गरीब मेहंदी वाली की तीज | Moral Stories Hindi | Hindi Stories | Kahani |


 गरीब मेहंदी वाली की तीज | Moral Stories Hindi | Hindi Stories | Kahani |



 यह देखो फिर से शुरू हो गई मैं तो परेशान हो गई हूं इस लड़की से क्या हुआ मां क्यों इतना गुस्सा कर रही हो गुस्सा ना करूं तो क्या करूं हां कब से आवाज लगा रही हूं लेकिन इन मैडम को एक बार में सुनाई कहां देता है ओहो मां आप ही देखो ना मैंने कितना सुंदर डिजाइन बनाया बस इसी में ध्यान लगा था मेरा शायद इसीलिए आपकी आवाज सु नहीं दी होगी अच्छा बताओ क्या काम है मैं यह बाद में पूरा कर लूंगी कुछ काम नहीं खाने की थाली कब से लगाकर रखी है अब महारानी को फुर्सत मिल गई हो तो चलकर खा लो अच्छा खाना खाना है अब आप शुरू करो मैं बस दो मिनट में आऊ हां हां पता है तेरे दो
(00:47) मिनट इतना कहकर हिना की मां सुमित्रा गुस्से में वहां से चली गई और फिर खाने की मेज पर अरे क्या हो गया इतने गुस्से में क्यों हो भाग्यवान अब आप ही समझा लीजिए अपनी लाडली को मेरी तो एक नहीं सुन हां तो क्या हो गया तुम पर ही तो गई है आपको मजाक सूच रहा है यहां मेरा दिमाग खराब हो रहा है सारा दिन बस मेहंदी के डिजाइन बनाती रहती है और कोई काम ही नहीं है इसे इसका मतलब वह सच में तुम पर ही गई है तुम्हें भी तो महंदी लगाने का बड़ा शौक था ना इस उम्र में हां पर मैं घर का सारा कामकाज निपटाने के बाद यह सब करती थी अरे यह तो खाना पना भी छोड़कर बैठी है
(01:25) सुमित्रा अपने पति सुरेश से हिना की शिकायतें कर ही रही थी कि तभी हिना वहां आ गई क्या बनाया मां खुशबू तो बड़ी अच्छी आ रही है मिल गई तुझे फुर्सत हां मां देखो ना मेरा आज का डिजाइन पापा देखिए ना कैसा है सच में डिजाइन तो वाकई बढ़िया बनाया है लाडू यह लाडू बोल बोल कर आपने ही इसका दिमाग खराब करके रखा है मेरी जान को कितना काम है पता है ती आ रही है मगर यह लड़की मेरी बिल्कुल मदद नहीं करती ओहो आज सिर्फ खरी खोटी ही सुनाओ गी या कुछ खाना भी मिले भाग्यवान सुरेश की बात सुनकर सुमित्रा की हंसी निकल गई और उसे हंसता देख सभी लोग हंसने लगे हिना अपने माता-पिता की अकेली
(02:09) संतान थी हिना को बचपन से ही मेहंदी के नए-नए डिजाइन बनाने का बड़ा शौक था वह कागज पर रोज कुछ ना कुछ नया बनाने की कोशिश करती और फिर उसे अपने या अपनी मां के हाथों पर लगाती हिना के कॉलेज की पढ़ाई भी अब पूरी हो गई थी तो अब उसके लिए रिश्ते आने भी शुरू हो गए थे अरे सुमित्रा कहां हो जल्दी आओ क्या हुआ जी जरा इस फोटो को तो देखो कैसा है लड़का हम दिखने में तो बहुत ही बढ़िया है हां वो कानपुर वाले फूफा जी है ना उन्होंने बताया इस लड़के के बारे में अपनी हिना के लिए कैसा रहेगा लड़का काम क्या करता है और परिवार में कौन-कौन है फूफा जी बता रहे थे कि कानपुर
(02:48) में इनका अपना कारखाना है वहां यह अपना दोने पत्तल और डिस्पोजल वगैरह बनाते हैं ये अच्छा पैसा कमा लेता है फूफा जी के रिश्तेदारी में है अ हां पर उससे पहले यह फोटो एक बार हिना को तो दिखा दो उसे लड़का पसंद आ जाए तभी बात आगे बढ़ानी चाहिए ना अरे हां यह भी सही कह रही हो लाडो ओ लाडो अरे कहां है बिटिया सुरेश ने फौरन जाकर कमल की फोटो हिना को दिखाई तो हिना को भी कमल पसंद आ गया उधर कमल को भी हिना पहली ही नजर में भा गई और इस तरह से कुछ ही दिनों में कमल और हिना की शादी खूब धूमधाम से हो गई शादी के बाद कमल और हिना अपनी गृहस्थ में बहुत खुश थे फिर एक शाम य क्या
(03:30) लिख रही हो ईना लिख नहीं रही हूं मेदी का डिजाइन बना रही हूं अच्छा पर कागज पर क्यों प्रैक्टिस तो रोज ही करनी होती है ना तो इसीलिए कागज पर डिजाइन बनाती हूं अच्छा अच्छा अ जरा दिखाओ तो सही अरे वाह ये ये डिजाइन क्या सच में तुमने बनाया है हां अच्छा है ना अब मैंने और भी बनाकर रखे हैं रुकिए मैं भी लेकर आती हूं हिना ने अपने बनाए सारे डिजाइंस कमल को दिखाए जो कमल को बहुत पसंद आए और उसने हिना की खूब तारीफ की सब कुछ अच्छा चल रहा था और ऐसे हंसी खुशी दिन बीत रहे थे लेकिन फिर एक सुबह हेलो क्या हुआ राठी जी इतनी सुबह सुबह फोन क्यों किया सर
