गरीब का रक्षाबंधन और यमराज जी | गरीब की राखी | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Kahaniyan

 गरीब का रक्षाबंधन और यमराज जी | गरीब की राखी | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Kahaniyan 


जिला आठ साल की बच्ची थी उसका भाई प्रभुदास 12 साल का था उनके माता-पिता का देहांत हो चुका था दोनों अनार भाई-बहन में बहुत ही प्रेम था दोनों शाम का खाना खा रहे थे तभी लीला प्रभु से कहती है भैया आपको पता है ना रक्षाबंधन आ रहा है तो एक बार आप मुझे रक्षाबंधन पर क्या दोगे दहल तुझे तो पता है मैं कितना गरीब बना जाने कैसे-कैसे करके तो तेरा पेट पाल रहा हूं अब मैं तुझे तो फिर मैं क्या दूं बस यह घर बचाएं जो कि मां-पिता का है और मजदूरी से तो इतने पैसे आते नहीं कि तुझे कुछ फूफा लाकर दे सकूं प्रभु की आंखों में आंसू आ जाते हैं तब लीला उसके आंसू पोछते हुए

(00:42) कहती है भाई तुम परेशान मत हो मैंने तो सिर्फ मजाक में ऐसा कहा था और वैसे भी मुझे मेरे भाई के अलावा कुछ नहीं चाहिए मेरा भाई मेरी दुनिया है मेरा सब कुछ है ऐसा सुनकर प्रभु बहुत खुश हो जाता है और लीला को गले लगाते हुए रहता है लीला तेरे जैसी बहन तक होनी चाहिए कि जिससे अपने भाई को इतना प्यार करती है चाहे वह गरीब हो या अमीर उसे यह नहीं दिखाई देता उसे दिखाई देता है तो वह उसका भाई वही या सच में मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं और आपकी खुशी ही मेरे लिए सब कुछ है ठीक है अब मैं काम करने जाता हूं और शाम को वापस आऊंगा इतने में अपना ध्यान रखना ठीक है भैया आप चले

(01:20) जाओ प्रभु के जाते ही लीला पास के घर में चली जाती है और कहती है भाभी जी आपको कुछ कपड़े सिलवाने थे ना तो आप मुझे दे दीजिए मैं आपके कपड़े सिलकर ला दूंगी मीटिंग तो बहुत छोटी है तो यह तो बहुत टाइम लग जाएगा कपड़े सिलने में तो इसलिए तू रहने दे अरे भाई आप चिंता मत करो मैं आज दोपहर तक कि आपके कपड़े सिर्फ कर दूंगी बस आप पैसे टाइम से दे देना क्या बात करें यह बाकी सबको एक हफ्ता लगा देते हैं और तू कह रही है कि दोपहर तक देगी भी मेरी बात का विश्वास तो करो मैं उम्र में भले ही छोटी हूं लेकिन मैं जानती हूं अच्छे से सिलाई करना ठीक है जैसी तेरी मरजी ले और पैसे भी

(02:00) इसमें भी ले जा लीला पूरे गांव में घूमती और कपड़े कथा कर लेती है फिर शाम तक सब के कपड़े सिलकर वापस दे देती है अब तो मेरे पास बहुत पैसे हो गए मैं अपने भैया के लिए अच्छी सी राशि भी खरीद सकती हूं पर अच्छे कपड़े भी ला सकती हूं मुझे बाजार जाना होगा यह सोचकर लीला बाजार जाती है और अपने भाई के लिए कैंची टी-शर्ट खरीदनी आती है और साथ ही राखी भी खरीद लेती है और उसे लेकर वह घर आकर छुपा देती है शाम को जब प्रभु आता है तो वह आस-पास में कपड़ों के टुकड़े देख करके रहता है लीला यह सब क्या है कि कपड़े के टुकड़े यहां पर कहां से आए

(02:33) भैया कुछ भी नहीं है वह तो बच्चे खेल रहे थे तो छोड़ गए होंगे आप खाना खा लो मैंने आज बहुत अच्छा खाना बनाया है मैंने अपने अच्छे भइया के लिए बनाया है हां यह बात तो सही है मेरी बहन मेरा बहुत ख़याल रखती है लीला अगर मुझे कुछ हो जाए तो हमेशा ऐसे ही खुश रहना भैया या कैसी बातें कर रहे हो आपके बिना तो में रहने की सोच भी नहीं सकती और तुम खुश रहने की बात करो अब चामु रही और शाम के समय ऐसे उल्टी बातें नहीं किया करते कि जब खाना खा लीजिए दोनों गरीब भाई-बहन अच्छे से खाना खा रहे होते हैं तभी गांव का एक जमींदार आता है और कहता है

