शिव जी की मेहंदी की रात | Hindi Kahani | Bhakti Stories | Moral Stories | Hindi Kahaniya | Kahaniya


 शिव जी की मेहंदी की रात | Hindi Kahani | Bhakti Stories | Moral Stories | Hindi Kahaniya | Kahaniya 


झाल अजय को कर दो कर दो कि भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह का दिन महाशिवरात्रि उत्सव पर तय हो गया था तभी रीति-रिवाज और रश्मी आरंभ हो गई थी ढोल नगाड़ा बाजे वृत्तांत निशान सजावट हिमालय पर्वत और कैलाश पर्वत पर आए अतिथि शिव-पार्वती के विवाह उत्सव पार्वती [संगीत] पार्वती के हाथों पर लगी इधर आओ मेरे पास इतनी चिंता क्यों स्पष्ट रूप से पार्वती अगर महादेव बारात में दूल्हे के रूप में नहीं आई

(01:05) कि सगाई समारोह में तो मेरे को संभाल लिया तो अपने विवाह के लिए कोई सुंदर दूल्हे की पोशाक तैयार कर कि चाहिए मां चिंता मत करो मैंने महादेव को इस बात के लिए मैंने बोल दिया कि आप चाहते [संगीत] हैं कि आप को कैसे भूल सकते उन्हें की दुनिया की खुशियां तैयार करने फिर तो बहुत अच्छी बात अच्छा तुमने किसी से तुम्हारी को लेकर आ रहा है मां लक्ष्मी और सरस्वती उनकी लेकर मैं यहां पहुंच पार्वती कि उनकी नियुक्ति लक्ष्मी देवी सरस्वती की थी तभी से तैयार करने के कार्य में लगे हुए थे तैयार करने में कितना समय लगेगा लक्ष्मी

(02:12) की ऐसी तैसी हुआ था कि जिस की लालिमा और खुशबू अद्भुत होनी चाहिए ऐसा ही होगा देवी सरस्वती देवी लक्ष्मी [संगीत] भोलेनाथ महाशिव रात्रि के लिए यह बहुत सुंदर [संगीत] और संगीत का उत्सव मना रहे कि राजा की तरफ से तो फिर नारायण-नारायण हम सभी चलकर देखते हैं तो यह समस्त भक्तों द्वारा अर्पित की गई है इस महादेश अपनी सभी भक्तों को एक समान हिस

(03:19) यह देते हैं और इसी तरह जल्द देव पृथ्विदेव आदि समस्त देवता महादेव किसने की प्रशंसा करने लगे सभी शिवगंज भ्रष्ट व भूत लगाकर अपने प्रेम का संदेश दे रहे थे तभी राजा हिमवान की ओर से शगुन की मेहंदी भी आ जाती है महादेव महाराज व नियुक्ति मेहंदी और मैं और देवी सरस्वती पार्वती की नियुक्ति को लेकर नारायण-नारायण कोई देवी पार्वती के लिए नारदजी को से नारायणा विष्णु देव तो विवाह की रस्मों से भली-भांति परिचित फिर आप यह कैसे कह रहे हो [संगीत] तो आपको भी विवाह के समय महादेव ने बहुत छेड़ा था मुझे ज्ञात है देवर्षि नारद और विवाह उत्सव

(04:24) हंसी-ठिठोली ना हो तो यह किरण आनंद प्राप्त हो तो विवाह की रस्में शुरू हो जाती है आज भी लक्ष्मी और देवी सरस्वती देवी पार्वती की शगुन की मेहंदी लेकर हिमालय पर्वत पर पहुंचती वहां पर पर्वत की सखियां समस्त सखियों के साथ मंगल गीत देवी लक्ष्मी सरस्वती का स्वागत यह वृद्धि की थी कि देवी लक्ष्मी देवी सरस्वती आइए ना नृत्य गायन प्रारंभ करते हैं हां बेबी सरस्वती आप की मधुर आवाज में 139 हमें भी सुनना है आप सब पार्वती के पास बैठी मैं आपके लिए जलपान की व्यवस्था करती हंसा देवी लक्ष्मी देवी सरस्वती आप लोगों

(05:29) को यह देखकर मैं बहुत प्रसन्न हूं कि लक्ष्मी और सरस्वती के हाथों में मेहंदी लगाओ इसके पश्चात देवी सरस्वती अपनी मधुर आवाज में गीत रचने वाली मेहंदी नाम की रचना पार्वती तो दुल्हन बनकर पार्वती रचने वाली मेहंदी की नाम की रचने वाली है रचने वाली पार अच्छी तो तू भिन्न बनकर सजने वाली सब मिलकर देवी सरस्वती के साथ मंगल गीत महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आप और महादेव का विवाह संपन्न हो कल प्रातः पार्वती और महादेव को उनकी

(06:35) पुत्री को किसी की नजर ना तुम्हारी कठिन तपस्या का फल प्राप्त मेरा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ मां को छोड़कर जाने का मन नहीं हो रहा को अपनी ससुराल जाना होता संसार की और वृति के हाथों में सुंदर फूल माला और पुत्र की है मैं आज बहुत खुश हूं और फिर इसी तरह शिव-पार्वती का मेहंदी समारोह का आयोजन धूमधाम से संपन्न होता है घृणा सब ठीक है ना [संगीत] अब तो आप स्वप्न में सब कुछ सही कहा शिव पार्वती विवाह की धूप पूरे ब्रह्मांड को देखने के लिए पूरा संसार अतिथि के रूप में शिव-पार्वती विवाह तो देखने वाला है [संगीत]

(07:54) हुआ है [संगीत] कर दो


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.