हनुमान चालीसा का चमत्कार | Hanuman Chalisa Ka Chamatkar -Hanuman Chalisa |हनुमान चालीसा

  हनुमान चालीसा का चमत्कार | Hanuman Chalisa Ka Chamatkar -

 

व्हील चेयर पर बैठी सावित्री देवी हमेशा की तरह प्रभु राम का नाम जप रही थी रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाई पर वचन न जाई तभी सावित्री पास रखी मेज से पानी का गिलास उठाने की कोशिश करती है पर पानी का गिलास गिर जाता है सावित्री की आंखों में आंसू आ जाते हैं वह मन में सोचती है हे प्रभु राम यह कैसी जिंदगी दी है तुमने मुझे एक बोझ बनकर रह गई हूं मैं क्या मुझे इस मुसीबत से निकालने का कोई रास्ता नहीं है तभी पड़ोस की लड़की गिलास गिरने की आवाज सुनकर आ जाती है और कहती है क्या हुआ आंटी सावित्री देवी बोली कुछ नहीं माला बेटी मैं पानी पीने के लिए गिलास उठा रही
(00:52) थी पर गिलास गिर गया माला कहती है आप मुझे आवाज दे देती आपकी आवाज मेरे घर तक आ जाती है पर कोई बात नहीं अभी मैं आ गई हूं यह लीजिए पानी यह कहकर माला एक गिलास में पानी डालकर सावित्री को देती है माला कहती है लगता है ज्योति आज काम पर जल्दी निकल गई सावित्री बोली हां बेटी सुबह-सुबह ताजे फूल लेना फिर उनकी माला बनाना और मंदिर के बाहर बेचना अगर जल्दी ना निकले तो ताजा फूल नहीं मिल पाएंगे तो फिर वह दिहाड़ी कैसे कमाए गी सावित्री के बुढ़ापे का सहारा ज्योति ही थी थी कुछ साल पहले सावित्री एक एक्सीडेंट में अपने पति को खो चुकी थी और खुद भी इस एक्सीडेंट में चोट
(01:37) खाकर व्हील चेयर पर आ गई थी ज्योति मंदिर के बाहर फूल लेकर बैठी थी फूल भी बेच रही थी और साथ-साथ मालाए भी बनाती जा रही थी व मन में सोच रही थी हे प्रभु आज तो कुछ खास बिक्री भी नहीं हुई बस दो-चार मालाएं और बिक जाए तो आज की दिहाड़ी बन जाए तभी ज्योति के कानों में एक बच्चे की आवाज पड़ी बचाओ बचाओ अरे कोई बचाओ आवाज मंदिर के पास वाले तालाब से आ रही थी ज्योति भागकर तालाब के पास पहुंची उसने देखा कि एक बच्चा तालाब में डूब रहा है ज्योति ने तालाब में छलांग लगा दी मंदिर के पास बने उस तालाब में लोग सिक्के फेंककर हाथ जोड़कर नमन करते थे दूसरों की देखा देखी
(02:23) उस बच्चे ने भी तालाब में सिक्का फेंका और सिक्का फेंकने में उसका पैर फिसल गया ज्योति किसी तरह उस बच्चे को बचाकर बाहर ले आई तभी वहां खड़े लोग ज्योति की प्रशंसा करने लगे अरे वाह तुम तो बहुत बहादुर लड़की हो लगता है तुमने बहुत छोटी उम्र में ही तैराकी सीख ली थी आज काम आ गई परंतु इस बच्चे के माता-पिता कहां है तभी उस बच्चे के माता-पिता वहां पहुंच गए उस बच्चे की मां उसे गले लगाते हुए रोने लगी तभी वहां खड़े हुए एक आदमी ने बताया अरे बहन जी आपके बच्चे को इस फूल वाली ने बचाया है बेचारी की बिकरी पर भी असर पड़ेगा पर इसने किसी बात की परवाह ना करते
