दुर्गा माँ ने खाया नई बहू का हलवा | Durga Maa Ne Khaya Halwa | Saas Bahu | Hindi Kahani | Kahaniya

दुर्गा माँ ने खाया नई बहू का हलवा | Durga Maa Ne Khaya Halwa | Saas Bahu | Hindi Kahani | Kahaniya 



शादी तय होने के बाद से ही शिल्पा की जेठानी का मुंह बना हुआ था क्योंकि शिल्पा अपनी जेठानी रजनी से ज्यादा सुंदर थी इसी बात को लेकर रजनी के मन में शिल्पा के लिए जलन पैदा हो गई थी शादी के बाद सब लोग नई बहू के आने से बहुत खुश थे रजनी शिल्पा बहुत देर से बैठी हुई है एक काम करो तुम ही उसकी अटैची में से कोई अच्छा सा सूट निकाल दो ताकि वह नहा धोकर तैयार हो जाए उसे हलवे की रीत भी करनी है नई बहू है इसीलिए हलवा बनाने में तुम उसकी मदद कर देना और उसे सारा सामान बता देना कि कौन-कौन सा सामान कहां रखा है मां जी मैं जब शादी होकर आई थी मुझे तो किसी ने नहीं

(00:57) बताया था कि कौन सा सामान कहां रखा है मैंने तो खुद ही ढूंढ लिया था रसोई में से आप तो मेहमानों की खातिरदारी में ही लगे हुए थे ऐसी बात नहीं है मैंने सारा सामान पहले ही हलवे का रसोई की स्लैब पर निकाल कर रख दिया था ताकि तुम्हें कोई दिक्कत ना हो यह बात तुम शायद भूल गई हो बहू अगर नहीं कर सकती हो तो मुझे कह दो मैं ही रसोई में चली जाती हूं ठीक है बता दूंगी आप जाकर पूजा की तैयारी करो शिल्पा बहू रजनी तुम्हें हलवा बनाने की सारी सामग्री दे देगी आज मां दुर्गा के लिए तुम्हें हलवा बनाना है रिवाज के मुताबिक नई बहू के हाथ से सबसे पहले हलवा ही बनवाया जाता है

(01:36) और उस हलवे का भोग मां दुर्गा को लगाया जाएगा मम्मी जी मैंने आज से पहले बस एक बार ही हलवा बनाया है आप मेरी थोड़ी हेल्प कर दोगे हां हां मैंने रजनी को बोल दिया है हलवा बनाने में यह तुम्हारी मदद कर देगी अभी 9:00 बजे हैं पूजा का टाइम 11 बजे है तब तक तो सब कुछ रेडी हो जाएगा चलो रजनी अब तुम शिल्पा के साथ रस सोई में लग जाओ शिल्पा की सास सुशीला पूजा की तैयारी में लग गई शिल्पा को लगा कि रजनी उसकी हेल्प करेगी पर रजनी ने उसे कुछ देर में लौटने का बहाना कर दिया शिल्पा तुम रसोई में जाओ मैं अभी थोड़ी देर में आती हूं रजनी अपने कमरे में चली गई और शिल्पा रसोई

(02:16) में उसका वेट करती रही रजनी को रसोई में आने में आधे घंटे से ऊपर लग गया जानबूझकर उसने ऐसा किया शिल्पा सॉरी मुझे आने में देर हो गई अरे वह कपड़े प्रेस कर रही थी तुम्हारे जेठ जी को भी आज जी वो कुर्ते पजामा चाहिए था जो बिना प्रेस कर रखा था यह भी बड़ा परेशान करते हैं चलो मैं तुम्हें सामान निकाल देती हूं यह रहा देसी घी यह रही चीनी और यह रही सूजी तुम हलवा बनाने की तैयारी करो कुछ समझ में ना आए तो पूछ लेना तब तक मैं ड्राई फ्रूट काट देती हूं हम ठीक है भाभी शिल्पा हलवा बनाना शुरू करती है हे मां दुर्गा मैं आपके प्रसाद के लिए हलवा बना रही हूं आपके

