भगवान श्री हरी ने बताया गौ माता के इस 3 श्राप से, स्त्रियाँ के साथ ऐसा होता है | pauranik katha | -

 भगवान श्री हरी ने बताया गौ माता के इस 3 श्राप से, स्त्रियाँ के साथ ऐसा होता है | pauranik katha | - 


 भगवान श्री हरि ने बताया गाय माता ने दिए स्त्रियों को तीन श्रा मित्रों एक दिन देवर्षी नारद मुनि नारायण नारायण का जाप करते हुए वैकुंठ में आते हैं तब माता लक्ष्मी और भगवान श्री हरि शेषनाथ की शया पर विश्राम कर रहे थे तब नारद मुनि ने भगवान श्री हरि को प्रणाम किया और बोले हे प्रभु आज मेरे मन में तीन प्रश्न उठे हैं जिसका हल जानने हेतु मैं आपके पास आया हूं तब श्री हरि मुस्कुराते हुए बोले हे वत्स नारद आपका स्वागत है आप अपने सारे प्रश्न संकोच होकर कहे मैं अवश्य ही इन प्रश्नों के उत्तर आपको दूंगा तब देवर्षि नारद कहते हैं हे प्रभु आप ही जगत के पालनहार और

(00:47) सृष्टि के रचिता है आप हीने सारे मानव जाति के कल्याण हेतु अनेक प्राणियों की उत्पत्ति की है किंतु आज मैं सर्वश्रेष्ठ प्राणी गाय के बारे में जान चाहता हूं मेरा पहला प्रश्न है कि आखिर क्यों गाय ने भी स्त्रियों को श्राप दिया था मेरा दूसरा प्रश्न है एक मनुष्य को वह कौन सी चीजें हैं जिसे गाय को खिलाने से पुण्य या पाप मिलता है और मेरा तीसरा प्रश्न है गाय एक पवित्र प्राणी होने के बावजूद क्यों उसे झुठा अन्न खाना पड़ता है तब मित्रों भगवान श्री हरि मुस्कुराते हुए बोले हे मुनीश्वर अपने समस्त मानव कल्याण हेतु अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रश्न किए

(01:35) हैं गाय को माता के समान पूजनीय माना जाता है और गाय में 33 कोटि देवी देवताओं का वास होता है यह सबसे पवित्र प्राणी है जिसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी के साथ हुई थी जिस घर में गाय की पूजा और सेवा की जाती है वहां देवी लक्ष्मी हमेशा अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती है मैं आपके प्रश्नों के उत्तर इस एक पवित्र कथा के माध्यम से देना चाहता हूं जो भी मनुष्य इस कथा को ध्यान से पूरा सुनेगा उसके मैं 32 अपराध माफ करता हूं और मृत्यु के बाद उस व्यक्ति को श्री कृष्ण के धाम गोलोक में स्थान मिलता है तब नारद मुनि कहते हैं हे प्रभु मैं इस

(02:23) पावन पवित्र कथा को पूरा ध्यान से सुनूंगा और मानव जाति के कल्याण हेतु में इसका प्रसार भी करूंगा कृपया आप इस कथा को सुनाइए तब भगवान श्री हरि कहते हैं हे नारद एक समय की बात है मध्य देश में एक किसान जिसका नाम श्याम था और उसकी गाय का नाम नंदिनी था श्याम हर दिन अपनी गाय को चराने के लिए खेतों में ले जाता उसकी हर रोज नित्य सेवा करता था नंदिनी भी अपने मालिक श्याम से बहुत अधिक लगाव रखती थी उसका एक बछड़ा भी था जो हमेशा उसके साथ र रहता था वे दोनों एक दूसरे से प्रेम पूर्वक व्यवहार करते थे इसी तरह कई सालों तक श्याम अपनी गाय

(03:08) नंदिनी की सेवा करता रहा और नंदिनी भी उसे बहुत सारा दूध देकर श्याम और उसके परिवार का पोषण करती थी श्याम गाय के दूध को बेचकर अपने परिवार का पालन करता था फिर कुछ दिनों के बाद श्याम का विवाह गांव के एक किसान की बेटी यमुना से हुआ यमुना दिखने में तो सुंदर थी लेकिन वह एक लालची और क्रूर स्वभाव की स्त्री थी जिस दिन वह विवाह करके श्याम के घर आई तभी से वह श्याम को अपनी मांगे पूरी करवाने के लिए हट किया करती थी हमेशा उसे भला बुरा और अपशब्द बोलती थी वह हर दिन सुबह देर से जागती थी तथा देर से भोजन बनाती थी और बचा हुआ बांसी अन्न गाय को खिलाती थी तब भगवान

