राजा मित्रसह और शिवजी की कथा | HINDI KATHA | bhakti story | #Prabhupuran #shivkathainhindi -

राजा मित्रसह और शिवजी की कथा | HINDI KATHA | bhakti story | #Prabhupuran #shivkathainhindi - 


 नमस्कार मित्रों राधे-राधे आपका हमारे चैनल में हार्दिक अभिनंदन है मित्रों आज मनुष्य पगपग पर अनेकों दुष्कर्म और पाप करता है फिर वह चाहे पाप मन से हो या वाणी से या फिर शरीर द्वारा ही क्यों ना हो इसलिए हमें अपने कई जन्मों में किए गए पाप को नष्ट करने का प्रयत्न करना चाहिए इसलिए हम आपको आज एक ऐसी राजा मित्र सह की कथा सुनाने वाले हैं जिन्होंने अनजाने में किए हुए पाप से ही कितना कष्ट सहन करना पड़ा और अंत में महाबलेश्वर शिवलिंग की कृपा से उन्होंने शिवलोक को प्राप्त किया तो चलिए कथा शुरू करते हैं मित्रों पूर्व काल की बात है एक

(00:36) बहुत ही धार्मिक और श्रेष्ठ धनुर्धर राजा मित्र सह थे और उनकी एक पत्नी थी मद्यं अ व भी बहुत ही धर्म निष्ठ थी एक बार राजा शिकार के लिए अपने मित्रों के साथ वन में गए वहां उन्होंने ऋषियों को परेशान करते हुए कुछ दुष्ट राक्षसों को देखा उनमें कमठ नाम का राक्षस मुख्य था तभी उन्होंने कमटकेरला जिससे कि सभी ऋषियों और साधुओं का दुख दूर हुआ परंतु उस कमठ नामक राक्षस का एक छोटा भाई था जो कि अपने भाई की मृत्यु को देखकर बहुत ही क्रोधित हुआ और उसने राजा को छल से ही मारने का मन में निश्चय कर लिया और कपट रूप धारण करके राजा का रसोइया बन गया और राजा ने भी उसे बिना

(01:16) सोचे समझे ही अपने रसोय का अध्यक्ष बना दिया तभी एक दिन मुनि वशिष्ठ राजा मित्र सेह के घर आए क्योंकि राजा ने उन्हें अपने पिता के श्राद्ध के लिए आमंत्रित किया था इस तरह जैसे ही उस रसोइए ने उन्हें भोजन परसा मुनि वशिष्ठ ने भोजन को देख कर के ही समझ लिया कि इसमें मांस मिला हुआ है और उस मांस वाले भोजन को देखते हुए वो क्रोधित हो गए और राजस से कहने लगे कि हे राजन तुमने मुझे मांस वाला भोजन परसा है इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम अभी के अभी राक्षस हो जाओगे परंतु कुछ देर बाद ही उन्होंने यह विचार कर देखा कि यह नीच कर्म

(01:50) तो उनके घर के रसोइए का है तो राजा के श्राप की अवधि उन्होंने 12 वर्ष कर दी यह सब देखकर राजा मित्र शह को भी गुरु वशिष्ठ पर क्रोध आ गया और उन्होंने भी इस श्राप को अनुचित जानकर क्रोध से भरकर अपने हाथ में जल लेकर उन्हें भी श्राप देने के लिए उद्धत हुए परंतु उनकी पत्नी धर्म चारणी थी इसलिए उसने राजा को श्राप देने से रोक दिया तब राजा ने भी अपनी पत्नी का आदर करते हुए वह जल अपने पैरों पर गिरा लिया जिससे कि उसके पैर काले पड़ गए उसी समय से वह राजा जल के प्रभाव से इस लोक में कलमास पाद नाम से प्रसिद्ध हुआ इसके कुछ ही देर बाद वह राजा हिंसक राक्षस में बदल गया और