(02:55) आशीर्वाद से हलवा सही बन जाए बस यही प्रार्थना करती हूं जितनी मर्जी प्रार्थना कर ले पर हलवा बिल्कुल ठीक नहीं बनेगा अपने रंग रूप पर तुझे बड़ा गुरूर है ना अब जब हलवा खराब बनेगा तो यह सब रंग रूप धरा का धरा रह जाएगा मां जी से ऐसी डांट पड़ेगी ना कि हमेशा याद रहेगी तभी शिल्पा का पति रवि रसोई में आ जाता है अ पंडित जी पूजा के लिए आ गए हैं मां पूछ रही है हलवा कितनी देर में बन जाएगा बस तैयार हो गया है भाभी ड्राई फ्रूट दे रही है वोह डाल दूं आप बोल दो मां जीी को कि हलवा बन चुका है शिल्पा से मिलने के बहाने हलवे के लिए बोलने के लिए आ गए देवर जी मैं सब जानती

(03:35) हूं नहीं भाभी ऐसी बात नहीं है आप भी ना जब देखो मजाक करते रहते हो अच्छा मैं मां को बोल देता हूं शिल्पा ड्राई फ्रूट मैंने डाल दिया है तुम प्रसाद का निकाल लो फिर हम मांजी के पास चलते हैं रजनी अब तक अपना काम कर चुकी थी शिल्पा जब रवि से बात कर रही थी रजनी ने ड्राई फ्रूट डालने के बहाने हलवे में नमक डाल दिया रजनी मन ही मन बहुत खुश हो रही थी कि उसने हलवे को को खराब कर दिया अचानक शिल्पा रजनी के गले लग जाती है भाभी थैंक यू सो मच आपने मेरी इतनी हेल्प की आप बहुत अच्छे हो भाभी मुझे सचमुच आपसे एक बड़ी बहन का प्यार मिला है

(04:13) थैंक यू सो मच भाभी शिल्पा ने अपनेपन से रजनी को गले लगाया तो रजनी थोड़ी भावुक हो गई उसे लगा कि शायद उससे बहुत बड़ी भूल हो गई है पर अब तक तो बहुत देर हो चुकी थी रजनी गलती कर चुकी थी उसने हलवे में नमक मिला दिया था अब वो कुछ नहीं कर सकती थी शिल्पा हलवा लेकर पूजा में जाती है और अपने हाथों से मां दुर्गा को हलवे का भोग लगाती है बहू अब इस प्रसाद के हलवे को सब में बांट दो जी मां जी मैंने तो बहुत बड़ी भूल कर दी हलवे में नमक डाल दिया अब बेचारी शिल्पा को डांट पड़ेगी हे मां दुर्गा मुझे क्षमा कर देना मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई शिल्पा सभी में प्रसाद का

(04:51) हलवा बांट देती है आप सब लोग खाकर बताओ बहू ने कैसा हलवा बनाया है देखने में तो बहुत स्वादिष्ट लग रहा है है मैं भी खाकर देखती हूं भाई वाह बहुत टेस्टी हलवा है क्या बात है शिल्पा तुमने तो बहुत स्वाद प्रसाद बनाया है शिल्पा प्रसाद बहुत स्वादिष्ट बनाया तुमने हां हलवा बहुत बढ़िया है जीती रहो बहू मां दुर्गा तुम्हारे हाथ का हलवा खाकर बहुत प्रसन्न होंगी बिल्कुल बराबर की चीनी डाली है हलवे में मीठा ना कम ना ज्यादा मांजी हलवा बनाने में रजनी भाभी ने मेरी बहुत हेल्प की है इसीलिए मैं इतना अच्छा हलवा बना पाई रजनी समझ गई थी कि यह सब मां

(05:37) दुर्गा का चमत्कार है उन्हीं के चमत्कार से खराब हलवा ठीक हो गया और हलवे में नमक का असर नहीं हुआ मां दुर्गा ने शिल्पा की प्रार्थना को सुना और शिल्पा के हाथों का बना हलवा सभी को बहुत अच्छा लगा रजनी जान चुकी थी कि अपने चमत्कार के द्वारा मां दुर्गा यही बताना चाहती हैं कि वह शिल्पा से प्रसन्न है और शिल्पा एक अच्छी इंसान है तभी मां दुर्गा ने उसकी मदद सब मिलकर मां दुर्गा को प्रणाम करते हैं रजनी मां दुर्गा से क्षमा मांगती है उधर शिल्पा मन ही मन मां दुर्गा को उसकी प्रार्थना सुनने के लिए धन्यवाद क 





