छोटी बच्ची की कावड़ यात्रा | Choti Bacchi Ki Kawad Yatra | Hindi Kahani | Moral Stories |Bhakti Story

(4) छोटी बच्ची की कावड़ यात्रा | Choti Bacchi Ki Kawad Yatra | Hindi Kahani | Moral Stories |Bhakti Story



 श्रावण मास प्रारंभ हो चुका था इसी विषय पर माता पार्वती भगवान शिव से वार्तालाप कर रही थी बातो ही बातों में वे भगवान शिव से बोली प्रभु अगर आप आज्ञा दे तो मैं भक्तों की निस्वार्थ भक्ति की परीक्षा लेने हेतु पृथ्वी लोक पर जाना चाहती हूं देवी पार्वती आपकी ऐसी इच्छा है तो आपको जरूर जाना चाहिए वैसे भी श्रावण मास प्रारंभ हो चुका है यह अति उत्तम समय है भक्तों की परीक्षा लेने के लिए मुझे आज्ञा दीजिए स्वामी मां पार्वती भक्तों की निस्वार्थ भक्ति भावना की परीक्षा लेने के लिए एक छोटी बच्ची का रूप लेकर धरती लोक पर पहुंचती है छोटी

(00:52) बच्ची ने अपने कंधे पर एक छोटी सी कावड़ रखी हुई थी और अपने नन्हे नन्हे हाथों से उस छोटी सी कावड़ को पकड़ा हुआ था मा छोटी बच्ची के रूप में कावट को उठाए जय बम भोले बोलती हुई अपने छोटे छोटे कदमों से चलती जा रही थी आसपास से गुजरने वाले लोग उन्हें देख रहे थे देखो भाई देखो यह छोटी बच्ची अपने कंधे पर कितनी छोटी सी कावड़ उठाकर चल रही है मटकी तो कितनी छोटी है मुश्किल से एक घूंट पानी ही आया होगा अरे आजकल सावन मास है ना तो कावड़ यात्रा प्रारंभ हो गई है परिवार का कोई सदस्य कावड़ यात्रा पर निकला होगा यह बच्ची साथ गई होगी वो पीछे होगा बच्ची आगे

(01:34) आ गई होगी जरूर बच्ची ने जिद की होगी तो यह छोटी सी कावड़ बनाकर दे दी होगी माता पार्वती आते जाते लोगों की बातें सुन रही थी अब उनका माया रचने का सही समय आ गया था वे आते जाते लोगों को रोकने लगी भैया जी जरा मेरी बात सुनो बोलो बिटिया क्या काम है मुझे जरूरी काम से जाना है मुझे देर हो रही है मैं ये कावर लेकर जा रही थी कुछ देर आराम करना है क्या आप मेरी कावर थोड़ी देर उठा सकते हो मैं कुछ देर आराम कर लूंगी नहीं बिटिया मेरे पास तो बिल्कुल भी समय नहीं है तुम ऐसा करो किसी और को बोल दो अच्छा मैं आपसे य मुफ्त में करने को नहीं कह रही हूं इसके बदले में आपको 10

(02:13) सोने के सिक्के दूंगी क्यों मजाक कर रही हो बेटी तुम इतनी छोटी सी हो तुम्हारे पास भला सोने के सिक्के कहां से आए मैं झूठ नहीं बोल रही यह देखो यह रहे सोने के सिक्के मां पार्वती अपने चमत्कार से एक हाथ में 10 सोने के सिक्के उत्पन्न करती है चमचमाते सोने के सिक्कों की चमक से आदमी लालच में आ जाता है हां हां लाओ लाओ मैं तुम्हारी कावड़ पकड़ लेता हूं हैं तुम थोड़ी देर क्या जितनी देर चाहे आराम करो अच्छा ठीक है तो लो यह पकड़ो आदमी को लगा छोटी सी कावड़ पकड़ने के बदले 10 सोने के सिक्के मिल रहे हैं तो उसमें तो लाभ ही लाभ है आदमी ने जैसे ही कावड़ अपने कंधे