(03:07) और दोनों कहां हो मेरी बात सुनो तुम्हारे बाप ने मुझसे कर्ज लिया था तो मुझे मेरे खर्चे के पैसे वापस घर में रख दो कि मुझे कुछ समय चाहिए और हां अब मेरे घर पर नजर रखना यह घर से मेरा और मेरी बहन है जमींदार के जाने के बाद दोनों भाई-बहन थोड़ी देर बाद प्रभु की मृत्यु हो चुकी है और उसे लेने आ रहे हैं आप मेरे को लेकर जा सकते हैं आपको ऐसे नहीं दूंगी तो यमराज के काम में डाल रही है अगर हम चाहे तो तुझे इस फूल की सजा दे सकते हैं परंतु हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे अब हम जाने की बहुत शक्तिशाली देवता यमराज से डरते हैं अजय बहन अपने भाई के प्राण बचाने के

(04:03) लिए आज यमराज से भी बढ़ जाएगी तभी यमराज जी प्रभु के प्राणियों के शरीर से निकालने लगते हैं लीला यह देखकर बहुत तेज चलाती है तुरंत सपना सच होने से बिना कुछ कहे उसके गले लग जाती है और रोने लगती है इस पर प्रभु से करते हुए मुझे बहुत बुरा सपना था जिसकी वजह से डर गई तो किसी बात की चिंता मत कर तेरे पास हमेशा मेरे साथ कभी आपको कुछ नहीं होने दूंगी अगले दिन सुबह अपने प्रभु से कहती हो गई है आज आपको काम पर नहीं जाना मैं तो भूल गई तो रक्षाबंधन है इसकी बजे क्विक छुट्टी होगी ठीक है नहा कर आती हूं फिर आपको राखी बांधेंगी लीला नहा कर आती है

(05:06) लेकिन प्रभु तब ही नहीं उठता लीला प्रभु को हिलाते हुए कहती है लेकिन प्रभु की थी अचानक ही प्रभु की मृत्यु हो गई थी फिर बहुत तेज होने लगती है लीला देखते हैं इसके दरवाजे पर यमराज के प्राणों को पकड़े थे जिससे हाथ जोड़कर नहीं कर सकते हैं तथा उनके लिए चीन के कपड़े मुझे इतना भी नहीं कि मैं अपनी मेहनत से कमाए हुए पैसों से अपने कपड़े पहने और इसको अब मैं कुछ नहीं कर सकता तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम हमें हमारे कार्य में रुकावट मत बनो तुम वॉल्यूम करो मेरे भैया के बदले मेरे प्राणों को लेकर चले जाओ मैं अपने भैया को जीते जी नहीं जाने

(06:06) दे सकती भरत लड़की मत कर वरना हम सच में तेरे प्राण लेकर चले जाएंगे जो कि बड़ा कष्टदाई होगा अभी हम तुझे समझा ही रहे हैं मुझे किसी भी खर्च की कोई चिंता नहीं है मुझे मेरे भाई की चिंता तरफ मेरे भाई को जिंदा कर दे हमारे प्राणों को हर ले इस पर यमराज खुश होकर बोलते हैं बेटा हम तो तेरी परीक्षा ले रहे थे कि मुझे अपने भाई से कितना प्रेम है हम्म तेरे प्रेम से खुश हुए बता तुझे क्या वरदान चाहिए समृद्धि मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे चाहिए उसके बिना जीवित नहीं रह सकते तो कुछ नहीं चाहिए लोगों को ज्यादा ही प्यार होता है वह सब नहीं चाहिए

(06:49) मुझे कुछ भी नहीं चाहिए भाई और बहन का प्रेम हमने नहीं हम तुमसे बहुत कि है बेटा इसीलिए तुझे कुछ देना चाहते हैं तब हमराज़ उसे एक तूने से भरा हुआ घड़ा देते हैं और उसके भाई के प्राण वापस लौटा देते हैं और इसे कहते हैं बेटा या तेरे भाई के प्रति प्रेम का उपहार है जो तुझे स्वीकार करना होगा इस पर लीला बहुत खुश हो जाती है और अपने भाई की राखी को हाथ में उठाते हुए होती है कि हम राजी आपने बे भैया की प्राणों को वापस किया है इसीलिए आप मेरे भाई से भी बढ़कर हो क्या मैं आपके हाथों पर राखी बांध सकती हूं क्योंकि राशि वाले दिन आपने मुझे उपहार तो