दुर्गा माता की जय चलो पूजा संपन्न हुई

(06:19) अब बताओ कैसी हो तुम दोनों मैं ठीक हूं चित्रा तुम सुनाओ मैं भी ठीक हूं बहन अरे जया क्या हुआ किस सोच में डूबी हुई हो कुछ नहीं बस मन मैं प्रार्थना कर रही हूं कि आज तो कोई क्लाइंट आ जाए बिजली का बिल भरना है मां की दवाइयां लानी है बहुत जिम्मेदारियां है मुझ पर और काम धंधा चौपट हुआ पड़ा है तुम फिक्र मत करो दुर्गा माता सब ठीक करेंगी जब मेरे पति की मौत हुई थी तब मुझे भी लगता था कि मैं कैसे सोनू और मोनू को अकेले पाल पाऊंगी लेकिन मुझे माता रानी ने ही हिम्मत दी और देखो आज छोटा-मोटा ढाबा चलाकर किसी तरह गुजारा हो ही जाता है सही बात है हम भी तो

(06:57) गरीबी की चक्की में पिस रहे थे मां की कृपा हुई और देखो आज मेरे पास सरकारी नौकरी है यह कहानी मां दुर्गा की इन तीन भक्तों की है चित्रा सुधा और जया तीनों माता की बहुत बड़ी भक्त थी कुछ भी हो जाए लेकिन तीनों मां के मंदिर आना नहीं भूलती थी माता रानी के मंदिर में ही इन तीनों की मुलाकात हुई और फिर दोस्ती भी हो गई चित्रा एक छोटा सा ढाबा चलाती थी वह बहुत ही बढ़िया खाना बनाती थी और अपना ढाबा चलाकर अपने परिवार का पेट पालती थी सुधा की नौकरी जेल में थी व वहां पर प्रहरी का काम करती थी जबकि जया ने वकालत की पढ़ाई की हुई थी मगर उसके पास केस ही नहीं आते

(07:34) थे यही कारण था कि उसकी माली हालत अच्छी नहीं थी ऐसे में चित्रा और सुधा हमेशा उसे हिम्मत बंधती थी और कभी-कभार उसकी मदद भी कर दिया करती थी फिर एक दिन जब चित्रा अपने ढाबे पर मां दुर्गा की पूजा कर रही थी तभी उसके ढाबे पर काम करने वाला केशव भागा भागा उसके पास आया दीदी सुनो ना रुक पहले यह प्रसाद गौरव बोल दीदी लगता है माता रानी ने आपकी सुन ली मतलब देखो दीदी वो जो नदी के पास होटल है ना बड़ा सा कौन सा वो रिवरव्यू होटल हां दीदी वही उन्हें अपने होटल के लिए एक बढ़िया सा शेफ चाहिए और उसके लिए वो एक प्रतियोगिता करा रहे हैं जिसे जीतने वाले को वह अपने होटल में

(08:15) शेफ का काम देंगे और अच्छी पगार भी अरे वाह केशव क्या खबर लाया रे मैं दिन रात एक कर दूंगी लेकिन वह प्रतियोगिता जीत कर दिखाऊंगी बस माता रानी का आशीर्वाद बना रहे चित्रा अपने स्वादिष्ट खाने के लिए पूरे मोहल्ले में मशहूर थी सभी लोग उसके हाथ के स्वाद के कायल थे सिवाय उसकी पड़ोसन दिव्या के वह हमेशा ही उससे चिड़ी थी होटल की प्रतियोगिता वाली बात जब दिव्या को पता चली तो उसने सोचा चित्रा की बच्ची चाहे कुछ भी हो जाए तुझे तो मैं जीतने नहीं दूंगी जीतना तो दूर मेरे रहते तू उस प्रतियोगिता में हिस्सा ही नहीं ले पाएगी एक तरफ दिव्या चित्रा के खिलाफ जाल

(08:50) बुन रही थी तो दूसरी तरफ सारा दिन बीत जाने पर भी जया के पास कोई केस नहीं आया उसने मायूस होकर अपना केबिन बंद किया और मन में सोचने लगी आज भी कोई कोई केस नहीं आया केबिन का किराया भी देना है मां की दवाइयां भी ले जानी है उ कैसे हो पाएगा सब कुछ हे मां कोई तो रास्ता दिखाओ मुझे जया पैसों की किल्लत से जूझ रही थी तो वहीं जेल में सुधा भी परेशान थी नाइट ड्यूटी खत्म करने के बाद सुबह के वक्त वो जेलर के आने का इंतजार कर रही थी फिर कुछ ही देर बाद जय हिंद सर जय हिंद हां कहो सर मैं प्रहरी सुधा हूं बैरक नंबर तीन और चार में मेरी ड्यूटी है हां

