भगवान और भक्त का रक्षाबंधन | Hindi Kahani | Moral Stories | Bhakti Stories | Bhakti Kahani | Kahani

भगवान और भक्त का रक्षाबंधन | Hindi Kahani | Moral Stories | Bhakti Stories | Bhakti Kahani | Kahani 


 साधना का भाई नहीं था वह बचपन से ही भगवान गणेश को राखी बांधती ए रही थी हर बार की तरह इस बार भी साधना रक्षाबंधन पर अपने भाई गणेश को बांधने के लिए राखी खरीद कर लाना चाहती थी इसके लिए उसे पैसों की जरूर थी मालकिन मुझे थोड़े पैसे उधर दे देते कल रक्षाबंधन का त्योहार है मुझे थोड़ा समाज खरीदना था देख साधना तेरी मां के खाने पर मैंने तुझे अपने घर झाड़ू पूछा के कम के लिए रखा है ठीक है अब रोजाना तू थोड़े-थोड़े पैसे मांगती रहेगी तो यह बात मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है और वैसे भी तेरा तो कोई भाई नहीं है जहां तक मैं जानती हूं तो तेरा कौन सा खर्चा होने वाला

(00:48) है कल कहानी रक्षा बंधन के बहाने अपने खाने पीने के लिए तो पैसे नहीं मांग रही है ना नहीं मालकिन मेरे भाई है भगवान गणेश मैं बचपन से ही उन्हें राखी बांधती आई हूं पहले जब मैं कम नहीं करती थी तो मां आप उसे मांग लेती थी पर अब मैंने सोचा मैं आपके घर कम पर लगी हूं तो आपसे उधर ले लूं फिर आप मेरी महीने की पगार में कैट लेना है तू तो बड़ी चालक है भगवान की राखी लेने के बहाने तू मेरे से पैसे ले लगी फिर उसके बाद जब महीना होगा और जब मैं काटने लगूंगी तो कोई और बहन लेकर ए जाएगी नहीं नहीं मैं तुझे कोई उधर नहीं दूंगी महीना जब पूरा

(01:23) होगा तभी दूंगी अभी जा मुझे कल रक्षाबंधन की तैयारी के लिए बहुत से कम करने हैं साधना को लगा की अब वो भी कम करने लगी है तो वो अपने पैसों से भगवान के लिए राखी और कुछ मिठाई खरीद लगी पर यहां तो वो निरसा ही हो गई क्योंकि उसकी मालकिन ने उसे पैसे देने से माना कर दिया साधना को पता था की उसके मां आप को पिछले कुछ दोनों से मजदूरी का कम नहीं मिला है इसलिए उनके पास भी पैसे नहीं होंगे इसी सोच में वो घर की और जा रही थी उधर कैलाश पर्वत पर भगवान गणेश और माता पार्वती यह सर दृश्य देख रहे थे माता श्री मेरी बहन साधना इस समय संकट में

(02:00) है वह मुझे बचपन से राखी बंद दिया रही है अब मुझे उसकी सहायता करनी ही होगी माता श्री मुझे एक भाई होने का फर्श निभाना होगा पर मैं कैसे उसकी सहायता करूं माता श्री चिंता मत करो पुत्र इस कार्य में मैं तुम्हें सहयोग करूंगी रक्षाबंधन या फिर कोई भी त्योहार जितना भक्ति का होता है उतना भगवान का भी होता है तुम अपनी बहन के प्रति अपने फर्ज को अवश्य निभाओ पुत्र राखी के तुम चिंता मत करो उसका प्रबंध मैं कर दूंगी बस तुम तो अपनी बहन से राखी बंद अपने की तैयारी करो मैं शीघ्र ही लोट आऊंगी ठीक है माता श्री मैं आपकी प्रतीक्षा करूंगा इसके पक्षात्मा पार्वती

