दैत्य ने बनाया त्रिदेव को बंदी | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories

  दैत्य ने बनाया त्रिदेव को बंदी | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories 


 एक दुष्ट राक्षस था जिसका नाम था त्रिलोचन त्रिलोचन अपनी छल कपट और अद्वितीय शक्ति के लिए विख्यात था उसने वर्षों की कठोर तपस्या करके भगवान शिव से अजय होने का वरदान प्राप्त किया था इस वरदान की बल पर वह अत्यंत अहंकारी और अत्याचारी हो गया था उसने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके संपूर्ण देवताओं को आतंकित करना शुरू कर दिया दैत्य त्रिलोचन ने अपनी शक्तियां बढ़ाने के लिए अन्य असुरों का साथ लेना शुरू कर दिया है अन्य आसुरी शक्तियों की सहायता से उसने अपना एक विशाल साम्राज्य खड़ा कर लिया है जो दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा

(00:44) है मुझे संदेह है ब्रह्मदेव कहीं कोई अनर्थ ना हो जाए कहीं त्रिलोचन स्वर्ग लोक पर हमला ना कर दे देवराज इंद्र अभी ब्रह्मदेव से वार्तालाप कर ही रहे थे कि तभी दैत्य त्रिलोचन आ जाता है प्रणाम ब्रह्मदेव कैसे देव राजेंद्र अच्छा हुआ आपसे भी यहां भेंट हो गई अभी तो युद्ध के मैदान में ही होती घबराइए नहीं मैं आपको कोई युद्ध की चुनौती देने नहीं आया हूं मैं ब्रह्मदेव के पास आया हूं एक निमंत्रण लेकर ब्रह्मदेव मुझे आज्ञा दीजिए इंद्रदेव त्रिलोचन को देखकर कुपित हो जाते हैं और ब्रह्मदेव को प्रणाम करके वहां से चले जाते हैं किस बात का निमंत्रण

(01:30) त्रिलोचन ब्रह्मदेव बहुत समय से मैं सोच रहा था कि मैं अत्यंत दुष्कर्म करते करते थक गया हूं अब मैं थोड़ी शांति चाहता हूं इसलिए मैं अपने महल में एक दिव्य यज्ञ का आयोजन करवा रहा हूं जिसमें मैं आप तीनों त्रिदेव को भी आमंत्रित करने आया हूं मैं चाहता हूं आप तीनों त्रिदेव उस यज्ञ में आए और मेरे द्वारा किए जाने वाले दिव्य यज्ञ को सफल बनाए बस आपको निमंत्रण देकर मैं विष्णु जी और महादेव को निमंत्रण देने जा रहा हूं मुझे प्रसन्नता हुई त्रिलोचन कि तुमने धर्म के मार्ग को अपनाया मैं दिव्य यज्ञ में अवश्य आऊंगा और फिर इस तरह त्रिलोचन

(02:17) ने ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों त्रिदेव को अपने महल में होने वाले यज्ञ में आमंत्रित किया त्रिदेव जिन्होंने कभी भी धर्म और सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा था इस निम को स्वीकार कर यज्ञ में सम्मिलित होने का निर्णय लिया और इस धर्म कार्य में जाने के लिए तैयार हो गए सब कुछ दैत्य त्रिलोचन की कपट योजना के अनुसार ही हो रहा था महाराज अभी तक इस बात पर संदेह बना हुआ है कि त्रिदेव यज्ञ में आएंगे या नहीं त्रिदेव यज्ञ में अवश्य आएंगे क्योंकि धर्म के कार्यों के लिए तो वह तीनों सदैव तैयार रहते हैं और सब कुछ मेरी योजना के अनुसार चलता रहा तो अवश्य ही मैं तीनों त्रिदेव

