माँ लक्ष्मी माँ सरस्वती बनी नौकरानी | Maa Lakshmi Maa Saraswati | Hindi Kahani | Bhakti Kahan -

 माँ लक्ष्मी माँ सरस्वती बनी नौकरानी | Maa Lakshmi Maa Saraswati | Hindi Kahani | Bhakti Kahan - 



 श्याम अपनी पत्नी शोभा के साथ मोहनपुर नामक एक गांव में रहता था श्याम शुरू से ही मां लक्ष्मी का भक्त था तो वहीं शोभा शादी से पहले से ही मां सरस्वती की भक्त थी इसलिए उनके घर के मंदिर में मां लक्ष्मी और सरस्वती दोनों की ही तस्वीर थी माता रानी की भक्ति करना वह दोनों नहीं भूलते थे श्याम एक लकड़ हारा था जो कि लकड़ियां काटकर अपनी रोजी रोटी कमाता था उनकी शादी को ठ साल हो गए थे लेकिन अभी तक उन दोनों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई थी जिससे धीरे-धीरे शोभा की आस्था भगवान पर से उठती जा रही थी साथ ही वह अब काफी गुस्सैल स्वभाव की भी हो गई थी जबकि

(00:55) श्याम अभी भी मां पर पूरा विश्वास रखता और दिन रात मां लक्ष्मी और सरस्वती की ही आराधना करता हे मां चाहे कितने भी दुख और परेशानियां आए मुझे पता है आप मेरे साथ हो तो मुझे किसी भी बात की कोई चिंता नहीं तुम्हें क्यों चिंता होगी तुम तो सुबह निकल जाते हो रात को दो पैसे कमाकर घर लौटते हो पीछे से तो मैं परेशान होती हूं ना पूरा दिन घर के काम निपटा रहो अच्छा अब गुस्सा मत कर गुस्सा करना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता अपनी सारी परेशानियां मां को सौंप दे देखना वह पल भर में सारे दुख दूर कर देती हैं अभी तक तो कोई दुख दूर नहीं किया कल भी गरीबी में जी रहे थे आज

(01:33) भी गरीबी में जी रहे हैं पता नहीं तुम्हारा विश्वास क्यों उन पर बना रहता है मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता मैं तो बस तुम्हारे कहने पर थोड़ी बहुत पूजा पाठ कर लेती हूं नहीं तो मेरा तो मन ही उठ गया इस पूजा पाठ से एक तो पहले ही गरीबी से परेशान है ऊपर से तुम जानते हो हमारी शादी को ठ साल पूरे हो जाएंगे पर अभी तक हमें संतान सुख भी प्राप्त नहीं हुआ मुझे तो लगता है सारी परेशानियां हमारे ही जीवन में लिखी है शुभा आज तुम्हें भगवान पर विश्वास नहीं हो रहा है पर देखना एक दिन तुम खुद की शक्ति को जान जाओगी शोभा भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं अच्छा मैं काम

(02:04) पर जा रहा हूं श्याम काम पर चला जाता है पर धीरे-धीरे शाम को मजदूरी का काम मिलना कम हो गया घर में बहुत परेशानियां आ गई फिर एक शाम जब श्याम घर आया तो शोभा से बोला शोभा यहां तो मुझे कोई भी काम नहीं मिल रहा था बड़ी मुश्किल से सूरज के साथ दूसरे गांव में 10-15 दिन के लिए काम मिला है अब मैं यही सोच रहा हूं कि चला ही जाता हूं थोड़े पैसे आ जाएंगे तो घर की हालत में सुधार हो जाएगा पर तुम अकेली रह पाओगी अरे कोई बात नहीं अकेले रहने में क्या ही परेशानी है काम भी तो करना है ना पैसे नहीं कमाओगे तो घर कैसे चलेगा तुम मेरी चिंता मत करो तुम आराम से जाओ अच्छा तुम