(02:40) ने एक बुद्धि औरत का रूप ले लिया और अपने बोले में कुछ राखियां भर ली और वे धरती लोग पर पहुंची यह भारी थैला उठा कर तो मैं तक गई हूं कोई मेरा थैला वहां सड़क के उसे पर प्याऊ तक ले जाए तो मैं थोड़ा ठंडा पानी पी लूंगी बहुत प्यास लगी है कोई है जो मुझे सड़क के उसे पर तक ले जाएगा इन बुद्धि आंखों से दिखाई भी नहीं देता आंखों की तो रोशनी ही चली गई है अम्मा जी लव यू थैला मुझे दो मैं आपको सड़क पर करवा देती हूं आप मेरा हाथ पकड़ लो जीती रहो बेटी खुश रहो साधना बुद्धि औरत को सड़क पर करवा देती है बुद्धि औरत के रूप में मां पार्वती मां ही

(03:34) मां मुस्कुरा रही थी अम्मा जी आप बैठो और ये लो अब पानी पी लो बेटी तुम बहुत अच्छी हो तुम्हारे संस्कार बहुत ही अच्छे हैं यह लो मेरी तरफ से यह राखी उपहार में रखो अपने भाई को राखी बंद देना अब तुम्हें राखी खरीदनी नहीं पड़ेगी अच्छी लगी तो बहुत सुंदर है मुझे सचमुच उसकी बहुत जरूर थी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अच्छा बेटी अब मैं चलती हूं थोड़ी और राखियां बीच लूंगी आराम से जाना मुझे राखियां देखकर साधना बहुत खुश होती है उधर मां पार्वती वापस कैलाश ए जाति है अगले दिन साधना सुबह जल्दी उठ जाति है और नहा धोकर भगवान गणेश को वही राखी बांधने लगती है

(04:23) तभी उसके द्वारा पर एक बहुत ही सुंदर प्यार छोटा सा बालक आवाज लगता है दीदी आज रक्षाबंधन है मेरी कोई बहन नहीं है क्या तुम मुझे राखी बंधोगी मेरे पास तो एक ही राखी है गणेश जी आप ही कहते हो ना सभी मनुष्यों में आपका वास होता है और छोटे बच्चे तो आपका ही रूप होते हैं मैं इस बच्चे को राखी बंद दूंगी तो मुझे लगेगा यह राखी आप तक पहुंच गई अगर यह बच्चा बिना राखी बंधवाई खाली कलाई लेकर चला गया तो उसे बहुत दुख होगा साथ में मुझे भी अच्छा नहीं लगेगा गणेश जी मुझे माफ कर देना इसमें भी मां पार्वती और भगवान गणेश की लीला छुपी थी मां पार्वती ने जब साधना को

(05:05) एक ही राखी दी थी ताकि वह उसकी परीक्षा ले सकें की साधना गणेश जी को राखी बंधेगी या फिर द्वारा पर आए बालक को साधना परीक्षा में सफल होती है वो जैसे उसे बच्चे को राखी बांधती है वो बच्चा भगवान गणेश के रूप में ए जाता है बहन तुम परीक्षा में सफल हुई मैं और माता श्री तुम्हारी परीक्षा ले रहे थे मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा आप स्वयं रक्षाबंधन के दिन मुझे राखी बंधवाने आए भगवान तो और क्या जब एक बहन इतने सालों से मुझे राखी बंद रही है तो मुझे भी तो भाई का फर्ज निभाना आना ही था ना अब राखी के बदले मुझे तुम्हें उपहार भी तो देने हैं बहन गणेश जी

(05:45) अपना दैना हाथ आशीर्वाद स्वरूप उठाते हैं और वहां पर डॉन साए हुए सोनी चांदी के थल प्रकट हो जाते हैं हर साल में कोई एन कोई उपहार रात मिठाइयां कपड़े और भी एन जान क्या-क्या साधना के साथ साथ उसके माता-पिता भी हाथ जुड़े भगवान गणेश के सामने खड़े थे साधना यह सब उपहार तुम्हारे लिए ही हैं जो कोई भी भक्ति मुझे सच्चे हृदय से याद करता है उसके घर सुख समृद्धि का वास होता है रक्षाबंधन के दिन जो भी बहाने सच्चे मां से मुझे राखी बांधती है मैं अपने भाई होने का फर्ज जरूर निभाते हूं मेरे आशीर्वाद से मेरी बहनों के जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं और उनके जीवन

