शिव जी की बारात | Shiv Ji Ki Barat | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Shiv Ji Shadi

 शिव जी की बारात | Shiv Ji Ki Barat | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Shiv Ji Shadi - 


 पुराणों में लिखित कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए देश के कई प्रसिद्ध मंदिरों में महाशिवरात्र के पावन उत्सव पर शिव विवाह उत्सव मनाया जाता है और शिवजी दूल्हा बनकर बारात लेकर निकलते हैं कहते हैं भगवान शिव और मां पार्वती की शादी बड़े ही भव्य तरीके से आयोजित हुई थी भगवान शिव की बारात बहुत ही अद्भुत थी मां पार्वती की तरफ से कई सारे उच्च कुलों के राजा महाराजा और शाही रिश्तेदार इस शादी में शामिल हुए लेकिन शिव जी की ओर से कोई रिश्तेदार नहीं था क्योंकि भगवान शिव स्वयंभू है इसलिए पूरा संसार ही उनका

(01:04) परिवार है भगवान शिव तो भोले भाले थे अब उन्हें कौन बताए कि दूल्हा कैसे तैयार होगा उन्होंने अपने पूरे शरीर पर भस्म लीप ली और सभी शिव गण तो उन्हें उस रूप में देखते ही आए थे उन्होंने शिवजी के उस रूप की बहुत प्रशंसा की शिवजी की बारात निकलनी शुरू हो जाती है इस बारात में देव दानव सुर असुर भूत प्रेत पिशाच नाग नागिन पशु पक्षी कीड़े मकोड़े सब बाराती बने उधर देवी पार्वती भी 16 श्रृंगार करके तैयार हो चुकी [संगीत] थी बारात आ गई बारात आ गई रानी मां रानी मां बारात आ गई बारात आ गई पार्वती मैं तुम्हारे पिताजी के साथ बारात के स्वागत

(01:49) के लिए जा रही हूं दामाद जी की आरती भी उतारने है तुम सब पार्वती के साथ ही रहना बारात के स्वागत के लिए सभी महिलाएं आरती की थाल लेकर आई भगवान शिव की सासू मां रानी मैनावती अपने दामाद की आरती उतारने दरवाजे पर पहुंची तो शिवजी का रूप देखकर चकरा [संगीत] गई ये कैसा दूल्हा है मेरी फूल सी सुकुमारी कन्या के लिए ये भस्म धारी इसे देखकर तो मैं भय से कांप रही हूं ये कैसी बारात है भूत प्रेत पिशाच मानो पूरी सृष्टि के कीड़े मकड़े साथ ही चले आए हैं मैं तो यहां एक पल भी नहीं खड़ी रह सकती मैं इस दूल्हे की आरती कैसे उतारूंगा यह हमारा दामाद नहीं हो सकता हमारी पुत्री का

(02:33) दूल्हा ऐसा नहीं हो सकता अब शिवजी तो अपनी लीला दिखा रहे थे उनके नाग ने फुफकार मारना शुरू किया और मैनावती वहीं अचेत होकर गिर गई कुछ लोग रानी मैनावती को उठाकर कक्ष में लाए देवी पार्वती घबरा गई मैनावती को जब होश आया तो वह क्रोधित स्वर में माता पार्वती को शिवजी से विवाह के लिए मना करने लगी नहीं पार्वती नहीं तुम जानती नहीं हो उनका रूप देखकर जब मैं डर गई तो तुम विवाह बंधन में बनने वाली हो तुम शिव के साथ कैसे रहोगी अरे वो दूल्हा बनकर नहीं आए वो भस्म धारी सारे भूत प्रेत आए हैं मैं आरती उतारने नहीं जाऊंगी रानी मैनावती एक बार हमारी पुत्री की बात को भी

(03:16) हमें सुनना चाहिए बारात में सभी लोग हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं आप चिंता मत करो मैं महादेव को समझाती हूं पिता श्री मुझे बस एक बार महादेव से मिलने की आज्ञा दे दीजिए मैं उनसे मिलना चाहती हूं मां पिता श्री आपको शिव उसी रूप में मिलेंगे जैसा आप चाहते हैं ठीक है बेटी जाओ एक बार महादेव से बात करो मां पार्वती जानती थी कि जब तक महादेव दूल्हे का रूप धर करर नहीं आएंगे तब तक रानी मैनावती उनकी आरती नहीं उतारें इसलिए वह भगवान शिव को समझाने के लिए उनसे मिलने जाती हैं हे प्रभु आप अपनी लीला समेट मेरी माता आपका यह रूप देखकर व्याकुल