(04:10) आप जल्दी से आ जाइए गजब हो गया अपनी फैक्ट्री में आग लग गई है सर सब कुछ सब कुछ जल गया सर कुछ भी नहीं बचा सर जल्दी आ जाइए आप फोन पर अपने मैनेजर की बात सुनकर कमल के पैरों तले जमीन खिसक गई फैक्ट्री पहुंचा तो देखा वाकई फैक्ट्री पूरी तरह से चल रही थी तभी एक जलती हुई बड़ी सी लकड़ी पर आ गिरी जिसकी वजह से वह बुरी तरह झुलस गया उसे फौरन अस्पताल पहुंचाया गया और यहां से सब कुछ बदल गया फैक्ट्री के काम को बढ़ाने के लिए कमल ने हाल ही में कई सारी नई मशीनें लोन पर खरीदी थी मशीनें तो नहीं बची लेकिन लोन चुकाने के चक्कर में पहले कमल की गाड़ी बिकी और फिर घर मजबूर
(04:50) होकर कमल और हिना किराए के मकान में रहने लगे थे फिलहाल कमल की हालत ऐसी नहीं थी कि वह कोई और काम कर सके ऐसे में हिना ने घर चलाने का जिम्मा उठाया और वह घर-घर जाकर औरतों के हाथों पर मेदी लगाने लगी हालांकि इस काम से उसे बहुत कम पैसे ही मिल पा रहे थे लेकिन हिना फिर भी पूरी मेहनत कर रही थी क्या से क्या हो गया ना हिना मैं किसी काम का नहीं रहा हम बर्बाद हो गए मैंने कहा था तुम्हें रानी बनाकर रखूंगा मगर मेरे रहते हुए भी तुम्हें कितना संघर्ष करना पड़ रहा है ऐसा क्यों कह रहे हैं आप आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए देखना धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा हिना चाहती थी
(05:28) कि वह अपना एक पार्लर खोले लेकिन फिलहाल यह मुमकिन नहीं था मेहंदी लगाने का काम भी सीजन पर ही मिल पाता था तो अब दिक्कत खाने पीने की भी होने लगी ऐसे में हिना ने एक सेठ के घर मेट का काम करना शुरू कर दिया और फिर एक दिन सुन तुझे कोई मेहंदी वाली पता है क्या क्यों मैडम अरे वो तीज आ रही है ना तो मेहंदी लगवानी थी आहा बाहर इतनी गर्मी है अब ऐसे में कौन बाहर जाए तो घर पर ही आकर कोई लगा दे तो बढ़िया रहेगा अब हां हां मैडम मैं बहुत अच्छी मेहंदी लगाती हूं आप मुझसे लगवा लो ना ना ना अगर खराब कर दी तो तीज की पार्टी है मेरे यहां मेदी
(06:04) तो बढ़िया ही लगवानी है मुझे मैडम आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए और रुकिए मैं अभी आपको कागज पर मेहंदी का डिजाइन बनाकर दिखाती हूं फिर आगे आप ही तय करना इतना कहकर हिना ने फौरन एक कागज लिया और कुछ ही देर में उस पर एक बहुत ही सुंदर मेहंदी का डिजाइन बना दिया और फिर अरे वाह यह तो सच में बहुत सुंदर है बिल्कुल नया और बहुत ही खूबसूरत डिजाइन है अब तू यह डिजाइन मेरे हाथ पर भी सेम टू सेम लगा देगी ना हां मैडम आप मुझ पर विश्वास कीजिए मैं बचपन से य करती आई हूं उस दिन हिना ने पूरे मन से अपनी मालकिन के दोनों हाथों पर मेहंदी लगाई हिना ने जो डिजाइन बनाया था
(06:40) वह एकदम नया था और सुंदर भी फिर अगले दिन नमस्ते साहब वह आपको कुछ हां हां मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था यह कल शिवानी के हाथों पर ही ने मेहंदी लगाई थी ना जी साहब मैंने ही लगाई थी अब कोई गलती हो गई क्या मुझसे अ नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है बस बस यह जानना था तुमसे कि मेहंदी का वो डिजाइन कहां से देखकर लगाया तुमने कहीं से नहीं साहब वो तो मैंने खुद से सोचा था मैं कभी कहीं से देखकर डिजाइन नहीं बनाती अच्छा अगर ऐसा है तो जरा यह कागज और जरा इस पर एक मोर की थीम पर बेस्ड एक डिजाइन बनाकर दिखाओ पर याद रहे डिजाइन बिल्कुल नया होना चाहिए जी साहब बस दो
(07:22) मिनट दीजिए हिना ने बस कुछ मिनटों के अंदर वो करके दिखा दिया जिसे देखकर उसका मालिक साहिल मल्होत्रा हैरान रह गया वाह सच में कमाल है ये तो अ तुमने डिजाइनिंग सीखी है क्या कहीं से नहीं साहब सीखी तो नहीं लेकिन मुझे बचपन से ही शौक है मेदी लगाने का तो बस इसीलिए हम समझ गया देखो हिना तुम्हारा हुनर लाजवाब है और तुम्हें अपने इस हुनर को ऐसे बेकार नहीं जाने देना चाहिए जी मतलब तुम्हें पता है ना मेरी फैक्ट्री में लेडीज कपड़ों के लिए कपड़ा बनता है लेकिन काफी समय से मैं परेशान हूं क्योंकि सूट साड़ियों वगैरह के लिए मेरे पास नए डिजाइंस की कमी पड़ गई है लेकिन अब