(06:29) में खुशियों का वास होता है सदा खुश रहो मेरी बहन लव अब थल के थोड़े लड्डू मुझे भी खिलाओ मुझे बहुत जोरो की भूख लगी है हां भैया गणेश मैं अभी देती हूं साधना और उसके माता पिता की आंखों में खुशी के आंसू थे भगवान गणेश और उनकी सवारी मूषक जब लड्डू का रहे थे तो मनी मां साधना बहुत खुश हो रही थी आज स्वयं भगवान गणेश भाई रूप में रक्षाबंधन का त्योहार मनाने अपनी बहन के घर जो आए थे इससे बड़ी खुशी की बात एक बहन के लिए और क्या ही हो शक्ति थी गंगवा नाम का एक चोर था वह चोरी का कम इतने सफाई से करता था की पुलिस भी उसे आज तक नहीं पकड़ पी थी वह हमेशा चोरी करके

(07:17) पुलिस के हाथों से बैक निकलता था गंगवार रोज रात को चोरी के लिए निकलता और किसी ना किसी बड़े सेठ के घर में हाथ मार ही लेट था गंगवा की पत्नी ममता उसे कई बार चोरी के लिए माना करती पर वो अपनी पत्नी की बात नहीं मानता था तुम्हें कितनी बार कहा है यह चोरी का कम छोड़ दो अब तो आसपास के मोहल्ले वाली औरतें भी मुझमें पर शक करने लगी हैं वो यही कहती है की तुम्हारा पति तो कोई कम ही नहीं करता दिन भर सोया राहत है फिर हमारे घर का गुजर कैसे चल रहा है अब मैं उन औरतें को क्या बोलूं की रात भर तुम चोरी करते हो और दिन में घोड़ी बेचकर

(07:49) सोते हो कुछ तो शर्म करो क्यों सुबह सुबह मेरी नींद खराब कर रही है सोनी दे वैसे भी कल रात चोरी करके कुछ भी हाथ नहीं लगा मुझे तो लगता है तेरी ही नजर ग गई है जब देखो मुझे कम के लिए ठोकती रहती है अब मुझे सोनी दे रात को मुझे फिर से चोरी पर निकालना है सकता है पर उसे रात भी वह किसी भी घर में चोरी नहीं कर पता ऐसे कई दिन बीट जाते हैं मंगवा परेशान हो जाता है क्योंकि अभी तक उसने कोई भी चोरी नहीं की थी वो गुस्से में भारत हुआ घर लोट आता है इस गांव में मोतीलाल नाम का एक बहुत ही अमीर और लालची व्यापारी राहत था मोतीलाल दिखावा करने में

(08:27) बहुत ही माहिर था गांव वालों के सामने वो खूब दान पुण्य करने का दिखावा करता ताकि सब गांव वाले उसकी खूब वफा ही करें मलिक कुछ गांव वाले मिलने आए हैं हां हां उन्हें अंदर भेज दो और सबके लिए चाय पानी का इंतजाम करो सब गांव वाली मोतीलाल के लिए कुछ ना कुछ उपहार लेकर आए थे अरे अरे आप सब इतना कुछ लिया है क्या जरूर थी इतना कुछ लाने की सेठ जी आपने गांव में पानी की नई टंकी लगवाई है इसलिए गांव वाले उपहार स्वरूप यह थोड़ा बहुत ले हैं और यह मेरी तरफ से फसल के नए आम बच्चों के लिए लाया था अरे तुम सब गांव वालों के कम आना और गांव की सेवा करना ही तो मैं अपना धर्म समझना