(02:54) पर रखी कावड़ का वजन इतना भारी हो गया कि आदमी एक ही पल में थक गया और हार मान गया अरे अरे अरे संभाल लो अपनी काव यह तो बहुत भारी है यह मुझसे नहीं उठाई जाएगी अरे भैया आप मेरी इतनी हल्की कावड़ को भारी बोल रहे हो जब मैं इतनी छोटी बच्ची इसे उठा सकती हूं तो आप क्यों नहीं फिर आपको अब ये सोने के सिक्के नहीं मिलेंगे अरे कोई बात नहीं अपने कंधे थोड़ी ना तोड़ने है इतनी भारी कावड़ उठाकर अब तुम और किसी को बोल दो अच्छा मां पार्वती हंसने लगती है उन्होंने जानबूझ कावड़ का वजन बढ़ा दिया था उसके बाद बहुत से लोग सिक्कों के लालच में कावड़ उठाने के लिए रुकते पर

(03:36) स्वार्थी लोगों के लिए वो कावड़ भारी हो जाती थी मां पार्वती तो भक्तों की परीक्षा ले रही थी कौन जानता था कि वह छोटी बच्ची स्वयं देवी पार्वती है चलते चलते माता पार्वती बहुत से लोगों की परीक्षा ले चुकी थी पर अभी तक इस परीक्षा में कोई भी सफल नहीं रहा था कुछ देर बाद एक आदमी अपनी गर्भवती पत्नी के साथ वहां से गुजर रहा था माता पार्वती ने उस आदमी को आवाज ओ भैया जरा रुकना तो सुनो जी व छोटी बच्ची हमें बुला रही है कहीं उसे हमारी जरूरत तो नहीं हमें रुकना चाहिए हां चलो पूछते हैं किशन नाम का वो आदमी अपनी पत्नी राधा के साथ बच्ची के पास जाता है क्या हुआ बिटिया

(04:16) तुमने हमें आवाज क्यों दी और तुम्हारे माता-पिता कहां है भैया मेरे माता-पिता थोड़ा पीछे रह गए हैं मैं आगे निकल आई और मैं उनकी प्रतीक्षा कर रही हूं मैं और मेरे माता-पिता कावर यात्रा पर निकले पर चलते चलते मैं बहुत थक गई हूं मैं अपनी कावट को जमीन पर नहीं रख सकती बापू ने कहा था कि इसे कंधे पर ही रखना होता है अगर तुम कुछ देर मेरी कावड़ को अपने कंधे पर रख लो तो मैं थोड़ी देर विश्राम कर लूंगी तब तक मेरे माता-पिता भी आ जाएंगे कितनी मासूम बच्ची है हां हां बिटिया क्यों नहीं मैं तुम्हारी कावड़ को अपने कंधे पर रख लेता हूं और जब तुम्हारे माता-पिता आएंगे

(04:55) तब तुम उनके साथ आगे चले जाना ठीक है राधा तुम कुछ देर व पर बैठ जाओ तुम भी थोड़ी देर आराम कर लोगी हां हां चलो बिटिया हम वहां चलकर थोड़ी देर बैठते हैं और कावड़ की बिल्कुल भी चिंता मत करो मेरे पति तुम्हारी कावड़ को कुछ देर कंधे पर रख लेंगे पर आपको क्या इसके बदले मेरे से कुछ नहीं चाहिए आप मेरा यह काम मुफत में ही कर दोगे अरे बेटिया भगवान भोलेनाथ की पूजा के कार्य के लिए मैं भला पैसे कैसे ले सकता हूं और ऊपर से तुम इतनी छोटी सी प्यारी सी बच्ची हो तुमसे पैसे लेकर मैं भगवान को क्या ही मुंह दिखाऊंगा हमें कुछ नहीं चाहिए बिटिया तुम आराम से बैठो तभी वहां

