गरीब की शिव भक्ति | Garib Ki Shiv Bhakti | Bhakti Kahani | Hindi Kahaniya | Bhakti Stories

गरीब की शिव भक्ति | Garib Ki Shiv Bhakti | Bhakti Kahani | Hindi Kahaniya | Bhakti Stories 


एक गांव में एक किसान चरणदास अपने परिवार के साथ रहता था उसकी पत्नी रमा और उसके दो बेटे सचिन और मानव अपनी पत्नियों के साथ रहते थे चरण दास की बेटी थी संध्या 

 संध्या भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती को बहुत मानती थी चरणदास खेतों में काम करता था और उसके बेटे गांव में दुकान चलाते थे . चरणदास ने अपने बेटे से कहा कि संध्या के विवाह के लिए वर देखना चाहिए उसके दोनों बेटे ने कहा पिताजी वैसे भी हमारे पास पैसा नहीं  है खाते में दुकान भी नहींचल रही है यदि आप विवाह करना चाहते हैं तो उसका खर्च अपको हीउठाना होगा यह कहकर दोनों चले जाते और चरणदासऔर उसकी पत्नी गहरे सोच में डूब गए

 क्योंकि उनके पास जो पैसा था उससे उन्होंने दोनों बेटों का विवाह कर दिया और साथ ही उन्हें दुकान खुलवा दी थी अब संध्या का विवाह कैसे होगा दोनों इसी चिंता में बैठे थे तभी संध्या वह आई उसने कहा पिताजी आप चिंता ना करें मैं अभी व्यवहार नहीं करना चाहती जब समय आएगा तो भगवान शिव और मां पार्वती कोई न कोई रास्ता दिखा देंगे कुछ दिन बात चरणदास बीमार पड़ गया फिर काफी कमजोर हो गया था और उसने क्षेत्रों पर भी काम करना बंद कर दिया था अब उसके दोनों बेटों के सर पर घर का सारा खर्चा गया साथ ही चरणदास का इलाज भी उन्हें ही करवाना पड़ रहा था एक दिन

सचिन और मानव ने अपने माता-पिता से कहा हम इतने बड़े परिवार का पालन-पोषण नहीं कर सकते है इसीलिए घर छोड़कर जा रहे हैं आप अपना इंतजाम खुद कर लेना यह कहकर दोनों बहू-बेटे घर छोड़कर चले गए धीरे-धीरे घर में भूखे मरने की नौबत आ गई चरणदास और उसकी पत्नी रमा इसी चिंता में रहते थे संध्या घर का सारा काम करती और हर दिन शिवजी के मंदिर जाती थी एक दिन रमा भी अपनी बेटी के साथ मंदिर गई वहां जाकर उसने भगवान भोलेनाथ के सामने रोकर अपने पति के स्वस्थ होने और बेटी के विवाह के लिए विनती की. कुछ दिन बाद चरणदास के घर एक बुढ़िया माँ आई.अन्होन काहा की बेटी मुझे भूखी हूँ

मुझे खाना खिला दे रमा ने कहा कि अभी तो घर में कुछ नहीं है मैं मंदिर से प्रसाद लेकर आया हूं

 यह कहकर उसने प्रसाद  भाई को दे दिया उन्होंने प्रसाद खाया और कहा बेटी तुम इतनी परेशान क्यों हो तब हुआ था तब रमा ने कहा मेरे दोनों बेटे घर छोड़कर चले गए मेरे पति की तबीयत ठीक नहीं रहती बेटी का विवाह करना और घर में खाने के लिए कुछ नहीं ऐसे में विवाह कैसे हो कुछ समझ नहीं आ रहा तब उस बुढ़िया मां ने कहा कि पास के के गांव के जमींदार का एक लड़काहै वाह अंधा है जिस के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा यदि तुम चाहो तो उससे अपनी कन्या का विवाह कर दोबिना कुछ खर्च किए विवाह हो जाएगा रमा नेचरणदास से बात की तो उसने मना कर दिया

 per घर की स्थिति देखकर संध्या ने कहा पिताजी आप

मेरा व्यवहार यह कर दीजिए जो मेरे भाग्य में होगा वही होगा फिर चरणदास ने जमीदार के घर जाकर बात की और संध्या का विवाह संपन्न हो गया चरणदास के दोनों बेटे विवाह में शामिल होने भी नहींआए संध्या एक दिन मंदिर गईवहां उसे वहीं बुडी माँ मिलिउन्होंने संध्या से कहा बेटी तुम चाहो तो अपना भाग्य बदल सकती हो संध्या के पूछने पर उसने कहा अगले महीने हरतालिका तीज आने वाली इस दिन निर्जला व्रतक्रना और विधिपूर्वक शिव-पार्वती का पूजनक्रना और साथ मां पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करने से मां पार्वती के साथ-साथ भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं इस व्रत के करने से अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है साथ ही सुखीदांपत्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त