(07:32) पहले ही दे दिया है तो बहुत चतुर है लड़की तू मुझे अपना घर बनाना चाहती है ताकि मैं बंधन में बन जाओ चाल खैर जो भी है मैं तेरे प्रेम से प्रसन्न हूं तो ले तू मेरे हाथ में भी राखी बांधी इस प्रकार लीला ने अपने भाइयों और यमराज दोनों को राखी के त्योहार पर राखी बांधी और उन्हें अपने भाई के बंधन में बांध दिया है झाल ए मिनी अपनी मां के 134 लड़की थी मैंने तो इतनी सुबह उठकर कहां जा रही है बेटी मां तेरी तबीयत तो खराब रहती है मुझे कुछ करना पड़ेगा वरना तेरी दवाई के पैसे कहां से आएंगे और यह घर कैसे चलेगा इतनी सी उम्र में तू मेरी इतनी फिक्र करती है अगर मेरा

(08:17) कोई लड़का भी होता ना तो वह मेरी इतनी फिक्र नहीं करता जितने टू लड़की होकर करती है मां तो यह लड़के लड़कियों की बातों में रुचि रहती है मैं तेरे लिए लड़का भी हूं और लड़के भी और तू ऐसा मत बोला करो मुझे अच्छा नहीं लगता मैं तेरी बेटी हूं तेरी फिक्र करना मेरा कर्तव्य है शीघ्र मुझे अच्छा नहीं लगता तो मैं नहीं लूंगी लेकिन तू यह बता तू करेगी मां मुझे कल एक नौकरी मिली थी और मुझे कोई ज्यादा भी उससे मुझे घर से निकल जाती है और कुछ दूर जाकर एक पेड़ के पास रखे एक बड़े प्लास्टिक के बोरे को उठाती है और आसपास में पड़ा कूड़ा कचरा प्लास्टिक की बनी हुई चीजों को उठाकर

(09:04) उसमें डालने लगती है मां को लगता है कि मैं किसी अच्छी जगह काम करती हूं लेकिन अब उन्हें कैसे बताऊं कि मैं कूड़ा कचरा उठाकर बेचती हूं अ पैसे कमाती हूं जिससे मां की दवाई और घर का खर्च निकल सके ना जाने कब तक चलता रहेगा तभी मिनी देखती है कि एक लड़की गणेश जी की मूर्ति ले जा रही होती है हे भगवान मेरे पास तो इतने पैसे भी नहीं है कि मैं तुम्हारी मूर्ति भी खरीदते तक ऊपर पूजा कर सकूं लेकिन तुमको तो पता है ना मैं आपकी कितनी बड़ी भक्त तू मेरी मन मन में बोलती रहती है और साथ अपने बोरे में कचरा जमा करती रहती है धनु जी तो मैं की जरूरतों का खयाल क्यों नहीं रखते

(09:42) क्यों मुझको आज तक इतना गरीब बना रखा है मैंने यह सोचते हुए कूड़ा उठाया था कि भगवान सब देखते हैं पर लगता है आपको अपनी मिनी की परवाह ही नहीं है फिर वह कुछ दूर चलती है तो देखती है सड़क किनारे गणेश जी की मूर्ति पड़ी हुई थी अपनी मूर्ति को उठाते हुए बोलती है कि की मूर्ति कितनी सुंदर है इसमें मेरे कितने अच्छे लग रहे हैं तो मैं अपने पूजा घर में रखूंगी और पूजा करूंगी का काम पूरा हो गया फिर क्या तुम मुझे सोना चांदी दे रही हो यह पकड़ ₹50 इससे ज्यादा नहीं होंगे गांव के बराबर ₹70 ऊपर से इस तरह से बात कर रहे हो तो बराबर में जाकर ही यहां क्यों पता नहीं कहां से

(10:35) आ जाते अरे भैया दुकान बंद है इसलिए तुम्हारे पास भी तो मजबूरी में यह मैंने ₹50 लेकर घर की तरफ चल दिए घर आकर उसकी मां के हाथ में मूर्ति यह तो क्या लेकर आए हैं क्विक गणेश जी की मूर्ति है इससे में पूजा वाले मंदिर में रघु यह यह भी कोई पूछने वाली बात रखते लेकिन इतनी बड़ी मूर्ति कहां से अरे मां तुम चिंता मत करो यह मुझे उसी ने जो दुनिया को देता है मतलब समझी नहीं आखिर कहना क्या अरे मां भगवान गणेश जी उन्होंने खुद अपनी मूर्ति मुझे ताकि मैं थोड़ी सेवा कर सकूं और गणेश भगवान की मेरे तो समझ में ही नहीं आती तेरे भगवान जाने भगवान गणेश जी को अपना दोस्त बना लें

