यमराज जी की राखी | गरीब की राखी | Gareeb Ki Rakhi | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Kahaniya

यमराज जी की राखी | गरीब की राखी | Gareeb Ki Rakhi | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Kahaniya


यमराज जी बने भाई मुसीबत और काशी का जैसे चोली दमन का साथ था अपने जन्म के साथ ही काशी ने सबसे पहले अपनी मैन को खो दिया फिर पिता का साथ भी कुछ ही सालों में छूट गया उसके चाचा बड़ा किया लेकिन फिर एक दिन एक सड़क हादसे में काशी ने अपनी आंखों की रोशनी को खो दिया जीवन से निराश काशी के जीवन में अब कोई भी उम्मीदवार की नहीं रह गई थी काशी चल बेटा लड़के वाले कब से इंतजार कर रहे हैं नहीं चाची मुझे नहीं जाना और ना ही किसी से शादी करनी है ऐसा क्यों बोल रही है तू बड़ी किस्मत से ऐसा रिश्ता मिला है तुझे पता है लड़का महीने के पूरे 10000 कमाता है

(00:51) लेकिन चाची यह जानकर की मैं देख नहीं सकती वह मुझसे कभी शादी नहीं करेगा मुझे पता है नहीं काशी तेरे चाचा ने तेरे बारे में उन्हें सब कुछ पहले ही बता दिया था तो अगर कोई परेशानी होती तो वो बात आगे ही क्यों बढ़ते तो यह सब मत सोच और चल मेरे साथ काशी ने अपनी सारी हिम्मत जुटा और फिर लड़के वालों के सामने गई उसके चेहरे पर आत्मविश्वास की कमी साफ दिख रही थी लेकिन फिर भी सूरज की नजरे उससे है ही नहीं रही थी सूरज वही लड़का था जिससे काशी के रिश्ते की बात चल रही थी बहन जी हमें पसंद है तो अब जल्दी ही पंडित जी से मिलकर शुभ मुहूर्त निकलवाना होगा

(01:37) मैन रुकिए सब कुछ तय हो उससे पहले मैं काशी से अकेले में कुछ बात करना चाहता हूं देखो काशी मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं पर फिर भी मैं तुम्हारी मर्जी जानना चाहता हूं मेरी मर्जी से तो आज तक कुछ नहीं हुआ मेरे साथ लेकिन मुझे यह समझ नहीं ए रहा की आप आप मुझे कैसे पसंद कर सकते हैं मैं देख नहीं सकती यह बात आप जानते तो है ना हान लेकिन मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता सच में मेरा यकीन करो काशी मैं तुम्हारी जिंदगी में रोशनी बनकर आना चाहता हूं लेकिन इसके लिए तुम्हारी मर्जी सबसे जरूरी है सूरज की बातों ने काशी का भी दिल जीत लिया

(02:27) और यहां से सब कुछ बदल गया सूरज वाकई एक बहुत अच्छा लड़का था शादी के बाद उसने काशी को कभी किसी बात की कमी नहीं थी और काशी ने भी अपनी आंखों की रोशनी ना होने के बावजूद अपनी गृहस्थी बहुत अच्छे से संभल ली सब कुछ ठीक चल रहा था फिर एक दिन क्या बात है काशी कुछ उदास लग रही हो कुछ चाहिए तो बताओ मुझे नहीं जी मैं ठीक हूं और वैसे भी जो मुझे चाहिए वह आप मुझे नहीं दे सकते अरे ऐसे कैसे तुम बोल कर तो देखो कल रक्षाबंधन है और मेरा कोई भाई नहीं बस यही सोच कर मैं उदास हो रहा है मेरा तो यह बात है तुम चिंता मत करो काशी भगवान ने चाहा तो तुम्हारी यह इच्छा भी जरूर