होता 

है ये कह कर वाह बुदी माँ वाहा सेचली गई  अगले महीने व्रत का दिन आया तो संध्या ने व्रत किया और विधि-विधान से पूजन किया रात्रि में उसे सपने में बुढ़ियामाँ दिखाई दी कुछ देर bad   बुढ़िया माई रूप बदलकर मां पार्वती के रूप में प्रकट हुई पार्वती जी ने कहा तुम्हारा व्रत सफल हुआ तुम्हारे सारे कष्ट मिट जाएंगे यह कह कर वे अंतर्धान हो गई सुबह संध्या सोकर उठी तो उसके पति की आंखों की रोशनी वापस आ चुकी थी उसे सब कुछ सफसफ दिखायी दे रहा था दे रहा था उसी रात रमा को भी सपने में मां पार्वती ने दर्शन दिए और कहा बेटी तुम ने भूखे रहकर भी मुझे अपना प्रसाद खिलाया साथ तुम्हारी पुत्री ने हरतालिका तीज का व्रत करके मुझे प्रसन्न

किया इसके फल स्वरूप से तुम्हारे सारे कष्ट समाप्त होजाएंगे रमा ने सुबह उठकर देखा तो उनका घर महल में बदल चुका था घर में सोने-चांदी के ढेर लगे थे उसने चरणदास को जगाया चरणदास और रमा ने भगवान भोलेनाथ के चरणों में नमन किया और प्रतिदिन उनकी पूजा करने लगे 



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भागलपुर गांव में सुलोचना अपने पति दयाशंकर के साथ रहती थी वह दिन-रात भगवान भोलेनाथ की पूजा करती थी एक गांव में सूखा पड़ गया एक बूंद भी पानी नहीं बरसा गांव के जमींदार ने एक साधु बाबा को बुलाया उन्होंने बताया भगवान इंद्र देव रोस्ट हो गए हैं क्योंकि इस गांव में को उनकी पूजा

नहीं करता उन्हें प्रसन्न करने के लिए अखंड यज्ञ करना होगा जिसमें सभी गांव वाले अहती डालेंगे जब तक यज्ञ समाप्त नहीं हो जाता कोई  घर नहीं जाएगा गांव में यज्ञ की तैयारी हो ने लगी नियत समय पर यज्ञ आरंभ हो गया सुलोचना का पति बाहर काम से गया हुआ था इसीलिए उन्हें यज्ञ में शामिल होने आ गई यज्ञ करते हुए जब शाम का समय हुआ तो सुलोचना उठ कर जाने लगी तब साधु ने उसे रोका और कहा तुम यह यज्ञ अधूरा छोड़कर नहीं जा सकती यह अखण्डयज्ञ हैं सुलोचना ने कहा बाबा मेरे स्वामी घर आने वाले हैं मुझे उनके लिए भोजन तैयार करना है और वे थके हारे घर आएंगे मुझे उनकी

 सेवा करनी इसलिए मैं अब नहीं रुक सकती साधु बाबा ने क्रोध  मैं  कहा इंद्र देवता को प्रसन्न करने के लिए यह  यज्ञ किया है यदि वो नाराज हो जाएंगे तो तुम्हें श्राप देंगे   यह सुनकर सुलोचना ने कहा यदि मैं यहां रुक गई तो मेरा पतिव्रत धर्म टूट जाए मेरे कारण मेरे पति को कष्ट हुआ तो मैं जीवित रह कर क्या करुंगी  यदि इंद्र देवता मुझे दंड देंगे तो मैं स्वीकार कर लूंगी लेकिन मैं अपना पतिव्रत धर्म नहीं छोड़ सकती यह कहकर वे जाने लगी तभी आकाश में तेज गर्जना हुई और इंद्र देवता प्रकट हुए उन्होंने कहा सुलोचना तूने मेरी तुलना में अपने पति को ज्यादा महत्व दिया आजा से  एक सप्ताह बाद तेरे पति की मृत्यु हो जाएगी यदि तू

