लक्ष्मी माँ का जादुई घड़ा | Jadui Ghada | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Stories -

 लक्ष्मी माँ का जादुई घड़ा | Jadui Ghada | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Stories - 


रामपुर गांव में रहने वाला गिरीश कई दोनों से काफी बीमा चल रहा था उसकी तबीयत देख उसकी पत्नी सविता पता नहीं यह खांसी कब जाएगी डर मुर्गा भी पाक नहीं और सुनते हुए पहले

(01:31) ही पहुंच गए नई-नई तरह मैं रसेदार मुर्गा लेने नहीं आई तो फिर क्या लेने आई हो तुम तो जानती हो तुम्हारी जेठ जी कई दोनों से बिस्तर पर बीमा पड़े हैं आज उनका चावल खाने का बड़ा मां है लेकिन अभी वह कम पर नहीं जा का रहे तो घर घर चलने में बड़ी दिक्कत हो रही है अगर तुम मुझे एक कटोरी चावल उधर दे देती तो तुम्हारी बड़ी मेहरबानी होती जैसे की मैंने और मेरे पति ने तो सब भूखे नंगे लोगों के लिए लंगर रखा कर रखा है की जिसको जो चाहिए ले लो ऐसा मत कहो तारा आप मेरी बात कान खोल कर सुन लो तुम जैसे भिखारी के साथ हमारा कोई रिश्ता नहीं है

(02:08) चल अब निकालो यहां से वरना मुझे और भी तरीके आते हैं निकालना से वहां से चली आई है और घर आकर लक्ष्मी मां की मूर्ति के आगे हाथ जोड़कर कहती है पर तुम्हें भी क्या दोस्त तुम मेरा नसीब ही ऐसा है लेकिन मेरे नसीब की सजा मेरे पति को मत देना उनके लिए मुझे थोड़ी सी चावल दे दे मां अगर आज मैं अपने बीमा पति को चावल नहीं मिला पी तो मैं तो शर्म से मा जाऊंगी मां हम पर दया करो मां दया करो दूसरी तरफ तारों और उसका पति विजेंद्र बड़े ही मजे से रसेदार चिकन और चावल का आनंद उठा रहे होते हैं मजेदार मुर्गा बनाया भैया मजा ए गया तुम्हारे हाथों में तो जादू है चलो ऐसी

(03:02) बात पर इनाम के तोर पर मैं तुम्हारे लिए सोनी के कंगन बावा दूंगा ठीक है तो रोज ही कटोरा लेकर चली आएगी [संगीत] [संगीत] अरे क्या मैंने कोई सपना देखा या सच में अरे यह क्या यह तो वही जादू घड़ा है जिसके बड़े में लक्ष्मी मैन बताया था इसके बाद सविता उसे छोटे से जादू खड़े को उल्टा

(04:06) करती है तो उसमें से छोटे-छोटे सोनी के सिक्के निकलते हैं वो उन्हें लेकर गांव के सुंदर के पास जाति है काका जरा आप देखेंगे की ये क्या है अरे ये तो छोटे-छोटे सोनी के सिक्के हैं लेकिन यह तुम्हें कहां से मिले बस समझ लीजिए की ऊपर वाले की कृपा मुझमें पर बरसी है की आप इसके बदले मुझे थोड़े से पैसे दे देंगे चावल के लिए चावल खरीद कर ले जाति है और अपने पति के लिए दाल चावल पकाती है खाने की खुशबू जब तारा के घर में आई है तो वह जाकर उसकी खिड़की से झांक कर देखते है एन लक्ष्मी माता आपकी कृपा से आज कितने दोनों बाद मेरे घर पर चावल बने हैं आपने

(05:00) जो मुझे जादू घड़ा दिया था उसकी मैं कल से खूब पूजा करूंगी की मां तो यह सर राज उसे जादू खड़े का है अब तो वो मुझे चुराना ही पड़ेगा सविता गिरीश के लिए दाल चावल लेकर उसे खिलौने उसके कमरे में जाति है तब तक तारा चुपके से मंदिर से वो जादू घड़ा चूड़ा कर ले जाति है इतनी सी घड़ी से इतनी साड़ी चावल आखिर निकलेंगे कैसे कुछ भी समझ नहीं ए रहा [संगीत] है जो उनको लक्ष्मी मनी दिया है वह वह अब तो हमारे भाग खुला गए हमारे दिन ही बादल गए विजेंद्र उन सोनी के बिस्किट्स के देर को एक बैग में भर लेट है जो इसे खरीद सके तुम तो इसे शेर ले जाकर