(03:04) को बंदी बना लूंगा और फिर यह तीनों लोग मेरे इशारों पर चलेंगे क्योंकि मैं इन तीनों लोगों पर अपना राज्य स्थापित करूंगा यह तीनों लोग मेरे होंगे त्रिलोचन दैथ जोर जोर से हंसने लगा उसने अपने साम्राज्य का विस्तार करते हुए धरती ताल और स्वर्ग लोक को अपने अधीन करने की योजना बनाई हुई थी उसकी पहली चुनौती थी त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु और महेश को बंदी बनाना त्रिलोचन जानता था कि सीधे संघर्ष में त्रिदेव को हराना असंभव है इसलिए उसने एक कपट पूर्ण योजना बनाई उसने अपनी मायावी शक्तियों का उपयोग करके एक ऐसी माया रची जिससे वह त्रिदेव को धोखे से बंदी बना सके

(03:56) इसलिए वह अपनी मायावी शक्तियों से एक भव्य यज्ञ का आयोजन करने जा रहा था उसने इस यज्ञ को अत्यंत रहस्यमय और दिव्य रूप दिया जिसे देखकर कोई भी उसे अनदेखा नहीं कर सकता था ब्रह्मदेव कह तो आप उचित ही रहे हैं हो सकता है यह यज्ञ संसार की भलाई और सभी लोगों की शांति के लिए किया जा रहा हो क्योंकि यज्ञ और हवन लोक कल्याण के लिए ही किए जाते हैं और दैत्य त्रिलोचन भी शुभ कार्य करने जा रहा है तो हम तीनों को उसके निमंत्रण को स्वीकार करके जाना चाहिए तो ठीक है हम तीनों उस यज्ञ में अवश्य जाएंगे और फिर त्रिदेव अपनी दिव्य शक्तियों से

(04:42) युक्त यज्ञ स्थल पर पहुंचे त्रिलोचन ने उनका स्वागत अत्यंत विनम्रता और श्रद्धा से किया जिससे त्रिदेव को उस पर संदेह नहीं हुआ पधारिए त्रिदेव आपका मेरे महल में स्वागत है आपने यज्ञ में पहुंचकर मुझे धन्य कर दिया दैत्य त्रिलोचन तुमने यज्ञ की बहुत भव्य तैयारियां की हैं अद्भुत अति सुंदर सचमुच सारी व्यवस्था बहुत अच्छे से की गई है लगता है कि यह यज्ञ तुम्हारे लिए बहुत महत्व रखता है और तुमने इस यज्ञ की तैयारियों के लिए कठिन परिश्रम भी किया है अवश्य ही यज्ञ तुम्हारे लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है आप तीनों ने उचित पहचाना मेरे लिए यह यज्ञ बहुत ही महत्त्वपूर्ण है

(05:34) मैं कब से इस यज्ञ को करने के लिए योजना बना रहा था और आज वह शुभ दिन आ ही गया जब तीनों त्रिदेव के चरण मेरे महल में पड़े त्रिलोचन त्रिदेव को अपनी बातों के माया जाल में फसा रहा था त्रिदेव इस बात से अनभिज्ञ थे कि त्रिलोचन ने इस यज्ञ में उन्हें इसलिए बुलाया है ताकि वो उन्हें बंदी बना सके जैसे ही यज्ञ शुरू हुआ त्रिलोचन ने अपनी माया का जाल फैलाना शुरू कर दिया यज्ञ के मध्य उसने अपनी मायावी शक्तियों का उपयोग करके एक अदृश्य शक्ति क्षेत्र का निर्माण किया जिसमें त्रिदेव फंस गए यह शक्ति क्षेत्र इतना प्रबल था कि त्रिदेव भी उसमें अपनी शक्तियों का उपयोग

