सवान माह मे सुने..Dharam raj ki kahani || धर्मराज जी की कहानी || Dharamraj vrat katha || Yamraj ji -

 सवान माह मे सुने..Dharam raj ki kahani || धर्मराज जी की कहानी || Dharamraj vrat katha || Yamraj ji - 


नमस्कार दर्शकों आज मैं धर्मराज जी और चीड़ा चिढ़ी की बहुत ही सुंदर कहानी सुनाने जा रही हूं एक बहुत बड़ा जंगल था उसमें बहुत सारे जानवर रहते थे उसी जंगल में एक चीड़ा चिड़ी रहते थे वह दोनों बहुत ही प्रेम पूर्वक रहते थे एक दिन चीड़ा चिढ़ी एक नदी किनारे पानी पीने गई वहां पर कुछ औरतें पानी भरने आई हुई थी वह धर्मराज जी के व्रत कथा के बारे में बात कर रही थी चीड़ा चिड़ी दोनों उनकी बातें बड़े ध्यान से सुन रहे थे उन्होंने भी धर्मराज जी की कथा और पूजा करने का निर्णय ले लिया था अब हर रोज चीड़ा चिड़ी उस नदी में स्नान करते

(00:40) और कहानी सुनते चिड़ी हमेशा चिड़े से कहती मैं तुमसे ज्यादा धर्मराज जी की भक्ति करती हूं और चिड़ा भी हार नहीं मानता वह भी कहता कि मैं तुमसे ज्यादा धर्मराज जी का भक्त हूं एक दिन की बात है वह दोनों एक पेड़ पर बैठे हुए थे फिर इसी बात को लेकर झगड़ने लगे तभी चिड्डी ने चीड़ा से कहा कि तुम इतना प्रभु का ध्यान नहीं करते हो चीड़ा ने भी यह बात कह दिया कि तुम भी प्रभु का ध्यान नहीं करती है इस बात पर दोनों खूब आपस में लड़े अंत में यह परिणाम आया कि चीड़ा चिढ़ी से एक शर्त लगते हैं और चिढ़ी ने चीड़ा से कहती है चलो ठीक है मैं मानती हूं कि तुम मुझसे ज्यादा भक्ति

(01:19) भाव रखते हो लेकिन एक शर्त है कल सुबह इस पेड़ के नीचे सबसे पहले जो आकर पहुंचेगा मान लिया जाएगा कि वह सबसे ज्यादा भक्ति करता है चिड़ा ने भी भी हां में हां मिलाया दोनों ने एक दूसरे की बात मान लेते हैं फिर दोनों अपने घोसले में चले गए और चेड़ा वहीं रुक गया उस समय बहुत ज्यादा ठंड पड़ रही थी और बहुत ज्यादा सर्दी का भी आलम था तेज हवाएं चल रही थी चिड़ा ने सोचा मैं क्यों घोंसले में जाऊं और ऐसा करता हूं कि मैं इसी पेड़ पर रुक जाता हूं और मैं कल चिड़ी को यह जरूर बता दूंगा कि मैं उससे ज्यादा भक्ति करता हूं यह बात सोचकर चिड़ा उसी पेड़ पर रुक जाता है वह

(02:01) घर नहीं जाता है रात में ठंड और भी बढ़ जाती है और बर्फीली हवाएं चलने लगती हैं चीड़ा को बहुत ज्यादा ठंड लगने लगती है लेकिन वह वहां से कहीं नहीं जाता है वह वहीं बैठा रहता है और धर्मराज जी का ध्यान करता है चिड़ा सोचता है कि मैं कल चिड़ी को दिखा दूंगा कि मैं अपने भगवान की कितनी भक्ति करता हूं वह जब आएगी तो पहले मुझे यहां पर देखकर हार मान जाएगी कि मैं उससे ज्यादा भक्ति करता हूं धीरे-धीरे रात और बढ़ गई और ज्यादा तेज हवाएं चलने लगी ज्यादा ठंड ना होने की वजह से चीड़ा उसी पेड़ के नीचे गिर जाता है और वहीं उसकी मृत्यु हो जाती है धर्मराज जी खुद आते हैं

(02:42) उसको अपने साथ स्वर्ग ले जाते हैं इधर चिड़ी भी रात भर सोती नहीं है वह रात भर जगी रहती है सोचती है कब सुबह हो और कब मैं सबसे पहले वहां पहुंच जाऊं चिड़े को मैं दिखा दूंगी कि मैं सबसे बड़ी भक्ति करती हूं रात भर यही बात सोच सोच कर वो सोती नहीं है जैसे ही सुबह होती है चिड़िया दौड़ी दौड़ी वप जाती है उस पेड़ के पास और हर तरफ देखती है चिड़े का कोई अता पता नहीं होता है चिड़िया वहीं बैठ जाती है और मन ही मन में बहुत खुश होती है और सोचती है कि आज तो मैं दिखा दूंगी  चिड़े को कि उससे ज्यादा धर्मराज जी की भक्ति मैं करती हूं चिड्डी इंतजार

(03:23) करते-करते थक जाती है और एक घंटा बीत जाता है सूरज की किरणें निकल आती हैं धीरे-धीरे हर तरफ छाने लगती है चिड़िया इंतजार करती रहती है और देखते ही देखते उजाला हो जाता है लेकिन चिड़े का कोई अता पता नहीं रहता है वह सोच में पड़ जाती है कि आखिर चिड़ा हार गया क्या अभी तक क्यों नहीं आया चिड़िया जब इधर-उधर नजर दौड़ा है तो उस पेड़ के नीचे एक झाड़ी पर पड़ा होता है झाड़ी पर उसकी नजर जाती है और देखती है कि वहां कुछ है जब वह नीचे आती है और पत्ते को हटाती है तो देखती है कि छिड़ा वहां पर मरा पड़ा होता है और बर्फ से उसका श शर जाम हो चुका था यह देखकर चि दिया बहुत

(04:03) रोने लगती है तभी देखती है वहां चिड़ा लिखा है कि देख चिड़िया मैं तुमसे ज्यादा बड़ा भक्ति हूं तभी मुझे खुद धर्मराज जी विमान से लेने आए तुम तो अपने घोंसले में चली गई लेकिन मैं अपनी भक्ति को साबित करने के लिए रात भर इसी पेड़ पर धर्मराज जी का ध्यान करता रहा और नतीजा यह हुआ कि मेरी मौत के समय भगवान खुद मुझे लेने आए हैं और मैं स्वर्ग में जा रहा हूं मैं वहां तेरा इंतजार करूंगा मुझे उम्मीद है कि तू धर्मराज जी की भक्ति करना बंद नहीं करोगी चिड्डी यह सब परच कर अपने चिड़े को याद करके रोती है फिर धर्मराज जी का दिन रात पूजा करती है ध्यान करती है कुछ

(04:43) महीनों बाद उसकी भी मौत हो जाती है उसे भी लेने खुद धर्मराज जी विमान लेकर आते हैं अब चिड़ा और चिड़िया स्वर्ग में मौज से रहते हैं और धर्मराज जी का ध्यान व्रत पूजा कथा भी करते हैं हे धर्मराज जी जैसे आपने चिड़ा और चिड़िया पर कृपा की वैसे ही हम सब पर करना जय हो धर्मराज जी की


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