यमराज जी की राखी | Yamraj Ji Ki Rakhi | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories |Moral Stories
यमराज जी की राखी | Yamraj Ji Ki Rakhi | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories |Moral Stories
भाई बहन के अटूट प्रेम और रिश्ते का प्रतीक माना जान वाला त्योहार रक्षाबंधन हर वर्ष श्रवण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है रक्षाबंधन से जुड़ी बहुत सी धार्मिक कथाओ में से एक है यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी कहानी किस प्रकार यमुना अपने भाई यमराज को राखी बांधती है इसका वर्णन शास्त्रों में बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया गया अनुसार भगवान सूर्यनारायण की पत्नी छाया की कोक से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था यमुना यमराज से बड़ा स्नेहा करती थी विवाह के पश्चात सेयमुना, यमराज सेअपने ससुराल आने के लिए बराबर निवेदन करती थी
(01:08) माता श्री पिता श्री आप दोनों का मेरी ससुराल बहन यमुना अभी तो मैं अपने कार्यों में बहुत व्यस्त हूं जब भी मुझे समय मिलेगा मैं तुम्हारे घर अवश्य आऊंगा और इस तरह अपने कार्य में व्यस्त होने की बात कहकर यमराज यमुना के निमंत्रण की बात को तलते रहे अपने कार्यों में व्यस्त यमराज जी ने अगले 12 वर्षों तक अपनी बहन से मुलाकात नहीं की थी यमुना बहुत दुखी थी वो अपने भाई को याद करती थी और उनसे मिलन चाहती थी फिर वो मदद के लिए देवी गंगा के पास गई देवी गंगा भाई मेरे घर एक बार भी नहीं आए उनसे मिले 12 वर्ष हो गए हैं मैंने उन्हें कितनी बार आग्रह किया
(02:10) मैं कुछ करती हूं बीबी गंगा ने यह को उनकी बहन के बड़े में याद दिलाया और उनसे जाकर मिलने के लिए कहा अपनी बहन के दुखी होने की बात सुनकर यमराज का हृदय भी अपनी प्यारी बहन से मिलने के लिए व्याकुल हो गया और अगले ही दिन वह अपनी बहन यमुना से मिलने उसके घर पहुंच गए अपने भाई को देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं था मेरी प्यारी बहन मुझे एक क्षमा कर दे मैं अपने कार्यों में व्यस्त रहा और तुझे मिलने ही नहीं ए पाया कोई बात नहीं भैया आज श्रवण मास की पूर्णिमा का पवन दिन है आज के दिन आप मेरे घर आए मेरे लिए इससे बड़ी खुशी की कोई बात
(02:53) नहीं हो शक्ति भैया आज मैं आपकी कलाई पर एक रक्षा सूत्र बंद देती हूं अपने प्रेम और स्नेहा से सजी यह रेशम की डोरी बंद रही हूं आप जब भी इस डोरी को अपनी कलाई पर बांध देखोगे तो आपको मेरी याद ए जाएगी फिर आप मुझे मिलने ए जाना या फिर मुझे बुला लेना लव भैया अपनी कलाई आगे करो मैं यह रक्षा सूत्र बंद देती हूं यह तुम्हें साड़ी परेशानियां से दूर रखेगा और हमेशा मेरी याद दिलाता रहेगा उत्तम है अपने कार्यों में व्यस्त होते हुए बहन इस रेशम की डोरी को देखकर मैं तुम्हें याद कर लूंगा मेरी प्यारी बहन तू सदा खुश रहे तुझे कभी भी मेरी जरूर हो तो बस मुझे
(03:40) याद कर लेना मैं तुझे मिलने ए जाऊंगा लाभन बांधते यह रेशम की डोरी और फिर देवी यमुना ने यमराज जी के माथे पर तिलक किया उनकी कलाई पर राखी बंदी और देर साड़ी पकवान और मिठाई खिलाकर अपने भाई यह के प्रति अपने अटूट प्रेम को उजागर किया यह अपनी बहन के प्रेम से इतना प्रभावित हुए की उन्होंने उसे अमरता प्रधान कर दी इसके पश्चात यमराज अपनी बहन यमुना को देर सारे उपहार और आशीर्वाद देकर खुशी खुशी विदा हो गए इसलिए कहते हैं भाई बहन का प्रेम अमर होता है रक्षाबंधन का त्योहार इसी प्रेम भरे रिश्ते को रेशम की डोरी से बांधकर और भी मजबूत बनाए रखना है
