सवान माह मे सुने.. धर्मराज जी की कहानी | Dharam raj ki kahani | Dharamraj vrat katha | Yamraj ji ki -

 सवान माह मे सुने.. धर्मराज जी की कहानी | Dharam raj ki kahani | Dharamraj vrat katha | Yamraj ji ki - 


एक समय की बात है एक गांव में रामू नाम का एक लकड़ा हारा रहता था वह अपने घर में अकेला रहता था उसके किसी समय भरा पूरा परिवार था माता-पिता पति-पत्नी बच्चे सभी थे पर किसी ना किसी रोग की वजह से कोई ना कोई की मृत्यु होती रहती थी इतनी मौतें देखने के पश्चात रामू को मौत से डर लगने लगा उसे हमेशा भह रता कि कहीं उसकी मृत्यु ना हो जाए एक दिन वह इसी सोच में डूबा हुआ था कि किसी ने उसका दरवाजा कटक उसने देखा कि एक महात्मा जी वहां खड़े थे उन्होंने रामू से कहा बेटा मैं बहुत दूर से आया हूं क्या मैं तुम्हारे घर में रात बिता सकता

(00:33) हूं रामू ने कहा जरूर क्यों नहीं आप जब तक चाहे मेरे घर में आप रुक सकते हैं मैं बड़े सत्कार से अपने घर में उनको अंदर लेकर आया और उनकी अच्छी आवभगत की रात में महात्मा जी नींद में सो गए दूसरे दिन सवेरे जब वह विदा होने लगे तो उस समय वह रामू से बोले कि रामू तूने मुझे बहुत अच्छी सेवा की है मेरा बहुत ख्याल रखा है इनाम के रूप में मैं तुम्हें कुछ वरदान देना चाहता हूं बोलो तुम्हें क्या चाहिए रामू ने झट से जवाब दिया हे महात्मा देना है तो मुझे अमर होने का वरदान दीजिए ताकि मेरी कभी मृत्यु ना हो महात्मा जी ने कहा कि तुम मनुष्य हो मैं तुम्हें यह वरदान

(01:09) नहीं दे सकता इस सृष्टि में जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु होनी है अमृत्व उसे नहीं मिल सकता रामू ने कुछ देश सोचकर कहा कि तब आप यह वरदान दीजिए कि जो भी मेरे व्यक्ति मेरे प्लंक प बैठे वह मेरी मर्जी के बिना उठ ना सके महात्मा जी ने सोचा कि इस वरदान में तो ऐसा कोई गलत बात नहीं है उन्होंने तथास्तु कहकर वहां से प्र प्रस्थान कर लिया कुछ समय बीत गया जब वो उसका अंत समय निकट आया तब एक दिन जब राबू सोने जा रहा था तो यमराज जी उसे लेने आए यमराज जी ने कहा रामू तुम्हारा अंत समय अब नजदीक आ गया है मैं तुम्हें लेने आया हूं उन्होंने देखकर रामू डर गया उसी समय उस

(01:47) महात्मा के वरदान का उसे स्मरण आया वह तुरंत बिस्तर पर उठकर खड़ा हो गया और हाथ जोड़कर बोला भगवान आप पहली बार मेरे घर पधारे हैं कृपया करके मेरा अतिथि स्वीकार कीजिए अभी-अभी मैंने बस्त लगाया है उस पर आप थोड़ी देर बैठ जाइए फिर मैं आपके साथ चलूंगा यमराज जी खुशी खुशी बिस्तर पर बैठ गए उनके बैठते ही रामू बोला अब आप बिस्तर से उठ नहीं सकते और ना ही मुझे आप अपने साथ ले जा सकते यमराज जी चौके और बोले यह क्या कह रहे हो तब रामू ने महात्मा जी के वरदान की बात उन्हें बता दी और कहा कि मेरे बिना कहे इस बिस्तर से आप नहीं उठ सकते और ना ही मुझे आप अपने साथ ले जा

(02:25) सकते हैं यमराज जी ने रामू से विनती की कि मुझे यहां से उठने दो यदि मैं यहां से नहीं नहीं उठा तो मेरा काम कौन करेगा इससे मृत्यु की प्रक्रिया ही रुक जाएगी रामू बोला मैं आपने साथ ढेर सारे लोगों को मरने से बचा रहा हूं यह कहकर रामु ने उन्हें कमरे में बंद कर दिया यमराज जी को बंद कमरे में छोड़कर वह अपने खेत प चला गया अब मैं कभी नहीं मरूंगा मैंने यमराज जी को अपने घर में केद कर लिया है अब मुझे मृत्यु से कोई डर नहीं है चिंता रहित होकर वह खेत में जाने लगा वहां जाकर अपने खेत में बैठ गया तभी वहां एक जंगली सियार आया उसने खेत में बंदी गाय को काटने लगा रामू

(03:01) तुरंत अपनी लाठी उठाकर उसे मारने लगा व मारते मारते थक गया पर सियार नहीं मरा वह डंडे की चोट खाकर बेहोश हो जाता और वापस वह खड़ा हो जाता और गाय को काटने लगता यह तमाशा बहुत देर तक चलता रहा मारते मारते उसका डंडा टूट गया रामू को मौत का डर तो नहीं था पर सियार के काटने से होने वाले जो दर्द और तकलीफ था उसका डर था रामू ने कहा है कि यह क्या हो रहा है अगर मैं यहां से नहीं भागा तो यह सियार गाय को छोड़कर मुझे खा जाएगा वह घर की ओर भागने लगा रास्ते में देखा तो जंगल के जानवर गांव में घुस गए गांव वासी इधर-उधर भाग रहे थे बचाओ बचाओ बचाओ यह शेर मुझे खा जाएगा बचाओ

(03:37) रामू जल्दी से घर में घुस गया और उसे देखकर यमराज जी ने कहा रामू मैंने तो पहले ही कहा था कि मैं अपना काम बंद कर दूंगा तो सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा सृष्टि के लोग अमर नहीं हो सकते सबको एक ना एक दिन तो मरना ही पड़ेगा यह संसार का नियम है यदि मैं किसी के प्राण नहीं लिया तो जंगल के जानवर और शहरों में इंसानों की बाढ़ आ जाएगी सब कुछ अस्तव्यस्त हो जाएगा पश पक्षी कीड़े मकोड़े मनुष्य को मारकर मैं उनकी संख्या नियंत्रण में रखता हूं जब रामू ने यमराज जी की बात समझ में आई वह हाथ जोड़कर यमराज से बोला प्रभु मुझे माफ कर दीजिए मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई आप

(04:13) बिस्तर से उठ जाइए और अपना काम प्रारंभ कीजिए जीवन और मृत्यु का रहस्य रामू को समझ में आ गया था उसका मृत्यु का डर भी समाप्त हो गया तात्पर्य यह है कि जो जन्म लेता है उसे मरना ही पड़ता है


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