(06:15) नहीं कर सकते थे त्रिलोचन ने अपनी विजय की घोषणा करते हुए [संगीत] कहा अब त्रिदेव मेरे अधीन है अब इस संसार पर मेरा राज्य होगा मेरा ब्रह्मा जी जो सृष्टि के रचयिता थे उन्होंने अपनी सृजनशीलता से इस जाल से निकलने का प्रयास किया लेकिन त्रिलोचन की माया ने हर बार उन्हें असफल कर दिया विष्णु जी जो सृष्टि के पालन करता थे उन्होंने अपनी चतुराई और रणनीति का उपयोग करके इस जाल को तोड़ने की कोशिश की लेकिन त्रिलोचन की शक्तियों के सामने वे भी विफल रहे महेश जो विनाश के देवता थे उन्होंने अपनी प्रचंड शक्ति का उपयोग करके इस जाल को नष्ट करने का प्रयास

(07:04) किया लेकिन त्रिलोचन की माया इतनी प्रबल थी कि शिवजी की शक्ति भी उसमें बंधी रह गई त्रिलोचन ने अपने जाल में फसे त्रिदेव को देखकर अठ हास किया तुम्हारी सारी शक्ति और महिमा अब मेरे अधीन है मैं ही इस ब्रह्मांड का स्वामी हूं हमारा अलग अलग हो ही हमारी कमजोरी है हमें एक होना होगा हां हमें अपनी शक्तियों को एकजुट करना होगा तभी हम इस जाल से मुक्त हो सकते हैं जब हम तीनों शक्तियां एक हो जाएंगे तो हम इस बंधन से मुक्त हो जाएंगे तीनों देवताओं ने अपनी शक्तियों को एक साथ मिलाकर एक शक्तिशाली ऊर्जा का निर्माण किया उनकी एकता से उत्पन्न इस ऊर्जा ने त्रिलोचन के मायावी

(07:58) जाल को तोड़ दिया त्रिदेव एक साथ मिलकर त्रिलोचन के सामने खड़े हो गए त्रिलोचन जिसने सोचा था कि उसने त्रिदेव को हमेशा के लिए बंदी बना लिया है उनके इस नए रूप को देखकर स्तब्ध रह गया त्रिदेव की संयुक्त शक्ति के सामने वह असहाय हो गया उसकी सारी माया और शक्ति निष्फल हो गई ये कैसे संभव है तुम लोग मेरे जाल से कैसे निकल आए त्रिलोचन तुमने यह सोचकर बड़ी भूल की कि तुम हमें बांध कर रख सकते हो हम तीनों मिलकर एक हो गए हैं और हमारी संयुक्त शक्ति से कोई भी हमें रोक नहीं सकता तुम्हारा अहंकार और अत्याचार अब समाप्त होगा सच्चाई और धर्म की हमेशा विजय

(08:44) होती है तुम्हारी माया और छल कपट के सामने हमारी एकता और शक्ति अजय है तुमने हमारे साथ छल किया है इसका दंड तो तुम्हें अवश्य मिलेगा त्रिदेव की शक्ति देखकर त्रिलोचन घबरा गया उसने त्रिदेव के सामने घुटने टेक दिए और उनसे क्षमा याचना की हे ददेव मुझे क्षमा कर दीजिए मैंने अहंकार में आकर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया मुझे क्षमा कर दीजिए त्रिलोचन तुमने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया और अहंकार में आकर संसार को कष्ट दिया लेकिन अब यदि तुम सच्चे मन से प्रायश्चित करोगे और धर्म के मार्ग पर चलोगे तो हम तुम्हें क्षमा कर सकते हैं तुम्हें अपनी गलतियों का प्रायश्चित करना

(09:29) होगा और भविष्य में कभी भी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करना होगा यदि तुमने अपने हृदय से सच्चा प्रायश्चित किया है तो हम तुम्हें क्षमा कर देंगे मैं वचन देता हूं मैं अपनी गलतियों का प्रश्चित करूंगा और धर्म के मार्ग पर चलूंगा त्रिलोचन ने अपनी गलतियों का प्रायश्चित किया और त्रिदेव के चरणों में गिरकर उनसे क्षमा मांगी त्रिदेव ने त्रिलोचन की क्षमा याचना सुनी और अपनी दिव्य दृष्टि से देखा कि उसके हृदय में वास्तव में पछतावा है त्रिदेव ने उसे क्षमा कर दिया और उसे धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने का निर्देश दिया त्रिदेव की विजय के बाद संसार में पुनः