(08:01) लगता है यह कमी नहीं रहेगी बोलो बता और डिजाइनर मेरे लिए काम करोगी तुम जी साहब बिल्कुल करूंगी यह हिना के लिए सपने के सच होने जैसा था अब वह काम वाली बाई से एक डिजाइनर बन गई वह साहिल की फैक्ट्री में बनने वाले कपड़ों के लिए हर रोज नए-नए डिजाइंस बनाने लगी और इसके बाद साहिल के फैक्ट्री में बनने वाले कपड़े की डिमांड काफी बढ़ गई और इसके चलते हिना को भी उसके काम की बढ़िया सैलरी मिलने लगी हिना अब अपनी कमाई से ना स अपना घर खर्च चलाने लगी बल्कि उसने शहर के बढ़िया डॉक्टर से कमल का इलाज भी कराया जिससे कमल बहुत जल्दी ठीक हो गया और उसने भी काम करना शुरू कर
(08:38) दिया पर इस सब में पूरा एक साल बीत गया और एक बार फिर से तीज का त्यौहार आया देखिए तो कैसी लग रही हूं मैं बिल्कुल चांद जैसी लग रही हो हिना ने नई हरे रंग की साड़ी पहनी हुई थी जो उसने खुद डिजाइन की थी और वाकई वो उसमें बहुत ही सुंदर लग रही थी ना तुम सच में बहुत बहादुर हो मैं तो उस हादसे के बाद उठकर खड़ा नहीं हो पाता लेकिन तुमने सब कुछ ठीक कर दिया तीज का यह त्यौहार ही इसलिए है जी मैं आपको कभी कुछ नहीं होने दूंगी 



कावेरी मीरा ओ मीरा चल तो जल्दी से आटा गूद दे मैं फटाफट रोटियां सेक दूंगी नहीं मां मैं नहीं गूद पाऊंगी मैंने मेहंदी लगा ली
(09:21) है हाथ पर क्या सुबह सुबह तू फिर मेहंदी लगाकर बैठ गई बड़ी मक्कार है सच में काम में मदद ना करनी पड़े इसलिए जब देख मेहंदी लगाकर बैठ जाती है चल जल्दी से हाथ धोकर आ मेरे पास मुझे काम पर जाने के लिए देर हो रही है मां बस आज कर लो ना देखो ना मैंने कितनी मेहनत से कितना सुंदर डिजाइन बनाया है लेकिन जैसे ही उसकी नजर मीरा के हाथों पर पड़ती है उसका गुस्सा पल भर में गायब हो जाता है वो मीरा से कहती है अरे वाह मीरा तूने तो बड़ी सुंदर मेहंदी लगाई है हां मां वो शांति दीदी ने मुझे एक किताब दी थी कल उसमें बड़े सुंदर-सुंदर डिजाइन
(09:56) बने हैं बस उसी में से देखकर लगाई है मैंने सुंदर है ना हां बहुत सुंदर है अरे लेकिन मुझे तो ओफ हो फिर लगा लिया ना तूने बातों में पहले से ही देर हो रही है ऊपर से तू भी मेहंदी लगाकर महारानी जैसे बैठ गई है मां तुम इतना परेशान क्यों होती हो एक दो घंटे में जब मेरी मेहंदी सूख जाएगी तो मैं घर के सारे काम कर दूंगी मीरा की बात मानकर कावेरी काम पर चली जाती है वह एक बड़ी सोसाइटी के घरों में काम करती थी और इसी काम से कावेरी और मीरा का गुजारा चलता था कावेरी के पति की कई साल पहले एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी तब से कावेरी
(10:32) पर ही सारी जिम्मेदारी थी मीरा भी घर के कामों में उसका पूरा हाथ बटा द थी मीरा को मेहंदी लगाना बहुत पसंद था उसने अपने घर के पीछे मेहंदी के कई सारे पौधे लगा रखे थे जिनका वह बहुत ख्याल रखती थी वह अपने हाथों से मेहंदी के पत्तों को पीसकर अपने हाथों में लगाने के लिए तैयार करती थी फिर एक दिन मीरा हमें इस जगह पर थोड़ी मोड़ी खेती कर लेनी चाहिए यह मेहंदी के पौधों से कुछ कमाई थोड़े ही हो रही है खेती कर लेंगे तो कुछ पैसे ही बन जाएंगे नहीं मां मेरे मेहंदी के पौधों को हाथ भी मत लगाना बाजार से मेहंदी खरीदने के तो पैसे हैं नहीं हमारे पास अब इन्हें तो रहने दो यह
(11:11) कहते हुए मीरा की आंखों में आंसू थे कावेरी उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहती है मीरा मैं जानती हूं तुझे मेहंदी लगाना बहुत अच्छा लगता है लेकिन बेटा अपनी हालत तो तुझे पता ही है ना मैं कितनी मुश्किल से मां सब समझती हूं मैं जाओ कर लो जो करना है इतना कहकर रोते हुए वहां से चली जाती है कावेरी को उसके लिए बुरा लग रहा था व मीरा की मेहंदी के पौधों को कुछ नहीं करती ऐसे ही कई दिन गुजर जाते हैं ज्यादा काम करने की वजह से कावेरी की तबीयत खराब रहने लगी व बहुत जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने लगी तो मीरा ने उससे कहा मां तुम रहने दो तुम्हें बुखार है रात भर सोई नहीं हो मैं