(02:38) बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने का बना लेती हूं शोभा रसोई में खाना बनाने लगी अचानक जमीन पर गिरे पानी पर उसका पैर फिसल गया और वह बहुत तेज गिर गई शोभा दर्द से चिल्ला उठी यह क्या हो गया श्याम शोभा को बिस्तर पर लिटा देता है और पड़ोस में रहने वाले वैद्य जी को बुलाकर लाता है शाम बेटा शुभा के पैर का मांस फट गया है जिसको ठीक होने में कम से कम एक महीना लगेगा अब सब कुछ कैसे होगा मैया शुभ तो चल फिर भी नहीं सकती चिंता मत करो मैं ठीक हूं तुम काम पर चले जाओ नहीं तो बहुत परेशानी हो जाएगी तुम्हें इस हालत में अकेला छोड़कर मैं

(03:14) कैसे चला जाऊं मुझे तुम्हारी चिंता होती रहेगी मैं सूरज को मना कर देता हूं नहीं नहीं सूरज भैया को मना मत करना बड़ी मुश्किल से वैसे ही तुमको यह काम मिला है अगर तुम नहीं गए तो तुम जानते हो अगले कुछ दिनों तक मजदूरी के बिना गुजारा करना बहुत मुश्किल हो जाएगा और फिर कुछ दिन की तो बात है मैं किसी ना किसी तरह गुजारा कर लूंगी ठीक है मैं जल्दी लौट आऊंगा तुम अपना ख्याल रखना हे देवी मैया मैं शोभा को आपके भरोसे छोड़कर जा रहा हूं मेरी पत्नी शोभा का ख्याल रखना मां उसके साथ रहना उसकी रक्षा करना फिर एक दिन बाद शाम दूसरे गांव में लकड़ियां काटने चला जाता है

(03:49) लेकिन पीछे से उसे अपनी पत्नी की चिंता सताई जा रही थी और वह रास्ते भर मां लक्ष्मी और सरस्वती से प्रार्थना करते हुए जा रहा था उसके जाते ही उसके घर पर दो लड़कियां आती हैं शोभा बिस्तर पर लेठी हुई थी वह बड़ी मुश्किल से दरवाजा खोलती है कौन हो  तुम किससे मिलना है मेरा नाम विजय लक्ष्मी है और इसका नाम विद्या है हम दोनों बहने हैं श्याम भैया ने हमें आपकी सेवा करने के लिए भेजा है वह सूरज भैया है ना हम उनकी साली हैं हां हम कल ही गांव से आई हैं श्याम भैया ने कहा है कि जब तक हम लौटकर नहीं आते तब तक हम दोनों आपकी सेवा करें अच्छा तुम्हें भेजा है कितना ख ख्याल

(04:30) रखते हैं यह मेरा अब आप चिंता मत करो आप बस आराम करो अब से घर के सारे काम और आपकी देखभाल मैं करूंगी आपके पैर में चोट लगी है ना मुझे श्याम भैया ने सब बता दिया अब आप आराम से बैठो मैं आपके लिए गरम गरम खाना बनाकर लाती हूं पर घर में तो कुछ भी खाने का नहीं है तुम मेरे लिए क्या बनाओगी आप चिंता मत कीजिए श्याम भैया ने हमें सामान खरीद कर बिचवा दिया है वह हमने दरवाजे पर रख दिया है मैं अभी लेकर आती हूं शोभा पहचान मान ही नहीं पाई कि उसके घर में तो साक्षात माँ लक्ष्मी माँ सरस्वती  शोभाकी सेवा के लिए आ चुकी थी मा ने चमत्कार से पूरे घर को अन्न और धन से

(05:07) भर दिया देवी मां में शोभा की खूब सेवा करती थी देवी मां शोभा के पैर में औषधि का लेप लगाती तो शोभा के पैर के दर्द को आराम मिलता तुम दोनों के आ जाने से मुझे बहुत आराम मिला है तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो तुम्हारी सेवा से मेरा पैर बिल्कुल ठीक हो गया पर अब तुम वापस जा रही हो यह सुनकर मेरा मन बहुत दुखी है कुछ दिन और ठहर जाती अब हम दोनों को जाना होगा कल शाम भैया भी आ जाएंगे यहां रुके हुए हमें बहुत दिन हो गए अब हम दोनों को वापस जाना होगा देखो अब तो आप पूरी तरह ठीक भी हो गई हो लेकिन जाने से पहले हम आपको कुछ देना चाहती

