शिव पार्वती का कन्यादान | Shiv Parvati Ka Kanyadan | Maa Parvati | Hindi Kahani | Moral Stories

  शिव पार्वती का कन्यादान | Shiv Parvati Ka Kanyadan | Maa Parvati | Hindi Kahani | Moral Stories


भगवान शिव राजा हिमालय के समक्ष विवाह के प्रस्ताव को रखने के लिए महर्षि वशिष्ठ और उनकी पत्नी अरुंधति को भेजते हैं माता पार्वती पहले ही अपने माता-पिता से भगवान शिव के बारे में बात कर चुकी थी राजा हिवा ने विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया हमें यह विवाह प्रस्ताव स्वीकार हम तो अति भाग्यशाली जो हमें इस जन्म में कन्या दान करने का पुण्य प्राप्त हो रहा है आप शिव से कहिए कि व विवाह की तैयारी करें हम भी बारात के स्वागत के लिए उचित से उचित प्रबंध करने का प्रयास करेंगे ठीक है महाराज अब हमें आज्ञा दीजिए महर्षि वशिष्ठ राजा हिमालय के घर से लौट तो आए एक

(00:52) तरफ वे अति प्रसन्न थे कि भगवान शिव का विवाह होने जा रहा है परंतु दूसरी तरफ वे चिंतित भी थे महर्षि वशिष्ठ महाराज हिमालय ने तो मेरे और पार्वती के विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है परंतु आपके मस्तक पर चिंता की रेखाएं क्यों है महादेव मैं पार्वती के कन्यादान की बात को लेकर चिंतित हूं पार्वती के कन्यादान को लेकर परंतु कन्यादान तो हर माता-पिता का सौभाग्य होता है शास्त्रों के अनुसार पुत्री का कन्यादान करने से माता-पिता को मोक्ष की प्राप्ति होती है और महाराज हिमालय और उनकी पत्नी मैनावती को भी सौभाग्य प्राप्त होगा हे नारायण आपका कथन

(01:34) सत्य है कि पुत्री के कन्यादान के पश्चात प्रत्येक माता-पिता को उस कन्यादान का पुण्य प्राप्त होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है परंतु राजा हिवा यदि अपनी पुत्री पार्वती का कन्या दान करते हैं तो उन्हें सभी पुण्यं का फल प्राप्त हो जाएगा और उन्हें भी मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी और यदि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो गई तो हिमालय भी धरती से लुप्त हो जाएगा जिससे सभी ऋषि मुनियों को तप करने के लिए स्थान ही नहीं मिलेगा क्योंकि हिमालय पर्वत भी राजा हिमालय के साथ ही सदा के लिए लुप्त हो जाएगा इसी बात की मुझे अत्यंत चिंता है परंतु महादेव और

(02:17) देवी पार्वती का विवाह होना भी अनिवार्य है सृष्टि के कल्याण के लिए महादेव और देवी पार्वती का विवाह सूत्र में बधना भी अति आवश्यक है यदि माता-पिता के मन में पुत्री के विवाह को लेकर संशय उत्पन्न हो जाए हां वर के लिए यदि माता-पिता के मन में कोई संशय उत्पन्न हो जाए तो फिर उस कन्यादान का पूर्ण फल मिलना कठिन है बस तो फिर मार्ग मिल गया देवर्ष नारद इस कार्य में हमें आपके योगदान की आवश्यकता है आपको क्या करना है यह बात आप भली भाति जानते हैं नारायण नारायण प्रभु आप मुझे ही फंसा देते हैं चलिए यही सही महादेव आप आप सब कुछ मुझ पर छोड़ दीजिए और प्रसन्नता के

(03:03) साथ विवाह की तैयारी कीजिए देवर्षी नारद को पता था कि उन्हें क्या करना है फिर राजा हिवा और रानी मैनावती से मिलते हैं देवर्षि नारद हमारी पुत्री पार्वती ने अपने लिए अवश्य ही सुयोग्य वर्ग का चयन किया होगा और फिर आपने भी शिव के गुणों का इतना सुंदर वर्णन किया है कि हमारी तो सारी चिंता दूर हो गई अब तो मन में कोई संशय ही नहीं रह गया रानी मैनावती आपने भी तो अपने दामाद के रूप सौंदर्य की एक अलग छवि जरूर बनाई होगी अवश्य देवर्षी नारद मैं तो अपने दामाद के सुंदर मनमोहक रूप को देखने के लिए लालायित हो रही हूं बस अब तो मुझे अपने दामाद और बारात के स्वागत की