(03:57) श्री हरि कहते हैं हे नारद फिर एक दिन यमुना ने स्वयं के लिए कुछ गहने खरीद वाने के लिए श्याम को मना लिया और कहा कि ओ जी सुनते हो हमारे गाय का जो बछड़ा है उसे हम बेच देते हैं वैसे भी हमें उसकी कोई जरूरत नहीं है तब श्याम ने मना किया तो वह श्याम के साथ जोर से झगड़ने लगी जिससे बेचारा श्याम उसकी जिद के आगे हताश होकर उसने ना चाहते हुए भी गाय के बछड़े को बेच दिया इस कारण से नंदिनी गाय और श्याम दोनों बहुत दुखी होकर एक दूसरे को ताकते ही रह गए फिर कुछ दिन बीतने के बाद श्याम की गाय ने दूध देना बंद कर दिया तो यमुना ने उसे घर से

(04:43) बाहर निकाल दिया और घर ना आने के लिए बहुत से अपशब्दों का प्रयोग किया फिर भगवान श्री हरि कहते हैं हे नारद गाय एक बेजुबान प्राणी अवश्य है किंतु वह मनुष्यों के हाव भावों को अच्छी तरह से समझती है और वह वहां से चली गई नंदिनी अपना जीवन गांव के पास वाले जंगल में व्यतीत करने लगी जब कुछ दिन बीतने के बाद गाय गर्भवती हो गई और वह अपना जीवन उसी जंगल में रहकर जीने लगी कुछ महीने बीतने के बाद श्याम की गाय नंदिनी ने यह सोचा कि जब मुझे बच्चा हो जाएगा तो श्याम और उसकी पत्नी यमुना शायद फिर से मुझे अपने घर वापस ले जाएंगे इसलिए उसने दूसरे बछड़े को श्याम

(05:30) के खेत में जाकर जन्म दिया तब अगले दिन यमुना जब खेत में आई तो उसने देखा कि नंदिनी गाय ने उन्हीं के खेत में एक बछड़े को जन्म दिया है तब यमुना के मन में वह फिर से बुरा ख्याल आया कि अब मैं इसके बछड़े को बेचकर धन कमाऊ और दूध से हमारा परिवार सुख पूर्वक जीवन व्याप करेगा ऐसा वह सोच ही रही थी नंदिनी का नवजात शिशु जो अभी-अभी जन्मा हुआ था था मां के रक्त से भरा हुआ जमीन पर रेंगने लगा जिस कारण से उसके शरीर पर कंकड़ के कारण छोटे-छोटे घाव होने लगे थे अपने नवजात शिशु की ऐसी हालत पर नंदिनी गाय को बहुत असहज महसूस होने लगा और तड़पती हुए

(06:17) अपने बच्चे की ओर देखने लगी क्योंकि वह कुछ भी नहीं कर सकती थी लेकिन जब उसने यमुना को उसकी ओर आते हुए देखा तो उसे करुण पुकार लगाते हुए कहा हे देवी कृपा करें और मेरे नवजात शिशु को इस पीड़ा से मुक्त करें इसके नाजुक शरीर को जमीन पर पड़े हुए कंकड़ चुभने के कारण उसे यातनाएं हो रही है जब यमुना ने गाय के बछड़े की ओर देखा तो वह अत्यंत दुर्गंध युक्त रक्त में पड़ा रंगता हुआ अपनी मां की तरफ बढ़ रहा था तब यमुना को उस गाय के शिशु की ऐसी हालत देखकर उसे उस पर दया आने के वजह घिन आने लगी और उसने गाय के बच्चे को ना उठाते हुए कहा भला मैं तुम्हारे ऐसे गंदे बछड़े को

(07:05) क्यों छू लू मित्रों भगवान श्री हरि कहते हैं हे नारद वह गाय यमुना से बहुत याचना करने लगी रोते हुए गिड़गिड़ा हुए हृदय के अंतर मन से उससे विनती करने लगी किंतु यमुना ने क्रूर स्वभाव के कारण उसने गाय के बछड़े को छुआ तक नहीं और वह वहां से दूर चली गई गाय बार-बार उसे विनती करती रही कि यमुना ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया तब गाय ने भगवान को प्रार्थना करते हुए गुहार लगाए और कहने लगी हे प्रभु आप क्यों मेरे निर्दोष निष्पाप बछड़े को ऐसी प्राण घातक सजा दे रहे हैं आखिर हम प्राणियों ने कौन सा महापाप किया है जिस कारण से हमें अपने बच्चों को ऐसा