(05:46) हैं यह लो यह नारियल नारियल यह किस लिए यह नारियल अ इसे तोड़कर आप खा लेना देखना अगले नौ माह के बाद आपके घर में एक बहुत ही सुंदर प्यारा बालक जन्म लेगा सचमुच तुम कितनी अच्छी हो ऐसा लगता है कि तुम्हें हमारी सारी दुख तकलीफ पता है मैं इस नारियल को जरूर खाऊंगी इसके बाद वह दोनों वहां से वापस लौट जाती हैं तभी श्याम और सूरज आ गए शोभा ने श्याम से भवानी के बारे में बात की तो वह हैरान रह गया सूरज की तो कोई साली थी ही नहीं शाम को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था मैंने तो किसी को नहीं भेजा शुभा तुम्हारा पैर तो बिल्कुल ठीक हो गया वैद्य जी ने तो

(06:26) कहा था कि काफी समय लगेगा विजयलक्ष्मी और ने मेरे पैर की खूब मालिश की मरहम लगाया जिससे मेरे पैर का दर्द बिल्कुल ठीक हो गया अगर उसे आपने नहीं भेजा तो फिर किसने भेजा वो तो अपने साथ बहुत सारा सामान भी लाई थी देखो भंडार घर में बहुत सारा सामान पड़ा है शोभा श्याम को भंडार घर में लेकर जाती है वो दोनों चौक जाते हैं भंडार घर में अन्न और धन भरा हुआ था वहां धरती पर उन दोनों देवियों के चरणों के निशान छपे हुए थे साथ ही उनके पास कमल के फूल और छोटी सी वीणा रखी होती है उसकी आंखों से आंसू की धारा बह जाती है है और वह उन चरणों पर माथा टेक कर खूब रोता है शोभा भी

(07:03) अब तक सब कुछ समझ गई थी शोभा मां स्वयं हमारे घर आई थी उन्होंने तुम्हारी सेवा की इस घर को अन्न धन से भर दिया हे मैया मुझे आपके दर्शनों का सौभाग्य नहीं प्राप्त हो सका मुझे उनके दर्शन हुए पर मैं उन्हें पहचान नहीं पाई मैंने तो उनसे अपनी सेवा करवाई सारे घर का काम करवाया हे माका मेरी भूल को क्षमा कर देना आपने हमारे लिए इतना कुछ किया और मैंने कभी आपकी ठीक से पूजा तक नहीं की आपकी महिमा अपरंपार है मैया शोभा और श्याम साथ में मां दुर्गा और मां सरस्वती के मंदिर जाते हैं अब श्याम और शोभा की जिंदगी में सब कुछ था मां लक्ष्मी और सरस्वती के आशीर्वाद से उसके घर में अब किसी भी चीज

(07:42) की कोई कमी नहीं थी मां लक्ष्मी और मां सरस्वती का नाम लेकर शोभा ने उस नारियल को खाया जिसके फल स्वरूप नौ महीने के पश्चात उसके घर में बहुत ही सुंदर बालक का जन्म हुआ जो कि बहुत ही तेज बुद्धि का था मां लक्ष्मी और सरस्वती की कृपा से उन दोनों की जिंदगी अब खुशियों से भर गई 



एक बार मां पार्वती कैलाश पर भ्रमण कर रही थी तभी उनकी नजर पृथ्वी लोक पर [संगीत] पड़ी सेठ जी यह माल गाड़ी में से उतार दिया है यह ले तेरे आज के कमाई के 00 पूरा दिन मेहनत करके सिर्फ यह 200 ई ही कमाई हुई है अब इसमें से 50 दूध के 50 सब्जी के बाकी बचे 100₹ जो पूरे तीन दिन

(08:41) चलाने हैं आ यह हो गए पूरे5 0,000 इन्हें तिजोरी में रख देता हूं नहीं भैया यह बहुत महंगी साड़ी है कोई सस्ती सी दिखा दो हां ये 50 वाली ठीक है भैया यह तीनों साड़ी पैक कर दो यह लो 5000 मां पार्वती गरीब और अमीर दोनों को देख रही थी आखिर जिसे जो चाहिए उसे मिलता नहीं और जिसके पास पहले से हो उसे और मिल जाता है इस प्रश्न का उत्तर तो महादेव ही दे सकते हैं धरती का यह नजारा देखकर मां पार्वती भगवान शंकर के पास जाती है महादेव मैंने देखा है कि धरती पर जो व्यक्ति पहले से ही गरीब और दुखी है उसे और ज्यादा दुख मिलता है और जो सुख में है

