शिव विवाह | Shiv Vivah | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Moral Stories | Kahaniya

 शिव विवाह | Shiv Vivah | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Moral Stories | Kahaniya - 


 महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष में देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है कहा जाता है की भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने सैकड़ो वर्षों तक कठोर तपस्या की थी शिवजी ने तपस्या से प्रसन्न होकर फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन माता पार्वती के साथ विवाह किया था पौराणिक कथा के अनुसार तप के बाद एक वक्त ऐसा भी आया जब पार्वती जी को भगवान शिव विवाह के पूर्व एक परीक्षा का सामना करना पड़ा था जब माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पानी के

(01:02) लिए सैकड़ो वर्षों तक कठोर तप किया तो उनकी तपस्या को देखकर परीक्षा के दौरान सप्त ऋषियों ने शिव जी के डॉन अवगुणों को बताते हुए माता पार्वती से शिवजी से विवाह एन करने के लिए कहा लेकिन पार्वती जी अपने निर्णय से टच से मस्त नहीं हुई इस पर स्वयं भोले नाथ ने माता पार्वती की परीक्षा लेने का निर्णय लिया माता पार्वती के तब से प्रसन्न होकर महादेव उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए कुछ क्षणों बाद ही एक मगरमच्छ ने एक बालक को पकड़ लिया और बालक मदद के लिए पुकारने लगे बचाओ बचाओ कोई बचाओ हेतु किसी बालक की pukarni

(01:56) की आवाज़ है लगता है कोई बालक संकट में है आवाज़ तो नदी की दिशा से ए रही है बालक की पुकार सुनकर पार्वती जी नदी किनारे पहुंची और उनका मंत्र हो गया इस बीच बालक ने माता पार्वती को देखकर खैर जो मुझे मिलता है उसे आहार बनाना मेरा नियम है अगर तुम मुझे अपने तब से प्राप्त वरदान का पुण्य फल दे दोगी तो मैं इस बालक को छोड़ दूंगा ठीक है मुझे स्वीकार है पर तुम इस बालक को छोड़ दो अपनी तब का फल डैन करने के बाद पार्वती जी ने बालक को बचा लिया और एक बार फिर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तप करने बैठ गए इस पर भोलेनाथ दोबारा प्रकट हुए और बोले देवी पार्वती

(02:47) मैं तो तुम्हें मनोवांछित फल दे चुका हूं तुम अब क्यों तब कर रही हो शैंपू नदी पर एक मगरमच्छ एक बालक की प्राण ले रहा था बदले में उसने मुझसे मेरी तब का फल मंगा मैं तो आपको पानी के लिए दोबारा तब कर सकती हूं पर मैं अपने सामने किसी बालक के प्राण कैसे खोने दे सकती थी उसे बालक के प्राण बचाने के लिए मैंने अपने तब का फल उसे ग्राहक को दे दिया वास्तव में मगरमच्छ और बालक दोनों मेरी ही माया का प्रभाव द मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था की तुम्हारा चित्त प्राणी मात्रा में अपने सुख दुख का अनुभव करता है या नहीं तुम्हारी परीक्षा लेने के लिए ही

(03:34) मैंने ये लीला रचाई थी उन्हें को रूप में दिखने वाला नहीं एक सत्य हूं अनेक शरीरों में नजर आने वाला मैं निर्विकार हूं पार्वती मुस्कुराने लगी इसके पक्ष भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह तय हो गया विवाह की बात तय होने के पक्ष अब शादी की तैयारी जोरों पर शुरू हो गई थी लेकिन समस्या यह थी की भगवान शिव एक तपस्वी द और उनके परिवार में कोई सदस्य नहीं था लेकिन मान्यता यह थी की एक बार को अपने परिवार के साथ जाकर वधू का हाथ मांगना पड़ता है अब ऐसी परिस्थिति में भगवान शिव ने अपने भूत-प्रेत और चुड़ेलन को साथ ले जाने का निर्णय किया तपस्वी