(03:47) बहुत सी तैयारी करनी है मेरी पुत्री पार्वती का विवाह शिव के साथ होने जा रहा है मैं बहुत प्रसन्न हूं देवर्षी नारद देवर्षी नारद ने अपना काम कर दिया और वापस लौटकर सारा वार्तालाप त्रिदेव के समक्ष कह दिया महादेव की बारात सजी सभी शिव गणों ने शिवजी को भस्म से सजा दिया और नागों की माला पहना दी जब यह अनोखी बारात राजा हिमवादी रानी मनाव भगवान शिव की आरती उतारने के लिए द्वार पर ही खड़ी थी जैसे ही उन्होंने भगवान शिव की बारात और उनका रूप रंग देखा तो वह घबरा गई भगवान शिव को इस विचित्र रूप में देवी पार्वती की मां स्वीकार नहीं कर पाई और उन्होंने अपनी

(04:26) बेटी का हाथ देने से मना कर दिया मैं अपनी सलोनी रूप कुमारी कन्या का हाथ उस भस्म धारी पहाड़ों पर तपस्या करने वाले तपस्वी के हाथ में नहीं दूंगी मैं कदापि नहीं दूंगी हम अपनी बेटी पार्वती का विवाह उस शिव के साथ नहीं करेंगे सुनिए हम यह कन्यादान नहीं करेंगे मैं इस विवाह के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं हूं मां ऐसा मत कहो मैं महादेव से प्रेम करती हूं आप जानती हैं मेरी वर्षों की कठोर तपस्या के बाद ही मुझे उनकी पत्नी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है मां मैं उन्हीं की अर्धांगिनी बनूंगी मैं महादेव के सिवा किसी से से विवाह नहीं करूंगी मैंने उन्हें सदैव से

(05:02) ही अपना पति परमेश्वर माना है मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा बारात दरवाजे पर खड़ी है मेहमान विवाह की प्रतीक्षा कर रहे हैं पिताजी मुझे बस थोड़ा समय दीजिए मैं स्थिति को ठीक कर दूंगी सब कुछ ठीक हो जाएगा परिस्थिति बिगड़ती देख पार्वती जी महादेव से इस विषय में बात करती हैं उन्हें समझाती हैं कि वो उनके रीति रिवाजों के मुताबिक तैयार होकर आए शिवजी ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार किया विषम के फूलों से सजाया गया सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव को दूल्हे के रूप में तैयार किया उसके पश्चात उनके रूप को देखकर सभी बाराती हैरान रह गए भगवान शिव इस

(05:38) दिव्य रूप में पहुंचे पार्वती की मां रानी मैनावती और राजा हिवार ने उन्हें स्वीकार कर लिया और ब्रह्मा जी की उपस्थिति में विवाह समारोह शुरू हो [संगीत] गया शांति का पति मोहन एक गरीब मजदूर था शांति भी घरों में बर्तन सफाई का काम करती थी दोनों की थोड़ी बहुत कमाई से घर चलता था मोहन और शांति दोनों की शिवजी में बहुत आस्था थी हमेशा ही उन दोनों के मुख पर शिवजी का नाम रहता था सुबह पूजा पाठ करके और जो रूखी सूखी बनाते वह अपने बच्चों के साथ मिल बांट कर खाते कुछ समय से मोहन की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी वह मजदूरी पर तो जाता पर काम के दौरान जल्दी ही थक जाता था

(06:22) और उसकी सांस फूलने लगती थी कितनी बार कहा है डॉक्टर के पास दिखाने चलते हैं तो तुम्हारी सांस रोजाना ही फूल जाती है अच्छा ठीक है मैं तेरे साथ डॉक्टर के पास जरूर चलूंगा एक दिन की छुट्टी मांग लूंगा मालिक से वह तो उन्हें बताना पड़ेगा ना अगर बिना कहे छुट्टी ली तो मालिक बहुत नाराज होते हैं जब तक मैं डॉक्टर के पास नहीं जाऊंगा तब तक तू मानेगी नहीं और मेरी चिंता मत किया कर जब तक भगवान शिव हमारे साथ है हमें कोई संकट नहीं आएगा मोहन और उसकी पत्नी मिलकर भगवान शिव की आरती और पूजन करते हैं अगले दिन मोहन शांति के कह ने पर मालिक से छुट्टी बोलता है मालिक वह