(05:36) से कुछ देर आराम करके गुजरने वाले आदमी ने किशन को आवाज लगाई अरे भैया यह बच्ची जो कावड़ उठाकर चल रही है ना इसकी कावड़ कोई भी नहीं उठा पा रहा है क्योंकि इसकी कावड़ का वजन बहुत भारी है भया यह तो हमसे भी नहीं उठी तो तुम भला कैसे कंधों पर उठा पाओगे बदले में तो यह बच्ची हमें सोने के 10 सिक्के भी दे रही थी जब कावड़ ही नहीं उठा पाए तो सोने के सिक्के भी हाथ से चले गए मेरा काम तुम्हें बताना था कावड़ उठाकर पहले ही मेरा कंधा दर्द हो गया अब थोड़ी देर आराम करके अपने घर जा रहा हूं बाकी तुम्हारी मर्जी हां यह सच है मैंने सबको

(06:11) यही कहा था कि 10 सोने के सिक्के दूंगी अगर आपको चाहिए तो मैं आपको भी दूंगी नहीं नहीं बिटिया मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं तो बस भगवान भोलेनाथ के कार्य में सेवा दे रहा हूं और सेवा का कोई मूल्य नहीं होता किशन की बातें सुनकर माता पार्वती बहुत प्रसन्न होती और कावड़ का भार हल्का हो जाता है किशन कावड़ को उठा लेता है और माता पार्वती अपने रूप में आ जाती है किशन और राधा माता पार्वती को देखकर हैरान रह जाते हैं माता पार्वती आप और एक एक बच्ची के रूप में कावड़ यात्रा पर हा किशन मैं भक्तो की परीक्षा लेने के लिए धरती पर आई थी और तुम्हारी निस्वार्थ भक्ति देखकर मैं

(06:54) बहुत प्रसन्न हूं मैं चाहती हूं इस काव यात्रा को तुम पूरा करो यात्रा करने से तुम्हारे जीवन में सारे दुख दर्द दूर हो जाएंगे और तुम्हारे जीवन में खुशियों का आगमन होगा भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ मेरा आशीर्वाद भी तुम पर सदैव बना रहेगा जाओ किशन इस कावड़ यात्रा को पूरा करो मेरी कृपा से मार्ग में तुम्हें कोई कष्ट नहीं होगा किशन और राधा को आशीर्वाद देकर मां पार्वती अंतर्ध्यान हो जाती है और भगवान शिव के पास कैलाश लौट आती है भगवान शिव भी कैलाश पर्वत पर बैठे मां पार्वती की इस पूरी लीला को देख रहे थे किशन राधा को घर भेज देता है और खुद वहीं से कावड़ यात्रा

(07:37) को पूरा करने के लिए निकल पड़ता है किशन बहुत खुश था कि आज साक्षात मां पार्वती ने उसे दर्शन दिए किशन कावर यात्रा पूरी करके वापस लौटता है राधा के साथ मिलकर मंदिर में शिवलिंग की पूजा करता है किशन ने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह कभी कावर यात्रा पर भी जाएगा किशन और राधा की निस्वार्थ भक्ति ने आज उनके जीवन को सुख समृद्धि से भर दिया


 पम का उल्टा हाथ बचपन से बेजान था इसलिए उसके लिए जो भी रिश्ता आता था मना हो जाता था ऐसे ही एक दिन अरे विमला लड़के वाले आ गए हैं पूनम बिटिया तू चाय ले जा बाकी मैं ला रही हूं मां लड़की का एक हाथ खराब है

