माँ पार्वती ने बनाया शिव जी का स्वेटर | Shiv Ji Ka Sweater | Hindi Kahani | Moral Stories | Kahani -

 माँ पार्वती ने बनाया शिव जी का स्वेटर | Shiv Ji Ka Sweater | Hindi Kahani | Moral Stories | Kahani - 


सर्दियों के दिन शुरू हुए शीत लहरें चलनी प्रारंभ हो गई कैलाश पर्वत भी बर्फ से ढक चुका था भगवान शिव तपस्या में लीन थे मां पार्वती भगवान शिव को ठंड में तपस्या में लीन देख रही थी तभी नंदी ने मां पार्वती से कहा माता ठंड कितनी बढ़ गई है भगवान शिव तपस्या में लीन है उन्हें तो ठंड का आभास ही नहीं हो रहा हां नंदी मैं भी वही देख रही हूं कितनी बार बोला है भोलेनाथ को कि हम लोग भी शौल ड़ लेते हैं गर्म वस्त्र पहन लेते हैं तो हमारी ठंड दूर हो जाती है पर यह तो इतनी सर्दी में भी कोई गर्म कपड़ा धारण नहीं करते बस तपस्या में लीन

(00:50) रहते हैं मेरी बात सुनते ही कहां है पर माता यदि आप अपने हाथों से स्वयं स्वेटर बनोगे तो प्रभु मना नहीं कर पाएंगे फिर तो उन्हें स्वेटर पहनना ही पड़ेगा हां विचार तो उत्तम है पर मुझे तो स्वेटर बनाना आता ही नहीं है और मैं नहीं चाहती कि मैं चमत्कार से स्वेटर बनाऊ मैं अपने हाथों से स्वेटर बनाना चाहती हूं उसके लिए तो आपको पृथ्वी लोक पर जाना पड़ेगा माता यह कार्य तो वही रहकर संभव हो सकता है हां प्रभु के लिए स्वेटर बनाना है तो मुझे पृथ्वी लोक पर ही जाना होगा नंदी तुम भगवान शिव और कैलाश का ख्याल रखना यदि यह तपस्या से उठे

(01:28) तो कहना मैं किसी कार्य वश बाह गई हूं और कुछ समय में लौट आऊंगी ठीक है माता आप बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए मैं यहां पर पूरा ख्याल रखूंगा मां पार्वती ने ठान लिया था कि वह भगवान शिव के लिए स्वयं अपने हाथों से स्वेटर बनाएंगी इसके लिए वह पृथ्वी लोक पर एक स्वेटर बुनने वाली की तलाश करने लगी जिससे वह स्वेटर बनाना सीख सके मां पार्वती एक छोटे से गांव में पहुंची वहां पर चारपाई के ऊपर कुछ औरतें बैठी बातें कर रही थी उनमें से कुछ औरतों के हाथ में न के गोले और स्वेटर बुनने की सिलाई थी मां पार्वती ने एक साधारण स्त्री का रूप धारण किया और वह उन औरतों के पास

(02:07) पहुंची नमस्ते बहन क्या आप मुझे स्वेटर बनाना सिखा सकते हो आपका यह स्वेटर बहुत अच्छा लग रहा है मैं भी अपने पति के लिए स्वेटर बनाना चाहती हूं पर मुझे स्वेटर बनाना नहीं आता हां हां क्यों नहीं पर उसके लिए तुम्हें ऊन और सिलाई खरीद कर लानी पड़ेगी उसके बाद ही हम तुम्हें स्वेटर बनाना सिखा सकते हैं अ अच्छा पर वो मुझे कहां मिलेगी वो तो तुम्हें गांव के बाजार में ही मिल सकती है वहां बहुत से ऊन वाले ऊन बेच रहे हैं हम भी वहीं से खरीद कर लाए हैं क्या तुम इस गांव में नहीं आई हो हां मैं इस गांव में ई हूं इसीलिए मुझे यहां के बाजार