(07:03) बहुत दिनों से तबीयत ठीक नहीं चल रही सांस बहुत फूलने लगा है डॉक्टर को दिखाने जाना था कल की छुट्टी दे देते तो मैं डॉक्टर को दिखा आता अरे ठंड में सांस फूल जाती है इसके लिए क्या डॉक्टर के पास जाना भाई कोई जरूरत नहीं है डॉक्टर के पास जाने की और यहां पर बहुत काम है इसलिए मैं कोई छुट्टी नहीं दूंगा अगर फिर भी तू नहीं माना तो हमेशा के लिए छुट्टी कर दूंगा चल जा अभी जाकर काम कर परसों त ऊपर की बिल्डिंग तैयार करनी है और सभी मजदूर मेहनत कर रहे हैं तू भी मेहनत कर तभी शाम तक पैसे मिलेंगे मोहन का मालिक उसे छुट्टी नहीं देता इस कारण मोहन डॉक्टर के पास नहीं जा

(07:39) पाता और इसी वजह से उसकी तबीयत बहुत बिगड़ने लगती है एक दिन अचानक काम पर मोहन की तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गया अरे उठाओ उसे और अस्पताल लेकर जाओ अब बीमार लोगों को काम पर रखूंगा ही नहीं कुछ मजदूर मोहन को नजदीकी अस्पताल में लेकर जाते हैं इतनी देर में शांति को भी घर पर खबर पहुंच गई शांति दौड़ी दौड़ी अस्पताल पहुंची मालिक रिसेप्शन पर बात कर रहा था क्या ₹ लाख रप का खर्चा मेरे पास इतने पैसे नहीं है इसके घर वालों को बोलो मैंने इतना ठेका थोड़ी लिया हुआ है एक एक मजदूर का अगर मैं इलाज करवाता रहा तो फिर तो मैं खुद बीमार

(08:16) पड़ जाऊंगा मुझे माफ करो मैं जा रहा हूं दो चज की बात होती तो मैं दे देता पर अब नहीं इतने मैं नहीं दे सकता नहीं नहीं ऐसा मत कहो मालिक मेरे पति की जान बचा लो मालिक मुझे पैसे दे दो ताकि मैं अपने पति का इलाज करवा सकूं डॉक्टर ने कहा है उनके दिल का ऑपरेशन होना बहुत जरूरी है मेरे पास पैसे नहीं है मेरा दिमाग मत खराब करो मैं काम छोड़कर आया हूं मोहन का मालिक वहां से चला जाता है उस गरीब की कोई सहायता नहीं करता शांति बहुत रोती है उसके पास पैसों का इंतजाम करने के लिए कोई जरिया नहीं था उसे इतने पैसे कोई नहीं दे रहा था जहां वो काम करती थी वहां

(08:56) भी सबने इतने पैसों की मदद देने के लिए मना कर दिया शांति रोती हुई भगवान शिव के मंदिर जाती है हे शिव शंकर मैंने और मेरे पति ने हमेशा आपकी पूजा की है आपने हमें जैसे रखा हम उसी हाल में खुश रहे पर आज मेरे पति के ऊपर ऐसा भारी संकट आ गया है जिसे आप ही दूर कर सकते हो मेरे पति की जान बचा लो भगवान मैं आपसे विनती करती हूं मेरे सुहाग की रक्षा करो प्रभु शांति भगवान शिव से प्रार्थना करके वापस अस्पताल लौट आई रिसेप्शन पर उसे बार-बार पैसा जमा करने के लिए कहा जा रहा था ताकि मोहन को ऑपरेशन जल्दी से जल्दी हो सके तभी एक सेठ सेठानी हॉस्पिटल में आते हैं डॉक्टर साहब

(09:37) कहां है मेरे पति की तबीयत बहुत खराब है बोल रहे हैं ठंड लग रही है और बुखार भी चढ़ रहा है आप इन्हें वहां लिटा दीजिए मैं डॉक्टर को बुलाती हूं ठीक है अब जल्दी से डॉक्टर को बुला लाओ सब कुछ ठीक है आपको तो कोई प्रॉब्लम नहीं है लगता है आपको कोई चिंता या कोई परेशानी है जिस कारण आपको तबीयत खराब महसूस हुई वरना आपकी तो सारी रिपोर्ट नॉर्मल है कितनी बार कहा है चिंता कम किया करो पर क्या करें चिंता करना तो इनकी आदत है आपको क्या ही बताऊं यह तो पूरे संसार की चिंता अपने ऊपर लिए रहते हैं अच्छा पर चिंता के साथ-साथ अपनी सेहत का भी ख्याल