(04:27) होने के चलते शिव इस बात से अवगत नहीं द की विवाह के लिए किस प्रकार से तैयार हुआ जाता है सभी shivganon ने शिवजी को भस्म से सजा दिया और हड्डियों की माला पहना दी जब ये अनोखी बारात पार्वती के द्वार पहुंची सभी देवता हैरान रह गए वहां खड़ी महिलाएं भी दर कर भाग गई भगवान शिव को इस विचित्र रूप में देवी पार्वती की मैन स्वीकार नहीं कर पाई और उन्होंने अपनी बेटी का हाथ देने से माना कर दिया परिस्थिति बिगड़ी देख पार्वती जी ने शिव से प्रार्थना की वह उनके रीति रिवाज के मुताबिक तैयार होकर रेशम के फूलों से सजाया गया सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव को दूल्हे के रूप में

(05:18) तैयार किया उसके पक्ष उनके रूप को देखकर सभी बाराती हैरान रह गए जब भगवान शिव इस दिव्या रूप में पहुंचे पार्वती की मैन रानी मैनावती और राजा hinwan ने उन्हें तुरंत स्वीकार कर लिया और ब्रह्मा जी के उपस्थित में विवाह समारोह शुरू हो गया माता पार्वती और भोले बाबा ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई और धूमधाम से यह विवाह संपन्न हुआ हिमालय पर्वत पर बहुत ही सुंदर सात सजा हो रही थी आखिर इतने खुशी का माहौल जो था आज हमारी पुत्री पार्वती की सगाई है सबको का दो कोई भी कसर नहीं रहनी चाहिए महाराज अब बिल्कुल भी चिंता ना करें सारे प्रबंध मेरी ही निगरानी में पूर्ण हो रहे

(06:09) हैं सब कुछ ठीक से हो जाएगा और महादेव को तो आप जानते ही हो उनका चरित्र कितना भोला भला है उनमें तो जरा सा भी अहंकार नहीं है देखना हमारी पार्वती उनके साथ बहुत खुश रहिए मैं जानता हूं महारानी महादेव का स्वभाव बहुत ही निर्मल है पर माता-पिता के मैन को तो तभी तसल्ली मिलती है जब सारे कार्य भली भांति पूर्ण होते हैं मैं आपकी मैन की दुविधा समझ सकती हूं अच्छा मैं देख कर आती हूं की पार्वती तैयार हुई विजय हमारी पार्वती श्रृंगार करके और भी रूपवती लग रही है इतना निखार कर क्यों आया है अब तो पार्वती भी मैड मैड मुस्कुरा रही है की पार्वती भोलेनाथ के आने का इंतजार कर

(07:18) रही है जया विजय तुम दोनों ने पार्वती को तैयार कर दिया ना सचमुच मेरी पुत्री आज बहुत सुंदर लग रही है किसी की नजर ना लगे मैन देखिए ना की जय और विजय मुझे कब से छेद रही है अरे आज तो इन दोनों को तुम्हारे साथ हंसी ठिठोली की छूट मैं भी दे रही हूं फिर तुम विवाह के बाद अपनी ससुराल चली जाओगी तो ये दोनों भी तो तुम्हें बहुत याद करेंगी इन दोनों ने फैसला कर लिया है ये दोनों विवाह के पक्ष भी मेरा पीछा नहीं छोड़ने वाली आज क्या भला हम अपनी सखी को अकेला कैसे छोड़ देंगे पार्वती तो हमारी आत्मा है महारानी और फिर पार्वती अपनी दोनों सखियों जय और विजय को

(08:06) गले से लगा लेती है उत्तरी पार्वती आज हम बहुत खुश हैं बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर आज तुम्हारी सगाई का शुभ कार्यक्रम होने जा रहा है इस आयोजन में पूरा ब्रह्मांड सम्मिलित होगा राजा महाराजा ब्राह्मण पंडित आचार्य पुरोहित ऋषि मुनि समक्ष देवी देवता इस सगाई समारोह में तुम्हें और महादेव को अपना आशीर्वाद प्रदान करने ए चुके हैं तुम दोनों अपनी सखी पार्वती के पास ही रहना हम अतिथियों के स्वागत के लिए जा रहे हैं राजा हिन्द्वान और रानी मैनावती अतिथियों के स्वागत के लिए चले जाते हैं उधर कैलाश पर्वत पर भी भगवान शिव के सगाई समारोह में आने के लिए तैयारी चल रही थी