(02:44) का नहीं पता अच्छा अरे सुशीला अगर तुझे कोई काम नहीं है तो इन्हें बाजार तक ले जा अरे नहीं बहन मुझे तो दोपहर का खाना बनाना है बच्चे स्कूल से आते ही होंगे एक काम करो तुम चली जाओ तुम मुझे क्यों कह रही हो क्या मैं तुम्हें खाली नजर आती नहीं नहीं मैं तो बिल्कुल नहीं जा सकती मुझे तो घर की साफ सफाई करनी है मैं तो थोड़ी देर धूप सेकने बैठ गई थी और तुम्हें क्या लगता है मैं खाली हूं मैं नहीं जा सकती ओहो तुम दोनों रहने दो मैं इनके साथ बाजार चली जाती हूं चलो बहन मैं तुम्हें बाजार ले चलती हूं तभी तीसरी औरत जिसका नाम कमला था उसकी सास गुस्से में घर से

(03:20) बाहर आ जाती है हां हां इसे ले जाओ इसे तो वैसे भी कोई काम नहीं है अब इसके कोई बाल बच्चे तो है नहीं जिनके लिए इसने खाना बनाना हो जी ये गांव में नई नई आई है बस बाजार से इन्हें ऊन और स्वेटर बुनने की सिलाई दिलवाने जा रही हूं आप इतनी सी बात को इतना बड़ा क्यों बना र हो मैंने दोपहर का खाना बना दिया है मस मैं बस थोड़ी देर में आती हूं कमला मां पार्वती को बाजार ले जाती है रास्ते में मां पार्वती कमला से बोली बहन क्या तुम्हारी अभी तक कोई संतान नहीं हुई कितने साल हो गए तुम्हारी शादी को बहन मेरी शादी को सात साल हो गए बहुत

(03:57) उपाय किए पर कुछ भी काम नहीं आया अब तो लग है भगवान भी मेरी नहीं सुनते पता नहीं मुझे तो लगता है मेरी किस्मत में बच्चे का सुख लिखा ही नहीं है कमला की आंखों में आंसू आ जाते हैं अरे बातों बातों में पता ही नहीं चला वो सामने ऊन वाले की दुकान आ गई आप चलो मैं आपको अच्छी सी ऊन और सिलाई दिलवा देती हूं कमला मां पार्वती को स्वेटर बुनने के लिए ऊन और सिलाई दिलवा देती है भैया कितने पैसे हुए बहन जी ऊन और सिलाई मिलाकर ₹ बनते हैं पर मेरे पास तो पैसे ही नहीं है मैं यह ऊन और सिलाई कैसे ले सकती हूं कोई बात नहीं बहन इसके पैसे मैं दे देती

(04:33) हूं जब तुम्हारे पास हो तब मुझे लौटा देना तुम बहुत अच्छी हो बहन तुम्हारे जैसा उदार स्वभाव बहुत कम लोगों का होता है कमला मां पार्वती को स्वेटर बनाने का सामान दिलवाकर आ जाती है और फिर वह मां पार्वती को अपने घर ले जाती है और उन्हें स्वेटर बनाना सिखाती है मां पार्वती भी खूब मन लगाकर अच्छे से कमला से स्वेटर बनाना सीख रही थी स्वेटर बनाने में कुछ घंटे लग गए इस बीच कमला मां पार्वती के के लिए खाने पीने का सामान भी लाती रही और फिर बहुत सुंदर स्वेटर बनकर तैयार हो गया अरे वाह बहन तुमने तो बहुत अच्छी बुनाई की है इतनी सफाई से कि पूछो मत अब तुम्हें स्वेटर