(09:30) आप उसे दुख नहीं देते ऐसा क्यों भगवन यह आपकी कौन सी लीला है देवी पार्वती इस बात का उत्तर जानने के लिए आपको हमारे साथ धरती पर चलकर वहां के प्राणियों का हालचाल जानना होगा वहीं इस प्रश्न का उत्तर आपको प्राप्त होगा भगवान शिव के कहे अनुसार कुछ समय बाद पार्वती उनके साथ मृत्युलोक में प्राणियों का हालचाल जानने के लिए चल पड़ी तभी रास्ते में उन्हें एक गरीब पति-पत्नी जाते दिखाई दिए उर्मिला कुछ समझ नहीं आ रहा हमारी गरीबी के दिन कब दूर होंगे वह चंदन ने फिर एक नई जमीन खरीद ली सबका भाग्य एक सा नहीं होता है जी उसके भाग्य में अमीर बनना लिखा है हमारे में नहीं

(10:24) भगवान की इच्छा होगी तो हम भी अमीर बन जाएंगे पता नहीं कौन से पिछले जन्मों के कर्मों की सजा भुगतनी पड़ रही है ना जाने कौन से बुरे पाप किए थे हे महादेव आप इन दोनों पति-पत्नी को कुछ ही पलों में अमीर बना सकते हैं मेरे कहने पर आप इन्हें अमीर बना दीजिए ये बेचारे कितने दुखी हैं देवी पार्वती इन दोनों के भाग्य में अभी अमीर बनना नहीं लिखा है महादेव जब हम इन्हें धन दे देंगे तो इनकी गरीबी दूर हो जाएगी फिर यह भी अमीर और सुखी हो जाएंगे कृपया करके आप इनकी मदद कीजिए प्रभु देवी पार्वती मैं तुम्हारी इच्छा अनुसार इन्हें धन प्रदान

(11:07) कर देता हूं पर उसका मिलना या ना मिलना कर्मों पर निर्भर करता है पार्वती जी के कहने पर भगवान शिव ने सोने की अशर्फी उस रास्ते में डाल दी पोटली से कुछ दूरी पर उर्मिला की नजर गुजरते हुए एक अंधे व्यक्ति पर पड़ी सुनो जी हम तो गरीब इसलिए दुखी हैं पर यह सामने व्यक्ति तो नेत्रहीन है एक बात समझ नहीं आई यह नेत्रहीन लोग कैसे जीवन व्यतीत करते होंगे हां बड़ी मुश्किल होती होगी उर्मिला इन बेचारे नेत्रहीन लोगों को चलो आज हम भी अंधों की तरह चलकर देखते हैं देखें यह कैसे जीवन जीते हैं उर्मिला और सूरज आंखें बंद कर एक दूजे का हाथ थामे चलने लगे सोने

(11:53) की अशर्फियां की पोटली रास्ते में ही पड़ी रह गई और वे दोनों करीब से गुजर गए भगवान शिव बोले देखा देवी पार्वती इनके भाग्य में अभी गरीबी ही लिखी है हम कुछ दिन धरती पर ही रहेंगे यहां मनुष्य रूप में रहकर मैं तुम्हारे मन की सभी शंकाओं को दूर करना चाहता हूं भगवान शिव और देवी पार्वती ने मनुष्य का रूप धारण किया और पति-पत्नी के रूप में एक गांव के पास डेरा जमाया शाम के समय देवी पार्वती भगवान शिव से बोली स्वामी मैं रसोई की तैयारी शुरू करती हूं यहां पृथ्वी लोक में यदि हम रहने आ ही चुके हैं तो हमें भोजन की भी व्यवस्था करनी होगी मैं चूल्हा बनाने की तैयारी