(03:17) पुरी होगी इतना कहकर सूरज ने काशी को गले से लगा लिया सूरज इसी तरह हर बार काशी का दिल रख लिया करता था लेकिन काशी के किस्मत एक बार फिर करवट बदलने वाली थी काशी जल्दी करो राधा इंतजार कर रही होगी तुम्हें पता है ना वो जब तक मुझे राखी नहीं बंद लेगी कुछ भी नहीं खागा जी बस हो गया यह लीजिए यह मिठाई और यह राधा दीदी के लिए नई सदी चलिए अब चलते हैं सूरज काशी को लेकर अपने इकलौती बहन राधा के घर जा रहा था लेकिन तभी अचानक उसके साइन में बहुत तेज दर्द था और वह बुरी तरह चीखने लगा अरे क्या हुआ क्या हुआ आपको कुछ तो बताइए सूरज को दिल का दौरा पड़ा था वो कुछ भी

(04:07) बोल पाने की हालत में नहीं था कुछ ही मिंटू के अंदर वो दर्द से करता बेसूद हो गया और काशी बहुत ज्यादा परेशान ही भगवान अब क्या करूं मैं लगता है ये बेहोश हो गए हैं पता नहीं क्या हुआ इन्हें पर मुझे कुछ तो करना ही होगा काशी मदद मांगने के लिए घर से बाहर की तरफ भागी लेकिन वहां पहले से ही कोई खड़ा था जिसे काशी नहीं देख साकी और उससे टकराकर जमीन पर गिर पड़ी कौन है भगवान के लिए मेरी मदद कीजिए ना मेरे पति को ना जाने क्या हो गया है कहीं ले जाने से कुछ नहीं होगा इसका समय पूरा हो गया है क्या बकवास कर रहे हो तुम्हें मदद नहीं करनी है तो मत करो लेकिन खबरदार जो मेरे

(05:05) पति के बारे में कुछ भी anopshahr ना बोला तो मेरे पति को कुछ नहीं हो सकता मैं उन्हें कभी कुछ नहीं होने दूंगी अगर साक्षात यमराज जी भी ए गए ना यहां तो उन्हें भी याद से उल्टे पांव भी वापस जाना होगा समझे काशी नहीं जानती थी की अनजाने में उसने जिन यमराज जी का नाम ले लिया था असल में वही उसके सामने खड़े द सूरज का समय वाकई पूरा हो चुका था यह उसके अंतिम शरण द और यमराज उसी के प्राण लेने वहां पर आए द लेकिन आत्मविश्वास और सूरज के प्रति उसका प्रेम देखकर वह सोच में पद गए तो तुम्हें लगता है की तुम यमराज जी से भी लड़ सकती हो एक बार फिर सोच लो तुम हो

(05:51) क्या उनके सामने तुम्हारा पति यहां जमीन पर पड़ा है और इसका दिल धड़कन बंद कर चुका है अब तुम कुछ नहीं कर सकती हो नियति को बदलना तुम्हारे बस की बात नहीं है नहीं ऐसे नहीं हो सकता अगर मेरे पति को कुछ हो गया तो मैं मैं भी जिंदा नहीं रहूंगी यमराज जी आएंगे तो उन्हें पहले मेरे प्राण लेने होंगे विश्वास नहीं यमराज जी को भी सोचने पर मजबूर कर दिया मैंने इसके पति के प्राण हर लिए तो यह स्वयं अपने प्राण त्याग देगी किंतु इसका जीवन दो अभी शेष है यमराज जी विधि के लेख से बंधे द उन्हें सिर्फ सूरज के प्राण लेने द काशी के नहीं लेकिन काशी भी जिद पर रेडी थी की अगर सूरज

(06:45) को कुछ हो गया तो वह भी जिंदा नहीं रहेगी तो काफी देर सोचने और समझने के बाद यमराज जी ने सूरज को थोड़ी सी मोहलत देने का फैसला किया अगर तुम्हारा इरादा इतना ही पक्का है तो फिर ठीक है ले चलते हैं तुम्हारे पति को अस्पताल देखते हैं कब तक बचा सकोगी तुम इसे यमराज ने एक साधारण मनुष्य का रूप लेकर काशी की मदद करने का फैसला किया और सूरज को अस्पताल लेकर अस्पताल में सही वक्त पर इलाज मिलने से उसे वक्त तो सूरज की जान बच गई लेकिन सूरज की हालत अब भी ना चुकी बनी हुई थी पढ़ना बहुत चौंकाने वाला है फिलहाल तो ये ठीक है पर खतरा अभी ताला नहीं

