माँ पार्वती की विदाई | Maa Parvati Ki Vidai | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Kahani -

माँ पार्वती की विदाई | Maa Parvati Ki Vidai | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Kahani - 


 शिव पार्वती के विवाह का शुभ दिन यानी कि शिवरात्रि का पावन दिन वर वधु दोनों पक्ष इस विवाह को लेकर उत्साहित थे यह तो सभी जानते हैं कि भगवान शिव की बारात सबसे अनोखी थी सभी शिव गण देव दानव सुर असुर भूत प्रेत नाग नागिन कीड़े मकड़े पशु पक्षी इत्यादि सभी बारात में शामिल हुए थे पर मां पार्वती की कोशिश से भगवान शिव एक सुंदर दूल्हे के रूप में सबके सामने प्रस्तुत हुए थे बात वहां संभल गई पर जब फेरों की रस्म का समय हुआ तो पंडित जी ने भगवान शिव से उनका गोत्र पूछा कृपा करके अपना गोत्र बताइए ताकि विवाह की आगे की रस में प्रारंभ हो सके अब शंकर जी हैरान कि

(01:05) उन्होंने तो कभी इस ओ ध्यान ही नहीं दिया वह तो सृष्टि के जन्म पालन और संघार में ही लगे रहे उनका तो त्रिलोक ही गोत्र है यह पूरी सृष्टि ही उनका परिवार है शंकर जी मौन रहे वर वधु दोनों की वंशावली घोषित की जानी थी और शिवजी को ना ही अपने गोत्र का पता था और ना ही अपने वंश का एक राजा के लिए उसकी वंशावली सबसे अहम चीज होती है जो उसके जीवन का गौरव होता है तो पार्वती की वंशावली का बखान खूब धूमधाम से किया गया फिर पार्वती के पिता हिवा ने शिवजी से अनुरोध किया महादेव कृपया अपने वंश के बारे में कुछ बताइए आप शून्य क्यों हो गए

(01:45) कुछ तो बोलिए ताकि विवाह की आगे की रस्में विधि विधान से हो सके वधु पक्ष के सभी पंडित और राजा शिव की ओर घृणा से देखने लगे नारद मुनि ने देखा भगवान शिव मौन अवस्था में आ गए हैं नारद मुनि से रुका नहीं गया और वह सभा के बीच अपनी वीणा के तार को खींचकर ध्वनि उत्पन्न करने लगे और सभा के बीच में खड़े हो गए और बोले महाराज इनके माता-पिता ही नहीं है इनकी कोई विरासत नहीं है इनका कोई गोत्र नहीं है इनके पास कुछ नहीं है इनके पास अपने खुद के अलावा कुछ नहीं है हम ऐसे लोगों को जानते हैं जो अपने पिता या माता के बारे में नहीं जानते ऐसी

(02:27) दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति हो सकती है मगर हर कोई किसी ना किसी से जन्मा है ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी का कोई पिता या मां ही ना हो क्योंकि महादेव स्वयंभू हैं इन्होंने खुद की रचना की है इनके ना तो पिता है ना माता इनका ना कोई वंश है ना परिवार यह किसी परंपरा से ताल्लुक नहीं रखते और ना ही इनके पास कोई राज्य है इनका ना तो कोई गोत्र है और ना ही कोई नक्षत्र ना कोई भाग्यशाली तारा इनकी रक्षा करता है यह इन सब चीजों से परे हैं यह एक योगी हैं और इन्होंने सारे अस्तित्व को अपना एक हिस्सा बना लिया है इनके लिए सिर्फ एक वंश है ध्वनि इनके अस्तित्व में आने वाली पहली

(03:09) चीज थी ध्वनि इनकी पहली अभिव्यक्ति एक ध्वनि के रूप में है यह सबसे पहले एक ध्वनि के रूप में प्रकट हुए उसके पहले यह कुछ नहीं थे यही वजह है कि मैं य वीणा के तार खींच रहा हूं देवर्षी नारद ने जब भगवान शिव के अस्तित्व की व्याख्या की तो वहां उपस्थित सभा शिवजी के चरणों में नतमस्तक हो गई राजा हिवा को भी अपना उत्तर मिल गया था देवी पार्वती भी आज अपने ऊपर गर्व कर रही थी कुछ देर बाद सभी रस्मों के साथ शिव पार्वती का विवाह संपन्न हो जाता सभी मेहमानों के लिए ढेरों पकवान का प्रबंध था पहले जमाने में बारात कम से कम तीन दिन रुककर फिर प्रस्थान करती थी और

(03:54) तभी वधु की विदाई होती थी पर आजकल विवाह होते ही वधु की विदाई हो जाती है महादेव की बारात तीन दिन तक राजा हिमालय के निवास पर रुकी बारात ने खूब आनंद उठाया बारात जब भी विदाई के लिए कहती और विदा की अनुमति मांगती तो राजा हिमालय एक दिन और रुकने का कहकर बारात को रोक लेते भगवान शंकर राजा हिमालय के मन के भावों को पढ़ रहे थे वह जानते थे कि पुत्री की विदाई क्या होती है राजा हिमालय और रानी मैनावती की आंखों में आंसू थे पर बेटी को तो विदा करना ही था विदाई की बेला आई मां पार्वती एकएक करके अपने सभी परिजनों से गले मिल रही थी वे अपने माता-पिता के गले लगी माता