(05:12) बनाना आ गया और यह स्वेटर कितना सुंदर तैयार हुआ है यह स्वेटर तुम्हारे पति को बिल्कुल ठीक आएगा तुमने तो मुझे स्वेटर बनाना सिखा ही दिया मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि मैं भी अब स्वेटर बना सकती हूं स्वेटर बनाना कितना आसान है तुमने मेरी बहुत मदद की इसलिए मैं तुम्हें आशीर्वाद देकर जाना चाहती हूं तुम्हारी मनोकामना बहुत जल्दी पूर्ण होगी कमला की आंखों के आगे कुछ देर के लिए एक रोशनी की चमक आ जाती है और उसे साक्षात मां पार्वती के दर्शन होते हैं और मां पार्वती अंतर्ध्यान हो जाती हैं वह कोई साधारण स्त्री नहीं थी वह तो साक्षात देवी पार्वती थी उन्होंने

(05:51) मुझे दर्शन दिए उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया मां मैं कितनी किस्मत वाली हूं कि मैंने आपके दर्शन किए आप मेरे साथ थी मैं आपको पहचान नहीं सकी मां तभी कमला की सास बाहर आ जाती है कमला बेहोश हो गई थी कुछ देर बाद कमला का पति पड़ोस के वैद्य जी को लेकर आया घबराने की कोई बात नहीं है सब ठीक है जानकी तुम्हारी बहू कमला मां बनने वाली है इसीलिए इसे चक्कर आए हैं क्या कमला मां बनने वाली है मेरी बहू मां बनने वाली है मैं दादी बनने वाली हूं यह कैसा चमत है भगवान ने हमारी सुन ली कमला मैं बहुत खुश हूं भगवान का लाख-लाख शुक्र है उन्होंने हमारी सुन ली मां

(06:38) पार्वती उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया उन्हीं के आशीर्वाद से मेरी यह इच्छा पूरी हुई है मां जी साक्षात मां पार्वती हमारे घर आई थी कमला अपनी सास और पति को सारी बात बताती है सभी मां पार्वती को धन्यवाद कहते हैं उन्होंने कमला को मां बनने का आशीर्वाद दिया मां पार्वती और भगवान शिव कैलाश पर्वत से सब कुछ देख रहे थे यह स्वेटर तो तुमने बहुत अच्छा बनाया है पार्वती और यह बिल्कुल सही नाप का है और देखने में भी कितना अच्छा लग रहा है तुमने मेरे लिए स्वेटर बनाया यह देखकर मैं बहुत खुश हूं मैं भी बहुत खुश हूं प्रभु कि मैं आपके लिए इतना अच्छा स्वेटर बना पाई यह सब

(07:19) कमला के उदार स्वभाव के कारण ही संभव हुआ है उसने निस्वार्थ भावना से मेरी मदद की और मैं यह स्वेटर बना पाई अब कम से कम आपको ठंड तो नहीं लगेगी अब तो मैं ऐसे और भी बहुत सारे स्वेटर आपके लिए पुत्र गणेश के लिए पुत्र कार्तिकेय के लिए नंदी के लिए और बाकी सभी कैलाश वासियों के लिए बनाऊंगी कमला ने मां पार्वती की भगवान शिव के लिए स्वेटर बनाने में अनजाने में ही मदद की और मां पार्वती ने उसे उसकी उदारता का फल दिया और उसे मां बनने का सुख प्राप्त [संगीत] हुआ भोला अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ हरि पुर गांव में रहता था वह गांव के

(08:01) साहूकार के पास मजदूरी करता था भोला ने अपनी बहन की शादी के लिए साहूकार से कर्ज लिया था जिसका भुगतान वह साहूकार को कई वर्षों से कर रहा था भोला भगवान शंकर की बहुत पूजा करता था ऐसे ही एक दिन मंदिर में शिवरात्रि का भव्य आयोजन था वह पत्नी और बच्चों के साथ मंदिर पहुंचा पर साहूकार भी वहां मौजूद था मंदिर में दर्शन करने के लिए पुण्य करने पड़ते हैं तुझ जैसे कंगाल के पास ऐसा क्या है भगवान शंकर को देने के लिए बता कोई दान दक्षिणा या कोई चढ़ावा भोला उदास मन से पत्नी और बच्चों को लेकर वापस घर की ओर चल पड़ता है तभी कुछ खाने