(10:09) शांति और व्यवस्था स्थापित हुई त्रिलोचन ने अपनी शक्तियों का सही उपयोग करना शुरू किया और धर्म के मार्ग पर चलकर संसार की सेवा [संगीत] की एक गांव में जानकी नामक एक गरीब विधवा अपने बेटे सूरज के साथ रहती थी पति के गुजर जा ने के बाद जानकी घरों में चौका बर्तन करके अपना परिवार चला रही थी जानकी सदैव भगवान की पूजा किया करती थी उसके घर में ब्रह्मा विष्णु महेश त्रिदेव की एक फोटो थी जिसके आगे वह हर सुबह उठकर दीपक जलाया करती थी और नियम पूर्वक जो भी रूखा सूखा बनाती वह भोग लगाकर ही खाती थी सूरज था तो छोटा पर समझदार बहुत था वह अपनी मां

(10:54) को अक्सर ऐसा करते देखता था मां तुम भगवान की पूजा क्यों करती हो इसलिए बेटा ताकि भगवान हमें हर मुसीबत से बचाए मां क्या भगवान हमें सारी मुसीबतों से बचा लेते हैं हां बेटा भगवान हमारी हर मुसीबत में रक्षा करते हैं अपनी मां से बातें करते-करते सूरज सो जाता है अगले दिन जानकी काम पर चली जाती है एक दिन सूरज की तबीयत खराब थी पर वह दवाई खाने के लिए लगातार मना कर रहा था सूरज बेटा अगर दवाई नहीं खाओगे तो कैसे ठीक होगे मां तुम ही तो कहती हो कि भगवान हमें सारी मुसीबत से बचा लेते हैं तो वोह मुझे ठीक कर देंगे मैं दवाई नहीं खाऊंगा दवाई बहुत कड़वी

(11:35) होती है अरे तुम्हें नहीं पता कि भगवान जी ने तो मुझे यह दवाई दी है कि इसे सूरज को खिला देना उसके बाद वह बिल्कुल ठीक हो जाएगा वो देखो दवाई की पुड़िया भगवान के मंदिर में रखी है ना और उन्होंने साथ में कटोरी में चीनी भी रखी है अगर तुम्हें दवाई कड़वी लगी तो मैं तुम्हें चीनी खिला दूं वो देखो क्या सचमुच भगवान जी ने यह दवाई दी है ठीक है फिर तो मैं यह दवाई खा लूंगा मां मुझे वो वाली चीनी भी दो हे ईश्वर मुझे क्षमा करना मैंने आपका नाम लेकर सूरज को दवाई खिलाई है मैं जानती हूं आप मेरे बच्चे को जल्दी ठीक कर दोगे हे पालनहार हे ब्रह्मा विष्णु महेश आपकी सदा

(12:15) ही जय हो दवाई खाकर सूरज ठीक हो जाता है मां भगवान जी की दवाई से तो मैं बिल्कुल ठीक हो गया मुझे बहुत जोरों से भूख लगी है मुझे दाल चावल खाने हैं मां अच्छा बेटा आज मैं तेरे लिए दाल चावल बनाऊंगी जानकी उस दिन सूरज के लिए दाल चावल बनाती है जानकी भगवान को भोग लगाकर सूरज को खाना देने ही लगी थी कि तभी गांव का मुखिया आ जाता है जानकी कर्जे के बाकी बचे हुए रुपए तो कब तक लौटा आएगी तूने अपने पति की बीमारी के लिए मेरे से 000 लिए थे जो अब ब्याज के साथ 15000 हो चुके हैं मुखिया जी आप चिंता मत करो मुझे कुछ महीनों की मोहलत और दे दो

