भगवान् शिव और गरीब दूध वाले का श्राप | Bhagwan Shiv Ji ki Kahani

 

भगवान् शिव और गरीब दूध वाले का श्राप | Bhagwan Shiv Ji ki Kahani

Bhagwan Shiv Ji ki Kahani : एक गॉव में हरिया अपनी मॉं के साथ रहता था। हरिया गॉव में दूध बेचने का काम करता था। हरिया के पास दो गायें थी। जिनका दूध निकाल कर वह गॉव में बेचता था।

एक दिन हरिया एक घर में दूध देने गया तो उसने देखा वहां भगवान शिव की पूजा की जा रही है। हरिया ने अपनी मॉं को मन्दिर जाते तो कई बार देखा था लेकिन घर पूजा करते हुए कभी नहीं देखा।

हरिया: मालिक यह आप घर पर पूजा क्यों कर रहे हैं।

मालिक: हरिया तुम्हारे घर में पूजा नहीं होती क्या आज सावन का सोमवार है। इसलिए भगवान शिव की पूजा की जा रही है इसके बाद हम सब मन्दिर जायेंगे और पूरा दिन उपवास रखेंगे।

हरिया: माफ करना मालिक लेकिन मैंने कभी पूजा होते नहीं देखी।

मालिक: हरिया तुम्हें भी भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिये उन्हें जल और दूध चढ़ाना चाहिये। इससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा हमेशा हम पर बनी रहती है।

हरिया: मालिक मैं आज ही अपनी मॉं से इस बारे में बात करता हूं।

हरिया वहां से सीधा अपने घर आ जाता है।

हरिया: मॉं तुम घर में पूजा क्यों नहीं करती।

मॉं: बेटा मैं मन्दिर में पूजा करने जाती हूं घर में पूजा इसलिए नहीं करती क्योंकि एक बार घर में पूजा करते समय एक सांप निकाल आया था और उसने तुम्हारे पिता को काट लिया था जिसके कारण उनकी मृत्यू हो गई।

हरिया: लेकिन मॉं इस तरह तो हम पर कभी भगवान भोलेनाथ की कृपा नहीं होगी। इसका कुछ तो उपाय करना पड़ेगा।

मॉं: बेटा मैं तेरी जान खतरे में नहीं डाल सकती।

अगले दिन हरिया गॉव के बाहर एक साधू बाबा के पास जाकर उन्हें सारी बात बताता है।


साधू: बेटा भगवान भोले नाथ तुम्हारे परिवार से रुष्ट हो गये हैं। अब इसका एक ही उपाय है कि तुम्हारा विवाह पक्का किया जाये और विवाह के बाद तुम्हारी पत्नि तुम्हारे घर में शिवजी की पूजा करे यदि वह सच्चे मन से पूजा करेगी तभी तुम श्राप मुक्त हो सकते हो लेकिन इसमें तुम्हारी जान को खतरा है।

हरिया: कैसा खतरा है बाबा?

साधू: बेटा यदि तुम्हारी पत्नि द्वारा पूजा करने पर शिवजी प्रसन्न नहीं हुए तो हो सकता है वह सांप तुम्हें डस ले। लेकिन तुम यह बात विवाह से पहले लड़की को बता देना यदि वह यह सब सुनकर विवाह के लिए तैयार हो तभी आगे बढ़ना।

हरिया ने घर आकर मॉं को सारी बात बता दी।

मॉं ने गॉव में जाकर हरिया के रिशते की बात की लेकिन किसी ने भी अपनी कन्या का विवाह करने से मना कर दिया।

हार कर हरिया की मॉं घर आ जाती है।

अगले दिन हरिया दूध बेचने गॉव की ओर जा रहा था। तभी उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। उसने पास में जाकर देखा तो एक बुढ़िया बैठी रो रही थी।


हरिया: मांजी आप क्यों रो रही हों।

बुढ़िया: बेटा मेरी बेटी विवाह के योग्य है। अंधी होने के कारण कोई उससे विवाह नहीं करना चाहता।

हरिया ने अपनी परेशानी बुढ़िया माई को बताई तभी उसकी अंधी बेटी शान्ति ने सारी बातें सुन ली और विवाह के लिए हॉं कर दी।

हरिया और शान्ति का विवाह हो जाता है।

विवाह के अगले दिन दोंनो पूजा करने बैठ जाते हैं। शान्ति पूजा करती है। पूजा करते समय शान्ति भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर दूध चढ़ाती है