(08:38) को दे दो बड़े जोरों की भूख लगी है भैया यह आटे का हलवा है अगर यह खाओ तो हां हां मुझे आटे का हलवा दे दो भूख में तो प्रसाद और भी स्वादिष्ट लगता है क्या नाम है तुम्हारा मेरा नाम शिवा है मैं काम की तलाश में हूं क्या आप मुझे कोई काम दे सकते हो मैं कुछ भी कर लूंगा पर मैं तो खुद एक गरीब मजदूर हूं गांव के साहूकार के पास मजदूरी करता हूं मैं तुम्हें भला क्या काम दूंगा भैया मुझे कोई भी काम दे दो बदले में मुझे पैसे नहीं बस रहने की जगह दे देना भोला शिवा की मजबूरी देख हां कह देता है अगले दिन से शिवा वहीं रहने लगता है और घर के काम में मदद करता

(09:19) था एक दिन भोला अपनी पत्नी माला से बोला माला शिवा हमारे लिए इतना सब कुछ क्यों कर रहा है बच्चों के लिए भी यह इतना दूध फल सब्जी सब ले आता है है पर कब तक हम इससे बिना पैसे दिए काम करवाते रहेंगे तुम एक काम क्यों नहीं करते साहूकार से कहकर इसे भी अपने साथ काम पर लगवा लो वहां तो इसे काम के बदले पगार मिल जाएगी भोला को माला की बात सही लगी वह शिवा को लेकर साहूकार के पास जाता है और काम दिलवा देता है शिवा भोला के साथ अब खेतों पर भी काम करने जाने लगा साहूकार शिवा को जो भी पगड़ देता वो पैसे शिवा भोला को जोड़ने के लिए रखवा

(09:55) देता था भोला कई बार शिवा से कहता कि वह अपने पैसे वापस ले ले परंतु शिवा उसे कहता कि जब वक्त आएगा ये पैसे तभी काम आएंगे एक दिन साहूकार भोला और शिवा को किसी काम से दूसरे गांव भेजता है रास्ते में रात हो जाती है जंगल का रास्ता था तभी एक शेर के दहाने की आवाज आती है भोला घबरा जाता है भोला भैया आप तो भगवान शंकर के परम भक्त हो तो डर कैसा और जब भक्त मुसीबत में हो तो भगवान को भी सहायता के लिए आना ही पड़ता है आप उस पेड़ के ऊपर चढ़कर बैठ जाओ बाकी सब मैं देख लूंगा शिवा मैं तुम्हें अकेला छोड़कर कै से पेड़ पर चढ़कर बैठ जाऊं यह भी तो सही बात नहीं है भोला भैया

(10:33) आप निश्चिंत रहो मुझे कुछ नहीं होगा भोला जैसे ही पेड़ पर चढ़ने के लिए मुड़ता है वो देखता है कि शेर उसके सामने खड़ा है भोला शेर को अपने सामने देख डर जाता है और आंखें बंद करके ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय का जाप करने लगता है शिवा भोला के आगे आ जाता है शेर शिवा को थोड़ी देर तक देखता रहता है और बिना कुछ कहे जंगल की ओर चला जाता है भोला और शिवा दोनों घर आ जाते हैं भोला पूरी रात उस घटना को याद करता रहता है अगली सुबह जब वह सोकर उठता है तो शिवा घर पर नहीं था भोला आसपास में पूछता है पर शिवा का कहीं भी पता नहीं था वो साहूकार