(11:49) चली जाती हूं काम पर नहीं मीरा तू कैसे ना नहीं मैं ठीक हूं मैं जाती हूं कावेरी जैसे ही उठकर चलने की कोशिश करती है अचानक उसे चक्कर आ जाता है मीरा उसे सहारा देकर बिस्तर पर लिटा देती है और उससे कहती है बस मां अब तुम आराम करोगी और काम पर अब से मैं जाऊंगी कावेरी घर पर रहकर आराम तो कर रही थी लेकिन वास्तव में उसे अच्छे इलाज की भी जरूरत थी जिसके लिए पैसे थे नहीं दूसरी तरफ अब हर रोज मीरा काम पर जाती और लौटकर घर के भी सारे काम उसे ही करने पड़ते थे इस सब में उसे मेहंदी लगाने का बिल्कुल भी वक्त नहीं मिल पाता था मीरा कितने दिन हो गए तूने मेहंदी नहीं
(12:30) लगाई अह हां मां बस मन नहीं कर रहा अच्छा मेहंदी लगाने का तेरा मन नहीं मैं सब जानती हूं मैंने बिस्तर पकड़ लिया है और मेरी फूल सी बच्ची पर सारे काम पड़ गए हैं अब बस बहुत हो गया आराम मीरा जा तू जाकर मेहंदी लगा ले आज मैं जाऊंगी काम पर नहीं मां तुम कहीं नहीं जाओगी मैं कर लूंगी सब और मैं सच बोल रही हूं मैं बड़ी हो गई हूं यह मेहंदी वंदी का अब मुझे शौक नहीं इतना कहकर मीरा काम पर जाने के लिए घर से निकल जाती है कावेरी की आंखों में आंसू आ जाते हैं मीरा सोसाइटी के कई घरों में काम करती थी उन्हीं में से एक घर आरती का भी था
(13:10) उसके घर पर तीज का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था तीज की तैयारियों में मीरा भी मदद कर रही थी इसी बीच अरे ऐसे कैसे मैंने सारे रिश्तेदारों को बुला लिया है मेरी सारी फ्रेंड्स भी आने वाली हैं मैं क्या कहूंगी उन्हें फोन पर काफी देर बहस करने के बाद आरती फोन रख देती है उन्हें उदास देखकर मीरा उससे पूछती है क्या हुआ मैडम जी आप कुछ परेशान लग रहे हो हां मीरा बड़ी मुसीबत हो गई कल तीज का फंक्शन है मैंने सबको मेहंदी लगवाने के लिए यहीं बुला लिया है और आखिरी मौके पर यह पार्लर वाली धोखा दे गई कह रही है कल नहीं आ पाएगी अब क्या होगा इतनी जल्दी कौन तैयार
(13:44) होगा सबको मेहंदी लगाने के लिए अ मैडम जी वैसे मैं भी ठीक-ठाक मेहंदी लगा लेती हूं अरे हां कावेरी ने मुझे बताया तो था एक बार कि तुझे मेहंदी लगाने का बहुत शौक है वैसे मुझे तो कोई परेशानी नहीं है तू देख ले बेटा बहुत सारे हाथ लगा ने होंगे और मेहंदी बढ़िया लगनी चाहिए सबके आप बिल्कुल चिंता मत करिए मैडम जी मैं सब अच्छे से करूंगी बहुत दिनों बाद मीरा के चेहरे पर खुशी थी उसने घर पहुंचते ही मेहंदी के खूब सारे पत्ते तोड़कर पत्थर पर पीसना शुरू कर दिया यह देखकर कावेरी ने मीरा से कहा अरे मीरा शाम हो गई है अब मेहंदी मत लगा मौसम
(14:19) भी ठंडा है बेटा ये मेहंदी मैं अपने लिए नहीं पीस रही मां वो पांचवें फ्लोर वाली मैडम जी है ना कल उनके यहां लगानी है अच्छा बेटा पर ध्यान से बेटा वो बड़े लोग हैं कोई गलती ना हो जाए मां तुम बिल्कुल चिंता मत करो मेहंदी लगाने में मुझसे कभी कोई गलती हो ही नहीं सकती मीरा खूब सारी मेहंदी तैयार करके अगले दिन आरती के घर पहुंच जाती है वो अपनी मेहंदी को कोन में भरने लगती है कि तभी आरती की एक फ्रेंड आरती से आरती ये किसे बुला लिया तुमने मैंने जिस पार्लर का नंबर दिया था तुम्हें उससे बात नहीं हुई क्या हुई तो थी लेकिन उसने आखिरी वक्त पर मना कर दिया तुम
(14:54) बिल्कुल चिंता मत करो यह मीरा है मेरी हाउसमेड है ना कावेरी ये उसी की बे बेटी है बहुत अच्छी मेहंदी लगाती है ये ओफ आरती तुम भी ना पार्लर की बात अलग होती है उन लोग का मटेरियल ब्रांडेड होता है मेहंदी के रचने की गारंटी मिलती है वहां से और इसकी मेहंदी तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रही इस पर तो कोई लेवल तक नहीं है अगर कुछ गलत रिएक्शन हो गया हाथों पर तो आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए मैडम जी यह मेहंदी मैंने खुद पीस कर तैयार की है मेरे पास बहुत सारे मेहंदी के पौधे हैं इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है जो आपके हाथों को नुकसान दे ना भाई ना सॉरी आरती बट मैं अपने हाथों को