(06:08) बेचैन विजेंद्र वह बैग ले जाकर शहर पहुंच जाता है और एक बड़ी सी ज्वेलरी शॉप में चला जाता है क्या वो मैं वो मैं जल्दी बता दरअसल मेरे पास सोनी के कुछ बिस्कुट है की आप उसे खरीदेंगे दिखाओ तो सही तो हैरान र जाता है माल तो बिल्कुल चोखा है लेकिन अपनी दुकान में इतना कैश अभी नहीं है तो एक कम करो तुम यही पर इंतजार करो मैं अभी कैश लेकर आता हूं कुछ डर बाद सुना और पुलिस के साथ दुकान में वापस आता है वह देखिए सोनी के बिस्कुट से भारत बैग तेरे पास इतना सोना कहां से आया नहीं बल्कि यह तो लक्ष्मी मां का तोहफा है अच्छा लक्ष्मी मां का तोहफा मैं किस

(07:03) बेवकूफ बना रहा है तू चल तेरी साड़ी अकल ठिकाने ए जाएगी चल पुलिस विजेंद्र को गिरफ्तार करके उसके गांव जाति है और तारों को भी गिरफ्तार कर लेती है और कहते हो लक्ष्मी मां ने तोहफे में दिया है अभी तुम्हारी अक्ल ठिकाने आएगी खड़ा देवरानी और देवरा जी ने चूड़ा तो नहीं लिया सविता उनके घर जाकर देखते है तो वह जादू घड़ा उसकी देवरानी के घर में रखा होता है सविता उसे जादू खड़े को उठाकर नदी में ले जाकर भा देती है मुझे माफ कर दीजिए लक्ष्मी मां मैं इस जादू खड़े को अब अपने पास और नहीं रख शक्ति मां इसे देख कर सबको लालच ए जाता है क्षमा कीजिए

(07:55) तुम्हारी ईमानदारी से मैं प्रश्न हुई मैं तुम्हें आशीर्वाद देती हूं की तुम्हें कभी किसी भी चीज की कमी नहीं होगी आपकी मुझमें गरीब पर इतनी कृपा आपका बहुत बहुत शुक्रिया मां आपका बहुत-बहुत शुक्रिया इसके बाद गिरीश भी पुरी तरह स्वस्थ हो जाता है और उसे एक अच्छी नौकरी मिल जाति है लक्ष्मी मां अपने आशीर्वाद से उनका घर धन-धानी से भर देती है अब उनके पास खुद का बड़ा घर था गाड़ी थी और सभी सुख सुविधा थी [संगीत] एक समय की बात है मोहनपुर नमक गांव में सदानंद नाम का एक गरीब ब्राह्मण राहत था वह स्वभाव से बहुत धर्म कर्म और पूजा पाठ

(08:39) करने वाला था ब्राह्मण नियम से रोजाना सुबह पीपल के पेड़ पर जल चढ़ता था इस पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास था एक दिन ब्राह्मण की पूजा से प्रश्न होकर मां लक्ष्मी ने एक लड़की का रूप धरण किया और पीपल में से निकालकर उसे ब्राह्मण के पास आई तुम कौन हो बेटी तुमने मुझे पिता कहा है मैं आपको रोजाना यहां पीपल पर जल चढ़ते हुए पूजा करते देखते हूं इसलिए मैंने आपको अपना पिता कहा है पिताजी या मैं भी आपके साथ आपके घर चलूं किया है अगर मैं इसे अपने घर ले गया तो खिलाऊंगा क्या हम तो रुख सुख का लेते हैं और यह बेचारी रूखा-सुखा कैसे का पाएंगे

(09:20) कुछ नहीं बोला और वापस घर लोट आया अब ब्राह्मण जब भी पीपल पर जल चढ़ाने जाता तो ऐसा हर रोज होने लगा इसी चिंता में ब्राह्मण बहुत कमजोर हो गया उसका मां आशा खाने लगा एक दिन ब्राह्मण की पत्नी उससे बोली सुनो जी क्या बात है आप कुछ दोनों से अशांत और दुखी दिखाई दे रहे हो मैं आपकी इतनी सेवा करती हूं फिर भी आप इतने कमजोर क्यों होते जा रहे हो इसका क्या करण है आपको कौन सी चिंता सटा रही है मुझे कहिए शायद मैं आपकी कोई सहायता कर सुकून यशोदा कुछ दोनों से मैं जब भी पीपल पर जल चढ़ाने जाता हूं उसे पीपल में से एक लड़की निकाल कर आई है और मुझे बड़े प्रेम से पिताजी का

