शिव विवाह | Shiv Vivah | Hindi Kahani | Bhakti Stories | Moral Stories | Bhakti Kahaniya | Kahaniyan

 (4) शिव विवाह | Shiv Vivah | Hindi Kahani | Bhakti Stories | Moral Stories | Bhakti Kahaniya | Kahaniyan - YouTube

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Transcript:

(00:00) झाल अजय को कर दो कर दो कि आखिर वो दिन आ ही गया जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार था शिव-पार्वती के विवाह का शुभ दिन यानी कि शिवरात्रि का पावन दिन वर-वधू दोनों पक्ष इस विवाद को लेकर उत्साहित थे देवी पार्वती की हल्दी लगने की रस्म आरंभ हो गई थी स्वर्ग की अप्सरा पार्वती को हल्दी का लेप लगाकर अपना आशीर्वाद प्रदान करें पार्वती के विवाह का जुड़ा महारानी ने भी जाए देखिए कितना सुंदर है देखो कितना सुंदर विवाह का जोड़ा इस पर चढ़ा हीरे और सोने की महारानी ने कहा कि पार्वती को तैयार करना है अभी आने में कितना समय कुछ समय बाद

(01:04) देवी लक्ष्मी और सरस्वती देवी पार्वती हो महादेव से मिलने की प्रतीक्षा के पल काटना कठिन हो रहा है कि देवी लक्ष्मी अभिनय की तरह मुझे सताने लगी अच्छा-अच्छा ठीक है भैया सर्वप्रथम पार्वती की हल्दी की रस्म होगी तत्पश्चात पार्वती स्नान करके सोलह सिंगार से तैयार हो तो प्रकार की सुगंधित खुशबू से परिपूर्ण हल्दी तो उन्हें कौन बताए कि यह कैसे तैयार हो उन्हें अपने पूरे शरीर पर और सभी शिव भक्तों ने उस रूप में देखते थे उन्हें की बहुत प्रशंसा की शाम के वक्त शिव बारात निकलने शुरू हो जाती है इस बारे में दानव नागिन पार्वती भी सोलह सिंगार करके तैयार हो

(01:59) चुकी थी देखने चलते हैं कि पार्वती महादेव है कैसा हुलिया बना कर आ गए भूत प्रेत पिशाच संजय मानो ऐसी चले आए मैथुन के सामने नहीं चाहूंगी डर के मारे तो मेरे हाथ-पांव कांप रहे हैं आप चिंता मत करो मैं समझाती हूं की आरती उतारने से मना कर दिया पार्वती जी को समझाने का यह रूप देखकर सभी बाराती और भीतर तक आप नहीं होगी तब तक के लिए कृपया करके आप आदि से निवृत होकर इस प्रश्न को शरीर से उतारकर सुंदर वस्त्र पहनकर सबसे अन्यथा कहीं ऐसा ना हमारी विवाह में बाधा [संगीत] पार्वती की बात को मानते हुए तैयार हो बहुत ही सुंदर रूप में के रूप को देखकर बहुत खुश होती हैं इसके

(03:06) पश्चात कि मजदूरों की वंशावली घोषित की जानी थी एक रात जरिए उसकी वंशावली सबसे अहम चीज जो कि जीवन का गौरव पार्वती की वंशावली का बखान खूब धूमधाम से किया गया पार्वती के पिता ने शिव से अनुरोध है कृपया इसके बारे में कुछ तो अब यह [संगीत] लोग हमारी ओर से शुरू हो गई वधू पक्ष के सभी पंडित व नारदजी ने भगवान शिव से नहीं गया और वह सभा के बीच अपनी वीणा के तार खींचकर ध्वनि उत्पन्न करने के माता-पिता के पास कुछ अपने खुद के अलावा कुछ नहीं है आज हम ऐसे लोगों को जानते हैं जो अपने पिता हुआ था

(04:10) के बारे में नहीं जानते ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति हो ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई पिता की रचना की कोई परंपरा नहीं और न ही कोई ना कोई करता सब चीजों को बनाने के लिए सिर्फ एक व्यक्ति के रूप में सबसे पहले एक के रूप में प्रकट हुए उसकी पहले यह कुछ नहीं यह निश्चित भगवान शिव के अस्तित्व की व्याख्या सुबह ऊपर से पूरी सभा शिव जी के चरणों में नतमस्तक हो गए राजा हिमवान को भी अपना