(09:08) हूं ठीक है मैं ये रख लेट हूं छोटी सी टंकी लगवाने के बदले इतना समाज फायदे का सौदा है अरे चुप चुप दीवारों के भी कान होते हैं जाकर देख अब कौन आया है जा मलिक शिवा मंदिर के पंडित जी आए हैं जय शिवा शंकर पंडित जी जय शिवा शंकर मोतीलाल जी मंदिर की सेवा कार्य के लिए आपके पास आया हूं शिवा मंदिर में इस सावन में नया त्रिशूल लगाने का विचार बन रहा है सोचा आप तो इतना दान पुण्य करते हैं तो मंदिर में त्रिशूल लगाने का ये शुभ अवसर आपको ही मिलन चाहिए ये तो बहुत अच्छा किया पंडित जी जो आपने मुझे यह बात का दी मैं तो बहुत समय से ऐसा कोई शुभ कार्य करने का विचार कर ही रहा था

(10:00) ठीक है त्रिशूल के लिए जितने भी पैसे लगे आप मुझे बता देना और त्रिशूल खाली सोनी का बना होना चाहिए मोतीलाल ने पंडित जी को सोनी के त्रिशूल के लिए हां तो कर दी पर पंडित जी के जान के बाद वो सोच विचार में पद गए सोनी का त्रिशूल बहुत महंगा आएगा दिखावा करने के चक्कर में तो मैं ल ही गया मोतीलाल ने शिवा मंदिर में त्रिशूल लगता ही दिया सारे गांव वाले लाल की वैवाही करने लगे मोतीलाल घर लोट आया उसे रात गंगवा मोतीलाल के घर चोरी करने घुस गया पर वो नहीं जानता था की मोतीलाल जगह हुआ है मोतीलाल ने मंगवा को चोरी करते हुए पकड़ लिया अच्छा तो तुम मेरे घर में चोरी करने

(10:43) आया था तू नहीं जानता मेरा नाम मोतीलाल है मोतीलाल मेरे घर में चोरी करना असंभव है मैं दिन के साथ-साथ रात में भी जगत हूं समझा लगता है मेरी किस्मत ही खराब है इतने दोनों बाद चोरी करने का मौका मिला और वो भी पड़ा गया अब तो ये सेठ मुझे पुलिस के हवाले कर देगा आज तक मैं पुलिस के हाथों पड़ा नहीं गया आज पहले बार में पुलिस के हाथों पड़ा जाऊंगा अरे अरे घबरा क्यों रहा है घबरा मत मैं तुझे पुलिस के हवाले नहीं करूंगा है पर बदले में तुझे मेरा एक कम करना होगा अब जो भी खाओगे मैं करूंगा पर मुझे पुलिस के हवाले मत करो तुझे शिवा मंदिर में लगे सोनी के त्रिशूल की चोरी

(11:22) करनी होगी और वो त्रिशूल मुझे देना होगा शंकर जी की त्रिशूल की चोरी पर शंकर जी के त्रिशूल की चोरी तुझे अभी इसी समय त्रिशूल चूड़ा कर मेरे पास लाना होगा उसके बाद मैं तुझे छोड़ दूंगा नहीं तो तू जानता है मैं शोर मचा दूंगा और तुझे पुलिस के हवाले कर दूंगा फिर पुलिस तुझे मीना तक नहीं छोड़ेगी हां ठीक है सेठ जी अभी जाकर त्रिशूल चूड़ा कर लता हूं गंगवा इस रात शंकर जी के मंदिर जाता है और त्रिशूल को चुराकर सेठ मोतीलाल को दे देता है पर गंगवा को उसे रात नींद नहीं आई अगले दिन सुबह पूरे गांव में शोर मैच जाता है की शंकर जी के त्रिशूल की चोरी हो गई है सुनो

(12:03) जी तुम्हें पता है शंकर जी के मंदिर से सोनी के त्रिशूल की चोरी हो गई है कहानी ऐसा तो नहीं की त्रिशूल तुमने चुराई मुझे सच-सच बता दो अगर तुमने ऐसा अनर्थ किया है तो भगवान से क्षमा मांग कर त्रिशूल वापस मंदिर में लगा दो तुम्हें पता है कभी-कभी तो मुझे ऐसा लगता है तुम्हारे पापा के करण आज तक मैं मां नहीं बन साकी शायद तुम्हारे पापा की सजा हमें संतान का सुख ना मिल कर मिल रही है ममता रन लगती है गंगवाचम ममता को रोटी हुए देखा है तो उसे अपने ऊपर बहुत पश्चाताप होता है और वो ममता को सच-सच बता देता है मुझे माफ कर दो मैं चोरी करने में