(12:56) मैं आपका सारा कर्जा चुका दूंगी ठीक है 15 दिन बाद 000 दे देना बाकी के बचे हुए पैसे दो-तीन महीने के अंदर लौटा दे इतना कहकर मुखिया वहां से चला जाता है जानकी परेशान हो जाती है कि वो इतनी जल्दी रुपए कहां से लाएगी जानकी घरों में काम करती थी वहां से भी एडवांस रुपए मांगती है पर पहले ही वह महीने के पैसे ले चुकी थी इसलिए मालकिन ने एडवांस देने के लिए भी मना कर दिया नहीं नहीं जानकी ऐसे काम नहीं चलता तुम्हें तो पता ही है सेठ जी पूरे महीने के पैसे एक साथ देते हैं अब मैं तुम्हें एडवांस में पैसे दे दूंगी तो मुझे भी तो पूरे टाइम घर

(13:31) का खर्च चलाना है सेठ जी शहर गए हुए हैं पीछे से मुझे भी तो पैसों की जरूरत है और वैसे भी मैं तुझे महीने के पैसे पहले ही दे चुकी हूं कोई बात नहीं मलकिन आप परेशान मत हो ऐसे ही कुछ दिन तक जानकी परेशान रहती है वह कुछ भी नहीं समझ पा रही थी कि आखिर वह चौधरी का कर्ज कैसे चुकाए एक दिन जानकी त्रिदेव की मूर्ति के आगे बैठी रो रही थी हे प्रभु मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा चौधरी साहब कल मेरे से कर्जे के 000 मांगने आ जाएंगे पर मेरे पास उनको देने के लिए बिल्कुल भी पैसे नहीं है अगर मैंने उन्हें पैसे नहीं दिए तो यह घर

(14:08) खाली करना पड़ेगा हमें वह हमें यहां से निकाल देंगे मेरी सहायता करो प्रभु मेरी सहायता करो मां तुम रो मत तुम ही तो कहती हो कि भगवान हमारी हर मुसीबत से रक्षा करते हैं देखना वह हमें भी इस मुसीबत से निकाल देंगे पर जब मुखिया पैसे लेने के लिए आया तो जानकी के पास पैसे नहीं थे मुखिया ने उसे खूब खरी खोटी सुनाई जानकी मैंने तुझसे कहा था कि तू कर्जे के 5 हज तैयार रखना पर तूने ऐसा नहीं किया कल दोपहर तक अगर तूने मेरे पैसे नहीं लौटाए तो मैं तुझे पुलिस के हवाले कर दूंगा समझी मुखिया जी आपको पता भी है हमारी मदद करने के लिए भगवान जी

(14:50) आने वाले हैं वह आपके सारे पैसे चुका देंगे सही है सही है बच्चे को भी बहला फुसला रखा है भगवान आएंगे भगवान आएंगे देख कल कौन से भगवान मेरे पैसे चुकाने आने वाले हैं जानकी रोने लगती है सूरज भगवान त्रिदेव के पास जाता है और उनसे कहता है भगवान जी मां कहती है कि आप मुसीबत में हमेशा सहायता करने के लिए आते हो कल मुखिया जी मां को पुलिस के हवाले कर देंगे आप उससे पहले आ जाना मैं आपका इंतजार करूंगा सूरज भगवान के आगे रोने लगता है और उसकी दर्द भरी पुकार ब्रह्मा विष्णु महेश तक पहुंचती है हे नारायण महादेव तुम सूरज की करुण पुकार सुनकर मेरा हृदय द्रवित हो

(15:32) गया है ब्रह्मदेव सूरज हमें मदद के लिए पुकार रहा है जानकी ने सदैव हमारी पूजा और अर्चना की है अब समय आ गया है कि हम जानकी को उसकी पूजा का फल दे आप दोनों सत्य कह रहे हैं जब भी कोई भक्त हमें सच्चे हृदय से पुकारता है तो हम तीनों उसकी सहायता के लिए अवश्य जाते हैं और समय आने पर हम न अपनी भक्त जानकी की सहायता के लिए अवश्य जाएंगे अगले दिन मुखिया अपने पैसे लेने के लिए जानकी के पास आता है पुलिस भी मुखिया के साथ थी इंस्पेक्टर साहब जानकी मेरे पैसे नहीं लौटा रही है इसने मेरे 000 कर्जा चुकाना है जिसमें से इसने अब तक एक रुपए का कर्जा भी नहीं चुकाया है अब आप ही