(05:15) उत्तर मिल गया था पार्वती भी अपने ऊपर गर्व कर रही थी उसे अब स्कूल अभिभावकों का विवाह मिनिमम करो में वह सभी मेहमानों की संख्या का बोध कराती भोजन खाने में बहुत कि पूरे ब्रह्मांड में नृत्य करते हैं तो पूरा यह सब प्रभु की भक्ति कर अपनी प्रसन्नता मिलकर भोजन का आनंद उठाते हैं उसके पश्चात मां पार्वती की विदाई का समय आ जाता है और वह अपने माता-पिता से अलग कर संसार की सारी खुशियां आशीर्वाद तुम्हारे साथ है आज से कोई भूल हुई हो तो क्षमा कर दीजिएगा पार्टी अब सुबह देश की अर्धांगिनी अपने पति के हर सुख दुख में सुमिरन का सदैव ताव

(06:16) न मां पिताजी आप भी अपना ख्याल रखना लॉन बॉल और इस निशान को कभी भी पार्वती और पार्वती दोनों मिले इसलिए पार्वती अपने माता पिता से मिलने राजा रानी और समस्त अतिथियों का आशीर्वाद प्राप्त कर देवी पार्वती भगवान शिव के साथ खुशी-खुशी अपनी ससुराल विदा हो जाती हैं कर दो मैं पंडित जेठानंद शिव भगवान भोलेनाथ के बहुत बड़े भक्त थे वह वाराणसी में रहते थे शिव मंदिर में एक पुजारी के पर फट वह कई वर्षो से सेवा कार्य कर रहे थे शिव पुराण शिव व्रत उद्यापन शिव चालीसा शिव भजन कीर्तन

(07:20) आदि की पूजा विधि तथा कार्य वह भलीभांति संभालते थे अरे पंडित जी आज आप बड़ी सुबह-सुबह तैयार हो गए सुशीला आज किसी के घर में सावन सोमवार की पूजा है तो वह शिवपुराण का पाठ करवाना चाहते इसलिए मंदिर में पूजा कार्य करके सिद्ध उन्हीं के घर चला जाऊंगा आने में शाम हो जाएगी पंडित शिव मंदिर में पूजा की उन लोगों के घर पहुंचते हैं जहां शिव पुराण का पाठ पूजा की तैयारी के भगवान शिव के लिए आसन लगे थे और उसके सामने एक त्रिशूल और डमरू स्थापित करके पूजा शुरू करते हैं चीता लेंथ पंडित जी का नियम था और पंडित जी की पूजा से पहले का शासन यह त्रिशूल और

(08:09) डमरू स्थापित करते हैं भय जेठानंद पंडित जी से जब भी पूछते हैं तो यही कहते हैं कि जब वह पूजा करने लगते हैं जो स्वयं भगवान शिव की पूजा सुनने के लिए इस आसन पर विराजित होते हैं तो श्रद्धा भाव है पंडित जी तभी तो विश्वास के साथ आसन लगाते हैं कि पंडित जेठानंद पूजा करवा कर घर आ जाते हैं आ गए चलो भोजन कर लो अब कल से तो आपको मंदिर में भी समय लगेगा शिव मंदिर में भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो गई शिवरात्रि तो यह शिवलिंग पर जलाभिषेक दूर-दूर से शिव मंदिर में पूजा करने से भक्तों की भीड़ रहेगी जेठानंद सुबह-सुबह मंदिर पहुंचते हैं

(09:00) कि यह प्रभु शिव शंकर का आसन बिठा देता हूं फिर पूजा आरंभ करूंगा अब पंडित जी कोई बहुत पहुंचे हुए महाराज शिव मंदिर में दर्शनों के लिए आ रहे हैं उनके पीछे भक्तों की भीड़ भी यह चाहिए आज शिवरात्रि के पावन अवसर पर इस मंदिर की शोभा बढ़ाई स्वामी महाराज की जय स्वामी महाराज की जय सबका कल्याण पहले हम मंदिर में थोड़ी देर विश्राम करना चाहेंगे अच्छा तो यह आसन हमारा लिए अति सुंदर अति सुंदर कीजिए तो मैं भोलेनाथ के लिए पूजा में अपनी हाजिरी देकर उसे संपूर्ण करते हैं भगवान भी ऐसे स्थान पर आकर बैठ यह संभव है तुम्हारा पागलपन है मेरा