(15:30) लेकर कोई रिस्क नहीं ले सकती तुम सब लगवा हो मैं तो पार्लर जाकर ही लगवा हंगी इतना कहकर आरती की दोस्त शालिनी वहां से चली जाती है आरती मीरा को इशारा देकर काम शुरू करने को कहती है अरे वाह मानना पड़ेगा इस बच्ची ने कमाल की मेहंदी लगाई है मुझे तो नहीं लगता कि इस मेहंदी का वैसा रंग आएगा जैसा पार्लर वाली मेहंदी का आता है अब बस भी करो शालिनी मेहंदी कैसी रचेगी यह कल तक पता चल ही जाएगा ना बच्ची है वो उसे इस तरह डराओ तो तो मत अरे मुझे क्या मेरे घात कौन सा खराब होने वाले हैं तुम ही लोग लगवा हो और तुम ही भुगतना शालिनी गुस्से में वहां से
(16:07) चली जाती है उसे पूरा यकीन था कि मीरा की मेहंदी रचेगी नहीं साथ ही हाथों पर उसका गलत रिएक्शन भी हो सकता है लेकिन जो हुआ वो इससे बिल्कुल अलग था अगले दिन मीरा के घर पर अरे मैडम जी आप यहां आपने तो आज काम पर आने के लिए मना किया था ना मैं इसीलिए नहीं आई हां हां कल तुम कितना थक गई थी इसीलिए मैंने आने को मना किया मैं यहां तुम्हें काम पर बुलाने नहीं ब की किसी और काम से आई हूं अंदर नहीं बुलाओगी अरे माफ कीजिएगा मैडम जी आइए अंदर आइए आरती को देखकर कावेरी भी बिस्तर से उठकर खड़ी हो जाती है आरती के साथ उसकी दोस्त शालिनी भी थी मीरा उन दोनों को पानी देते हुए कहती
(16:42) है यह लीजिए मैडम जी मेहंदी तो ठीक से रची ना मैडम जी यह तुम्हें मैं नहीं शालिनी बताएगी फिर शालिनी अपने हाथ मीरा की तरफ बढ़ा देती है उसके हाथों पर कई जगह छाले पड़े हुए थे यह देखकर मीरा उससे कहती है अरे ये ये क्या हुआ मैडम जी मैंने तुमसे से मेहंदी नहीं लगवाई उल्टा तुम्हारा अपमान करती रही उसी की सजा मिली है मुझे मैंने सबसे महंगे वाले पार्लर में जाकर मेहंदी लगवाई मैंने उनसे जोर देकर कहा कि मेहंदी का रंग बहुत बढ़िया आना चाहिए इस चक्कर में उन्होंने पता नहीं क्या-क्या मिला दिया मेहंदी में और मेरे हाथों का यह हाल हो गया और दूसरी तरफ तुम्हारी मेहंदी
(17:16) जिसने भी लगवाई उसके हाथों की रंगत ही अलग है देखो आरती के हाथ देखो जरा आरती ने अपने हाथ आगे बढ़ा दिए जिन पर मीरा के हाथों से लगी मेहंदी का बहुत ही अच्छा रंग चढ़ा था फिर आरती कावेरी के पास जाकर उससे बोली बस कावेरी यह झाड़ू पोछा और बर्तन बहुत करवा लिए तुमने मीरा से यह अब वो करेगी जो इसे करना चाहिए जी क्या मतलब मैडम जी यह अब मेहंदी लगाएगी सबके हाथों पर हमारी एक दोस्त का अपना ब्यूटी पार्लर है उसे मीरा का काम और उसकी मेहंदी की क्वालिटी बहुत अच्छी लगी वो मीरा को अपने यहां काम देना चाहती है अच्छे पैसे भी देगी वोह मीरा को और तो और वहां रहकर मीरा
(17:53) पार्लर के दूसरे काम भी सीख पाएगी आरती की बात सुनकर कावेरी की आंखों में आंसू आ जाते हैं वह हाथ जोड़कर आरती का शुक्रिया अदा करती है मीरा भी बहुत खुश थी अब ना सिर्फ वह अपना मेहंदी लगाने का शौक पूरा कर सकती थी बल्कि अच्छे पैसे कमाकर अपनी मां का इलाज भी करवा सकती थी 



एक समय की बात है केशवपुर नामक गांव में सरला नाम की एक बूढ़ी विधवा औरत अपने बेटा बहू के साथ रहती थी सरला की बहू जया स्वभाव से बहुत बुरी थी वह रोजाना सरला से बात-बात पर लड़ती रहती थी ना का पति किशन शहर में मजदूरी करता था इसलिए वह कभी-कभी ही गांव आ पाता था किशन शहर से घर खर्चे
(18:38) के लिए पैसे भेजता तो दो लिफाफे भेजता एक अपनी मां के नाम और एक अपनी पत्नी के नाम पर जया सरला के पैसे भी अपने पास ही रख लेती थी ऐसे ही एक दिन यह सरला देवी और जया जी के नाम के मनी ऑर्डर है लाओ लाओ भैया जल्दी से मुझे दे दो यह सरला देवी के हस्ताक्षर करके ही उन्हें मिलेगा मांजी आराम कर रही है लाओ मैं अंगूठा लगवा कर लाती हूं ए बुढ़िया जल्दी से इस कागज पर अंगूठा लगा दे भैया मनी ऑर्डर मुझे दे दो जया सारे पैसे अपने पास रख लेती है और अपने और बेटे बिट्टू के लिए खाने पीने की चीजें खरीद लाती है मां बहुत भूख लगी है यह देख मैं तेरे लिए कितने सारे पकवान लाई
(19:17) हूं पूड़ी छोले समोसे कचौड़ी चल हम दोनों मिलकर खाते हैं मजा आ जाएगा जया बहू बहुत भूख लगी है सुबह से कुछ भी नहीं खाया है अगर अगर थोड़ा सा कुछ खाने को मिल जाता तो पता नहीं इस बुढ़िया को कितनी भूख लगती है जब देखो हम मां बेटे के खाने पर नजर लगाती रहती है यह ले पकड़ आधी कचौड़ी दे रही हूं अब रात तक कुछ खाने को नहीं मिलेगा और तुझे तो मैंने बोला था कि कपड़े धो देना तेरे से अभी तक कपड़े नहीं धुले यह कचौड़ी खाकर चुपचाप सारे कपड़े धो देना नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा बेचारी सरला कचौड़ी का एक टुकड़ा खाकर भला क्या पेट
