढ़ाएं. 

शिव पूजा के बाद भगवान भोलेनाथ को ध्यान करके अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें. उनसे इच्छापूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए आशीर्वाद लें. 

महाशिवरात्रि की पूजा विधि 

  • महाशिवरात्रि के दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि करके पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव शंकर के आगे व्रत का संकल्प लें 

  • संकल्प के दौरान उपवास की अवधि पूरा करने के लिए शिव जी का आशीर्वाद लें 

  • इसके अलावा आप व्रत किस तरह से रखेंगे यानी कि फलाहार या फिर निर्जला ये भी संकल्प लें 

  • फिर शुभ मुहूर्त में पूजा प्रारंभ करें।   

  • सबसे पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं 

  • साथ ही केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं और पूरी रात्रि का दीपक जलाएंइसके अलावा चंदन का तिलक लगाएं 

  • बेलपत्र, भांग, धतूरा भोलेनाथ का सबसे पसंदीदा चढ़ावा है 

  • इसलिए तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्रदक्षिणा चढ़ाएं 

  • सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर सबको प्रसाद बांटें 

Mahashivratri: महाशिवरात्र‍ि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्र‍ि का पर्व मनाया जाता है. इस दिन शिवभक्त व्रत रखकर महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. 

इस दिन शिव मंदिरों या शिवालयों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.आइए ज्योतिषाचार्य व्यास से जानते हैं महाशिवरात्रि के शुभ संयोग, राशि अनुसार पूजा, महाशिवरात्रि पूजा का महत्व, महाशिवरात्रि पूजन के नियम आदि, संपूर्ण जानकारी. 

महाशिवरात्रि क्यों है खास (Mahashivratri Significance) 

महाशिवरात्र‍ि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं. ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन में ही ब्रम्हा के रूद्र रूप में मध्यरात्र‍ि को  भगवान शंकर का अवतरण हुआ था. 

वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपना तीसरा नेत्र खोला था और ब्रम्हांड को इस नेत्र की ज्वाला से समाप्त किया था. 

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था. मान्यता यह भी है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था. 

ज्योतिषाचार्य डा. व्यास बताते हैं कि महाशिवरात्र‍ि के दिन शिवजी का विभिन्न पवित्र वस्तुओं से पूजन एवं अभिषेक किया जाता है और बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि  अर्पित किए जाते हैंभगवान शिव को भांग बेहद प्रिय है. लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं. दिनभर उपवास रखकर पूजन करने के बाद शाम के समय फलाहार किया जाता है. 

शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता हैकहा जाता है कि इस दिन भोले को खुश कर लिया तो आपके सारे काम सफल होते हैं और सुख समृद्धि आती हैभोले के भक्त शिवरात्रि के दिन कई तरह से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं. शिव को खुश करने के लिए शिवालयों में भक्तों का तांता लगा होता है, सभी बेलपत्र और जल चढ़ाकर शिव की महिमा गाते हैं. 

शिव पूजा में भूल से भीकरें ये गलती (Mahashivratri Puja Rules) 

हल्दी का टीका 

शिवरात्री पर भगत मंदिर में हल्दी के जरिए भगवान शिव को टीका लगाते हैं. वैसे भी लगभग हर धार्मिक कार्य में हल्दी का प्रयेाग किया जाता है लेकिन भगवान शिव को हल्दी अर्पित नहीं की जातीइसका कारण है कि कि ऐसा हल्दी एक स्त्री सौंदर्य प्रसाधन में प्रयोग की जाते वाली वस्त है और शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है. 

लाल रंग के फूल 

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि आपने देखा होगा कि शिवरात्रि पर मंदिरों के बाहर खूब फूल बिकते हैं पर क्या आप ध्यान दिया कि इन फूलों में लाल रंग के फूल नहीं होते. ज्यादातर गेंदा ही नजर आता है. ऐसा इसलिए कि शिवजी को लाल रंग के फूल नहीं चढ़ाते. कहते हैं कि सफेद रंग के फूल चढ़ाने से भगवान शिव को जल्दी प्रसन्न होते हैं. 

सिंदूर या कुमकुम 

महिलाएं सिंदूर या कुमकुम अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं. कहते हैं भगवान शिव विध्वंसक के रूप में जाने गए हैं इसलिए शिवलिंग पर सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिएइसकी बजाए आप चंदन का इसतेमाल कर सकते हैं. 

सिर्फ तांबे का लोटा 

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शिवजी पर इस बार जब आप जल चढ़ाने जाएं तो केवल तांबे या पीतल के लोटे का ही इस्तेमाल करें, स्टील या लोहे के लोटे का नहीं. 

शंख बजाना शुभ 

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू धर्म में शंख को बहुत पवित्र माना गया है हर पूजा-पाठ के काम में इसे बजाना और इसके जरिए लोगों को जल देना काफी शुभ माना जाता हैलेकिन कहते हैं कि शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसा करना वर्जित माना गया है. 

 

दोस्तों, हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई  जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी और आप इससे बहुत लाभ उठाएंगेहम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं और आपका हर सपना सच हो 

धन्यवाद    

 

डिसक्लेमर:

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना हैपाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

 यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।हम इसकी पुष्टि नहीं करते है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.