(03:57) हो रही है और आपसे मेरा विवाह नहीं करवा चाहती हर माता की तरह उनकी भी इच्छा है कि उनका दामाद सुंदर और मनमोहक हो इसलिए आप अपने दिव्य रूप को प्रकट कीजिए यदि आपने ऐसा नहीं किया तो हमारे विवाह में बाधा उत्पन्न होगी और मैं यह कदापि नहीं चाहूंगी ठीक है पार्वती यदि आपकी यही इच्छा है तो हम ऐसा ही करेंगे आपकी माता श्री अपने दामाद को आपके दूल्हे को जिस रूप में देखना चाहती है मैं वही रूप धारण करूंगा देवी पावती की मनोदशा समझकर शिव जी ने अपनी लीला समेट ली भगवान शिव अपने चंद्रमौली रूप को धारण करके सबका मन मोह रहे थे महादेव तैयार होकर बहुत ही सुंदर

(04:40) दूल्हे के रूप में सबके समक्ष आते हैं रानी मैनावती महादेव के उस रूप को देखकर बहुत खुश होती हैं देवी पार्वती भी आज अपने ऊपर गर्व महसूस कर रही थी रानी मैनावती ने जब शिवजी को सुंदर दूल्हे के रूप में तैयार हुए देखा तो वे उन्हें निहारती रह गई उन्हें अपने नेत्रों पर भरोसा नहीं हो रहा था वह खुशी खुशी विवाह की तैयारी करने लगी कुछ देर बाद सभी रस्मों के साथ ब्रह्मा विष्णु सहित सभी देवी देवताओं तथा ऋषि मुनियों की उपस्थिति में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हो जाता है राजा हिवा रानी मैनावती और समस्त अतिथियों का आशीर्वाद प्राप्त कर

(05:22) देवी पार्वती भगवान शिव के साथ-साथ खुशी-खुशी अपनी ससुराल विदा हो जाती हैं भोला अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ हरिपुर गांव में रहता था वह गांव के साहूकार के पास मजदूरी करता था भोला ने अपनी बहन की शादी के लिए साहूकार से कर्ज लिया था जिसका भुगतान वह साहूकार को कई वर्षों से कर रहा था भोला भगवान शंकर की बहुत पूजा करता था ऐसे ही एक दिन मंदिर में शिवरात्रि का भव्य आयोजन था वह पत्नी और बच्चों के साथ मंदिर पहुंचा पर साहूकार भी वहां मौजूद था मंदिर में दर्शन करने के लिए पुण्य करने पड़ते हैं तुझ जैसे कंगाल के पास ऐसा क्या है भगवान शंकर को देने के

(06:06) लिए बता कोई दान दक्षिणा या कोई चढ़ावा भोला उदास मन से पत्नी और बच्चों को लेकर वापस घर की ओर चल पड़ता है तभी कुछ खाने को दे दो बड़े जोरों की भूख लगी है भैया यह आटे का हलवा है अगर यह खाओ तो मुझे आटे का हलवा दे दो भूख में तो प्रसाद और भी स्वादिष्ट लगता है क्या ना नाम है तुम्हारा मेरा नाम शिवा है मैं काम की तलाश में हूं क्या आप मुझे कोई काम दे सकते हो मैं कुछ भी कर लूंगा पर मैं तो खुद एक गरीब मजदूर हूं गांव के साहूकार के पास मजदूरी करता हूं मैं तुम्हें भला क्या काम दूंगा भैया मुझे कोई भी काम दे दो बदले में मुझे पैसे नहीं बस

(06:48) रहने की जगह दे देना भोला शिवा की मजबूरी देख हां कह देता है अगले दिन से शिवा वहीं रहने लगता है और घर के काम में मदद करता था एक दिन भोला अपनी पत्नी माला से बोला माला शिवा हमारे लिए इतना सब कुछ क्यों कर रहा है बच्चों के लिए भी यह इतना दूध फल सब्जी सब ले आता है पर कब तक हम इससे बिना पैसे दिए काम करवाते रहेंगे तुम एक काम क्यों नहीं करते साहूकार से कहकर इसे भी अपने साथ काम पर लगवा लो वहां तो इसे काम के बदले पगार मिल जाएगी भोला को माला की बात सही लगी वह शिवा को लेकर साहूकार के पास जाता है और काम दिलवा देता है शिवा

(07:25) भोला के साथ अब खेतों पर भी काम करने जाने लगा साहूकार शिवा को जो भी पगड़ दे था वो पैसे शिवा भोला को जोड़ने के लिए रखवा देता था भोला कई बार शिवा से कहता कि वह अपने पैसे वापस ले ले परंतु शिवा उसे कहता कि जब वक्त आएगा ये पैसे तभी काम आएंगे एक दिन साहूकार भोला और शिवा को किसी काम से दूसरे गांव भेजता है रास्ते में रात हो जाती है जंगल का रास्ता था तभी एक शेर के दहाने की आवाज आती है भोला घबरा जाता है भोला भैया आप तो भगवान शंकर के परम भक्त हो तो डर कैसा और जब भक्त मुसीबत में हो तो भगवान को भी सहायता के लिए आना ही पड़ता है आप उस पेड़ के ऊपर चढ़कर बैठ जाओ