(04:39) पार्वती की आंखों में भी विदाई के आंसू थे राजा हिमाचल का भी रो रो कर बुरा हाल था रानी मैनावती भी अपने आंसुओं को संभालने की कोशिश कर रही थी उन्होंने अपनी बेटी पार्वती को एक मां होने के नाते पत्नी धर्म निभाने की सीख दी बेटी पार्वती आज से तुम्हारा ससुराल ही तुम्हारा घर है कभी अपने पति की अवहेलना ना करना सदा मिलकर चलना घर में सदैव बड़ों का सम्मान करना और छोटों से प्यार रखना अब तुम्हारा यही संसार है स्त्री के लिए पति के समान कोई नहीं है इसलिए दुख हो या सुख हर क्ण अपने पति का साथ देना हमेशा खुश रहना मेरी बच्ची और मां की याद आए तो मुझे मिलने

(05:25) जरूर आना मुझे भी तुम बहुत याद आओगी मैं आपकी शिक्षा को सदैव याद रखूंगी मां आप और पिताजी भी अपना ख्याल रखना पुत्री तुम्हें संसार की सारी खुशियां मिले मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है महादेव जाने अनजाने हमसे कोई भूल हुई हो तो क्षमा कर दीजिएगा राजा हिवा पार्वती पर पहला हक आपका है इसलिए नि संकोच आप कभी भी पार्वती को मिलने आ सकते हैं और पार्वती भी तो आप दोनों से बिना मिले नहीं रह पाएगी इसलिए पार्वती आप जब चाहे अपने माता-पिता से मिलने आ सकती है खूब भव्य स्वागत के पश्चात भव्य विदाई के साथ राजा हिवार रानी मैनावती और समस्त अतिथियों का

(06:14) आशीर्वाद प्राप्त कर देवी पार्वती भगवान शिव के साथ खुशी खुशी अपने ससुराल विदा हो जाती हैं क का व्रत आने वाला था कैलाश पर्वत पर मां पार्वती अपने हाथों में मेहंदी रचा रही थी भगवान शिव उनसे बोले क्या बात है देवी आज आप अपने हाथों पर मेहंदी रचा रही हो कोई खास आयोजन है क्या कल करवा चौथ का त्यौहार है स्वामी आपको तो ज्ञात ही है इस व्रत से मेरा कितना लगाव है मैं भी प्रतिवर्ष इस व्रत के आने की आस लगाती हूं ताकि मैं आपकी रक्षा की कामना हेतु और अपने प्रेम को और भी अटूट बनाने के लिए यह व्रत कर सक देवी आप तो मेरी शक्ति है आपके और मेरे

(07:03) प्रेम का तो जन्मों जन्मों का संबंध है आपकी भक्ति मेरे हृदय को छू जाती है देवी आपकी भक्ति प्रेरणादायक है जो पृथ्वी पर प्रत्येक सुहागिन स्त्री का अपने पति के लिए प्रेम और समर्पण का प्रतीक है स्वामी मैं चाहती हूं इस बार मैं इस व्रत को पृथ्वी लोक पर करूं मेरी बहुत इच्छा है कि मैं भी मनुष्य रूप में सभी स्त्रियों के साथ इस व्रत की पूजा करूं जैसे आपकी इच्छा देवी पार्वती यदि आपकी पृथ्वी लोक पर यह व्रत मनाने की इच्छा है तो आपको पृथ्वी लोक पर अवश्य जाना चाहिए ठीक है स्वामी तो फिर मैं तैयार हो जाती हूं कल प्रात ही मैं धरती लोक पर करवा चौत का व्रत मनाने

(07:44) के लिए चली जाऊंगी अगले दिन सुबह ही मां पार्वती एक बहुत सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लेती हैं और धरती लोक पर एक गांव में पहुंचती है वहां पर करवा चौथ की बहुत चहल पहल थी हर स्त्री ने 16 श्रृंगार किए हुए थे सुंदर साड़ी हाथों में कांच की चूड़ियां गले में मंगलसूत्र पैरों में बिछु ए पायल और तरह-तरह के श्रृंगार सभी औरतें आपस में बातें कर रही थी अरे बहन चलो सब लोग मिलकर वहां घेरा बना लेते हैं पूजा का समय हो रहा है हां बहन तुम भी पहुंचो मैं अपनी बहू को लेकर आ रही हूं तभी एक औरत की नजर मां पार्वती पर जाती है अरे बहन आओ ना तुम भी हमारे साथ