(07:51) तड़पते हुआ देखना पड़ता है गाय की ऐसी करुण पुकार सुनकर स्वयं श्री कृष्ण वहां पर पधारे और उन्होंने गाय सहित समस्त प्राणियों को आशीर्वाद दिया कि उनके बच्चे जन्म लेने बाद तुरंत ही चलने लगेंगे जिस कारण से वे उनके स्वयं के मां के आसपास रह सकेंगे तब भगवान श्री हरि कहते हैं हे नारद श्री कृष्ण आशीर्वाद देकर वहां से अंतर्ध्यान हो गए किंतु थोड़ी ही देर बाद जब यमुना वापस उस गाय के पास उसे देखने के लिए आई तो उसे उसकी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ गाय का बच्चा खुद से खड़ा था तो यमुना ने गाय के बच्चे को हल्का सा धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया

(08:37) जब गाय ने यमुना की यह घिनौनी हरकत को देखा तो उसे बड़ा ही क्रोध आया और उसने समस्त संसार देवी देवताओं अग्नि वायु आकाश जल और वृक्षों को साक्षी मानते हुए यमुना को श्राप दिया और कहा है दुष्ट स्त्री आज तुमने अपनी क्रूरता की सभी हदें पार कर दी है मैं आज समस्त संसार को साक्षी मानते हुए तुम्हें और समस्त मानव जाति को यह श्राप देती हूं कि जब भी तुम्हारा बच्चा पैदा होगा तो उसे चलने के लिए सहारे की जरूरत पड़ेगी और तुम्हारे बच्चों को चलने के लिए एक वर्ष तक का समय लगेगा तब भगवान श्री हरि कहते हैं हे नारद आपके पहले प्रश्न का उत्तर इसी नंदिनी गाय के श्राप

(09:23) के कारण आज मनुष्य के बच्चों को चलने के लिए सहारे की जरूरत पड़ती है और ठीक से चलने के लिए मनुष्य शिशु को एक वर्ष तक का समय लगता है सतयुग में मनुष्य के बच्चे जन्म लेने के तुरंत बाद ही चलते थे हे नारद जब यमुना अपने घर संध्या समय वापस आ रही थी तभी इस गाय के श्राप के कारण तूफान वर्षा होने लगी और तेज बिजलियां गर्ज लगी तब तेज वर्षा के कारण यमुना एक पेड़ के नीचे सहारे के लिए रुक गई थी किंतु नेती के खेल ने उसी पेड़ पर बिजली गि दी उसी कारण से यमुना की मृत्यु हो गई मित्रों यमुना की आत्मा को लेकर यमदूत उसे धर्मराज के दरबार में

(10:08) उपस्थित हो गए और चित्रगुप्त ने उस स्त्री का लेखा जोखा देखा तब वे सभी हैरान हो गए यमराज ने यमुना के गुनाहों को जानना चाहा तो चित्रगुप्त बोले महाराज इस स्त्री ने अपने पति का कभी आदर नहीं किया है हमेशा देर से उठना और निर्वस्त्र स्नान करना तथा इस स्त्री ने अपने पूरे जीवन में कभी भी पूजा पाठ नहीं किया है इसके पापों को गिनते हुए हमें आज का पूरा दिन लग जाएगा और इसने सबसे बड़ा महापाप तो यह किया है कि गाय को हर रोज जठा बांसी और सड़ा हुआ अन्न खिलाया है जो कीड़े और वर्मी भी ना खा सके साथ ही एक गाय के नवजात शिशु की मदद तक नहीं की

(10:54) है मित्रों तब धर्मराज बोले इस स्त्री को कुंभी पाक नरक में डाल कर तल दिया जाए उसके बाद इसे जहरीली बैतरणी में डाल दिया जाए और इस स्त्री को 16 नर कों की सजा दी जाए मित्रों भगवान श्री हरि कहते हैं हे नारद यमदूत स्त्री को इन सारे प्रकार के नरक में डाल देते हैं और उसकी आत्मा को बहुत पीड़ा देते हैं यह सिलसिला पूरे एक वर्ष तक चला रहा जब उसकी सारी सजाएं पूरी हो गई फिर धर्मराज ने उस स्त्री को गाय को हमेशा से जठा सड़ा हुआ अन्न खिलाने के कारण उसे सूअर की योनि में जन्म लेकर हमेशा कीचड़ में रहने का और दुर्गंध युक्त पदार्थ खाने

