गरीब की राखी | Gareeb Ki Rakhi | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Kahaniya | Hindi Fairy tales

गरीब की राखी | Gareeb Ki Rakhi | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Kahaniya | Hindi Fairy tales 


एक सप्ताह के बाद राखी का त्योहार है लेकिन राखी का बाज़ार अभी से सच गया है लाल पीली अखियां सभी दुकानों की शोभा बढ़ा रही है बहनें अपने भाई के लिए राखी तो भाई अपनी बहनों को उपहार में देने के लिए अभी से कुछ ना कुछ खरीद रहे हैं 12 साल का रंजू एक चाय की दुकान पर काम करता है इस बार अपनी साथ साल की दिव्यांग पर है गुड़िया को बहुत अनोखा उपहार देना चाहता है रंजन इसके लिए जी-तोड़ मेहनत भी कर रहा है अरे भाई और कितनी देर लगेगी चाय अरे जल्दी आओ यार अपने हाथों में चाय की प्याली उन ग्राहकों के पास आता है यह रंजन के दिन की शुरुआत अलग-अलग घरों में

(00:41) न्यूज़पेपर डालने से उसके बाद जब तक वह चाय की दुकान में रात के बजे तक यह उम्र ज्यादा नहीं थी सुबह से रात तक अपना पसीना आ रहा था कि बहन को उपहार दे सके रंजन की सगी बहन की रात 10:30 बज रहे थे क्वेश्चन पूरे दिन काम करके बहुत थक गया था और वह फुटपाथ किनारे बैठा पाव खा रहा था बहुत जोरों की भूख लगी लेकिन इसे 5 से क्या होगा पूरा दिन मालिक के यहां जी-जान लगा देता हूं लेकिन बींस उस पैसे को ज्यादा देता ही नहीं रंजन का कोई घर तो था नहीं इसलिए वह काम खत्म करके और कुछ खाकर चाय की दुकान के सामने वाली फुटपाथ पर सो जाता था आज भी

(01:23) वह सोने की तैयारी कर रहा था तभी उसकी आंखों के आगे बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया एक आई मीन राशि वालों को जोरदार टक्कर मार दी उस रिक्शा में पति-पत्नी और 14 साल की बच्ची थी टक्कर इतनी जोरदार थी कि मौके पर ही सभी की मौत हो गई रंजन महीने में कम से कम ऐसे दो एक्सीडेंट तो देखता ही था आज उसने वह एक्सीडेंट देखा एक्सीडेंट के बाद लगने वाली भीड़ को भी देखा वह भी वहां भागकर गया और लोग इतनी स्पीड में चलाते क्यों है सभी के सभी मारे गए पुलिस को खबर कर दो अरे चलो चलो यहां से पुलिस के चक्कर में पढ़ोगे तो 50 सवाल पूछेंगे वह फिर धीरे-धीरे लोग वहां से बातें करते हुए

(01:59) चाहने लगे जन-जन भी वहां से जाने लगा तभी छोटी लड़की के शरीर में हलचल हुई रोते हुए कहने लगी पापा रंजनी जैसी उस लड़की की आवाज सुनी उसके कान खड़े हो गये उसने देखा कि छोटी सी लड़की अर्ध बेहोशी की हालत में उसका एक पैर के नीचे दबा रंजन ने जैसे यह वहां से निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन वो कहते हैं ना कि कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों रंजन कि वह बच्चे के आंसू निकलने में कामयाब हो गया वह सब लेकर अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्ची की हालत देख कर उसे तुरंत एडमिट कर लिया तो बहुत खराब है

(02:46) डॉक्टर साहब मेरी तो कोई सड़क पर एक्सीडेंट हुआ था उसी में घायल हो गई थी जिसका नाम था उसके पास बहुत खून बह गया था इसलिए डॉक्टरों को काटना पड़ा रंजन को खत्म करके गुड़िया को देखने अस्पताल आता था धीरे-धीरे गुड़िया की हालत सुधरने लगी रंजन को गुड़िया से बहुत लगाव हो गया था वह हर दिन अस्पताल आता उससे बातें करता और कहता कि गुड़ियां तो अब जल्दी ठीक हो जाता गुड़िया को पता लग गया था कि उसी ने उसकी जान बचाई है उसे यह भी पता लग गया था कि उस दिन हुए सड़क हादसे में उसके माता-पिता की मौत हो गई है गुड़िया रंजन को भैया कहकर बुलाती थी गुड़िया के मुंह से भैया

(03:26) सुनना रंजन को बहुत अच्छा लगता था एक दिन जब वह अस्पताल आया तो उसने देखा की गुड़िया बैसाखी के सहारे चुपचाप उदास खड़ी है और गुड़िया क्या हुआ तो इस तरह उदास क्यों करिए गुड़ियां कुछ बोलती है उससे पहले ही डॉक्टर साहब वहां गए और उन्होंने उससे कहा कि गुड़ियां बिल्कुल ठीक हो गई है तुम्हें अपने साथ घर ले जा सकते हो यह एक डॉक्टर साहब वहां से चले गए उनके जाने के बाद डॉक्टर साहब ने कहा कि तुम्हें ले जाओ तुम्हारा घर कहां है मेरा गांव से आए थे पिताजी को यहां की फैक्ट्री में काम मिला था पिताजी किराए का मकान ढूंढ ढेर देखे चमत्कार मिलने के पहले ही