(11:33) और उन्हें अपने पास ही मिटाती है मेरे प्यारे मन तुम हमेशा मेरे साथ रहना मैं तुम्हें हमेशा अपने साथ रखें पूजा के कमरे में रहकर तुम क्या करोगे थी और हम दोनों खूब मज़े करें गांव भी करें और गणेश जी से बातें करती हो क्वाथ मिनी बाजार जाती है तभी वहां भीड़ देखकर एक आदमी से पूछती है अरे भाई बाजार में तीर लग रही है मुझे नहीं पता कि राखी का त्योहार आने वाला है इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं यह सुनकर रोने लगती है अरे तुम रो क्यों रही हो कोई बात नहीं भगवान ने चाहा तो तेरा भाई भी बन जाएगा और राखी वाले दिन पहले ही चिंता मत

(12:23) कर मैं अपने घर आ रही होती है कि उसे उसकी सहेली मिल जाती है तो क्या मैं तेरे भाई की कलाई पर राखी बांध तू तो पागल हो गई है क्या मैं अपने भाई की कलाई पर तुझे राखी क्यों बांधने दूंगी और वैसे भी किसी कबाड़ उठाने वाली से मेरा कोई भाई राखी नहीं बनवाएगा कोई भी कूड़ा उठाने वाली को अपनी बहन नहीं बनाएगा ऐसा सुनकर मिनी दोबारा रोने लगती है और हाथ में पकड़े गणेश की से बोलती है मुझे इतना तो बता देते तुमने मुझे नहीं दिया कि मैं तुमसे बात नहीं करूंगी रोते हुए गणेश जी को वहीं पर छोड़कर अपने घर की तरफ भागने लगे तभी गणेश जी की मूर्ति से तेज रोशनी

(13:17) और गणेश जी का धारण करते और के पीछे दौड़ने लगी और बहन कहां दौड़ी जा रही हो और क्यों रो रही हो है अरे लेकिन सुनो तो मुझे बताओ क्या हुआ है तुम क्यों रो रही हो इस पर मिनी बोलती है रे इस तरह की बंदूक अब तो तुम मुझे राखी बांध लो मैं भी तो तुम्हारा भाई बन सकता हूं ना राखी बनवाओगे हां मैं तुमसे राखी बंधवा लूंगा ठीक है मैं सुबह तुम से राखी बंधवाने आता हूं यह सुनकर खुश हो जाती है और खुशी के मारे तो नहीं पाती और दिन निकलते ही उसी जगह पहुंच गई बहन लो अब मेरी कलाई पर राखी बांधने में लाने की आवश्यकता है बहन अपने दुपट्टे से ही बना लो भाई के लिए इससे अच्छी बात और

(14:21) क्या हो सकती है बहुत अच्छी तुमने फिर अपना दुपट्टा और अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हर साल राखी राखी बंधवा लूंगा मेरी प्यारी बहन और थे तुम्हें किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होगी इतना कहकर वहां से चले जाते हैं और खुशी-खुशी अपने घर चली जाती है और फिर पाकिस्तान अपनी मां को सुनाती है उसकी वो बोलती है तो मैंने बेटा तो उस लड़के को घर लेकर आ जाती इतने दिन बाद तो तुझे भाई मिला है अब तूने उसे जाने कैसे दिया कम से कम उसके बारे में उसके घर परिवार का पता तो करते मां भाई के ख़ुशी मना पागल हो गई थी और तुझे बताने के लिए मैं दौड़ते हुए घर चली गई अगले दिन को

(15:08) पागलों की तरह ढूंढूं लेकिन वो लड़का उसे कहीं नहीं मिलता आखिर हताश होकर मैंने दोबारा उसी जगह पर पहुंच जाती है जहां उसने गणेश जी की मूर्ति को रखा था अरे बाबूजी आप यहीं हो पुष्कर तो आज मुझे भाई आपकी वजह से ही मिला और मैं आपसे नाराज हो गई थी फिर मैंने उन्हें उठाकर घर ले जाती है और अपने बराबर में निकाल लेती है रात में मोटी सी आवाज आती है मिंटू मेरे लिए इतनी परेशान थी दिन भर मुझे ढूंढती रही थी और खुद ही घर से बाहर छोड़कर आ गई थी मिनी को सब समझ आ जाता है कि गणपति जी ही उसके भाई के रूप में आई थी तो वहीं की तरफ देख कर बोलती है

(15:48) तो कुतुबुद्दीन तो मेरे भाई बनकर उसे राखी बनवाने आए थे गणेश जी की मूर्ति से आवाज आती है हां मेरी बहन वह मैं ही मैं तुम्हारा भाई बनकर आया था और हमेशा राखी पर तुम्हारा भाई बनकर मैं तुम्हारे पास राखी बंधवाने यह सुनकर खुश हो जाती है और अपने भाई की बात अपनी मां को बताई फिर धीरे-धीरे के परिवार में सब कुछ हो जाता उसके भाई गणेश जी ने अपना होने का फर्ज निभाया और अपनी बहन को भरपूर नदी और उसके घर में धन दौलत की कोई कमी नहीं होने दी थी


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