(08:03) बाकी सब मैं देख लूंगा शिवा मैं तुम्हें अकेला छोड़कर कैसे पेड़ पर चढ़कर बैठ जाऊं यह भी तो सही बात नहीं है भोला भैया आप निश्चिंत रहो मुझे कुछ नहीं होगा भोला जैसे ही पेड़ पर चढ़ने के लिए मुड़ता है वो देखता है कि शेर उसके सामने खड़ा है भोला शेर को अपने सामने देख डर जाता है और आंखें बंद करके ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय का जाप करने लगता है शिवा भोला के आगे आ जाता है शेर शिवा को थोड़ी देर तक दे देखता रहता है और बिना कुछ कहे जंगल की ओर चला जाता है भोला और शिवा दोनों घर आ जाते हैं भोला पूरी रात उस घटना को याद करता रहता है अगली सुबह जब वह सोकर उठता है तो

(08:40) शिवा घर पर नहीं था भोला आसपास में पूछता है पर शिवा का कहीं भी पता नहीं था वह साहूकार से जाकर पूछता है वो तो सुबह ही मेरे पास आया और मेरे से बोला कि अमरनाथ यात्रा पर निकलना है इसलिए वह अपना हिसाब कर गया भोला घर आता है और सारी बात माला को बताता है माला भी सुनकर बहुत हैरान होती है कि अचानक बिना बताए शिवा अमरनाथ की इतनी लंबी यात्रा पर कैसे निकल गया भोला को कुछ समझ नहीं आ रहा था उसी रात को सपने में भगवान शंकर भोला को दिखाई देते हैं भोला उठो तुमने मुझे पहचाना नहीं मैं ही तुम्हारा शिवा हूं जिसके बारे में तुम चिंता कर रहे हो भगवान शंकर आप ही शिवा हो

(09:21) मैंने आपको पहचाना नहीं यह कैसी भूल हो गई महादेव मुझे माफ कर दीजिए मैंने आपकी सेवा नहीं की बल्कि आपसे सेवा करवाई आप मुझे छोड़कर क्यों चले गए प्रभु हे महादेव लौट आओ मेरे पास भोला अब तुम मेरे पास अमरनाथ यात्रा करके आओगे मैं अमरनाथ में ही तुम्हें अपने दर्शन दूंगा इतना कहकर भगवान भोलेनाथ अंतरध्यान हो गए अगले दिन भोला ने सारी बात माला को बताई पर भोला इसी चिंता में था कि अमरनाथ की यात्रा के लिए उसके पास पैसे कहां से आएंगे तभी माला उससे बोली सुनो आपको याद है ना शिवा हमारे पास पैसे जोड़ता था इसका मतलब मतलब महादेव ने

(10:00) स्वयं हमारी अमरनाथ यात्रा की व्यवस्था कर दी आपकी जय हो बाबा बर्फानी जय भोला भंडारी आपकी जय हो माला हमारे शिव शंकर ने हमें अपने धाम बुलाया है अमरनाथ बुलाया है भोला उन रुपयों से अपनी अमरनाथ यात्रा पर जाने की तैयारी करता है और साहूकार के पास कुछ दिन की छुट्टी मांगने जाता है छुट्टी तो तू ले ले वो तो तेरे पैसे में उतने दिन के काट ही लूंगा पर यह बता तू अमरनाथ की यात्रा के बारे में जानता भी है बता है कितनी दूर है अमरनाथ धाम पैसा कपड़ा खाना पना पूरे परिवार के साथ तू कैसे अमरनाथ की यात्रा कर पाएगा बहुत कुछ देखना पड़ता है

(10:39) वहां पर पूरा पंजीकरण होता है पूरी तरह से स्वस्थ्य मनुष्य ही अमरनाथ की यात्रा कर सकता है नहीं तो रास्ते में ही रोक देते हैं और तू ठहरा एक गरीब कमजोर दो-दो दिन तो तू रोटी नहीं खाता रास्ते में ही गिर करर बेहोश हो गया तो वापस भेज देंगे देख मैं भी अमरनाथ जा रहा हूं अपने परिवार के साथ देख लियो मैं अमरनाथ की पूरी यात्रा करके वापस आऊंगा भोला अपने परिवार के साथ अमरनाथ की यात्रा के लिए निकल पड़ता है उधर साहूकार को भी अपने परिवार को लेकर अमरनाथ की यात्रा के लिए जम्मू निकलना था पर किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था 75 वर्ष से ज्यादा उम्र होने की वजह से