शान्ति: बाबा यदि आप रुष्ट हैं तो मेरे प्राण ले लीजिये।

प्रार्थना करके शांति जैसे ही आंख खोलती है उसे सब कुछ दिखाई देने लगता है। यह देख कर हरिया बहुत प्रसन्न होता है। उस दिन से दोंनो भगवान शिव की पूजा करने लगते हैं।

सोमवती अमावस्या से जुड़ी सच्ची कहानी

एक गॉव में एक बुढ़िया माई रहती थी। बुढ़िया माई का इस संसार में कोई नहीं था। वह दिन रात भगवान शिव और मॉं पार्वती की पूजा करती थी।

एक दिन बुढ़िया माई बहुत बीमार हो गई। वह भगवान की पूजा नहीं कर सकी। बुढ़िया माई रो रही थी।


बुढ़िया माई: हे भगवान मुझे भी एक संतान दी होती तो आपको बिना भोग लगाये नहीं रहना पड़ता आज मैं बीमार हूं, मेरे अंदर इतनी ताकत नहीं है कि आपका भोग लगा सकूं।

तभी उसके दरवाजे पर दस्तक होती है।

बुढ़िया माई दरवाजा खोलती है तो देखती है। एक नवयुवक और एक नवयुवती खड़े हैं।

बुढ़िया माई: अरे तुम दोंनो कोन हो?

नवयुवक: मांजी मैं आपका बेटा हूं अभी आप भगवान से बेटा बहु मांग रही थी समझो भगवान ने आपकी सुन ली और हम दोंनो को भेज दिया यह आपकी बहु है।

बुढ़िया माई: यह क्या कह रहे हो मेरा तो कोई बेटा नहीं है। मैं तुम्हें नहीं जानती चले जाओ यहां से।

नवयुवती: मांजी में आपकी बहु हूं इनसे आपका कोई पिछले जन्म का रिश्ता होगा तभी शिवजी ने हमें यहां भेजा है। लाईये मैं भोग का प्रसाद बना देती हूं। आप आराम कीजिये।

बेटा बहु को पाकर बुढ़िया माई बहुत खुश हुई। बहु बेटे बुढ़िया माई की दिनरात सेवा करने लगे जिससे वह बहुत जल्दि ठीक हो गई।


एक दिन बहु उदास बैठी थी। तब बुढ़िया माई ने उससे पूछा।

बुढ़िया माई: बेटी क्या बात है तू इतनी उदास क्यों है।

बहु: मांजी सोमवती अमावस्या आ रही है, इसी दिन हमें यहां से जाना पड़ेगा।

बुढ़िया माई: लेकिन क्यों तुम तो मेरे बहु बेटे बन कर आये हो।

बहु: हॉं मांजी हमें कहीं ओर जाना है आप तो अब ठीक हो गई हैं। संसार में जहां भी कोई परेशान होता है। भगवान हमें उसकी मदद के लिये भेज देते हैं।

यह सुनकर बुढ़िया माई रोने लगी। वह भगवान शिव और मॉं पार्वती से प्रार्थना करने लगी।

बुढ़िया माई: भगवान या तो मेरे प्राण ले लो या फिर इन मेरे बहु बेटों को मेरे पास ही रहने दो इनके बगैर मैं जिंदा नहीं रह सकती मैं मर जाउंगी।

इसी तरह सोमवती अमावस्या आ जाती है। बहु बेटे जाने की तैयारी करने लगते हैं। बुढ़िया माई ने व्रत किया प्रसाद बनाया और बहु बेटे से कहा

बुढ़िया माई: तुम दोंनो प्रसाद खाकर जाना।

सांय काल में दोंनो ने प्रसाद खाया और जाने लगे। तो बुढ़िया माई फूट फूट कर रोने लगी।

तभी दोंनो भेष बदल कर भगवान शिव ओर मॉं पार्वती के रूप में प्रकट हो गये।

बुढ़िया माई उनके पैरों में गिर गई

बुढ़िया माई: हे भोलेनाथ मुझे कैसे पाप में डाल दिया मैं अनजाने में आप दोंनो से सेवा कराती रही मुझे अपने चरणों में जगह दो और आपने साथ ले चलो।

शिव जी: मांजी आप चिन्ता न करें। हम आपका हमेशा ध्यान रखेंगे अपने भक्त को हम कभी कष्ट में नहीं छोड़ सकते। आप जब भी हमें याद करेंगी हम आ जायेंगे।

इतना कहकर दोंनो अर्न्तध्यान हो गये।

इस तरह बुढ़िया माई का जीवन सफल हो गया। उसके घर में अन्न धन के भंडार भर गये। 

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