अपाहिज लड़की और डाकिया|apahij ladki or dakiya ki kahani #viral #kahani #moralstory

  अपाहिज लड़की और डाकिया|apahij ladki or dakiya ki kahani #viral #kahani #moralstory



जय श्री महाकाल दोस्तों स्वागत है आपका आपके ही ू चैनल एसआरटी स्टोरीज में और आप इस चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें राजू काका डाक विभाग के कर्मचारी थे सालों से वे राजपुर और आसपास के गांव में चिट्ठियां बांटने का काम करते थे एक दिन उन्हें एक चिट्ठी मिली पता राजपुर के करीब का ही था लेकिन आज से पहले उन्होंने उस पते पर कोई च च नहीं पहुंचाई थी रोज की तरह आज भी उन्होंने अपना थैला उठाया और चिट्ठियां बांटने निकल पड़े सारी चिट्ठियां बांटने के बाद वे उस नए पति की ओर बढ़ने लगे दरवाजे पर पहुंचकर उन्होंने आवाज दी पोस्टमैन अंदर से किसी लड़की की

(00:45) आवाज आई काका वहीं दरवाजे से नीचे से चिट्ठी डाल दीजिए अजीब लड़की है मैं इतनी दूर से चिट्ठी लेकर आ सकता हूं और यह महारानी दरवाजे तक भी नहीं आ सकती काका ने मन ही मन सोचा बाहर आइए रजिस्ट्री आइए हस्ताक्षर करने पर ही मिलेगी काका गुस्सा करते हुए बोले अभी आई अंदर से आवाज आई काका इंतजार करने लगे पर जब दो मिनट बाद भी कोई नहीं आया तो उनके सब्र का बान टूटने लगा यही काम नहीं है मेरे पास जल्दी करिए और भी चिट्ठियां बाटनी है और ऐसा कहकर काका दरवाजा पटने लगे कुछ देर बाद दरवाजा खुला सामने का नजारा देखकर काका चौक गए एक 12 1 साल की लड़की थी जिसके

(01:27) दोनों पैर कटे हुए थे उन्हें अपनी हरक पर शर्मिंदगी महसूस हो रही ी लड़की बोली क्षमा कीजिएगा मैंने आने में देर लगा दी बताइए हस्ताक्षर कहां करने हैं काका ने हस्ताक्षर करवाए और वहां से चल गए इस घटना के आ द दिन बाद काका को फिर से उसी पति की चिट्ठी मिली इस बार भी सब जगह चिट्ठियां पहुंचाने के बाद वे उस घर के सामने पहुंचे चिट्ठी आई है हस्ताक्षर की भी जरूरत नहीं है नीचे से डाल दूं काका बोले नहीं नहीं रुकिए मैं अभी आई लड़की भीतर से चिल्लाई कुछ देर बाद दरवाजा खुला लड़की के हाथ में गिफ्ट पैकिंग किया हुआ एक डिब्बा था काका

(02:07) लाइए मेरी चिट्ठी और लीजिए अपना तोहफा लड़की मुस्कुराते हुए बोली इसकी क्या जरूरत है बेटा काका संकोच वश उपहार लेते हुए बोले लड़की बोली बस ऐसे ही काका आप इसे ले जाइए और घर जाकर ही खोलिए काका डिब्बा लेकर घर की ओर बढ़ चले उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि डिब्बे में क्या होगा घर पहुंचते ही उन्होंने डिब्बा खोला और तोहफा देखते ही उनकी आंखों से आंसू टपकने लगे डिब्बे में एक जोड़ी चप्पलें थी काका बरसों से नंगे पाव में चिट्ठियां बांटा करते थे लेकिन आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था यह उनके जीवन का सबसे कीमती तोपा था काका चप्पलें कलेजे से लगाकर रोने

(02:48) लगे उनके मन में बार-बार एक ही विचार आ रहा था बच्ची ने उन्हें चप्पलें तो दे दी पर वे उसे पैर कहां से लाकर देंगे दोस्तों संवेदनशीलता या सेंसिटिविटी एक बहुत बड़ा मानवी गुण है दूसरों के दुखों को महसूस करना और उसे कम करने का प्रयास करना एक महान काम है जिस बच्चे की खुद के पैर ना हो उसकी दूसरों के पैरों के प्रति संवेदनशीलता हमें एक बहुत बड़ा संदेश देती है आइए हम भी अपने समाज अपने आस पड़ोस अपने यार मित्रों अजनबियों सभी के प्रति संवेदनशील बने आइए हम भी किसी के नंगे पांव की चप्पलें बने और दुख से भरी इस दुनिया में कुछ खुशियां फैलाएं आपको कहानी

(03:29) पसंद चैनल को सब्सक्राइब करें लाइक करें शेयर करें कमेंट करें थैंक्स फॉर वाचिंग


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