(08:17) ध्यान से देखो मदन जी खाना पना तो होता ही रहेगा हम बेटे से बात करके आपको कुछ दिनों में जवाब भेज देंगे अच्छा अब हम चलते हैं ठीक है पम की एक और घर का रिश्ता मना हो गया था वह बिना कुछ बोले थैला उठाकर सब्जी लाने के बहाने घर से बाहर चली जाती है घर से बाहर निकलते ही वह फूट-फूट कर रोने लगती है मदन और बमला भी बहुत दुखी होते हैं पता नहीं मोहल्ले की सब लड़कियों के हाथ पीले हो गए हमारी पूनम के भाग्य में ना जाने क्या लिखा है जो भी लड़का देखने आता है इसके एक हाथ की खराबी की वजह से मना कर देता है क्या करें विमला वह दिन मुझे आज भी याद है जब पूनम छोटी

(08:58) थी सुन जी बारिश बहुत तेज हो रही है मुझे नहीं लगता ये झुग्गी ज्यादा देर तूफान सहन कर पाएगी तू पूनम को संभाल और जरूरी सामान बांध ले मैं देखता हूं कोई सहायता मिल जाए तो ये जगह खाली कर देंगे तभी आंधी तूफान तेज हो जाता है और झुकी का छप्पर कम के ऊपर गिर जाता है विमला अचानक से चिल्ला पड़ती है पम मेरी बच्ची क्या हुआ तुझे ये क्या अनर्थ हो गया भगवान मेरी बच्ची बिम और मदन पूनम को उठाकर डॉक्टर के पास जाते हैं बच्ची के हाथ पर भारी वजन गिरा है इसलिए ये हाथ अब उम्र भर बेजान रहेगा पता नहीं हमारी बेटी के साथ ही ऐसा क्यों होना लिखा था आप दुखी मत हो पूनम

(09:38) बाजार से आती होगी आपको ऐसे देखेगी तो वह भी परेशान होगी मां बापू क्या बातें चल रही है आज तो मैं थक गई ये लो मां सारी सब्जियां ले आई हूं जो कुछ तुमने बोला था तभी पड़ोस की महिला आ जाती है राम राम विमला बहन ये लो मुंह मीठा करो मेरी बिटिया सुमन का रिश्ता पक्का हो गया है बहुत ही अच्छा घर परिवार मिला है यह तो बहुत ही अच्छी बात है सरोज बहन मेरी पूनम के लिए भी कोई घर बताना देखो बमला बहन कोई अच्छा लड़का तो मिलने से रहा क्योंकि पूनम के हाथ की तकलीफ देखकर कोई भी लड़का हां नहीं करेगा अच्छा अब मैं चलती हूं बहुत तैयारियां करनी है सरोज चली जाती है पूनम

(10:13) की मां विमला काम में लग जाती है तभी एक फकीर द्वार पर आवाज लगाता है कुछ खाने को दे दे माई मां द्वार पर कोई फकीर आए हैं मैं उं कुछ खाने को दे देती हूं ये लो बाबा साग और रोटी बिटिया ये तेरे हाथ को क्या हुआ बाबा जब मैं छोटी थी तो एक हाद से में मेरे हाथ पर चोट आई थी सब चिंता बाबा भोलेनाथ पर छोड़ दे बच्ची देखना तेरा ये हाथ बिल्कुल ठीक हो जाएगा क्या हुआ पूनम बाबा को रोटी देने में बड़ी देर लगा दी क्या हुआ बाबा सब चिंता बाबा भोलेनाथ पर छोड़ दे बच्ची देखना तेरा यह हाथ बिल्कुल ठीक हो जाएगा बाबा इसकी सारी सहेलियों की शादी हो गई इसका बेजन हाथ

(10:55) देखकर सब लड़के मना कर देते हैं पता नहीं इसका भाग्य कब खुलेगा बिटिया तेरी सारी चिंताओं की मुक्ति इस श्रावण मास में हो जाएगी तू भोले बाबा के सावन के सोमवार व्रत रख श्रद्धा भक्ति से पूजन कर सावन का महीना भगवान शंकर को अति प्रिय है जो कोई भी सच्चे मन से श्रावण मास में उनकी पूजा करता है वह उस भक्त की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं और हां बेटी भोलेनाथ के आशीर्वाद से देखना इस बार तुम अपने माता-पिता के साथ कावड़ यात्रा भी करोगी बाबा मैं यह सावन के सोमवार व्रत जरूर रखूंगी पम भगवान शिव के सावन मास में सोमवार व्रत रखने लगी