(02:29) वन में घूमने लगा अनेक जंतुओं और मनुष्यों का भक्षण करने लगा एक दिन उसने नौ विवाहित मुनि दंपति को देखा और उसने उस किशोर मुनि पुत्र को पकड़ लिया उसकी पत्नी रो-रोकर दीन वचन बोलते हुए प्रार्थना करती रही परंतु फिर भी उसने उसे नहीं छोड़ा और उसकी पत्नी की आंखों के सामने ही उस राक्षस रूपी राजा ने उसके पति का सिर उखाड़कर खा लिया तभी वह दुखी और दीन साधवी स्त्री विलाप करते हुए अपने पति के मृत शरीर को हाथ में लिए चिता का निर्माण करने लगी और उस राक्षस रूपी राजा को को श्राप देते हुए कहती है कि यदि आज के बाद तुमने किसी भी स्त्री के साथ समागम करोगे तो तुम्हारी

(03:07) उसी क्षण मृत्यु हो जाएगी ऐसा कहकर वह सातवी चिता की अग्नि में प्रवेश कर गई फिर कुछ समय बीता और समय पूर्ण हो जाने पर राजा अपने पूर्ण रूप में आ गया और प्रसन्न होकर अपने घर की ओर चल दिया फिर जब वह अपनी पत्नी से प्रसन्नता पूर्वक समागम करने चला तभी उसकी पत्नी ने उसे वैद्य के डर से रोक दिया इस तरह उस राजा की कोई संतान भी नहीं हुई और वह दुखी रहने लगा और इस तरह वह सब कुछ त्यागकर वन की ओर चला गया परंतु ब्राह्मण पुत्र को मारने से ब्रह्म हत्या उसके पीछे लग गई थी जिसके कारण वह और दुखी रहने लगा उस ब्रह्म हत्या के पाप से छूटने के लिए राजा ने अनेकों जप

(03:42) तप होम और तीर्थ सेवन किए परंतु फिर भी ब्रह्म हत्या के पाप से उसका पीछा ना छूटा अंत में राजा मिथिलापुरी चला गया और वहां उसे गौतम मुनि के दर्शन हुए उस राजा ने उन मुनि का खूब पूजन सत्कार आदर सम्मान किया और अपना सारा दुख उनके सामने व्यक्त किया जिसे सुनकर गौतम ऋषि कहते हैं कि हे राजन तुम अपना भय त्याग दो क्योंकि सब पर शासन करने वाले भगवान शिव के रहते कोई दुखी कैसे रह सकता है अतः तुम गोंक नामक प्रसिद्ध शिव क्षेत्र में जाओ जहां भगवान शंकर स्वयं महाबल के नाम से विराजमान है वहां बड़े से बड़े पाप भी टिक नहीं सकते अतः वहां जाकर तुम गोंक क्षेत्र के सभी

(04:20) तीर्थों में स्नान कर महाबलेश्वर शिवलिंग की भली बाती पूजन करो जिससे कि तुम्हारे सभी पाप छूट जाएंगे और तुम शिवलोक को प्राप्त करोगे इस इधर राजा मित्र सेह ने गौतम मुनि के कहे अनुसार महाबलेश्वर शिवलिंग की पूजन और कंकड़ तीर्थों में स्नान कर अपने पापों से निवृत्ति पाई और अंत में भगवान शिव की कृपा से शिवलोक को प्राप्त किया तो मित्रों यह तो थी भगवान शिव की एक छोटी सी कथा उम्मीद करती हूं कि आपको यह कथा पसंद आई होगी अगर वीडियो पसंद आए तो लाइक जरूर कीजिए ऐसे ही और भी कथाओं को सुनते रहने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लें जिससे कि हमारी

(04:56) वीडियो की नोटिफिकेशन आपके पास सबसे पहले जाए कमेंट सेक् में राधे राधे या फिर जय महाकाल लिखना बिल्कुल ना भूले मिलते हैं और भी वीडियो के साथ नमस्कार राधे राधे जय महाकाल [संगीत]


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.