(08:54) क्या बात है यह भैरव वीरभद्र मणिभद्र चंद श्रृंगी भी शैल घूम कर ghantakar जय और विजय आदि सभी गण कहां है प्रभु वह सब आपके सगाई समारोह में जाने के लिए तैयार हो रहे हैं वह लीजिए ए गए सब प्रभु ये क्या बात हुई आज आपकी सगाई है और आप अभी तक तैयार नहीं प्रभु को इतनी देर से यही समझा रहा हूं की सगाई में जाने के लिए देर हो रही है प्रभु तैयार हो जाते नारायण वैसे भोलेनाथ का ये रूप भी बहुत ही मनमोहक है देवी पार्वती ने तो भोलेनाथ को इसी रूप में पसंद किया है प्रणाम देवर्षि नारद लिए आपका स्वागत है अब बिल्कुल ठीक का रहे हैं मैं भली-भांति

(09:51) जानता हूं यदि मैं इस रूप के शिव किसी और रूप में गया तो ये पार्वती को स्वीकार ना होगा तो देर किस बात की है प्रभु चलिए सगाई समारोह के लिए प्रस्थान करते हैं और फिर भगवान शंकर मैन पार्वती के साथ सगाई के लिए कैलाश से हिमालय की ओर प्रस्थान करते हैं उनके साथ मेहमानों की सूची में देवर्षि नारद समस्त गण गंधर्व यक्ष देवता दैत्य पिशाच नाग-नागिन और समस्त पशु पक्षी आदि शामिल द भगवान शंकर राजा himwan के महल में पहुंचने हैं भगवान शंकर और सभी atithiganon का राजा हिमान और रानी मैनावती धूमधाम से स्वागत करते हैं सभी देवी देवता भगवान भोलेनाथ को बधाई देते

(10:35) हैं कुछ देर बाद मैन पार्वती अपनी सखियों के साथ महल में प्रवेश करती हैं देवी सरस्वती आज पार्वती और भोलेनाथ की सगाई का उत्सव नैनो को अद्भुत से चांदनी प्रदान कर रहा है आपने ठीक कहा देवी लक्ष्मी देवी पार्वती और भगवान भोलेनाथ एक साथ बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहे हैं भगवान भोलेनाथ और मैन पार्वती एक दूसरे के सामने खड़े द महादेव आज मुझे सचमुच ये एहसास होने लगा है की अब आपको पति रूप में पाने की मेरी परसों की तपस्या का फल मुझे प्राप्त होने वाला है देवी पार्वती मैं भी तो आपके बिना अधूरा हूं और फिर आपको पत्नी रूप में पाना मेरे

(11:20) जीवन का आधार है अभी भगवान शंकर और माता पार्वती आपस में वार्तालाप कर ही रहे द की तभी राजपुरोहित कहते हैं अब आप दोनों एक दूसरे की अनामिका उंगली में यह मुद्रिका pahnaaiye ये लोग पुत्री महादेव के हाथों में मुद्रिका पहना भगवान भोलेनाथ और मैन पार्वती एक दूसरे को मूत्र का पहनते हैं उसी पर वहां खड़े समस्त atithigan भगवान शंकर और मैन पार्वती के ऊपर फूलों की वर्षा करने लगे वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर हुए भगवान शंकर और मैन पार्वती के सगाई समारोह से मानो पुरी सृष्टि का वातावरण ही प्रफुल्लित हो गया [संगीत] [संगीत]

(13:04) [संगीत] बताता है सभी atithigan खुशी-खुशी भगवान शिव के साथ अपने-अपने लोग को वापस लौट जाते हैं


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