(11:33) सावन मास में सुबह उठकर व शिव मंदिर में जाकर पूजा पाठ करती और शिवलिंग पर जल चढ़ाती एक दिन पूम मंदिर में पूजा के लिए पहुंची तभी अरे कोई मेरी मदद कर दो यह सामने कुए से पानी निकाल दो मुझे शिवलिंग पर जलाभिषेक करना है कोई मेरी मदद कर दो क्या हुआ बाबा आप कुछ परेशान दिखाई दे रहे बेटी आज सावन मास की शिवरात्रि है मुझे कुएं के जल से ही शिवलिंग पर चल से अभिषेक करना है पर मैं वृद्ध हूं कुए में से पानी निकालने में असमर्थ हूं क्या तुम मेरी सहायता करोगी हां बाबा मैं अभी आपके लिए कुएं से बाल्टी भर कर लाती हूं पम बाल्टी उठाकर कुएं के पास जाती है और कुएं से

(12:14) पानी निकालने लगती है उसे याद ही नहीं रहता कि उसका उल्टा हाथ तो काम ही नहीं करता पर व दोनों हाथों से पानी की बाल्टी खींच लेती है और उस बूढ़े व्यक्ति के पास ले जाने लगती है तो बूढ़ा व्यक्ति वहां नहीं होता पूनम अपने दोनों हाथों की ओर देखती है जो उल्टा हाथ बरसों पहले अपाहिज हो गया था आज उसने उसी हाथ से कुएं से पानी निकाला वह भागती हुई घर जाती है मां मां देखो मेरा हाथ ठीक हो गया भगवान भोलेनाथ ने मेरा हाथ ठीक कर दिया क्या यह इतना बड़ा चमत्कार हे शिव शंकर आपका यह कैसा अनोखा चमत्कार है प्रभु मेरी बिटिया का हाथ ठीक हो गया भगवान आपकी महिमा अपार

(12:52) है पम बमला और मदन को मंदिर में घटी सारी घटना विस्तार से बताती है पूनम वो भगवान शंकर की ही कोई ली थी जो तुम्हारा हाथ ठीक करने के लिए उन्होंने रची थी स्वयं भगवान शिव तुम्हारी मदद के लिए आए बेटी यह सब सावन मास के सोमवार व्रत का फल है सच में भोलेनाथ के सावन के सोमवार व्रत बहुत ही फलदाई हैं तूने उन फकीर बाबा के कहने पर यह व्रत रखे और आज यह चमत्कार हो गया तभी वो फकीर बाबा आ जाते हैं मैंने कहा था ना बिटिया भोलेनाथ के सावन के महीने की मान्यता बहुत है तेरे सारे दुख दूर हो जाएंगे भोले बाबा तुझे सदा खुश रखें देखते ही देखते वोह फकीर बाबा भी ओझल हो गए पम

(13:34) के दुख दूर हो चुके थे वह अपने पिता से कहती है बापू मैं भी कावड़ यात्रा पर जाना चाहती हूं चलोगे ना मुझे शिवजी का जलाभिषेक करना है हां बेटी हम कावड़ का जल लेने जरूर जाएंगे बिम और मदन पूनम को लेकर कावड़ यात्रा के लिए जाते हैं पूनम हरिद्वार से जल लाकर शिव मंदिर में शिवलिंग की पूजा अर्चना करती है कुछ दिनों बाद मदन और बिमला एक अच्छा लड़का देखकर पूनम की शादी कर देते हैं पम को एक सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.