(09:59) विश्वास है जो कई वर्षों से नहीं आसन बिछाता हूं और मुझे पता भगवान शंकर सदैव मेरी पूजा में इस आसन पर विराजमान होते हैं अच्छा तो फिर प्रमाणित करके दिखाओ पंडित जी कि सच में भगवान शंकर इस आसन पर बैठते हैं स्वामी महाराज भगवान में आस्था और विश्वास हमारी पूजा को सफल बनाता रोधक बात मत करो पंडित जी मुझे पर शंकर महाराज विराजित हो तुम्हारी भक्ति में शक्ति देखना चाहता हूं कि मैं ऐसा क्या है जो सिर्फ तुम्हारे कहने पर भगवान स्वर्ग लोक को छोड़कर यहां तुम्हारी पूजा में बैठने आपको चाहिए तो मुझे कल तक का वक्त दीजिए मैं कैसे विश्वास कर लूं कि पंडित जी कोई

(10:56) चला कि नहीं करेंगे और को पर के पास नहीं है तो आप यह सब अपने पास रखिए और कल जब मैं इसे पूजा के समय यह रखूंगा बस आप इसे यहां से उठाकर कहीं और रखे आपको मिल जाएगा ठीक है तो सच्चा भक्त होगा तो मैं तेरा सेवक बन जाऊंगा सफल रहा तो इस मंदिर को छोड़कर चला जाएगा आपके शरीर को सब्सक्राइब इस विषय में बातें करने की जरूरत होगी और सब्सक्राइब करें उनको विश्वास होगा भगवान शंकर पर इतनी बड़ी बात कह सकते हैं अपने चेहरे से बातें करने लगते यह पंडित बरसों से मंदिर में दान दक्षिण पर कुंडली जमाए बैठा है अब इस पंडित की

(12:03) सच्चाई सबके सामने लाने का वक्त आ गया है स्वामी महाराज आपने बिल्कुल सही शर्त रखी है पंडित का भंडा फूट फिर तो सब लोग आपके वैवाहिक करें गांव घर आ जाता है सुषमा पूछती है पंडित जी से सारी बात बताते हैं तो भगवान भोलेनाथ के परम भक्त हो और भोले भंडारी के होते हुए आपको चिंता की आवश्यकता तो सब कुछ छोड़ दिया और विश्वास कि जरुरत पंडित जी भगवान शंकर को याद करते हुए परमेश्वर के भक्त की परीक्षा है कि मुझे पता है कि आप मेरे साथ जरूर करें अगले दिन पंडित जेठानंद मंदिर पहुंचते हैं स्वामी महाराज

(13:08) पहले से ही मंदिर में पहुंचे हुए थे ऑल पंडित जेठानंद जी आप ही का इंतजार हो रहा था यह भगवान शिव का आसन लगे और पूजा शुरू कीजिए भगवान यहां विराजेंगे [संगीत] सच्चे नाम लेता शिव शंभू सदैव सच्चे मन से पूजा की मेरे भोले नाथ आज यहां से यहां पंडित जी शंकर भगवान का स्मरण करके मंत्र जाप कर रहे थे तो बस इसी इंतजार में थे कि कब पंडित जी का विश्वास जीतें है और वह पंडित जी को झूठा साबित करें तभी स्वामी महाराज यदि आपको लगता है भगवान् शंकर इस आसन पर बैठे तो आप इस आसन को उठाकर दूसरी जगह रख सकते हैं

(14:17) इसमें कौन सी बड़ी बात है इस आसन को वहां सामने रखे दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा [संगीत] क्यों नहीं हो रहा [संगीत] हूं यह मेरे लिए मुश्किल है [संगीत] इस पर बैठे हुए स्वामी महाराज को महसूस होता है जैसे किसी ने उनके हाथ को व्यक्ति या घबरा जाते हैं और पंडित जी से क्षमा मांगते हैं सब लोग इस चमत्कार को देखकर आश्चर्य में पड़ जाते हैं वह महादेव आप सचमुच इस आसन पर बैठे हैं मुझे यकीन हो गया पंडित जी मुझे माफ कर दीजिए फिर भक्तों बीत गई मैं गलत था तो सचमुच भगवान भोलेनाथ के सच्चे भक्त हो

(15:23) नहीं नहीं स्वामी महाराज भगवान शंकर के लिए सभी भक्तों एक समान है है बस विश्वास और लगन की आवश्यकता होती है घृणित पंडित जेठानंद का विश्वास नहीं स्वामी महाराज को पता चल गया था कि पंडित जी की भक्ति में शक्ति है और उस शक्ति सभी के पास होती है उसमें श्रद्धा का दीपक जलाने की ज़रूरत होती है कर दो कर दो


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