(19:59) भरती वो फिर से दोबारा काम पर लग जाती है एक दिन किशन शहर से वापस आने वाला था जया को पता था कि जब किशन सरला से पूछेगा कि वह उसे पैसे बराबर भेजता है तो उसे मिलते हैं या नहीं यह बात सोचकर जया थोड़ा घबरा जाती है और वह सरला से कहती है ओ बुढ़िया अगर तूने अपने बेटे से कहा कि तुझे उसके भेजे हुए पैसे नहीं मिलते तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा वो तो एक दिन रहकर चले जाएंगे उसके बाप जो मैं तेरा हाल करूंगी ना फिर तू देखती रह जाएगी इसलिए अपने बेटे के सामने दुखड़े रोने की कोशिश मत करना नहीं बहू मैं मैं किशन को कुछ नहीं कहूंगी मां
(20:41) मैंने तुम्हें पैसे भेजे थे वो तुम्हें मिल गए थे ना अरे आप बिना कैसी बातें करते हो मां जी को मैं बराबर से पैसे देती रहती हूं मां जी ये लो गरम गरम पनीर के पकड़े आप भी खाओ किशन दो दिन रहकर शहर वापस चला जाता है जय फिर से अपने रूप में आ जाती है दिन भर सरला काम करके एक दिन चक्की से आटा पिसवा कर लौट रही थी अचानक उसे चक्कर आ जाते हैं रिक्शा में जाती एक लड़की देख लेती है भैया इन्ह उठाने में मेरी मदद करो बेचारी पता नहीं कौन है सुमन यह तेरे साथ कौन है यह रास्ते में बेहोश हो गई थी मैं इन्ह घर ले आई लगता है इन्ह होश आ गया है
(21:21) अब कैसा लग रहा है आपको मैं ठीक हूं बेटी तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटी मां जी आप इतनी भारी आटे की बोरी अकेली ही उठाकर ले जा रही थी आपके बच्चे या कोई सरला की आंखों में आंसू आ जाते हैं वो रो पड़ती है मां जी कोई परेशानी है तो आप हमसे कह सकते हो मुझे लग रहा है आप बहुत परेशानी में हो क्या करूं बेटी मैं इस जीवन से हार गई हूं सरला के दुख का घड़ा फूट जाता है और वह सारा दुख सुमन और बाकी लड़कियों को बताती है अब इस संसार में जीने की कोई इच्छा नहीं है मेरी मां जी ऐसा मत सोचिए आप जीवन से यूं निराश मत होइए अब आप अपनी बहू के पास वापस
(22:08) मत जाना आप यहां हमारे साथ रहो बेटी तुम बहुत अच्छी हो भगवान तुम्हारा भला करें तुम लोग यहां गांव में रहती हो क्या जी मां जी हम मेहंदी वाली हैं हम लोग मेहंदी लगाने का काम करती हैं और आसपास के गांव और शहरों में मेहंदी लगाने जाती हैं क्या मैं भी यह काम सीख सकती हूं क्यों नहीं बिल्कुल और यह तो बहुत अच्छी बात है हमारे ग्रुप में आप भी जुड़ जाओगे मैं आपको मेहंदी लगाना सिखाऊ सरला अब उन लड़कियों के साथ ही रहने लगी और कुछ ही समय में वह बहुत अच्छी मेहंदी लगाना सीख गई उधर जया सरला के कुछ दिन तक वापस ना आने से घबरा जाती है ये
(22:50) बुढ़िया इतने दिनों से कहां गायब है मुझे तो कोई खोज खबर नहीं है बिट्टू के बापू ने हम सबको अचानक शहर बुलाया है वहां जाकर अब यही बोलना पड़ेगा कि बुढ़िया की तबीयत खराब थी इसलिए नहीं ला सकी जया बिट्टू को लेकर किशन के पास शहर पहुंचती है क्या हुआ जया मां तुम्हारे साथ नहीं आई वो मां जी की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए मैंने उन्हें बोला कि वो गांव में ही रहे बेकार में सफर करती तो उनकी तबीयत और खराब हो जाती पर तुमने मुझे अचानक य शहर क्यों बुला लिया अरे वो हमारे सेठ जी की लड़की की शादी है इसलिए उन्होंने बोला कि कोई ऊपर के कामों के लिए मिल जाए
(23:28) मैंने सोचा तुम्हें बुला लेता हूं और मां भी थोड़े दिन के लिए मेरे पास रह लेगी चलो कोई नहीं मैं तुम्हें मालकिन से मिलवा देता हूं देखो किशन शाम को मेहदी का समारोह है तो काम अच्छे से निपटाने हैं जितने भी मेहमान आएंगे उनके स्वागत में कोई कमी ना होने पाए आप चिंता मत करो मालकिन सब हो जाएगा यह मेरी पत्नी है मैंने इसे गांव से बुला लिया है यह सब संभाल लेगी जया मेहंदी समारोह की तैयारियों में काम करवाने लगती है सब मेहमान आने लगते हैं रिचा मेहंदी वाली अभी तक नहीं आई कितने बजे का टाइम दिया था मम्मी मेरी उनसे बात हो गई है बस कुछ ही