(12:41) करती हूं आप तब तक भोजन बनाने की सामग्री ले आइए मां पार्वती चूल्हा बनाने के लिए बाहर से ईट लेने गई चूल्हा बनाने के लिए मुझे ईटों की जरूरत है यह एक जरजर और टूटा मकान दिखाई दे रहा है इसकी ईट मेरे काम आ जाएंगी यही ले लेती हूं चूल्हा तो तैयार कर लिया महादेव आते ही होंगे अरे आप आ गए यह देखिए मैंने चूल्हा तैयार कर लिया पर आप खाली हाथ क्यों लौट आए स्वामी भोजन कैसे बनेगा देवी पार्वती अब सामग्री की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि जिस प्रश्न का उत्तर ढूंढने के लिए आप आई थी वो आपको स्वयं मिल गया मैं कुछ समझी नहीं स्वामी मेरे प्रश्न का उ

(13:29) मेरे समक्ष ही है हां देवी पार्वती आप यही जानना चाहती है ना कि इस पृथ्वी पर क्यों गरीब लोग ज्यादा परेशान होते रहते हैं अच्छा यह बताइए आप इस चूल्हे को बनाने के लिए टे कहां से लेकर आई हो प्रभु इस गांव में बहुत से ऐसे घर भी हैं जिनका रख रखाव सही ढंग से नहीं हो रहा है उन पुराने घरों की जरजर हो चुकी दीवारों में से मैं ईटी निकाल कर ले ले आई इसका मतलब जो घर पहले से खराब थे आपने उन्हें और खराब कर दिया जबकि आप मजबूत घरों की दीवारों से भी तो ईट ला सकती थी प्रभु जो घर अच्छे और सुंदर दिख रहे थे उस घर के लोगों ने अपने घरों

(14:18) का रखरखाव बहुत अच्छी तरह किया है ऐसे में उन सुंदर घरों को बिगाड़ना मुझे उचित नहीं लगा देवी पार्वती कुछ दिन पहले पूछे आपके प्रश्न का उत्तर भी यही है जिन लोगों ने अपने जीवन को अच्छे कर्मों से सुंदर बना रखा है उन्हें दुख कैसे हो सकता है इस संसार में हर मनुष्य अपने कर्मों का ही फल पाता है सबके पास सब कुछ नहीं होता मनुष्य के पिछले जन्मों का कर्म उसे इस जन्म में भुगतना ही पड़ता है और यदि वो अपने इस जन्म और आने वाले अन्य जन्मों को सुखी बनाना चाहता है तो हमें सदैव ही पुण्य कार्य करते रहना चाहिए ताकि हमारे कर्म उसमें जुड़ते रहे आपको ज्ञात है वो मार्ग

(15:18) में उस दिन एक नेत्रहीन व्यक्ति हां स्वामी मुझे ज्ञात है वो देखिए देवी पार्वती उसके पास धन दौलत ऐशो आराम की कोई कमी नहीं है परंतु उसकी आंखों का इलाज नामुमकिन है यह उसके पिछले जन्म के कर्मों से जुड़ा है उसने पिछले जन्म में जानबूझकर किसी निर्दोष की आंखों की रोशनी छीन ली थी इसलिए यह इस जन्म में नेत्रहीन हो गया पर इसके कुछ पुण्य कार्यों की वजह से यह अमीर बना और वह गरीब पति पत्नी स्वामी देवी वह दोनों पिछले जन्म में एक कंजूस अमीर सेठ सेठानी थे जो कभी भी कोई दान पुण्य नहीं करते थे इसलिए इस जन्म में उन्हें गरीबी और दुख मिला पर इन दोनों के अच्छे कर्म

(16:22) इनका आगे का जीवन सुखी बना सकते हैं इस पृथ्वी पर कोई मनुष्य पूरी तरह से सुखी नहीं है देवी हर मनुष्य के पास कोई ना कोई दुख और समस्या है मुझे उत्तर मिल गया है स्वामी इस पृथ्वी पर सुख पूर्वक जीवन यापन करने के लिए मनुष्य को अपने द्वारा अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि उसे उसके पिछले बुरे कर्मों का फल ना भुगतना पड़े और फिर अपने प्रश्नों का उत्तर पाकर देवी पार्वती भगवान शंकर के साथ में अपने रूप में आकर कैलाश लौट गई


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