(07:34) दिल का दौरा तो बस एक बहाना था असल में वह यमराज ही द जो खतरे के रूप में सूरज के आसपास ही द उन्हें हर हाल में सूरज के प्राण लेने द और विधि का लिखा पूरा करना था लेकिन ऐसा कर पाना उनके लिए आसान नहीं था काशी के कहने पर यमराज जी कुर्सी पर बैठ गए फिर काशी उनके पास आई और बड़े भैया अब कौन है कहां से आए हैं यह तो मुझे नहीं पता लेकिन इतना जरूर समझ गई हो की आपको मेरे पास भगवान नहीं भेजा है आज अगर आप मेरी मदद ना करते तो मैं अपने पति को हमेशा के लिए खो देती और सच मानिए अगर ऐसा

(08:39) हो जाता तो मेरे लिए संसार में जीने की कोई वजह ही नहीं रहती मैं आपका यह एहसान तो कभी नहीं चुका सकती लेकिन आज रक्षाबंधन के मौके पर आपकी कलाई पर अपने हाथों से यह राखी बंद कर आपकी बहन जरूर बन्ना चाहती हूं अब अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं क्या कहूं इसे कितनी श्रद्धा और प्रेम से यह राखी लेकर आई है इसे ना कहूं भी तो कैसे और अगर इससे राखी बंधवा लूं तो अपने ही बहन का सुहाग उससे कैसे छीन पाऊंगा वो भी ये जानते हुए की इसके लिए इसके पति के जीवन का क्या महत्व है तो कोई बात नहीं मैं समझती हूं काशी मुझे मैन से पूजा की थाली वापस ले

(09:29) जाने लगी और यह देखकर यमराज जी खुद को रोक नहीं सके और काशी से बोले रुको बहन कहां जा रही हो यह लो यह रही मेरी कलाई जो तुम्हारी राखी का इंतजार कर रही है और आखिरकार उसने यमराज जी की कलाई पर राखी बांधती थी इसके बाद उसने यमराज जी को बड़े ही प्यार से खाना भी खिलाया और फिर अच्छा बहन तो अब मुझे चलना होगा जिसे मेरा इंतजार रहेगा सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद असल में काशी के लिए एक अनमोल उपहार था जो यमराज जी ने उसे उसकी राखी के बदले दे दिया था विक्षेप पर यमराज

(10:34) किशनगढ़ शहर में सुदामा नाम का एक आदमी रहता था सुदामा की नई नई शादी में सुदामा को ससुराल से कुछ पैसे मिले द हम कुछ और कम भी तो कर सकते हैं मेरे पिताजी रिक्शा चलते द और उन्होंने मुझे रिक्शा चलाना ही सिखाया हुआ ही कम करूंगा ठीक है यह लो भाग्यवान पूरे ढाई सौ रुपए आज कई सवारियां मिली इसी तरह कमाई होती रही तो मैं जल्द ही अपना एक ऑटो रिक्शा ले लूंगा

(11:39) कुछ दिन बीट गए सुदामा की पत्नी गर्भवती हो गई थी सुदामा अपनी पत्नी की देखभाल के लिए अब पहले से भी ज्यादा मेहनत करने लगा और सुनीता का पूरा ध्यान रखता हूं तुम रोज फल खाया करो इससे हमारा बच्चा स्वस्थ होगा आप मेरा कितना ध्यान रखते हैं मैं तुम्हारा ध्यान नहीं रखूंगा तो और कौन ध्यान रखेगा हान हमारा और है भी कौन और हान घर में ज्यादा कम करने की कोई जरूरत नहीं है तुम आराम क्या करो सुदामा के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी थी सुदामा अपने माता पिता की इकलौती संतान था जिस कारण ससुराल में सुनीता की थी दिन बीट रहे द और सुनीता का