(03:04) हुए आपके बच्चे को बचा लिया उस बच्चे के पिता ने ज्योति से कहा तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद यह लो हमारी ओर से कुछ पैसे रख लो तुम्हारी बिकरी का जो नुकसान हुआ है वह पूरा हो जाएगा बाकी तुमने हमारे बच्चे की जो जान बचाई उसका एहसान तो हमारे ऊपर हमेशा रहेगा ज्योति बोली नहीं नहीं अंकल मुझे पैसे नहीं चाहिए यह मेरे छोटे भाई की ही तरह है वैसे भी किसी की मदद करने के लिए कभी पैसे नहीं लेने चाहिए मेरी मां ने यही सिखाया है उस बच्चे के पिता यह सुनकर खुश हो गए और बोले वाह तुम्हारे संस्कार बहुत अच्छे हैं बेटी हम तुम्हारा एहसान कभी
(03:43) नहीं भूलेंगे ज्योति वापस अपनी फूलों की दुकान पर चली गई और टोकरी में पड़ी अपनी मालाओं को देखते हुए सोचने लगी यह मालाएं तो अभी तक नहीं बिकी आज की दिहाड़ी तो गई व ऐसा सोच ही रही थी तभी एक छोटी सी किताब उसकी में आकर गिरी उसे देखकर वह थोड़ा चौक गई अरे यह क्या यह तो हनुमान चालीसा है पर यह यहां कैसे आ गई तभी एक बूढ़ा सा व्यक्ति जिसके हाथ में काफी सारी किताबें थी उसके पास आया और बोला बेटा यह किताब मेरी है मैं हनुमान चालीसा और पूजा की किताबें बेचकर अपना गुजारा चलाता हूं ज्योति बाबा को किताब वापस करने लगी बाबा बोले नहीं
(04:27) नहीं बेटी इसे तुम ही रख लो आज तक ऐसा नहीं हुआ कि मेरे हाथ से कभी कोई किताब गिरी हो इस हनुमान चालीसा का इस तरह तुम्हारी फूलों की टोकरी में आकर गिरना इसका अर्थ है प्रभु श्री राम इस किताब को तुम तक पहुंचाना चाहते हैं ज्योति ने बड़ी हैरानी से कहा मुझ तक पहुंचाना चाहते हैं बाबा बोले हां बिटिया तभी तो यह तुम तक आई है हनुमान चालीसा का बहुत प्रताप है बिटिया 40 दिन तक इस चालीसा का पाठ करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं बजरंग बली जी उसकी उसी तरह मदद करते हैं जैसे संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को उन्होंने जीवन दान दिया था अच्छा एक बात बताओ
(05:08) बिटिया तुम्हें पढ़ना तो आता है ना ज्योति बोली जी बाबा पढ़ना तो आता है बाबा बोले बहुत बढ़िया तो तुम हर शाम को बजरंग बली जी की हनुमान चालीसा का पाठ करो तुम्हारी सारी मुश्किलें दूर हो जाएंगी इसके बदले में तुम चाहो तो मुझे कुछ फूल दे दो मैं प्रभु श्री राम और बजरंग बली के चरणों में प्रणाम करके उनका आशीर्वाद ले लूंगा बाबा ने ज्योति से फूल लिए और चले गए ज्योति सोचने लगी यह तो मैं कर सकती हूं हर शाम को घर जाने से पहले मैं मंदिर में बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ कर लिया करूंगी बजरंग बली जी की कृपा से मेरे सभी रास्ते खुल जाएंगे ज्योति ने जो फैसला किया उस पर
(05:52) अमल भी किया और शाम को घर जाने से पहले मंदिर में बजरंग बली जी की मूर्ति के सामने बैठ गई और हनुमान चालीसा का पाठ किया ज्योति ने घर आकर अपनी मां को खाना दिया तभी उसकी नजर अपनी मां की फटी साड़ी पर गई जिसे देखकर उसकी आंखों में आंसू आ गए सावित्री देवी ने उससे कहा क्या हुआ बेटी तू रोती क्यों है ज्योति बोली मां मैं इतनी मेहनत करके भी आपके लिए एक साड़ी तक नहीं ले पा रही हूं उसकी मां बोली तू मन छोटा क्यों करती है बेटी मैं घर पर ही तो रहती हूं कौन सा कहीं जाती हूं तभी ज्योति को मंदिर की घटना याद आ गई और वो बोली मां आज एक बहुत अद्भुत घटना हुई मेरी