(11:08) से जाकर पूछता है वो तो सुबह ही मेरे पास आया और मेरे से बोला कि अमरनाथ यात्रा पर निकलना है इसलिए वो अपना हिसाब कर गया भोला घर आता है और सारी बात माला को बताता है माला भी सुनकर बहुत हैरान होती है कि अचानक बिना बताए शिवा अमरनाथ की इतनी लंबी यात्रा पर कैसे निकल गया भोला को कुछ समझ नहीं आ रहा था उसी रात को सपने में भगवान शंकर भोला को दिखाई देते हैं भोला उठो तुमने मुझे पहचाना नहीं मैं ही तुम्हारा शिवा हूं जिसके बारे में तुम चिंता कर रहे हो भगवान शंकर आप ही शिवा हो मैंने आपको पहचाना नहीं ये कैसी भूल हो गई महादेव मुझे माफ कर दीजिए मैंने आपकी सेवा नहीं

(11:50) की बल्कि आपसे सेवा करवाई आप मुझे छोड़कर क्यों चले गए प्रभु हे महादेव लौट आओ मेरे पास भोला अब तुम मेरे पास अमरनाथ ही यात्रा करके आओगे मैं अमरनाथ में ही तुम्हें अपने दर्शन दूंगा इतना कहकर भगवान भोलेनाथ अंतरध्यान हो गए अगले दिन भोला ने सारी बात माला को बताई पर भोला इसी चिंता में था कि अमरनाथ की यात्रा के लिए उसके पास पैसे कहां से आएंगे तभी माला उससे बोली सुनो आपको याद है ना शिवा हमारे पास पैसे जोड़ता था इसका मतलब महादेव ने स्वयं हमारी अमरनाथ यात्रा की व्यवस्था कर दी आपकी जय हो बाबा बर्फानी जय भोला भंडारी आप की जय हो माला हमारे शिव शंकर ने हमें

(12:32) अपने धाम बुलाया है अमरनाथ बुलाया है भोला उन रुपयों से अपनी अमरनाथ यात्रा पर जाने की तैयारी करता है और साहूकार के पास कुछ दिन की छुट्टी मांगने जाता है छुट्टी तो तू ले ले वो तो तेरे पैसे मैं उतने दिन के काट ही लूंगा पर यह बता तू अमरनाथ की यात्रा के बारे में जानता भी है पता है कितनी दूर है अमरनाथ धाम पैसा कपड़ा खाना पीना पूरे परिवार के साथ तू कैसे अमरनाथ की यात्रा कर पाएगा बहुत कुछ देखना पड़ता है वहां पर पूरा पंजीकरण होता है पूरी तरह से स्वस्थ्य मनुष्य ही अमरनाथ की यात्रा कर सकता है नहीं तो रास्ते में ही रोक देते हैं और तू ठहरा एक गरीब कमजोर दोदो

(13:12) दिन तो तू रोटी नहीं खाता रास्ते में ही गिर करर बेहोश हो गया तो वापस भेज देंगे देख मैं भी अमरनाथ जा रहा हूं अपने परिवार के साथ देख लियो मैं अमरनाथ की पूरी यात्रा करके वापस आऊंगा भोला अपने परिवार के साथ अमरनाथ की यात्रा के लिए निकल पड़ता है उधर साहूकार को भी अपने परिवार को लेकर अमरनाथ की यात्रा के लिए जम्मू निकलना था पर किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था 75 वर्ष से ज्यादा उम्र होने की वजह से साहूकार के पंजीकरण को स्थगित कर दिया गया साहूकार ने मन में सोचा भगवान शंकर ने शायद मुझे सबक दिया है कि उनकी यात्रा के लिए कोई गरीब या अमीर नहीं होता

(13:49) वो जिस पर कृपा करते हैं वही उनके दर्शन कर पाता है शायद भोला उनका मेरे से भी ज्यादा बड़ा सेवक है इसलिए उसे अमरनाथ यात्रा पर जाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ मैं यह क्यों नहीं समझ पाया कि भगवान तो प्रेम के भूखे हैं उन्हें धन दौलत बड़े-बड़े पकवानों से कोई मतलब नहीं उन्हें कोई एक सूखी रोटी भी खिला दे तो उसमें भी प्रसन्न हो जाते हैं शिवशंकर मुझे माफ कर दो मैंने उस गरीब मजदूर की गरीबी का हमेशा फायदा उठाया बस एक बार भोला यात्रा से वापस आ जाए फिर मैं खुद उससे माफी मांगूंगा भोला माला और बच्चों के साथ पहल गांव पहुंचता है वहां से वह