(24:08) देर में आती होंगी लो वो आ गई मां जी य यह यहां कैसे मेदी वाली लड़कियों के साथ मा यहां दया तुम तो कह रही थी कि मां बीमार है और गांव में है पर मां मेहंदी वाली लड़कियों के साथ क्या कर रही है मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मैं मां के पास जा रहा हूं मां तुम यहां इन सबके साथ किशन बेटा तू आप मेरे साथ इधर आइए मैं आपको सब बताती हूं ये लड़की इनको सब कुछ बता देगी शायद आप नहीं जानते हैं आपकी पत्नी ने आपकी मां पर बहुत जुर्म किए हैं इसीलिए यह बेचारी अपना घर छोड़कर हमारे साथ रहने को मजबूर थी सुमन किशन को सारी सच्चाई बताती है सरला की आंखों में आंसू आ जाते
(24:57) किशन सबके सा जब घर आ जाता है जया तुम्हें शर्म आनी चाहिए तुमने मेरी मां के साथ इतना बुरा व्यवहार किया तुम्हारी वजह से मेरी मां दर् दर भटक रही है अब तुम मेरे साथ एक पल भी नहीं रहोगी बिट्टू को मैं पाल लूंगा अभी के अभी अपने माय के निकल जाओ ऐसा मत कहो मैं आप लोगों के बिना कैसे रहूंगी मुझे माफ कर दो मुझे माफ कर दो मेरे से गलती हो गई मां जी मुझे माफ कर दो किशन बेटा मैं किसी से भी नाराज नहीं हूं जया बहू को माफ कर दे गलती इंसान से ही होती है बेटा मैंने जया बहू को माफ कर दिया किशन जी आप चिंता मत कीजिए आपकी मांज अब हमारे साथ ही काम करेंगी उस दिन के बाद
(25:42) जया ने अपना व्यवहार बदल लिया सरला ने मेहंदी लगाना नहीं छोड़ा वह अपनी मेहंदी लगाने के काम को करती रही जया को अपनी गलती का एहसास हो गया था अब वो भी सरला की बहुत देखभाल करती थी 






संध्या की बुआ जो कि दिल्ली में रहती थी वो उसके लिए एक अच्छे घर का रिश्ता लेकर आई थी देखो भैया मेरी इतनी जान पहचान तो नहीं है लड़के वालों से पर इतना जानती हूं अड़ोस पड़ोस में कहीं पूछोगे तो लोग अच्छा घर ही बताएंगे ठीक है सुमन अगर तुम कहती हो तो लड़के वालों को एक बार बुला लेते हैं संध्या भी लड़के को देख लेगी संध्या की बुआ लड़के वालों से अपने तरीके से बात
(26:21) कर लेती है और कुछ दिनों बाद संध्या की शादी विपुल नाम के लड़के से हो जाती है पता नहीं इस कामवा को छुट्टी लेकर गांव अभी जाना था उसे पता था शादी वाला घर है नई नवेली दुल्हन आएगी तो घर में 100 काम होंगे फिर भी बिना बताए गांव निकल गई अब मैं दूसरी काम वाली इतनी जल्दी कहां से ढूंढू राजेश्वरी एक प्याली चाय दे दो तो बड़ी मेहरबानी होगी सुबह से एक प्याली चाय भी नहीं मिली है तुम्हें तो जब देखो चाय पीने की पड़ी रहती है पता भी है एक बर्तन नहीं है धुला हुआ जिसमें तुम्हारी चाय बना दूं ढेरो बर्तन रसोई में पड़े हैं झूठे मां मैं कॉलेज जा रही हूं तुम मुझे यह मत
(26:56) कहना कि मैं छुट्टी कर लूं और तुम तुम्हारे साथ घर का काम करवाऊं मेरा आज बहुत बड़ा प्रोजेक्ट सबमिट होना है इसलिए मैं तो कोई काम नहीं कर सकती ये लो अब इसे भी अभी कॉलेज जाना था अब मैं क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा संध्या की सांस राजेश्वरी अभी काम वाली को लेकर परेशान हो ही रही थी तभी संध्या राजेश्वरी की सारी बातें सुन लेती है और रसोई में जाकर बर्तन धोने लगती है अरे संध्या बहू तुम यह रसोई में क्या कर रही हो हटो हटो हटो ये झूठे बर्तन तुमसे थोड़ी करवाऊंगी अभी तुम्हारे हाथों की मेहदी भी नहीं उतरी मां जी अब परेशान मत हो मैं थोड़ी देर में ही सारा
(27:30) काम निपटा दूंगी आप अकेले इतना काम नहीं कर पाओगे ठीक है अगर तुम कहती हो तो मैं कोई और काम कर लेती हूं मां पड़ोस में किसी से पता करो शायद कोई और काम वाली मिल जाए मैंने पूछा था पर अभी किसी भी काम वाली के पास समय नहीं है पुलकित काम पर चला जाता है संध्या सारे घर का काम करती है अब तो रोजाना ही ऐसा होने लगा काम वाली तो थी नहीं संध्या की ननद पूजा सुबह होते ही कॉलेज निकल जाती और सांस पैरों में दर्द के बहाने बिस्तर पर आराम करती संध्या तो मानो घर के कामों में ही उलझ गई एक शाम मां तुम बिल्कुल सही बहू ढूंढ कर लाई हो बेचारी गरीब घर की है इसलिए चुपचाप