(09:55) कर बुलाती है और रोजाना मेरे साथ आने की बात कहती है अब तुम ही बताओ हम उसे कन्या को क्या खिलाएंगे और उसकी क्या सेवा करेंगे तो इसमें चिंता की क्या बात है जहां हमारी 6 लड़कियां हैं वहां एक और सही और उसने आपको पिता कहा है अब वो हमारे यहां आएगी तो अपना भाग्य साथ लेकर आएगी इसलिए उसे कल अपने साथ ले आना अगले दिन जब कन्या रूप में मां लक्ष्मी ने ब्राह्मण को घर साथ चलने के लिए कहा तो वो लड़की को अपने साथ घर ले आया जी दिन से ब्राह्मण उसे लड़की को घर लाया इस दिन से उसके दिन बदलने लगे यशोदा तुम्हें पता है जहां रोज मुझे एक या दो कटोरी आता मिलता था आज मुझे

(10:31) बोरी भरकर आता चावल मिले यशोदा मुझे तो लगता है कमल हमारे लिए देवी लक्ष्मी का रूप बनकर आई है वैसे हमारी सब बिटिया बाहर खेल रही हैं पर कमल बिटिया कहां है जबरदस्ती खुद खाना बनाने चली गई है मैंने तो उसे कहा की तू अभी बहुत छोटी है तेरा हाथ जल जाएगा पर वो नहीं मनी हम सबके लिए भजन बना रही है फिर तुम्हें जल्दी से हाथ मुंह दो लेट हूं इत्य के हाथ का ग्राम ग्राम भजन खाऊंगा कन्या ने गोदने के लिए आता निकाला तो आते की बारात अपने आप भर गए वो कन्या जी किसी चीज को हाथ लगती वो दुखनी हो जाति कन्या रूपी देवी लक्ष्मी ने कई प्रकार के भजन

(11:07) बना दिए सभी ने उसे दिन भर पेट भजन किया तुमने तो बहुत ही स्वादिष्ट भजन बनाया है थोड़ी डर बाद ब्राह्मणी का भाई मिलने गया आप अचानक थोड़ा जरूरी कम था सोचा तुमसे मिलता चलो तुम बैठो ना तुम्हारे लिए पानी लाती हूं बहुत जोरो के भूख लगी है कुछ खाने को हो तो वह भी लेती आना सब तो भजन कर चुके हैं अब मैं ज्ञान भैया को क्या खिलाऊंगी मां क्या हुआ उन्होंने खुद से भजन की इच्छा जताई है आप चिंता मत करो मैं कुछ करती हूं रसोई में गई और अपने मामा के लिए स्वादिष्ट भजन बना ले उन्होंने खुशी-खुशी भजन किया शाम हुई तो कमल ब्राह्मणी से बोली मां आप दिया जलाकर यही कोठरी में रख

(12:00) दो आज मैं यही सोंगी पर कमल बेटी तू अभी बहुत छोटी है यहां अकेले कैसे सो पाएगी तू डर गई तो मां आप चिंता मत करो मैं नहीं डरूंगी यू शो डी को समझकर कमल बनी लक्ष्मी मां कोठारी में ही सो गए आदि रात को कन्या के रूप में मां लक्ष्मी और कोठरी में चारों और देखने लगी और देखते ही देखते कोठरी में धन दौलत और अनाज के भंडार भर गए मां लक्ष्मी अपने देवी रूप में ए गई और वहां से जान लगी तभी ब्राह्मण ने उन्हें आवाज लगे कन्या के रूप में बेटी बन कर आई और मैं आपको पहचान भी नहीं सका है लक्ष्मी मां हम पर कृपा करो तुम दोनों ने तो मेरी बहुत सेवा की है और

(12:41) मैं तुम दोनों की सेवा से बहुत प्रश्न हूं तुम दिन रात पूजा पाठ में ध्यान लगाते हो मेरी पूजा करते हो सब का भला करते हो तुम्हारा स्वभाव बहुत ही दयालु है यह देखकर मुझे अपार प्रसन्नता हुई है मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ रहेगा और तुम्हारी जीवन में धर्म दौलत वैभव और शांति में वृद्धि होगी इतना का कर ध्यान हो गई और उसे दिन से ब्राह्मण के घर में सभी प्रकार के सुखों का वास हो गया [संगीत]


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