(09:25) तो सर वो नवरात्रि आ रही है तो छुट्टी चाहिए थी क्यों छुट्टी लेकर क्या करोगी सर वो मां की चौकी सजाने है और देखो इन सब कामों के लिए छुट्टी नहीं मिलेगी अच्छा तो सर बस नवमी के ही दिन की छुट्टी दे दीजिए जाओ यहां से कहा ना छुट्टी नहीं मिलेगी जी सर जय हिंद सुधा अपना सा मुंह लेकर जेलर के कमरे से बाहर निकल आई जया और सुधा जहां दुखी और परेशान थे तो वहीं चित्रा कुकिंग कंपटीशन को लेकर उत्साहित थी लेकिन वह नहीं जानती थी कि उस पर दुखों का पहाड़ टूटने वाला था नवरात्रि के ठीक एक दिन पहले जब चित्रा पूजा पाठ के लिए अपने घर की सफाई कर रही थी तभी उसके घर के सामने

(10:02) पुलिस की गाड़ी आकर रुकी हां जी कहिए तुम्हारा नाम चित्रा है हां जी पर हुआ क्या है अरेडो हमें तुम्हारे घर की तलाशी लेनी है इतना कहकर इंस्पेक्टर ने चित्रा को धक्का दिया और दो-तीन पुलिस वाले चित्रा के घर में रखे सामान को उलट पलट कर देखने लगे और फिर ये नशीली दवाइयों की पेटी कहां से ली तुमने और कहां बेचती थी ये सब नशे का सामान मैं मैं इस बारे में कुछ नहीं जानती इंस्पेक्टर साहब इस पेटी में क्या है और यह मेरे घर में कैसे आई मुझे कुछ नहीं पता मैं तो पूरी मादारी से अपना छोटा सा ढाबा चलाती हूं साहब अच्छा तो ठीक है फिर अब जेल में अपने जैसे

(10:35) कैदियों के लिए खाना बनाना पुलिस चित्रा को पकड़ कर ले गई उधर अपने घर के दरवाजे पर खड़ी चित्रा की पड़ोसन दिव्या मुस्कुराने लगी असल में यह उसी की चाल थी दिव्या का पति मेडिकल स्टोर पर काम करता था और चित्रा के घर में वह नशीली दवाइयों की पेटी दिव्या ने ही रखी थी ताकि चित्रा प्रतियोगिता में हिस्सा ना ले पाए फिर उसी रात जेल में चित्रा तुम यहां कैसे क्या बताऊ बहन मेरी तो किस्मत ही पू ट गई चित्रा ने रोते-रोते सुधा को सारी बात बता दी चित्रा के साथ जो हुआ उसे सुनकर सुधा की आंख में भी आंसू आ गए तब चित्रा ने कहा सुधा मेरे बच्चों को केशव के घर

(11:11) छोड़ देना बहन मेरे पीछे वो उनकी देखभाल करेगा एक मां को अपने बच्चों की कितनी फिक्र होती है ना पर माता रानी पता नहीं मेरी परीक्षा क्यों ले रही है क्या हुआ हमारा जेलर बहुत खड़ूस है मैंने उससे नवमी की छुट्टी मांगी तो उसने साफ मना कर दिया कभी ऐसा नहीं हुआ कि अष्टमी या नवमी पर मैंने कन्या पूजन नहीं किया हो लेकिन इस बार चिंता मत करो सुधा देखना माता रानी सब ठीक करेंगी मां दुर्गा की ये तीनों भक्त बहुत परेशान थी और यह देखकर दुर्गा मां को भी अच्छा नहीं लग रहा था तभी उनके पास नारद मुनि प्रकट हुए नारायण नारायण प्रणाम माते माता यह कैसी व्यथा है आपके तीनों

(11:48) भक्त परेशान है उन्हें आपकी कृपा की आवश्यकता है आप चिंता ना करें ऋषिवर इनके दुखों का अंत निकट है और इसके लिए मुझे धरती लोक पर जाना होगा जय हो माता रानी की जय हो नारायण नारायण नवरात्रि के दिन चल रहे थे और माता रानी की तीनों भक्त अपनी अपनी समस्याओं से जूझ रही थी लेकिन तीनों में से किसी ने भी मां दुर्गा पर अपना विश्वास नहीं खोया था सुधा ने जेल में ही माता रानी की चौकी सजा ली थी और नवरात्रि के पूरे व्रत भी रख रही थी फिर अष्टमी के दिन जब सुधा माता रानी की पूजा कर रही थी तब अचानक मां दुर्गा की मूर्ति से तेज प्रकाश निकलने लगा जिसे देखते ही सुधा की