(14:26) पैदल ही यात्रा शुरू करता है जय बम भोले का जाप करता हुआ वो आगे बढ़ता रहता है चलते-चलते बच्चों को भूख लगती है रुको तुम लोग यहां इस पत्थर पर बैठो मैं किसी से पूछता हूं सुनिए भैया जी यहां खाने के लिए कोई सुविधा मिल जाएगी अरे भाई ये अमरनाथ श्रद्धालुओं के लिए लंगर कमेटियां जीजन से पलखिला करर उनका सत्कार करती हैं खाने पीने से लेकर सोने तक की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है अमरनाथ यात्रा के लिए आओ मैं तुम्हें वहां का रास्ता बताता हूं भोला ने अपनी यात्रा को भगवान भोलेनाथ के भरोसे शुरू किया था और उसे पता था कि वही उसकी यह यात्रा पूरी करवाएंगे व्यक्ति

(15:06) भोला को लेकर जब लंगर कमेटी के पास पहुंचता है भोला ने देखा अमरनाथ यात्रा में लोग जगह-जगह खाने पीने और सोने की सुख सुविधाएं दे रहे हैं अमीर भक्त इस कार्य में दान दक्षिणा देकर अपना योगदान देते हैं सुबह के समय लंगर कमेटियां श्रद्धालुओं की भूख और प्यास को बुझाती हैं और रात होते ही लंगर स्थल धर्मशाला में तब्दील हो जाते हैं श्रद्धालुओं को बिस्तर और सर्दी से बचने के लिए बुखारी भी मुहैया करवाई जाती है अमरनाथ यात्रा के लिए उन्हें पांच पड़ाव पार करने थे पहला पड़ाव पहल गाव उन्होंने पार कर लिया था बापू अभी हमें कितनी और यात्रा करनी है

(15:42) अभी कितनी दूर है अमरनाथ की गुफा नमन पहला पड़ाव पहल गांव में अभी हम हैं अभी हमें चंदनबाड़ी शेषनाग पंचतरणी पार करना है उसके बाद पांचवा पड़ाव अमरनाथ की गुफा है जहां बाबा बर्फानी भोलेनाथ के शिवलिंग के दर्शन होंगे मतलब अमरनाथ की यात्रा के रास्ते में पांच पड़ाव आते हैं आज आया बिटिया पर भोले बाबा का नाम लेते जाओ तो यह रास्ता आराम से कट जाता है और यह पांच पड़ाव भी पार हो जाता है रास्ते भर अलग-अलग पड़ाव पर रुकते हुए आखिर भोला और उसका परिवार अमरनाथ की गुफा पर पहुंचता है पूरा परिवार इतने सुंदर दृश्य को देखकर खुशी से झूम उठता है तुम्हें पता है माला

(16:30) अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था बापू वो देखो कबूतर तुम्हें पता है छाया यह कबूतर का जोड़ा बहुत ही किस्मत वालों को दिखाई देता है जैसे तुमने देखा सब मिलकर अमरनाथ बर्फानी शिवलिंग के दर्शन करते हैं भोला हमेशा याद बनकर रहने वाली अनमोल दृश्यों वाली अमरनाथ यात्रा करके खुशी-खुशी गांव वापस आ जाता है साहूकार भोला से अपनी गलतियों के लिए माफी मांगता है और उसे अच्छी पगार देने लगता है दिल से भगवान शंकर के आशीर्वाद से भोला की जिंदगी में खुशियां आ जाती

(17:15) हैं


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