(28:06) संस्कारी बहू की तरह घर के काम कर लेती है अगर कोई पैसे वाले घर की लड़की बहू बनाकर ले आती तो वह पूरे घर को अपने इशारों पर न चाती और तुम और मैं बस बर्तन खिसते रह जाते तभी तो मैंने इसकी बुआ को शादी के लिए हां कह दिया था मुझे पता है यह गरीब घर की लड़कियां बड़ी सीधी साधी बहुएं साबित होती हैं अब काम वाली गांव भाग गई सोच ये ना होती तो कौन काम करता राजेश्वरी तुम दोनों मां बेटी को तो संध्या बहू का शुक्र गुजार होना चाहिए बेचारी ने आते से ही पूरा घर संभाल लिया ऐसे ही दिन बीत रहे थे संध्या सभी घर वालों की देखभाल का पूरा
(28:39) ध्यान रखती थी एक दिन क्या हुआ पुलक बेटा तुम इतने परेशान क्यों हो और आज तुम ऑफिस भी नहीं गए पापा मेरी नौकरी छूट गई है कंपनी घाटे में चल रही थी इसलिए उन्होंने मेरे जैसे बहुत से वर्कर्स को अचानक निकाल दिया दिमाग खराब हो रहा है गाड़ी की किश्त भरनी है घर का लोन भी पूरा नहीं हुआ है घर का खर्चा अब सब कुछ कैसे होगा कुछ समझ में नहीं आ रहा है पुलकित बेटा चिंता मत कर कोई ना कोई रास्ता निकल आएगा ज्यादा होगा तो कुछ दिनों के लिए मैं कोई काम कर लूंगा पापा मेरे होते हुए आप काम नहीं करोगे मैं खुद सोचता हूं पुलक दूसरी नौकरी को लेकर
(29:09) परेशान था उसे कोई काम नहीं मिल रहा था घर में पैसों की तंगी भी शुरू हो गई पुलकित ने अपनी गाड़ी बेच दी घर की लोन को लेकर वह परेशान था ₹15000 ज की किश्त उसे भरनी थी तभी भैया मेरे कॉलेज की फीस इस बार बहुत लेट हो गई है मेरा आखिरी साल है अगले महीने की 5 तारीख तक 12000 फीस के भरने हैं मैं कुछ इंतजाम करता हूं ऐसे खाली हाथ पर हाथ रखकर मैं नहीं बैठ सकती मुझे कुछ सोचना होगा पता नहीं हो सकता है किरण ने बात कर ली होगी पूछती हूं हेलो किरण मैं संध्या बोल रही हूं तूने बात की फिर पार्लर में जगह खाली है क्या हां मैंने बात कर ली है12 000 महीना देंगी रविता मैम
(29:47) बोल तू हां बोलती है तो मैं बात कर लेती हूं ठीक है तू हां बोल दे कम से कम कुछ तो पैसे आ जाएंगे संध्या पुलकित से पार्लर में मेहंदी लगाने की नौकरी की बात करती है पहले तो वह मना करता है पर संध्या उसे समझाती है पुलकित मैं जानती हूं आप परेशानी के दौर से गुजर रहे हो मैंने आपसे शादी के बाद हर सुख दुख में साथ निभाने का वादा किया था और आप परेशान मत हो मैं घर और बाहर दोनों का काम एक साथ संभाल लूंगी ठीक है संध्या तुम कल से पार्लर में नौकरी के लिए जा सकती हो अगले दिन से संध्या सारे घर के काम के साथ-साथ पार्लर भी जाती और वहां पर पूरा दिन मेहंदी लगाने का काम
(30:22) करती और शाम के वक्त घर आती संध्या बहुत मेहनत कर रही थी ताकि वह अपने परिवार की मदद कर सके संध्या बहुत सुंदर मेहंदी लगाती थी यह बात उसकी सास को तब पता चली जब उसने पार्लर में काम करना शुरू किया संध्या को पार्लर में काम करते हुए एक महीना बीत चुका था पार्लर की मालकिन रविता भी संध्या की मेहंदी लगाने के काम को देखकर बहुत खुश थी संध्या तुम सचमुच बहुत मेहनती हो पिछले एक महीने में बहुत से क्लाइंट तुम्हारी तारीफ कर रहे हैं और अपनी फैमिली फ्रेंड्स की शादियां सगाई फंक्शन के लिए तुम्हें ही मेहंदी के लिए बुक करना चाहते हैं और हां यह तुम्हारी
(30:56) सैलरी 12000 किय तुमने ओवर टाइम भी शादी के सीजन में बहुत किया है उसके 6000 अलग से दे रही हूं थैंक यू मैम आपने मेरे काम की इतनी तारीफ की मैं तो बस भगवान की कृपा से मेहनत से करती हूं संध्या घर आ जाती है और ₹12000 हज पूजा के हाथ में रखती है पूजा यह तुम्हारी कॉलेज की फीस के पैसे तुम कल ही अपनी फीस जमा कर देना भाभी यह तो आपकी मेहनत की कमाई है आप ये सारे पैसे मुझे दे रहे हो नहीं नहीं भाभी पूजा तुम मुझे अपनी भाभी कहती हो ना और भाभी तो मां समान होती है तो क्या तुम अपनी भाभी मां के पैसे नहीं लोगी तुम अपने भैया से भी तो लेती हो
(31:30) ना फिर मेरे और अपने भैया में फर्क है मैं भी तो इस घर का हिस्सा हूं इसलिए यह पैसे रख लो मुझे माफ कर दो भाभी मैंने ना जाने आपके बारे में क्या-क्या गलत सोचा पुलकित को भी दूसरी नौकरी मिल जाती है अब संध्या और पुलकित दोनों मिलकर काम करते थे राजेश्वरी और पूजा भी अब संध्या की घर के कामों में बहुत मदद करती थी परिवार में खुशियां फिर से लौट आई थी

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