(06:34) फूलों की टोकरी में हनुमान चालीसा आकर गिरी एक बाबा के कहने पर मैंने आज से हनुमान चालीसा का पाठ शुरू किया है तुम देखना मां 40 दिन पूरे होते ही हमारे भी सुख के दिन शुरू हो जाएंगे ज्योति ने मां को खाना खिलाया दवाई खिलाई और सोने चली गई अगली शाम को भी ज्योति मंदिर में बजरंग बली जी की मूर्ति के सामने बैठ गई और हनुमान चालीसा का पाठ किया अगली सुबह जैसे ही ज्योति घर से निकलने को हुई तभी मकान मालिक आ गया और ताना देते हुए कहने लगा वाह वाह लोग ठीक ही कहते हैं भाई पढ़ लिखकर लोग स्मार्ट हो जाते हैं तुम भी काफी स्मार्ट हो गई हो ज्योति बोली
(07:16) शुक्रिया सेठ जी पर मैंने ऐसा क्या किया सेठ बोला अब देखो ना तुम सुबह-सुबह अंधेरे में ही निकल जाती हो क्योंकि तुम्हें पता है बाद में मैं आकर किराया मांगूंगा पीछे से अपाइज मां होगी तो उसे तो मैं कुछ कह नहीं सकता पर देखो आज मैं तुमसे भी ज्यादा स्मार्ट हो गया और तुम्हें सही समय पर आकर पकड़ लिया ज्योति बोली सेठ जी आप तो हमारी हालत जानते हैं हम अभी किराया देने की हालत में नहीं है हमें थोड़ी मोहलत दे दीजिए बाकी सुबह तो मैं इसलिए जल्दी जाती हूं क्योंकि मुझे फूल खरीदने जाना होता है सेठ बोला बेटी तुम भी मेरी हालत अच्छे से
(07:55) जानती हो मेरे खर्चे का प्रबंध लोगों से मिलने वाले किराए से ही तो होता है मेरी हालत पर रहम करो मेरा यह मकान तुरंत खाली कर दो मैं किसी और को देकर अपना गुजारा चला लूंगा ज्योति बोली पर सेठ जी ज्योति कुछ बोल पाती उससे पहले ही सेठ बोला अरे कोई सेठ वेट नहीं मुझे आज ही मकान खाली चाहिए नहीं तो कल तुम मिलो या ना मिलो मैं तुम्हारी मां को घर से बाहर निकाल दूंगा ज्योति की आंखों से आंसू बहने लगे पर उसके सामने रास्ता भी क्या था वह मां को लेकर कहीं और जाने का मन बनाने लगी एक झोपड़ पट्टी में ज्योति ने अपनी मां को लाकर रख दिया सारा दिन भागदौड़ करने के
(08:35) कारण वह थकी हुई थी पर तभी उसे ध्यान आया अरे शाम हो गई मुझे तो मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करने जाना है कुछ भी हो जाए यह नियम नहीं टूटना चाहिए नियम के अनुसार वह मूर्ति के आगे बैठ गई और हनुमान चालीसा का पाठ करने लगी ज्योति के सामने समस्याएं आती रही तकलीफें आती रही पर उसने नियम नहीं तोड़ा हर शाम को नियम से वो मंदिर में बजरंग बली जी की मूर्ति के आगे बैठ जाती और पूरे मन से हनुमान चालीसा का पाठ करती आज 40 वां दिन है ज्योति ने हनुमान चालीसा का पाठ कर बजरंग बली के चरणों में सर झुकाया और प्रार्थना करने लगी प्रभु मेरी प्रार्थना बहुत छोटी है बस मेरी मां