 पतिव्रता तो अपने पति को बचाकर दिखा यह सुनकर सुलोचना डर गई परंतु उसने साहस से कहा हे इंद्रदेव  यदि मेरे भाग्य में पति का सुख नहीं है तो मैं क्या कर सकती हूं फिर भी मैं आजीवन अपना पतिव्रत धर्म निभाऊंगी और उनके मरने के बाद स्वर्ग भी प्राण त्याग दूंगी यह सुनकर इंद्र देवता रुष्ट हो गए और अंतर्ध्यान हो गए सुलोचना घर आये उसने रोते रोते उदास मन से खाना बनाया और दयाशंकर के आने पर उसके सामने खाना परोस दिया दयाकिशन अपने एक कोरऔर खाया और पूछा सुलोचना आज खाना तुमने मन से नहीं बनाया इसमें वे स्वाद  नहीं है क्या बात है दयाशंकर की बात सुनकर वे रोने लगी उसने

सारी बात बता दी तब दयाशंकर ने कहा जो भाग्य में लिखा होगा वही होगा तुम चिंता मत करो भगवान भोलेनाथ सब ठीक कर देंगे अगले दिन सुबह सुलोचना स्नान आदि करके अपने पति की रक्षा करने के लिए भगवान भोलेनाथ के सामने बैठ गई और उनसे कहा भगवान यदि मेरे भाग्य में पति का सुख केवल एक सप्ताह का है तो मैं भी बिना अन्न-जल ग्रहण किए प्राण त्याग दूंगी आज से मैं महामृत्युंजय का पाठ आरंभ कर रही हूं केवल अपने पति की सेवा के कार्य हीं करूंगी  कोई अन्य कार्य नहीं करूंगी यह कह कर दिन-रात  पाठ करती अपने प्राण त्याग दूंगी यह कहकर पाठ करने लगी पाठ के बीच में वे केवल अपने पति की सेवा

के लिए उठती पर बिना अन्न-जल ग्रहण किए लगातार पाठ करती रहती तीन दिन बाद उसके पति की तबीयत अचानक खराब होने लगी इधर बिना खाए पिए सुलोचना की तबीयत भी बिगड़ रही थी इस तरह तीन दिन बीत गए दयाशंकर को अपनी मृत्यु निकट दिख रही थी उसने सुलोचना से कहा मेरी मृत्यु निश्चितहै तुम क्यों अपनी जान दे रही हो तुम उपवास तोड़ कर कुछ खा लो  सुलोचनाने कहा मैं अपना पतिव्रत धर्म नहीं छोड़ सकती चाहे प्राण छुट जाय यदि आप नहीं रहे तो मैं जीवित रहकर क्या करूंगी रात में भी किसी तरह बैठकर महामृत्युंजय का पाठ करती रह उसे पता था कि कल सुबह उसके पति की मृत्यु हो जाएगी और भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए उन्हें दिख कर रोते

 हुए उनके पैरों में गिर गई सुलोचना ने कहा  हे भोले नाथ मैंने  तो पतिव्रत धर्म   निभाने के लिए यज्ञ छोड़ा था यदि ये अपराध भी है तो तो सजा मुझे मिलने चाहिए मेरे पति को इस कारण सजा मिल रहा है आप मेरे प्राण ले लीजिए मैं इनके बिना जीवित नहीं रह सकती तब भगवान भोलेनाथ ने कहा तुम पतिव्रत धर्म जीत गई इस संसार में कोई ऐसी शक्ति नहीं जो पतिव्रता स्त्री से मुकाबला कर सके यह कहकर भोलेनाथ ने सुलोचना और उसके पति को पहले जैसा स्वस्थ कर दिया दोनों भगवान के सामने नतमस्तक हो गए तभी वह इंद्र देवता प्रकट हुए उन्होंने कहा देवी मैं तुम्हारी पतिव्रता शक्ति को पहचान नहीं सका अब

 तुम्हें वह तुम्हारे पति को कोई कष्ट नहीं होगा का यह कहकर दोनों अंतर्ध्यान हो गये तभी गांव में वर्षा होने लगी जिससे पूरा गांव खुशहाल हो गया है.


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