(04:05) पीड़ितों रोते क्यों रोने से क्या होगा जो अपने साथ अपने घर ले चलो ना मेरे घर पर मेरा कोई नहीं मैं तो फुटपाथ पर रहता हूं फुटपाथ पर रहने दूंगी मैं किसी तरह अपना पेट भरता हूं फिर से रोने लगी और उसने कहा ठीक है रंजन को छोड़कर जाना नहीं चाहता था लेकिन वह क्या करता है कहां ले जाता खिलाता-पिलाता कैसे करता वहां से चला गया दूसरा बहुत बारिश रंजन फुटपाथ के पेड़ के नीचे खड़ा था लेकिन उसका ध्यान पर लगा हुआ था के साथ अच्छा नहीं किया मुझे छोड़कर नहीं होना चाहिए मेरे जैसा दुनिया में कोई नहीं है वह बेचारी कहां जाएगी जिस बारे में वह

(05:00) अस्पताल की तरफ जाने है लेकिन अस्पताल पहुंचने के कुछ देर पहले ही उसी गुड़ियां सिकरी वह बेचारी भी सड़क के किनारे एक पेड़ के नीचे बारिश पर छिपने के लिए खड़ी थी वह भास्कर उसके पास गया तेरा भैया बिल्कुल भी अच्छा नहीं है तो इस तरह छोड़कर चला गया नहीं था या अ बहुत ही अच्छे हो तुमने कुछ खाया है नहीं बढ़िया मुझे तुम बहुत भूख लगी है व्यंजन में अपनी जेब पर देखा ₹5 पड़े थे सिर्फ ₹5 यह मेरे पास बिस्किट खाए के तू कुछ देर बाद बारिश बंद हो गई रंजन ने उन पैसों से बिस्किट खरीदा और गुड़िया को खाने को दिया उस रात उसके साथ ही फुटपाथ पर सोए लेकिन

(05:37) धीरे-धीरे रंजन को गुड़िया का इस तरह बाहर रहना अच्छा नहीं लगा इसलिए उसने न्यूज़ पेपर बेचने का काम भी शुरू किया फिर साढे सात सौ रुपये किराए पर एक बहुत ही छोटा सा कमरा लिया यही नहीं उस पर चाय की दुकान के मालिक से भी कहा कि वह इसके पैसे थोड़ी बढ़ाते अपने उसके पैसे भी बढ़ा दिए एक फिर गुड़िया मैं तो पढ़ नहीं सका ना अब लगता है कि पढ़ पाऊंगा लेकिन तू पड़ेगी मेरी जैसी नहीं रहेगी रंजनी * के खिलाफ स्कूल में करवा दिया वह पढ़ने में बहुत होशियार थी कभी-कभी तो वह रंजन को भी कुछ न कुछ सिखाती लेकिन उठकर स्कूल बहुत दूर था बैसाखी के सहारे चलकर जाने में वह बहुत थक

(06:13) जाती थी इसलिए रंजन ने इस रक्षाबंधन पर उसी तीन पहिया हाथ वाला साइकिल देने का सोचा था राखी से एक दिन पहले की बात है रंजन ने गुड़िया को कहा कि वह गुड़िया तू शाम को चाय की दुकान पर आ जाना फिर हम दोनों कहीं जाएंगे आज अंकित भैया वैसे भी मुझे आपके लिए राखी खरीदनी है वैसे हम जाएंगे कहां रंजन ने यह नहीं बताया था कि वह सिर्फ तीन पहिया साइकिल देने वाला है लेकिन जैसे ही गुड़ियां शाम को चाय की दुकान पर पहुंची उसकी तो रूह कांप गई नजाने चाय की दुकान में कैसे आग लग गई थी रंजना की लपटों में घिरा हुआ था और बचाओ-बचाओ की आवाज लगा रहा था बचाओ बचाओ

(06:48) अरुण को मुझे बचाओ लोगों की भीड़ तो बहुत लगा रखी थी लेकिन कोई उसकी मदद को नहीं आ रहा था आवाज लगाता लगा था वह बेहोश हो गया गुड़ियानी जैसे यह सब देखा वह आपकी परवाह किए बिना दुकान में चली गई और अपने भाई को बाह हुआ हालांकि उसे बचाने में गुड़ियां थोड़ा जल भी गई थी रंजन भी जल गया था फिर घड़ियों से लेकर अस्पताल पहुंचे रंजन की हालत को देखकर तुरंत उसका इलाज शुरू हुआ 24 घंटे बाद उसे होश आया होश में आने के बाद उसे पता लगा कि किस तरह उसकी छोटी बहन ने उसकी जान बचाई वो गुड़िया राखी पर तो भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं

(07:23) तूने तो अपने भाई की जान बचा ली देखना मेरी ऐसी हालत हो गई है कि तेरा भाई तुझे कुछ देर भी नहीं पाया वही कह रहा था कि गुड़िया ने अपने कपड़े का एक छोटा सा टुकड़ा थोड़ा और उसकी कलाई पर बांध हुए कहा कि मुझे कुछ नहीं चाहिए भैया बस आप ठीक रहें मेरे लिए यही सबसे बड़ा राखी का उपहार है रंजन ने अपनी कलाई पर बंधी उस अनोखी राखी को देखा और उसे यह कि दुनिया की सबसे अच्छी पहल है और गुड़िया ने कहा कि आप सबसे अच्छे भाई दोस्तों आप सभी को भाई-बहन के इस पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन की दिल से शुभकामनाएं शुभ रात्रि शुभ हो लुट हेलो फ्रेंड्स थैंक्स फॉर वॉचिंग दिस

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