(11:37) का आशीर्वाद दे दिया मित्रों भगवान श्री हरि कहते हैं हे नारद जो भी स्त्री या पुरुष गाय को झूठा या सड़ा हुआ अन्न खिलाते हैं उन्हें नरक में जाना पड़ता है और कई प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं हे मुनि अब मैं आपको बताता हूं कि आखिर क्यों गाय को झूठा अन्न खाना पड़ा था यह बात सतयुग की है जब शिवजी और मां पार्वती समुद्र के किनारे विहार करने गए तो शिवजी के मन में शरारत करने की सूझी उन्होंने पार्वती से कहा हे देवी मुझे अचानक आवश्यक काम से जाना पड़ रहा है मैं कार्य पूरा करके अभी आता हूं तब तक आप मेरी यही प्रतीक्षा करें दरअसल शिवजी मां

(12:23) पार्वती को परेशान करना चाहते थे शिवजी की बात मानकर देवी पार्वती अकेले ही पर बैठकर उनकी प्रतीक्षा करने लगी इसी तरह शाम हो गई और उस दिन शिवरात्रि थी जब रात तक शिवजी ना लौटे तो माता पार्वती ने तट पर ही रेट के शिवलिंग का निर्माण किया और आसपास उपलब्ध पूजन सामग्री से रात भर शिवजी का निर्जला निराहार व्रत संपूर्ण किया शिवजी सूक्ष्म रूप में वहीं उपस्थित थे और हर गतिविधि के साक्षी थे सुबह होने पर पार्वती ने समुद्र में रेत के शिवलिंग और और पूजन सामग्री का विसर्जन कर दिया इसके थोड़ी ही देर बाद शिवजी प्रकट हो गए और बोलने लगे कि देवी पार्वती कल

(13:08) शिवरात्रि थी पर मेरी पूजा नहीं की पार्वती ने कहा कि मैंने पूजा की है और अभी तुरंत पूजन सामग्री समुद्र में विसर्जित की है शिवजी अभी भी पार्वती के साथ और ठिठोली करना चाहते थे उन्होंने कहा कि पार्वती मुझे तो पूजा का कोई चिन्ह दिखाई नहीं दे रहा है अगर आपने पूजा की है तो प्रमाण दीजिए मां पार्वती भी समझ चुकी थी कि भगवान शिव उन्हें जानबूझकर सता रहे हैं क्योंकि जो जगत की हर घटना का साक्षी है उसे प्रमाण की क्या आवश्यकता है देवी पार्वती भी इस हंसी मजाक का भरपूर आनंद ले रही थी शिव जीी की बात सुनकर माता पार्वती ने आसपास देखा तो उन्हें एक गाय

(13:54) खड़ी दिखाई दी उन्होंने शिवजी से कहा कि यह गाय मेरी साक्षी है जब मैं पूजा कर रही थी तो यह गाय यहां उपस्थित थी शिवजी ने गाय से पूछा कि क्या पार्वती ने पूजा की है उस गाय ने नामी सिर हिला दिया शिवजी ने कहा पार्वती आप असत्य कह रही हैं गाय ने आपकी गवाही नहीं दी शिवजी के सामने स्वयं का अकारण झूठा साबित होना पार्वती सहन नहीं कर पाई और क्रोध में आकर उन्होंने उसी वक्त गाय को श्राप दे दिया मां पार्वती ने श्राप देते हुए कहा कि तू दिव्य जन्मा है तू जगत कल्याण के लिए प्रकट हुई है इसीलिए जनहित के लिए तेरे गुण यथावत रहेंगे किंतु जिस मुह से तूने

(14:40) झूठी गवाही दी है उसे दंड भुगतना होगा झूठ बोलने के कारण अब से जूठन ही तेरा आहार होगी इस तरह झूठ बोलने से गौ माता क्रोध की भागी बनी और आज तक उनकी संतति अच्छा भोजन प्राप्त होने के बावजूद भी जूठन खाने के लिए बाध्य हैं मित्रों भगवान श्री हरि कहते हैं हे नारद अब मैं आपको गाय के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी देता हूं अक्सर मनुष्य गाय से पुण्य पाने के लिए कई प्रकार के व्रत पूजा पाठ करते हैं किंतु उन्हें एक गाय को यह कुछ चीजें भूलकर भी नहीं खिलानी चाहिए द्वार पर आई गौ माता को कभी भी बिना रोटी खिलाए जाने ना दे गौ माता को रोटी और ताजी हरी घास खिलाना