(16:23) बताइए मैं क्या करूं देखिए जानकी जी मुखिया जी ने आपके खिलाफ रिपोर्ट लिखाई है इसलिए आप आपको हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलना होगा या तो आप इनके कर्जे में से 000 अभी दे दो वरना हमें आपको पुलिस स्टेशन ले जाना ही होगा मुखिया जी कुछ दिन की मोहलत और दे दो आप तो जानते ही हो मेरी कितनी परेशानी चल रही है सूरज के बापू के गुजर जाने के बाद घर का किराया घर खर्च के पैसे सब घरों में काम करके ही निकाल पाती हूं मैं आपको वादा करती हूं कुछ दिनों में आपको पैसे दे दूंगी नहीं नहीं इंस्पेक्टर साहब मुझे इस पर विश्वास नहीं है यह आज भी मुझे टाल रही है ना जाने कभी मेरे पैसे

(17:02) दिए बिना गांव छोड़कर भाग गई तो मैं कहां ढूंढू इसको फिर आप इसे बोलो मेरे पैसे अभी दे पुलिस पुलिस अंकल अभी भगवान जी आते होंगे वह आपके सारे पैसे दे देंगे आप मेरी मां को मत ले जाओ रे आगे से हटो बेटा चलिए बहन जी हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलिए अभी इंस्पेक्टर साहब जानकी को लेकर जा ही रहे थे कि तभी तीन व्यक्ति वहां आ जाते हैं रुकिए इंस्पेक्टर साहब आप जान को कहीं नहीं ले जा सकते हैं चौधरी साहब के पैसे हम दे देंगे यह लीजिए चौधरी साहब आपके कर्जे के पूरे 000 इंस्पेक्टर साहब अब आप जानकी को छोड़ दीजिए वैसे मैंने आपको पहचाना नहीं आप जानकी के रिश्तेदार हैं

(17:44) क्या देखने में तो आप बड़े व्यापारी लग रहे हैं यह भगवान जी हैं मैं जानता था भगवान जी हमारी मदद को जरूर आएंगे बच्चा मासूम है मुझे क्या मुझे तो अपने पैसों से मतलब था वो मुझे मिल गए चौधरी और पुलिस वहां से चले जाते हैं मैंने आपको पहचाना नहीं आप आज मेरे लिए ईश्वर का रूप बनकर आए आप कौन है कृपया अपना परिचय दीजिए तभी तीनों देवता ब्रह्मा विष्णु महेश अपने अपने रूप में आ जाते हैं उन्हें देखकर जानकी उनके चरणों में गिर जाती है यह भगवान जी हैं मैं जानता था भगवान जी हमारी मदद को जरूर आएंगे जानकी और सूरज को आशीर्वाद देकर त्रिदेव अंतर्ध्यान हो जाते हैं और उनके

(18:29) चरणों के स्थान पर तीन सोने के सिक्कों से भरे कलश रखे थे जानकी के ऊपर ब्रह्मा विष्णु महेश की कृपा हो जाती है और त्रिदेव का चमत्कार उसके जीवन को खुशियों में बदल देता है जानकी उस गांव को छोड़कर दूसरे गांव में चली जाती है और वहां जाकर नई जमीनें खरीदकर खेतीबाड़ी का काम शुरू करती है सूरज को पढ़ने लिखने के लिए वह स्कूल में डाल देती है जानकी अक्सर मंदिरों में भंडारा भी करवाने लगी उसने अपने जैसे बहुत से गरीबों की मदद की उन्हें रोजगार दिया जानकी का अब एक ही सपना था कि वह अपने बेटे सूरज का भविष्य उज्जवल बनाए


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