(11:15) साहूकार के पंजीकरण को स्थगित कर दिया गया साहूकार ने मन में सोचा भगवान शंकर ने शायद मुझे सबक दिया है कि उनकी यात्रा के लिए कोई गरीब या अमीर नहीं होता वह जिस पर कृपा करते हैं वही उनके दर्शन कर पाता है शायद भोला उनका मेरे से भी ज्यादा बड़ा सेवक है इसलिए उसे अमरनाथ यात्रा पर जाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ मैं यह क्यों नहीं समझ पाया कि भगवान तो प्रेम के भूखे हैं उन्हें धन दौलत बड़े-बड़े पकवानों से कोई मतलब नहीं उन्हें कोई एक सूखी रोटी भी खिला दे तो उसमें भी प्रसन्न हो जाते हैं शिवशंकर मुझे माफ कर दो मैंने उस गरीब मजदूर की गरीबी का हमेशा फायदा उठाया बस

(11:56) एक बार भोला यात्रा से वापस आ जाए फिर मैं खुद उससे माफी मांगूंगा भोला माला और बच्चों के साथ पहल गांव पहुंचता है वहां से वह पैदल ही यात्रा शुरू करता है जय बम भोले का जाप करता हुआ वह आगे बढ़ता रहता है चलते-चलते बच्चों को भूख लगती है रुको तुम लोग यहां इस पत्थर पर बैठो मैं किसी से पूछता हूं सुनिए भैया जी यहां खाने के लिए कोई सुविधा मिल जाएगी अरे भाई ये अमरनाथ श्रद्धालुओं के लिए लंगर कमेटियां जीजन से पलखिला करर उनका सत्कार करती हैं खाने पीने से लेकर सोने तक की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है अमरनाथ यात्रा के लिए आओ मैं तुम्हें वहां का रास्ता बताता

(12:35) हूं भोला ने अपनी यात्रा को भगवान भोलेनाथ के भरोसे शुरू किया था और उसे पता था कि वही उसकी यह यात्रा पूरी करवाएंगे व्यक्ति भोला को लेकर जब लंगर कमेटी के पास पहुंचता है भोला ने देखा अमरनाथ यात्रा में लोग जगह-जगह खाने पीने और सोने की सुख सुविधाएं दे रहे हैं अमीर भक्त इस कार्य में दान दक्षिणा देकर अपना योगदान देते हैं सुबह के समय लंगर कमेटियां श्र श्रद्धालुओं की भूख और प्यास को बुझाती हैं और रात होते ही लंगर स्थल धर्मशाला में तब्दील हो जाते हैं श्रद्धालुओं को बिस्तर और सर्दी से बचने के लिए बुखारी भी मुहैया करवाई जाती है अमरनाथ यात्रा के

(13:11) लिए उन्हें पांच पड़ाव पार करने थे पहला पड़ाव पहल गांव उन्होंने पार कर लिया था बापू अभी हमें कितनी और यात्रा करनी है अभी कितनी दूर है अमरनाथ की गुफा नमन पहला पड़ाव पहल गांव में अभी हम हैं अभी हमें चंदनबाड़ी शेषनाग पंच तरनी पार करना है उसके बाद पांचवा पड़ाव अमरनाथ की गुफा है जहां बाबा बर्फानी भोलेनाथ के शिवलिंग के दर्शन होंगे मतलब अमरनाथ की यात्रा के रास्ते में पांच पड़ाव आते हैं आज आया बिटिया पर भोले बाबा का नाम लेते जाओ तो यह रास्ता आराम से कट जाता है और यह पांच पड़ाव भी पार हो जाता है रास्ते भर अलग-अलग पड़ाव पर रुकते हुए आखिर भोला और

(13:59) उसका परिवार अमरनाथ की गुफा पर पहुंचता है पूरा परिवार इतने सुंदर दृश्य को देखकर खुशी से झूम उठता है तुम्हें पता है माला अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमृत्व का रहस्य बताया था बापू वो देखो कबूतर तुम्हें पता है छाया यह कबूतर का जोड़ा बहुत ही किस्मत वालों को दिखाई देता है जैसे तुमने देखा सब मिलकर अमरनाथ बर्फानी शिवलिंग के दर्शन करते भोला हमेशा याद बनकर रहने वाली अनमोल दृश्यों वाली अमरनाथ यात्रा करके खुशी-खुशी गांव वापस आ जाता है साहूकार भोला से अपनी गलतियों के

(14:38) लिए माफी मांगता है और उसे अच्छी पगार देने लगता है दिल से भगवान शंकर के आशीर्वाद से भोला की जिंदगी में खुशियां आ जाती हैं


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