(15:28) चाहिए यूं भी हम हर दिन पहली रोटी गौ माता की बनाते ही है इसलिए हमेशा उस रोटी को प्यार से गौ माता को खिला दें गौ माता को रोटी खिलाने से हमें बहुत पुण्य मिलता है गौ माता को कभी भी बासी और सड़ा गला खाना नहीं खिलाना चाहिए भूख लगने पर मजबूरी में गौ माता वह खाना खा तो लेती है लेकिन इसका दुष्परिणाम पड़ता है जिस कारण से हमारे घर में नकारात्मकता आती है गौ माता यह एक शाकाहारी पशु होती है इसलिए कभी भी गौ माता को जबरदस्ती मांसाहार खिलाने की चेष्टा भी नहीं करनी चाहिए ऐसा करना महापाप के समान होता है हमारी कुंडली में दोष है जिसके कारण हमें

(16:15) लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो गौ माता को रोटी खिलाते समय कुछ उपाय कर सकते हैं जैसे यदि कुंडली में चंद्र दोष है तो आप रोटी पर सफेद मक्खन नमक या लगाकर गौ माता को खिलाएं यदि कुंडली में शनि दोष है तो रोटी बनाते समय आटे में थोड़े से काले तिल मिलाकर आटा गूंथे और इस आटे की ताजी रोटी बनाकर शनिवार या अमावस्या के दिन गौ माता को खिलाएं इसी तरह मंगल या गुरु दोष हो तो रोटी के ऊपर हल्दी लगाकर गौ माता को खिलाएं यह उपाय करने पर हम इन सभी दोषों के दुष्प्रभाव से काफी हद तक अपना बचाव कर सकते हैं गौ माता को प्रतिदिन रोटी और घास

(17:03) खिलाने से लाभ होता है और पिी दोष से भी मुक्ति मिलती है इसी तरह कुंडली में यदि शनि की साढ़े सातीया महादशा है तो हर शनिवार को और अमावस्या को काले रंग की गाय को घास या रोटी खिलाएं और उसकी पूजा करें इससे शनि दोष कम होता है गौमूत्र यानी कि गाय का मूत्र बहुत ही उपयोगी पवित्र और स्वास्थ की दृष्टि से अत्यंत हितकारी होता है आध्यात्मिक दृष्टि से तो गौमूत्र का महत्व है ही साथ ही वैज्ञानिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी गौमूत्र के बहुत से लाभ बताए गए हैं गौमूत्र में बहुत से खनिज पदार्थ और स्वास्थ्यवर्धक तत्त्व होते हैं जो हमारे

(17:48) शरीर की शुद्धि करते हैं और बहुत से रोगों से भी बचाते हैं साथ ही गौमूत्र छिड़कने से वातावरण में शुद्धता और पवित्रता व्याप्त हो हो जाती है इसीलिए हमारे शास्त्रों में शरीर को निरोगी रखने के लिए प्रतिदिन गौमूत्र का सेवन करने तथा घर में गौमूत्र छिड़कने के लिए कहा गया है गाय के दूध दही घी गोबर और गौमूत्र से बनने वाले मिश्रण को पंचगव्य कहते हैं पंचगव्य को पाप नाशक कहा जाता है और हमारे हिंदुओं की एक धार्मिक विधि प्रायश्चित करने में उपयोग किया जाता है पंचगव्य को बनाने वाली सभी वस्तुएं अत्यंत उपयोगी होती हैं जो स्वास्थ्य के

(18:33) लिए लाभदायक तो है ही साथ ही औषधीय गुणों से भी भरपूर है मित्रों भगवान श्री हरि कहते हैं हे नारद मैंने आपके सारे प्रश्नों के उत्तर दिए हैं तब नारद मुनि कहते हैं हे प्रभु मैं धन्य हो गया आपने मुझे दिव्य ज्ञान से मेरी सारी शंकाओं को दूर किया है मैं इस दिव्य ज्ञान का प्रसार समस्त मानव जाति के कल्याण हेतु अवश्य करूंगा मैं आशा करता हूं कि यह कथा आपको पसंद आई होगी और यदि इस चैनल शर्मा स्टोरी नंबर वन पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब कर वीडियो को लाइक एवं शेयर जरूर करें और कमेंट बॉक्स में जय श्री कृष्ण जरूर लिखें धन्यवाद


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