(04:48) दीनानाथ हाथ रिक्शा चलता था सुबह से रात तक वह लोगों को उनकी मंजिल पर पहुंच था और उससे जो पैसे मिलते इस से उसका और उसकी गर्भवती पत्नी विमला का गुजर चला था दीनानाथ कभी बस स्टैंड पर तो कभी रेलवे स्टेशन तो कभी किसी मॉल के बाहर खड़ा राहत और यात्रियों का इंतजार करता रामपुर मायागंज नाथनगर भागलपुर अरे भाई सूरजपुर चलोगे क्या सूरजपुर हां साहब चलूंगा ना और कितने पैसे लोग साहब ₹20 और 20 तो बहुत ज्यादा है मैं 15 दूंगा भाई गर्मी के करण दीनानाथ की बनी नहीं हुई थी वह ₹15 में सूरजपुर जान को तैयार हो गया सर दिन वो इस तरह लोगों को पहुंचना कभी
(05:28) उसे मान्यता भी पैसे मिल जाते तो कभी कम लेकिन वो किसी से कोई शिकायत नहीं करता टीम जब वह सुबह-सुबह कम पर जान के लिए निकाल रहा था तो मैं कम पर जा रहा हूं तू ठीक से खाना खाना जरा सी भी लापरवाही ना करना तुझे पता है ना तेरी कॉक में एक नन्ही सी जान जो पाली है वैसे भी जब आप जैसे ध्यान रखना वाले पति हो तो लापरवाही कैसे हो शक्ति है विमला की बात पर दीनानाथ मुस्कुरा कर उसकी और देखने लगा फिर वो कम पर चला गया उसे दिन भी भयंकर करती थी पर 44 डिग्री के तार पहुंच गया था संयुक्त से उसे दिन भी गर्मी के करण उसकी बोनी नहीं हुई थी और दोपहर के
(06:07) बाद जब उसके रिक्शे पर एक पैसेंजर बैठा तो वह बहुत खुश हुआ क्योंकि उसे पता था की उसे समय उसे पैसों की कितनी जरूर है भगवान का लाख-लाख शुक्रिया एक पैसेंजर तो मिलाजिल पर पहचाने के लिए चल पड़ा लेकिन आदि दूरी पर जान के बाद उसे चक्कर आने लगा और वह सड़क पर गिर पड़ा उसे रास्ते में लकवा का अटैक ए गया उसके हाथ पर नहीं कम करना बैंड कर दिया और उसका मूवी टेढ़ा हो गया इसी तरह उसके कुछ दोस्तों ने उसे अस्पताल पहुंचा विमला भी भाग भाग अस्पताल पहुंचे यार भाई मैं तुमसे ठीक से बात भी नहीं कर का रहा हूं अब बता कैसे चलेगा हमारा जीवन
(06:47) क्या होगा हमारे आने वाले बच्चे का भाई विमला क्या जवाब देती है अपने पति के सवालों का कुछ दोनों में बात को अस्पताल से घर ए गया लेकिन वो सवाल अब भी सवाल ही बना हुआ था की अब घर कैसे चलेगा 2 दोनों से उसके घर में अन्य का एक दाना भी नहीं था वो बेचारा इतना असहाय था की बिस्तर पर पड़े पड़े रोटा राहत अरे आप रोटी क्यों है दुख दिया है भगवान ने तो वो इससे निकलेगा भी आप चिंता ना करें मैं चलाऊंगी रिक्शा मैं करूंगी कम फिर से साड़ी चीज ठीक हो जाएगी संकट में आपने हमें दाल दिया है ना आपने रखा है ना मेरा ध्यान अब मेरी बड़ी है गर्भवती विमला रिक्शा चलने लगी शरीर को जल
(07:37) देने वाली भीषण गर्मी में वो रिक्शा चलती और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचती हालांकि कुछ लोग उसके रिक्शे में बैठने से कतराते और कुछ आसानी से बैठ जाते हैं ये मेरा कम है यही रोटी है मेरी पसीने से लथपथ और एक मासूम जिंदगी को अपने पेट में लिए विमला अपने परिवार की गाड़ी किसी तरह खींच रही थी लेकिन अभी तो उसके जीवन में एक और तूफान आने वाला था यमलोक में यमराज अपने यमदूतों से उसके पति दीनानाथ को लाने की बातें कर रहे थे मैं पृथ्वी लोग नहीं गया हूं इसलिए इस बार इस व्यक्ति को लाने में स्वयं जाऊंगा और पृथ्वी लोक का थोड़ा भ्रमण भी कर लूंगा