(09:19) को अच्छा कर दो और मेरी पढ़ाई का प्रबंध कर दो मैं बहुत पढ़ना लिखना चाहती हूं प्रार्थना कर ज्योति मंदिर से बाहर निकली और तालाब में सिक्का डालकर आशीर्वाद लेने के लिए हाथ जोड़े वह प्रार्थना करके जैसे ही मुड़ी तो देखा कि सामने वही बच्चा खड़ा है जिसकी उसने जान बचाई थी बच्चे के साथ उसके माता-पिता भी थे बच्चा दौड़कर ज्योति से लिपट गया और कहने लगा दीदी आप कैसी हैं आप मुझे कभी मिलने भी नहीं आई तभी बच्चे की मां बोली बेटी कल रक्षाबंधन है बंटू ने जिद पकड़ ली है कि वह तुमसे ही राखी बनवाए किसी और से नहीं बंटू के पिताजी बोले बंटू
(10:00) की बात सही है बंटू की जान बचाने वाली उसकी बहन के होते हुए वह किसी और से राखी क्यों बवाए बंटू ज्योति से कहने लगा आपको कल मुझे राखी बांधने आना होगा आप आएंगी ना ज्योति बोली हां हां बंटू मैं जरूर आऊंगी रक्षाबंधन वाले दिन ज्योति ने बंटू को राखी बांधी बंटू भी खुश था और बंटू के माता-पिता भी तभी बंटू के पिता ने ज्योति से पूछा ज्योति बिटिया तुम स्कूल पढ़ने जाती हो क्या ज्योति बोली नहीं अंकल पहले जाती थी पर अभी तो मुझे अपने और अपनी मां के लिए कुछ कमाना होता है इसलिए नहीं जा पाती तभी बंटू की मां बोली पर तुम अब से जाओगी जब बंटू स्कूल जाता है तो उसकी दीदी
(10:44) भी जाएगी बंटू भी खुश होता हुआ बोला हां मां मैं और दीदी साथ-साथ स्कूल जाएंगे ज्योति ने कहा पर मुझे मेरी मां की देखभाल भी करनी होती है ना बंटू के पिताजी ने मुस्कुरा कर कहा बिटिया उसकी चिंता मत करो हम तुम्हारी मां की देखभाल का इंतजाम भी कर देंगे और उनका इलाज भी करवाएंगे ज्योति की आंखों से आंसू बहने लगे वह बहुत खुश थी कि बजरंग बली जी ने उसकी प्रार्थना सुन ली थी ज्योति मंदिर के बाहर खड़े होकर आने जाने वालों को हनुमान चालीसा की प्रतियां बांट रही थी और मनी मन सोच रही थी जिस तरह हनुमान चालीसा के प्रताप से मेरा जीवन
(11:20) बदला दूसरों का भी बदलना चाहिए हनुमान चालीसा के पाठ से उनके भी संकट दूर हो जाएंगे आने जाने वाले लोग ज्योति से हनुमान चालीसा की प्रति लेते हैं और उसे माथे से लगाते हैं तभी ज्योति की नजर उस बाबा पर पड़ी जिसने उसे हनुमान चालीसा दी थी ज्योति उस बाबा के पास गई और बोली प्रणाम बाबा आपने सही कहा था हनुमान चालीसा के पाठ से मेरा जीवन बदल गया मेरे जीवन की मुश्किलें दूर हो गई बाबा मुस्कुराते हुए बोले इसमें तुम्हारी भी तो हिम्मत है बेटी तुमने अपना नियम नहीं तोड़ा एक बार प्रण करके नियम से काम को किया जाए तो सफलता मिलती ही है हनुमान
(12:02) चालीसा का पाठ करने के दिनों में तुम्हारी मुश्किलें बढ़ी पर तुमने नियम नहीं तोड़ा प्रभु परीक्षा लेते हैं पर घबराना नहीं चाहिए अपना नियम बनाए रखना चाहिए ज्योति बोली बाबा मैं आपकी कृपा कभी नहीं भूलूंगी आपने ही मुझे यह रास्ता दिखाया है बाबा ज्योति की बात सुनकर मुस्कुराए और देखते ही देखते एक पेड़ के पीछे अदृश्य हो गए ज्योति को ना जाने ऐसा क्यों लगा जैसे साक्षात हनुमान जी ही उसके सामने थे और उसकी मदद करके वह आंखों से ओझल हो गए ज्योति ने हाथ जोड़कर आंखें बंद की सर झुकाया और बस इतना ही कहा जय बजरंगबली जय श्री राम


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