(12:35) इतना अंधा हो गया था की मैंने भगवान को भी नहीं छोड़ मैंने अपने आप को बचाने के लिए शंकर जी के त्रिशूल को चूड़ा लिया और उसे लालची सेठ मोतीलाल को दे दिया अब मैं क्या करूं ममता तुम पंडित जी को और गांव वालों को सब सच बता दो डरो नहीं सेठ मोतीलाल तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा मैं तुम्हारे साथ चलती हूं गंगो मंदिर पहुंचता है वहां पर गांव वालों की भीड़ लगी थी सेठ मोतीलाल भी मंदिर में ही खड़ा था आपने इतने मां से भगवान शंकर के मंदिर में त्रिशूल लगवाया और देखिए कल रात को चोरी हो गया सचमुच मैं इन सब बटन के लिए बहुत शर्मिंदा हूं पता नहीं चोर मंदिर के भीतर

(13:10) कैसे घुस गया कोई बात नहीं पंडित जी भगवान की जैसी मर्जी अच्छा मैं चला हूं कोई और सेवा हो तो बता देना कहां चल दिए पंडित जी कहानी त्रिशूल लेने तो घर नहीं जा रहे क्या मतलब है तुम्हारा क्या तुम जानते नहीं हो की त्रिशूल की चोरी हो चुकी है पंडित जी चोरी त्रिशूल सेठ मोतीलाल के घर पर ही है अगर आप सबको यकीन ना हो तो आप इनके घर की तलाशी ले सकते हैं ये तुम क्या का रहे हो सेठ मोतीलाल बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं और त्रिशूल तो उन्होंने स्वयं ही मंदिर में लगवाया है तो फिर त्रिशूल इनके पास कैसे हो सकता है पंडित जी ये सेठ मोतीलाल देखने में ही

(13:45) धार्मिक है पर मां से बहुत ही बुरी प्रकृति के हैं गंगो पंडित जी और गांव वालों को बीती रात की साड़ी सच्चाई बताता है जिसे सुनकर सब लोग हैरान र जाते हैं सेठ मोतीलाल के घर की तलाशी लेने पर शंकर जी का त्रिशूल मिल जाता है यह त्रिशूल अब आप ही रखो आप अब इस त्रिशूल को मंदिर में लगाने के अधिकारी नहीं है भगवान तो श्रद्धा के भूखे होते हैं यदि आपका मां नहीं था दान पुण्य करने का तो आप हम सभी को साफ साफ का देते यह दिखावा करने की कोई आवश्यकता नहीं थी आज के बाद शिवा मंदिर में आपके दिए पैसों का चढ़ावा नहीं चढ़ेगा और पंडित जी हम गांव वाले भी सेट मोतीलाल

(14:21) के हाथों से कोई धर्म कर्म के कार्य में मदद नहीं लेंगे हां हर कोई सीट मोतीलाल के खिलाफ हो जाता है सेठ मोतीलाल अपना समूह लेकर घर चला जाता है की मैं आज के बाद कभी भी चोरी नहीं करूंगा हमेशा मेहनत की रोटी कमाऊंगा मंगवा तुमने बहुत ही ईमानदारी का कम किया है देखना भगवान भोलेनाथ तुम्हें इसका फल अवश्य देंगे उसे दिन से मंगवा ने चोरी करना छोड़ दिया अब वो मेहनत मजदूरी करता था ममता भी गंगवा को मेहनत मजदूरी करते थे एक बहुत खुश थे कुछ समय बाद ममता मां बन जाति है और एक बहुत ही सुंदर बच्चे को जन्म देती है [संगीत]


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