(08:24) करवा चौथ की कथा सुनो बस पूजा प्रारंभ ही होने वाली है हां हां मैं आपके साथ चलती तुम तो बहुत सुंदर लग रही हो पहली बार देखा है इस गांव में किसी की बहू हो क्या मां पार्वती अभी कुछ कहती इससे पहले एक औरत ने आवाज लगा ली अरे बहन जल्दी आओ पूजा का समय निकला जा रहा है हम सब बैठ गए हैं चलो चलो बाद में बात करते हैं अभी सब पूजा के लिए बुला रहे हैं कितना आनंद आ रहा है इन सब के साथ करवा चौथ का व्रत मनाने में अद्भुत सब कितने अच्छे स्वभाव की हैं इन सबके बीच मैं भी पूजा के लिए बैठ जाती हूं मां पार्वती सबके साथ पूजा के लिए बैठ

(09:00) जाती है सब मिलकर करवा चौथ की व्रत कथा और पूजन आरती करती हैं सचमुच मां पार्वती के आशीर्वाद से व्रत और पूजन बहुत अच्छे से हो गया हे गौरी माता हम सबके सुहाग की रक्षा करना जय करवा माता की जय गौरी मैया की सब औरतें पूजा आरती करके घर जाने लगी पर मां पार्वती जैसे ही कैलाश के लिए लौटने लगी अचानक उसी स्त्री न ने पुकारा अरे सुनो बहन तुम्हारा जल का कलश यही रह गया अरे मैं भूल गई मैं अभी उठा लेती हूं हमारी बात बीच में अधूरी रह गई तुम्हें इस गांव में पहली बार देख रही हूं तुम्हारा घर कहां है मैं इस गांव में नई नई आई हूं कुछ दिन पहले ही यहां रहना शुरू किया है

(09:43) मेरे पति जरूरी काम से शहर गए हुए हैं कुछ दिन बाद लौटेंगे मैं उन्हीं के लिए य व्रत कर रही हूं अच्छा अच्छा तो तुम नई नई आई हो गांव में एक काम करो तुम हमारे घर चलो मैंने पूरी पकवान बनाए हैं हम सब मिलकर खाएंगे बस कुछ ही देर में चंद्रमा भी निकल ने वाला है घर पर तो तुम अकेले उदास हो जाओगी ठीक है चलो मेरे घर चलो मैं और आपके घर हां हां बहन तो क्या हुआ मेरे घर क्यों नहीं मेरे घर को अपना ही घर समझो त्योहार पर अकेले केले तुम क्या ही भोजन बनाओगी मैंने तो बहुत कुछ बनाया हुआ है मिलकर खाएंगे अच्छा लगेगा तुम्हारे पति भी शहर

(10:22) में है वैसे कब आएंगे दिवाली से पहले आ जाएंगे उस औरत के इतने अच्छे स्वभाव को देखकर मां पार्वती से रहा नहीं गया व उसके साथ उसके घर चली गई पर मां पार्वती को तो भगवान शिव की पूजा करनी थी उनसे आशीर्वाद लेना था सब चंद्रमा निकलने का इंतजार कर रहे थे अचानक बहुत तेज आंधी तूफान आने लगा आकाश में काले बादल छा गए अरे सुशीला बहन अब चंद्रमा कैसे पूजेंगे आकाश में तो कुछ भी नजर ही नहीं आ रहा अंधेरी और तूफान से चंद्रमा बादलों में छुप गया है बिना चंद्रमा के दर्शन के हम व्रत कैसे खोलेंगे हम अब तो एक ही रा है कि मां पार्वती से प्रार्थना करें कि वह हमें चंद्रमा के

(11:02) दर्शन करवा दे चलो हम सब मिलकर मां पार्वती से प्रार्थना करते हैं सब स्त्रियां मां पार्वती से प्रार्थना करती हैं कि आसमान साफ हो जाए और उन्हें चंद्रमा के दर्शन हो जाए सुहागन स्त्रियां भला क्या जाने कि मां पार्वती स्वयं उनके बीच खड़ी है सुहागन स्त्रियों की प्रार्थना मां पार्वती स्वीकार कर लेती है उस औरत को साधारण स्त्री के रूप में मां पार्वती साक्षात दिखाई दे रही थी अचानक ही मा पार्वती अंतर्ध्यान हो जाती हैं आंधी तूफान रुक जाता है मानो कुछ हुआ ही ना हो आसमान साफ हो जाता है और सब स्त्रियों को चंद्रमा के दर्शन होते हैं तभी वह औरत

(11:40) बोली मां पार्वती यह सब आपका चमत्कार है मैं जिस स्त्री से बात कर रही थी वह तो साक्षात मां पार्वती थी इसका मतलब मेरे घर में मां पार्वती के चरण पड़े थे हे मैया आपने तो मेरे भाग्य ही खोल दिए आपकी जय हो मां आप हमारे साथ करवा चौथ मना ने के लिए धरती पर आई हां बहन वो जो बहन 16 श्रृंगार किए हुए थी वह वास्तव में मां पार्वती थी आज उनके चमत्कार से यह आंधी तूफान रुक गया और हमें चंद्रमा के दर्शन हुए चलो हम सब मिलकर मां पार्वती को धन्यवाद कहते हैं यह तो हम सबका सौभाग्य है कि मां पार्वती ने हम सबके साथ मिलकर करवा चौथ का व्रत और

(12:21) पूजन किया उधर मां पार्वती भी कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की पूजा करती हैं और उनके हाथों से जल [संगीत] कर


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