(12:26) गर्भ धीरे-धीरे नवे महीने में पहुंच गया था तुम तो रोज शिक्षा लेकर निकल जाते हो अगर मुझे कुछ हो गया तो कोई देखने वाला भी नहीं है तुम चिंता मत करो तुम्हें कुछ नहीं होगा मैं अब शाम को घर जल्दी आया करूंगा इतना कहकर सुदामा रोज की तरह सुबह रिक्शा लेकर निकल पड़ता है सड़क के किनारे खड़ा होकर सुदामा सवारी का इंतजार कर रहा था तभी उसे एक सवारी मिली एक कला सा आदमी जिसने बहुत अजीब से कपड़े पहन रखे द उसने सुदामा को रोका और उसके रिक्शे पर बैठ गया यह दूसरे ग्रह से आया है क्या कैसे कपड़े पहन रखे हैं या फिर कोई बहरूपिया होगा कहां जाना है साहब

(13:12) यमलोक जाना है यमराज हूं और तुम्हें लेने आया हूं तुम्हें अभी मेरे साथ यह लोग चलना होगा यमराज के सामने खड़ा हो जाता है मुझे अभी मत मारिए मेरी पत्नी गर्भवती चली जाती है और सुदामा की मौत हो जाती है दया करें यमराज जी

(14:18) आप कुछ नहीं हो सकता तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा यमराज सड़क पर सुदामा की लाश की ओर इशारा करते हैं सुदामा देखता है की सड़क पर घायल अवस्था में उसकी लाश पड़ी हुई है यह देखकर सुदामा जोर-जोर से रोने लगता है लेकिन यमलोक जाने से पहले मैं एक बार अपनी पत्नी को देखना चाहता हूं ठीक है सुदामा यमराज के साथ अपने घर पहुंचता है वह देखता है की उसकी पत्नी सुनीता बिस्तर पर बैठकर अपने गर्भ में पाल रहे शिशु से कुछ बातें कर रही थी तुम्हें आम बहुत पसंद है ना तुम्हारे पापा आज तुम्हारे लिए आम लेकर आएंगे तब जी भर के खा लेना शिशु से बातें करते हुए सुनीता बहुत खुश

(15:14) थी और हंस रही थी और क्या क्या पसंद है तुम्हें मैं वह सब का दूंगी तुम्हारे पापा से वो ले आएंगे तेरे पापा आने ही वाले होंगे बदमाश लात मारता है अपनी पत्नी को अपने होने वाले बच्चे से बात करता देख कर सुदामा की आंखों में आंसू ए जाते हैं सुदामा फिर कहता है उसे नहीं पता की मैं मार चुका हूं अब मेरी पत्नी और मेरे होने वाले बच्चे की देखभाल कौन करेगा यह मेरा कम नहीं है मैं तो सिर्फ लोगों के प्राण लेता हूं मैं एक शर्त पर ही आपके साथ चलने के लिए तैयार हूं आपको सुदामा बंद कर मेरी पत्नी और मेरे बच्चे की देखभाल करनी होगी यह नहीं हो सकता

(16:09) तो फिर मैं आपके साथ नहीं जाऊंगा मैं आत्मा के रूप में अपनी पत्नी के आसपास रहूंगा आपको मेरे परिवार पर जरा भी दया नहीं आती मेरी पत्नी की हालत ऐसी नहीं है की वो कुछ कम कर सके मेरी पत्नी और मेरा बच्चा दोनों भूख से मार जाएंगे आप मेरे प्राण लेने आए द लेकिन कुछ दिन बाद आपको मेरी पत्नी और मेरे बच्चे के प्राण अपने आप ही मिल जाएंगे जब मैं भूख से तड़प तड़प कर मार जाएंगे दूसरी तरफ सड़क पर पड़ी सुदामा की लाश कोई एंबुलेंस कर ले जाती है और सुदामा की लाश एक हॉस्पिटल की मुर्दाघर में राखी होती है दूसरे मरीज को लगाने के लिए आपस में बात

