गाय के शरीर में कैसे बसे सभी हिन्दू देवी-देवता

 (2) गाय के शरीर में कैसे बसे सभी हिन्दू देवी-देवता || Dharm Yoddha Garud 


परंतु माता लक्ष्मी का वास मां कामधेनु के पिछले भाग में ही क्यों मैं बताती हूं जब मैं सरकार रूप में कामधेनु बनकर अवतरित हुई [संगीत] देवता मुझमें स्थान ग्रहण करने आए  कम जो सबसे पहले आया उसे अपनी इच्छा अनुसार स्थान मिल गया मेरे इस कामधेनु अवतार के सिंगो के जादौन में सदैव प्रजापति ब्रह्मा और महा विष्णु प्रतिष्ठित होते हैं मध्य भाग में स्वयं महादेव 


 प्रणाम मां मां मुझे भी अपने इस कामधेनु रूप में कोई स्थान दे दीजिए आपको विलंब हो गया देवी तो सभी ने अपना मां वंचित स्थान चुनकर निवास करना आरंभ भी कर दिया है कोई तो उपाय होगा मुझे कहानी भी कोई भी स्थान दे दीजिए मैं तैयार हूं मां [संगीत] मां मैं आपके साथ निभास करना चाहती हूं मैं समझती हूं परंतु इस संसार में सबसे अधिक वंदनीय आप हैं यदि आज आपने मेरा अनदर किया तो सृष्टि में कभी भी कोई मुझे सम्मान नहीं देखा 

 मेरे मूत्र और गोबर को भी शुभ माना जाता है और अब आपके निवास के करण यह मनुष्यों के लिए और भी अधिक हितकारी होगा [संगीत] [संगीत] गे के गोबर में लक्ष्मी का वास होता था इसीलिए उसे खेतों में डालकर मिट्टी को उपजाऊ बनाया जाता है घर की दीवारों में उसका लिप लगाकर उन्हें स्वच्छ बनाया जाता है और चौकी में चूल्हे में डालकर उसे शुद्ध किया जाता है गे के गोबर से बने हवन की समिधा बनते और गौमूत्र अनेक रोगन का नस कर देता  भविष्य

बुक मैं माखन चोर भी का लॉन्ग यह कहा है तो बहुत गुणकारी है जो स्वर्ग पर राज करता है 

 लीजिए  तो ऐसे पुरी कर रही है क्या

यह ही नहीं कैसे पता  नहीं लगेगा 

 क्यों कर रहा है  इतना की मां में आप इतना विचार ए गया तो 2 करोड़ की व्यवस्था करते हैं ऐसा नहीं होने दूंगी पापा मैं केवल एक साधारण दास हूं गौ माता कामधेनु जैसे दिव्या गे का दूध मैं कहां से ढूंढने से तेरे नारायण भी मिल जाते हैं तो तुम गौ माता कामधेनु का दूध नहीं ला शक्ति [संगीत] यदि नहीं ला शक्ति है तो तू और तेरा नारायण दोनों किसी कार्य के नहीं है [संगीत] महाराज बाली यदि एक बार जीत गए हैं तो

(08:45) इसका अर्थ यह नहीं की संसार की सभी संप्रदाय उन्हें प्राप्त होगी समुद्र मंथन के रतन उन्हें ही मिलेंगे जो उसके योग्य हो इस योग्यता का निर्णय के आधार पर किया तुमने निर्णय कोई भी हो महाराज हिंदू देवताओं का आधार केवल चल ये दिव्या है इन देवताओं को मैं किसी भी मूल्य पे नहीं लेने दूंगा ये हमारा अधिकार है और हम अपना अधिकार लेकर रहेंगे चाहे कुछ भी हो जाए  अगर कहानी फिर शेष मंथन किसी मूल्य पर नस इसलिए जो ना

 कुछ भी क्यों ना करना पड़े मेरे लिए गे का दूध लेकर कहां नहीं पता है तो पता करो एक शास्त्र पुत्रों का वरदान मैंने इसलिए नहीं मांगा था की उनके होते हुए भी साड़ी समस्याओं का समाधान मुझे स्वयं करना पड़ेगा इसलिए तुम लोग जो और मेरे लिए गे का दूध लेकर आओ अब हम क्या करें कहां से ले यह दूध कितनी शुद्धता और शांति छ गई थी परंतु यह सभी ऐसे ही जगह दे रहे हैं तो साड़ी शांति नष्ट हो जाएगी [संगीत] जो भी इसकी सेवा करेगा