(10:15) रखना चाहिए सेठ जी मैं आपको कुछ ताकत की दवाइयां लिखकर दे रहा हूं इन्हें समय पर ले लेना आपको कमजोरी नहीं महसूस होगी अच्छा धन्यवाद डॉक्टर साहब डॉक्टर साहब वो जो पेशेंट एडमिट हुआ था उसकी पत्नी पैसों का इंतजाम नहीं कर पा रही है पैसों का इंतजाम तो उन्हें करना ही होगा बहुत बड़ा ऑपरेशन है जिसमें बहुत खर्चा आएगा यह बात उनको समझनी होगी वैसे भी पहले ही बहुत लेट हो चुका है हम उनके पति के ऑपरेशन में लेट नहीं कर सकते तभी शांति रोती हुई आ जाती है डॉक्टर साहब कोई भी मेरी मदद नहीं कर रहा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मैं कहां से पैसे लाऊ मेरे पति

(10:54) को बचा लीजिए डॉक्टर साहब हे शिवशंकर मेरी मदद करो मेरे पति को बचा लो लगता है यह बहन शिवजी की बहुत बड़ी भक्त है अब इसने शिवजी को याद किया है तो मुझे इसकी मदद करनी ही होगी मैंने कहा था ना पूरी सृष्टि की चिंता इन्ही रहती है भाग्यवान मेरे बैग में जो रुपए रखे हैं वह इस बहन को दे दो इसके काम आ जाएंगे इसे पैसों की बहुत जरूरत है और मेरी तबीयत तो अब ठीक है मैं तो पैसे रखकर इसलिए लाया था कि कहीं मेरे इलाज में जरूरत ना हो पर डॉक्टर साहब तो कह रहे हैं कि मैं बिल्कुल ठीक हूं तोय पैसे इस बहन के पति के इलाज में काम आ जाएंगे कितने पैसे देने हैं मुझे बता दो 5

(11:35) लाख रुप देने हैं 5 लाख रुपए ही तो हम रख कर लाए थे ना भाग्यवान हां हम इतने ही रख कर लाए थे मैं इ सारे रुपए ही दे देती हूं यह लो बहन जैसे ही सेठ सेठानी शांति के हाथों में पैसे देते हैं शांति फूट फूट कर रोने लगती है और वह सेठ सेठानी को धन्यवाद कहती है आपका बहुत-बहुत शुक्रिया आप आज इस संकट की घड़ी में मेरे लिए मेरे शिव पार्वती बनकर आए हो मैं आपका यह एहसान जीवन भर नहीं चुका सकती मैं आपको यह पैसे कैसे लौटा हंगी अरे नहीं नहीं बहन अब यह पैसे तुम्हारे हैं जब तुम्हारे पति ठीक हो जाए तो बस इस पते पर मिठाई खिलाने आ जाना हमें

(12:15) उसी में बहुत खुशी होगी चलो सेठानी चलते हैं सेठ सेठानी शांति को अपने घर का पता देकर चले जाते हैं मोहन का इलाज शुरू होता है और उसके दिल का ऑपरेशन सफल रहता है कुछ दिनों बाद मोहन की तबीयत ठीक हो जाती है और वह घर आ जाता है उस समय तुम्हारे ऑपरेशन की घबराहट में मैंने वह पता लिखा हुआ पर्चा इसी बटवे में रख लिया था इसी में सेठ जी के घर का पता लिखा है देखो शांति उनके घर का पता फिर हम दोनों उनसे मिलने चलते हैं सचमुच उन्होंने हमारी कितनी मदद की कोई इतनी मदद नहीं करता अरे इसमें तो शिव मंदिर लिखा है जहां मैं रोज पूजा के लिए जाती हूं इसमें तो और कुछ

(12:55) लिखा ही नहीं है ऐसा कैसे हो सकता है जी शिव मंदिर शांति वहां तो हमारे भोलेनाथ और माता पार्वती का वास है इसका मतलब भगवान शिव और मां पार्वती हमारी मदद को आए थे सेठ सेठानी के रूप में वह हमारी मदद के लिए उस दिन मरीज बनकर हॉस्पिटल में आए मैं सब समझ गया शांति यह सब भगवान शिव की ही लीला है हां उस दिन जब वह हॉस्पिटल अपने इलाज के लिए आए थे तब वो यही कह रहे थे कि उन्हें पूरी सृष्टि की चिंता है ये सच है उन्हें पूरी सृष्टि की चिंता जी उन्होंने उस दिन मेरी प्रार्थना सुन ली सुनो जी हम बच्चों के साथ शिव मंदिर चलते हैं मिठाई

(13:35) खरीद लेंगे भगवान शिव ने बोला था कि जब तुम ठीक हो जाओ तो मैं उनके पास मिठाई लेकर जाऊं मोहन और शांति की आंखें आंसुओं से भर आती हैं वह भगवान शिव के मंदिर जाते हैं और अपने जीवन में आई खुशियों के लिए भगवान शिव और माता पार्वती को धन्यवाद कहते हैं


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