(17:02) कर रहे द इसकी दोनों किडनी अभी ठीक है यह भी दूसरे मरीज को ट्रांसप्लांट कर देंगे हॉस्पिटल के कर्मचारी सुदामा की मृत्यु शरीर से अंगों को निकलने के लिए उसे ऑपरेशन थिएटर की तरफ ले जाने लगते हैं और डॉक्टर ऑपरेशन की तैयारी करने लगते यमराज के सामने विनती कर रहा था की तभी अचानक उसकी पत्नी प्रसव पीड़ा से चिल्लाने लगती है [हंसी] अपनी पत्नी को दर्द से तड़पता देखकर सुदामा उसके पास जाता है लेकिन उसकी पत्नी ना तो उसे देख का रही थी और ना ही सन का रही थी अपने साथ लेकर जाना पड़ेगा नहीं मैं सिर्फ तुम्हें लेकर जाऊंगा लेकिन अगर सही समय पर सुनीता को हॉस्पिटल

(18:09) नहीं पहुंचा गया तो चाचा और बच्चा दोनों की मौत हो सकती है अगर आप इन्हें अपने साथ नहीं ले जाना चाहते हैं तो आपको इनकी जान बचानी होगी ठीक है यमराज सुदामा का रूप लेकर सुनीता के पास जाते हैं तुम परेशान मत हो मैं ए गया हूं और यमराज सुनीता को उसी हॉस्पिटल में ले जाते हैं जहां पहले से सुदामा का मृत्यु के लिए ऑपरेशन टेबल पर रखा हुआ था सुदामा के रूप में यमराज सुनीता को हॉस्पिटल के सामने रिक्त परी छोड़कर गायब हो जाते हैं सुनीता दर्द से बेहद चिल्ला रही थी हॉस्पिटल की नर्स उसकी डिलीवरी के लिए जल्दी से डॉक्टर को बुलाती है और सुनीता

(19:05) की ऑपरेशन के लिए नर्स से ऑपरेशन थिएटर में ले जाती है एक तरफ डॉक्टर सुदामा की मृत्यु शरीर की ऑपरेशन की तैयारी कर रहे द तो दूसरी तरफ डॉक्टर सुनीता की डिलीवरी की तैयारी कर रहे द सुदामा फिर यमराज से कहता है मेरा बच्चा मेरा चेहरा भी नहीं देख पाएगा मेरी पत्नी मेरी मौत का सदमा कैसे बर्दाश्त कर पाएगी मुझे इस बात से कोई मतलब नहीं है मैं तुझे लेने आया हूं और तुझे लेकर ही जाऊंगा तो फिर एक शर्त है कैसी शर्त अगर मेरी पत्नी को लड़का हुआ तो आप मेरी आत्मा को मेरे बेटे के शरीर में दल देना इस तरह से मैं बेटा बनकर अपनी पत्नी के पास भी रहूंगा

(19:59) ठीक है मुझे मंजूर है इधर डॉक्टर सुदामा की मृत्यु शरीर को ऑपरेशन करके उसके अंग निकल देते हैं और दूसरे मरीज को लगाने की तैयारी करते हैं उधर सुदामा की पत्नी सुनीता एक बहुत ही सुंदर बेटे को जन्म देती है शर्त के मुताबिक यमराज सुनीता के बेटे के शरीर में सुदामा की आत्मा दल देते हैं और यमलोक चले जाते हैं बेटे के जन्म के बाद सुनीता बच्चे को लेकर घर ए जाती है सुदामा के लौट के नहीं आने का दुखों से बेहद सत रहा था तभी सुनीता का पड़ोसी आकर उसे बताता है की सड़क दुर्घटना में सुदामा की मौत हो गई है सुदामा की मौत की खबर सुनकर सुनीता पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट

(20:39) पड़ता है और अपने माता पिता के साथ रहने लगती है मायके में सुनीता अपने बच्चे का पालन पोषण करती है प्लीज सब्सक्राइब थिस चैनल


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