(11:07) वो पुरी तरह से सात्विक हो जाएगा यह तो अत्यंत शुभ बात है पुरी तरह बादल जाएगा  उनकी शक्ति और प्रतिष्ठा का कोई अर्थ नहीं रहेगा 

(12:26) कहानी इसके करण तुम सात्विक बन गए तो तुम तो स्वर्ग गंद में दे डॉग [संगीत] प्रभु की युक्ति कम कर गई अब गौ माता देवताओं को मिलेगी नहीं हमें किसी ऐसी वास्तु की प्रतीक्षा करनी चाहिए जो बाल और शक्ति का परिणाम हमारे तरफ झुकाए रखना में हमारी सहायता करें इससे उत्तम और क्या हो सकता है [संगीत] क्या हुआ गर्व तुम्हें इस निर्णय से प्रश्न नहीं हूं मैं इस बात से प्रश्न हूं के पास नहीं की जो सबको सताते हैं जिनके प्रवृत्ति ही दुष्ट हैं

(13:32) प्रभु की गौ माता इनके पास जान के बाद प्रश्न नहीं है इतना जानते हो तुम गौ माता के मां को ऐसा नहीं है प्रभु मैं तो केवल इतना ही जानता हूं मां कम दोनों की आंखों में आंसू तो सदैव रहते हैं परंतु आज हम आंसुओं में वो प्रसन्नता नहीं दिखाई दे रही जो तब दिखती है जब बहुत लंबे समय के बाद में अपने मां से मिलने जाता हूं और वो अपने आंखों में आंसू भर कर मुझे नहीं आई है  कहां जा रहे हैं

(14:49) [संगीत] तक तो धूमल क्या हो रहा है कहां जा रहे हो तुम सब [संगीत] दोनों ऐसे लुप्त क्यों हो गए है बताइए मुझे मैं मां कामधेनु के दूध का प्रबंध कैसे करूं केवल मेरी परीक्षा नहीं है आपकी प्रतिष्ठा भी दावा पर है और मैं आपका अपमान होते हुए नहीं देख शक्ति नारायण सहायता कीजिए मेरी सहायता कीजिए

(16:25) मां कहती हैं की जब कुछ पहले बार प्राप्त हो तो उसे ब्राह्मण और ऋषियों को दान देना चाहिए इसलिए हम आपको दान देने आए हैं आजा दीजिए मां धन्यवाद [संगीत] [संगीत] ऋषि गण हम सभी देवता पूर्ण श्रद्धा और

(17:44) भक्ति भाव से इन मां कामधेनु को आपको दान देना चाहते हैं [संगीत] कृपया इन्हें स्वीकार कर हमें कृतार्थ करें देवराज प्रभु विष्णु की भक्ति और ऋषियों को दिया हुआ दान कभी व्यर्थ नहीं जाता समुद्र मंथन के इस महान यज्ञ में आप सब को सफलता प्राप्त हो [संगीत] [संगीत] तो उसे प्राप्त करने के लिए हमसे इतना

(18:50) झगड़ा क्यों कर रहे थे देवराज की बुद्धि के प्रशंसा तो करनी ही पड़ेगी तुम कहना क्या चाहते हो [संगीत] मैं देखकर देवराज ने एक तीर से दो निशाने लगा है भैया [संगीत] साथ ही साथ सब त्रिशू से आशीर्वाद भी लिया की इस मंथन में विजय प्राप्त हो यह है भैया क्या अमृत ने अवश्य मिलेगा [संगीत] पेज भी समझना लगा है हर बिताते दिन के साथ ये और भी अधिक समझना और भी अधिक व्यवहारिक होता जा रहा है एक दिन इसके यही गन बैकुंठ के उपयुक्त बने में इसकी सहायता करेंगे 

) मां कामधेनु की प्रकट होने के बाद से इनका उत्सव बहुत ही अधिक बाढ़ गया प्रभु इन्हें देख कर ऐसा ग रहा है जैसे की सब कुछ भूल चुके हैं की अभी अभी इसी मंथन रक्षा भी निकाला था और लक्ष्मी मां भी यही तो इस जीवन का आनंद सुख आते ही मनुष्य का मां चंचल हो जाता और फिर वो अपने 


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