शिव जी और सोने का शिवलिंग | Story of Lord Shiva
शिव जी और सोने का शिवलिंग | Story of Lord Shiva
मोहनपुर गॉव में शिवम एक चौकीदार था। वह रात भर गॉव की गलियों में लाठी लेकर आवाज लगाता घूमता था। इसके चलते गॉव वाले चैन की नींद सोते थे। वह रात को अपना खाना लेकर निकलता और शिवजी के मन्दिर जाता था। रात के समय जब पुजारी जी मन्दिर बंद करते तब वह अपने काम पर निकल जाता था।
एक दिन पुजारी बाबा ने उससे पूछा
पुजारी: शिवम यह सभी गॉव वाले सुबह मन्दिर आते हैं और तू रात को मन्दिर आता है उसके बाद मन्दिर बंद होने तक बैठा रहता है।
शिवम: पंडित जी जब तक मैं भगवान के दर्शन नहीं कर लेता मैं अपने काम पर नहीं जा सकता। दूसरा जब तक भगवान बैठे रहते हैं मुझे गॉव की चिन्ता नहीं है जब ये सो जाते हैं तब मैं गॉव की रखवाली करने निकलता हूं।
पुजारी: तुझे इतना विश्वास है शिवजी पर।
शिवम: हां पंडित जी मेरा विश्वास अटूट है।
इसी तरह समय बीत रहा था। एक दिन मन्दिर में एक सेठ जी आये और पुजारी जी से बोले।
सेठ जी: पंडित जी मेरे कोई सन्तान नहीं है मैं भगवान भोले नाथ की पूजा करना चाहता हूं।
पंडित जी सेठजी की पूजा करवा देते हैं।
पंडित जी: भगवान ने चाहा तो तुम्हें अवश्य सन्तान की प्राप्ति होगी लेकिन उसे लेकर मन्दिर में दर्शन करने अवश्य आना।
एक साल बाद सेठ जी के घर बेटा पैदा होता है। वे अपनी पत्नि व बच्चे के साथ मन्दिर पहुंच जाते हैं।
सेठ जी: पंडित जी भोलेबाबा ने मेरी पुकार सुन ली।
यह सुनकर पंडित जी बहुत खुश होते हैं उसके बाद सेठ जी कहते हैं।
सेठ: पंडित जी मैं इस शिवलिंग की जगह सोने का शिवलिंग स्थापित करना चाहता हूं।
पंडित जी: यह आप क्या कह रहे हैं सेठ जी यह शिवलिंग बहुत पुराना है हम इसे हटा नहीं सकते और अगर आपने सोने का शिवलिंग स्थापित कर दिया तो इस खबर के फैलते ही शिवलिंग चोरी होने का खतरा बढ़ जायेगा।
सेठ जी: लेकिन पंडित जी मैंने निर्णय कर लिया है आप कोई उपाय बताईये।
पंडित जी: ठीक है मैं गॉव वालों से सलाह करके आपको बताउंगा आप दो दिन बाद आईये।
रात को पंडित जी शिवम से बात करते हैं।
शिवम: पंडित जी आप चिन्ता न करें भोलेनाथ पूरे संसार की रक्षा करते हैं क्या अपने शिवलिंग की रक्षा नहीं कर पायेंगे आप एक काम कीजिये सेठ जी से कहिये इस शिवलिंग को ही सोने से मढ़वा दें इससे यह शिवलिंग सोने का दिखने लगेगा और इसे हटाना भी नहीं पडे़गा।
पंडित जी: लेकिन चोरों की नजर में तो यह सोने का शिवलिंग होगा। उन्हें थोड़ी पता होगा कि यह पत्थर का है।
शिवम: आप उसकी चिन्ता मत कीजिये सब भोलेनाथ पर छोड़ दीजिये।
पंडित जी अगले दिन सेठजी को सब बता देते हैं। सेठ जी शिवलिंग पर सोना लगाने का काम शुरू करवा देते हैं। एक महीने में शिवलिंग सोने का दिखने लगता है।
एक दिन पंडित जी शिवम को बुलाते हैं।
पंडित जी: शिवम तुम्हारी बात मान कर मैंने सेठ जी से शिवलिंग पर सोना तो मढ़वा दिया लेकिन रात में इसकी रखवाली तुम्हारे जिम्में है।
शिवम: पंडित जी वैसे तो मेरे रहते पूरे गॉव में चोरी नहीं हो सकती लेकिन फिर भी मैं मन्दिर का विशेष ध्यान रखूंगा।
एक दिन रात को शिवम मन्दिर के पास से गुजर रहा था तो उसने देखा मन्दिर के द्वारा खुले हैं और एक आदमी शिवलिंग के पास कम्बल ओड़ कर बैठा है।
शिवम उसके पास पहुंचा।
शिवम: तू कौन है और मन्दिर का द्वार कैसे खोला चोर है क्या तू।
आदमी: नहीं मैं चोर नहीं हंू। मैं केवल यह सोना हटाना चाहता हूं तुम इस सोने को ले जाओ।
शिवम: क्या मतलब इस सोने को क्यों हटा रहे हो।
आदमी: यह सोना तुम्हारे कारण लगा है। इसलिये मैं चाहता हूं कि यह सोना तुम ही ले आजो।
शिवम: आप कौन हैं और ऐसा क्यों बोल रहे हैं।
तभी वह आदमी भगवान शिव के रूप में प्रकट हो जाते हैं।
शिवजी: मेरे और मेरे भक्तों के बीच में यह सोने की दीवार खड़ी कर दी है मेरे भक्त जो भी श्रद्धा से अर्पण करते थे वे इस सोने पर ही रह जाता है मुझ तक नहीं पहुंच पाता। और न मेरे भक्त मेरे दर्शन कर पा रहे हैं।
शिवम यह सुनकर भगवान के पैरों में गिर जाता है।
शिवम: प्रभु मुझे माफ कर दीजिये मैं अज्ञानी समझ नहीं पाया आप तक जल भी नहीं चढ़ पाया मैं अभी इस सोने को हटा देता हूं।
यह कहकर शिवम उस सोने को हटा देता है। भगवान शिव उसे आशीर्वाद देकर अर्न्तध्यान हो जाते हैं।
सुबह जब मन्दिर खुलता है तो पंडित जी यह सब देखकर शिवम से पूछते हैं।
शिवम उन्हें सारी बात बता देता है। पंडित जी उसी समय सेठ जी को बुलाते हैं।
सेठ: भगवान मुझे माफ कर दीजिये मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई अपनी जिद के कारण मैंने आपकी पूजा में बाधा डाली।
उस दिन से मन्दिर में पहले की तरह पूजा होने लगी। सेठ जी ने वह सोना गरीबों में दान कर दिया।
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