(08:22) यमराज ने बुजुर्ग व्यक्ति का विश बनाया और पृथ्वी लोक पर पहुंच गए हैं सड़क पर यूं ना मैं भी कोई वहां ले लूं और थोड़ा भ्रमण कर लूं तभी यमराज की नजर विमला पर गई जो दीक्षा के पास खड़ी होकर यात्रियों को बुला रही थी रामपुर मायागंज नाथनगर भागलपुर अमित शहर में नए हैं तो हमें यहां के इलाके का पता नहीं है क्या तुम मुझे इस शहर का भ्रमण करवा डॉग मेरे से भीषण गर्मी में विमला यमराज को अपने रिक्शे में बिठा शहर घूमती रही फिर अचानक यमराज को ध्यान आया की शहर घूमने में बहुत सर समय बीट गया है अब उन्हें दीनानाथ के घर उसके फ्रेंड हारने के लिए
(09:08) जाना होगा इसी से मैं उसे दिन अनाथ के मोहल्ले का पता पूछ लेट हूं यमराज ने विमला से दीनानाथ के मोहल्ले का पता पूछा यमराज पैदल ही दीनानाथ के मोहल्ले की और निकाल पड़े वह चलते रहे चलते रहे लेकिन उन्हें दीनानाथ का घर नहीं दिखा गर्मी के करण उन्हें प्याज भी बहुत ग रही थी उनका
(10:11) गला सुख जा रहा था कितनी प्यास ग रही है मेरा गला सुख जा रहा है उनका मां पानी पीने का कर रहा था लेकिन उनके पास तो थे तभी उन्हें विमला फिर से दिखाई थी जो इस तरफ रिक्शा लेकर ए रही थी उसे परेशान बूढ़े व्यक्ति को फिर से देखकर विमला उसके पास गई और कहा क्या हुआ बाबा क्या आप उसे पाते तक नहीं पहुंच पे चलिए ना मैं आपको छोड़ देती हूं मैं चला जाऊंगा लेकिन मुझे जोरो की प्यास लगी है क्या तुम मुझे पानी पीला डॉगी क्योंकि मेरे पास तो पैसे नहीं है अरे क्यों नहीं विमला की कमाई उसे दिन सिर्फ ₹12 हुई थी उसने उन 12 रुपयो से पानी की बोतल खरीद कर यमराज के विश में
(10:56) उसे बूढ़े आदमी को दे दी यमराज विमला के प्रेम और दया से भरे हृदय को देखकर बहुत खुश हुए और कहा बेटे तुम्हारा दिल दया से भारत हुआ है मेरे पास रुपए तो नहीं है लेकिन आशीर्वाद है मैं तुम्हें सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देता हूं उसके बाद यमराज दीनानाथ के घर उसके प्राण हारने के लिए पहुंच गए और जैसे ही वो उसके प्राण हारने लगे तो विमला वहां गई उन्होंने उसे बुद्धि इंसान को यमराज के बीच में देखा तो बाबा आप कौन है और यह क्या कर रहे हैं आप मैं यमराज हूं बेटी इसके प्राण हारने आया हूं रहने का आशीर्वाद और अभी मेरे पति को मार
(11:37) रहे हैं साड़ी सच्चाई का पता ग गया यमराज धर्म संकट में फैंस चुके थे एक तरफ उन्हें दीनानाथ के प्राण हर्निया थे और एक तरफ उसकी पत्नी को उन्होंने सदा सुहागन रहने का वरदान दिया था विमला की दया से भरे हृदय ने उनका मां भी तो मो लिया था बेटी मेरा आशीर्वाद व्यर्थ नहीं जाएगा तुम्हारे पति को कुछ नहीं होगा तुम्हारे प्रेम से भरे हृदय दूसरों की मदद करने की चने असंभव को भी संभव कर दिखाए है मैं इसकी प्राण नहीं हारूंगा और हां मैं तुम्हारे पति को अभी के अभी स्वस्थ होने का आशीर्वाद भी देता हूं उसके बाद यमराज ने दीनानाथ को पुरी तरह स्वस्थ कर दिया और उसे देर सर
आशीर्वाद दिया और उनका घर धन-धान्य से भी भर दिया फिर भी यमलोक को प्रस्थान कर गए बार-बार यमराज को धन्यवाद कर रहे थे
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