(12:27) आंखें बंद हो गई और फिर आंख खोलो पुत्री मां मां आप साक्षात मां दुर्गा मेरे सामने मैं तो मैं तो धन्य हो गई मां तुम्हें तुम्हारे काम से अवकाश नहीं मिला तो क्या हुआ देखो मैं स्वयं तुम्हारे पास आ गई सुधा की आंखों में खुशी के आंसू थे उसने मां की आरती की और उनके चरण स्पर्श किए और फिर पुत्री मुझे तुम्हारी सहायता की आवश्यकता है मेरी सहायता की मैं एक तुच्छ प्राणी क्या कर सकती हूं आपके लिए चित्रा को यहां से बाहर निकालना होगा मैं उसका रूप लेकर यहां रहूंगी और तुम्हें उसे इस कारागार से बाहर निकालना होगा ताकि वह कल होने वाली प्रतियोगिता में हिस्सा ले

(13:10) सके और अपना स्वप्न पूर्ण कर सके जो आग मां मां दुर्गा अपने साक्षात रूप में सुधा के साथ चित्रा के पास पहुंची जहां चित्रा दीवार पर मां की तस्वीर बनाकर उसकी पूजा कर रही थी तभी सुधा ने चित्रा को पुकारा चित्रा चित्रा देख जरा हमसे कौन आया है मिलने साक्षात माता रानी क्या ये सच है क्या ये मैं कोई सपना देख रही हूं मैं मैं तो धन्य हो गई मां आपके साक्षात दर्शन पाकर अब मुझे जीवन में कुछ नहीं चाहिए कुछ नहीं चाहिए नहीं पुत्री अभी तो तुम्हें बहुत कुछ करना है अब मैं तुम्हारे लिए उस प्रतियोगिता में भोजन तो नहीं बना सकती क्योंकि वह बाकी

(13:49) प्रतिभागियों के साथ सही नहीं होगा भोजन तो तुम्हें स्वयं ही बनाना होगा किंतु तुम्हारे स्थान पर यहां जरूर रह सकती हूं वो भी तुम्हारे ही रूप में में नहीं मां भाड़ में गई ऐसी प्रतियोगिता जिसके लिए आपको यहां जेल में रहना पड़े तुम भी तो एक मां हो ना और अपने बच्चों के लिए कितने कष्ट सहती हो तो मैं भी तुम्हारी मां ही हूं चिंता मत करो कल से ही जया कोर्ट में तुम्हारा केस लड़ेगी मैं खुद उससे मिलकर आई हूं वो तुम्हें अवश्य ही निर्दोष साबित करेगी इसके बाद दुर्गा मां ने चित्रा का रूप लिया और उसकी जगह जेल में बैठ गई फिर चित्रा और सुधा ने उन्हें प्रणाम किया और

(14:26) सुधा ने चुपके से चित्रा को जेल से बाहर निकाल दिया अगले दिन चित्रा ने प्रतियोगिता में अपने बच्चों के लिए और जया ने कोर्ट में चित्रा के लिए पूरी ताकत लगा दी चित्रा ने अपने हुनर से प्रतियोगिता जीत ली तो वहीं जया ने भी चित्रा को कोर्ट से जमानत दिलवा दी फिर उसी शाम तीनों एक साथ मंदिर पहुंची जहां कोई नहीं था उन्होंने मां दुर्गा को प्रणाम किया और मां ने अपने साक्षात रूप में फिर से तीनों को दर्शन दिए माता रानी की जय हो पता है मां आपकी कृपा से चित्रा का केस जीतते ही मेरे पास ढेरों लोग आने लगे हैं अब मेरे पास कोई नहीं रही मेरी

(15:00) बच्चियों तुम सबके दुख भरे दिन दूर हुए अब ऐसे ही हंसी खुशी से जीवन बिताओ और एक दूसरे की मदद करते रहो दुर्गा मैया की जय दुर्गा मैया की जय दुर्गा मैया की [संगीत] जय


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