जगन्नाथजी और तांत्रिक आमने सामने | Rathyatra Special

 जगन्नाथजी और तांत्रिक आमने सामने | Rathyatra Special 


 उस तांत्रिक ने अपनी योग शक्ति से मधुमक्खी का रूप धर लिया और उस स्थान पर पहुंच गया जहां अनाव सर में जगन्नाथ जी की सेवा हो रही थी उसने वहां एक सुंदर कमल पुष्प देखा और मधुमक्खी के रूप में होने के कारण उससे इतना आकर्षित हो गया कि सीधा जाकर उस कमल की पंखुड़ियों पर बैठ गया देखते ही देखते वह कमल बंद हो गया और वह योगी मधुमक्खी बनकर उस कमल में ही फंस गया उसने बहुत प्रयास किया लेकिन सारे व्यर्थ और फिर फ उसने क्या किया और कौन था वह तांत्रिक इसका उत्तर बहुत ही रोचक है तो चलिए आज जगन्नाथ जी की एक और सुंदर लीला देखते [प्रशंसा]

(00:45) [संगीत] हैं हरे कृष्ण यह बात है लगभग 12वीं शताब्दी की उस समय भारत में एक बड़ा तांत्रिक योगी रहता था उसका नाम था कमाम गिरी योगी उसने दिन और रात अत्यंत कठोर साधना करके अनेक सिद्धियां प्राप्त की थी अपनी साधना को समाप्त करने के बाद अब वह भारत के विभिन्न तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा करने लगा उसने सोचा कि वह अपनी इस यात्रा को जगन्नाथ पुरी में भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करने के बाद ही समाप्त करेगा यह सोचकर वह जगन्नाथ पुरी आ गया उसने मारकंडे सरोवर में स्ना न किया और फिर जगन्नाथ जी के दर्शन करने के लिए श्री मंदिर पहुंच गया लेकिन यह क्या उसने देखा

(01:37) जगन्नाथ जी के मंदिर के द्वार तो बंद है तभी वहां एक पुजारी आ गए उन्होंने उस तांत्रिक से कहा अरे योगी बाबा अभी जगन्नाथ जी बीमार हो गए हैं इसलिए अब 15 दिन के लिए वे किसी को दर्शन नहीं देंगे जब वे स्वस्थ हो जाएंगे तभी यह द्वार खुलेंगे फिर आइएगा दर्शन करने के लिए यह सुनकर उस तांत्रिक योगी को बहुत आश्चर्य हुआ उसने कहा क्या जो संपूर्ण जगत के नाथ हैं जिनका शरीर दिव्य और सच्चिदानंद है उनको यह भौतिक बीमारी कैसे आ सकती है अरे वो तो परब्रह्म है यह सारी झूठी मान्यताएं हैं जो आप सबने पाल रखी है नहीं नहीं नहीं मैं नहीं मानता और इन सब अतार्किक बातों

(02:18) के आधार पर जगन्नाथ जी के दर्शन बंद करना अच्छी बात नहीं है चलो खोलो दरवाजा मुझे अभी दर्शन करने हैं तो पंडा ने उत्तर दिया अरे बाबा आपको अर्च विग्रह सेवा के बारे में कुछ नहीं पता इसलिए ऐसी बातें कर रहे हैं इस समय भगवान की गोपनीय निजी सेवा अंदर में चल रही है इन 15 दिनों के अनाव सर काल में सिर्फ दैता पति पुजारी ही जगन्नाथ जी के पास जाकर उनकी सेवा कर सकते हैं हां और किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं होती अगर किसी को जगन्नाथ जी के दर्शन करने हैं तो उसे 15 दिन तक प्रतीक्षा करनी होगी यही राजा का भी आदेश है और उनकी आज्ञा के बिना हम द्वार नहीं

(02:59) खोल सकते यह सुनकर कमाम गिरी ने राजा से मिलने का निर्णय किया उस समय उड़ीसा में गंगा वंश के राजा कामेश्वर देव का राज्य था पूरी से 50 मील दूर सारंग गरा में राजा का निवास स्थान था कमाम गिरी तो पहुंच गए राजा के पास और उन्होंने राजा से कहा हे राजन मैंने अनेक वर्षों तक कठिन तपस्या करके अनेक सिद्धियां अर्जित की है और इस समय मैं भारत के पवित्र तीर्थों की यात्रा पर निकला हूं मेरी इच्छा है कि मैं जगन्नाथ जी के दर्शन करके इस यात्रा को समाप्त करूं लेकिन आपके कुछ पुजारी ने मुझे यह कहकर रोक दिया कि इस समय जगन्नाथ जी बीमार है इसलिए उनके द्वार नहीं खुल

(03:38) सकते हे राजन मुझे लगता है कि ऐसी तथ्य विहीन मान्यताओं के आधार पर किसी को जगन्नाथ जी के दर्शन से वंचित नहीं करना चाहिए इसलिए आप कृपया शीघ्र ही द्वार खुलवाए यह सुनकर राजा ने कहा हे योगी बाबा मैं जगन्नाथ जी के दर्शन के लिए आपकी उत्कंठा को समझ सकता हूं लेकिन यह सदियों से चली आ रही प्रथा है इसे मैं कैसे तोड़ सकता हूं हालांकि सबको पता है कि जगन्नाथ जी बीमार है फिर भी अंदर में उनकी विशेष निजी सेवा चल रही है जहां सिर्फ दैता पति ही जा सकते हैं और किसी को भी वहां जाने की अनुमति नहीं है राजा की बात सुनकर कमाम गिरी ने कहा नहीं नहीं मुझे विश्वास है कि

(04:17) ऐसी कोई पूजा ऊजा अंदर नहीं चल रही है भले ही सामान्य लोग अंदर नहीं जा सकते लेकिन मैं अपनी योग शक्ति से अंदर जा सकता हूं और मैं आपको यह बात सिद्ध कर दूंगा कि अंदर में ऐसी कोई निजी सेवा नहीं हो हो रही आप मेरे साथ पूरी आइए और मैं आपको दिखाता हूं लेकिन राजा नहीं माने आखिर अपनी बात को सिद्ध करने के लिए कमाम गिरी एक बरगद के पेड़ के पास गए और उस पर चढ़ गए अपनी योग सिद्धि के बल से वे उस पेड़ पर सवार होकर पूरी की ओर उड़ने लगे यह चमत्कार देखकर राजा ने सोचा अवश्य ही यह कोई महान तांत्रिक है इसलिए राजा भी उनके पीछे अपने घोड़े पर

(04:59) सवार हो होक पूरी चल पड़े पूरी मंदिर के पास जाकर कमाम गिरी ने एक मधुमक्खी का रूप धारण कर लिया और दरवाजे के एक छोटे से छिद्र के माध्यम से अंदर चला गया अंदर उसने देखा कि अष्टदल का बना हुआ एक मनोहर कमल पुष्प था और उसके ऊपर एक अत्यंत सुंदर स्त्री बैठी हुई थी उस स्त्री के प्रति कमाम गिरी को कोई आकर्षण नहीं हुआ लेकिन क्योंकि वह मधुमक्खी के रूप में था इसलिए कमल को देखकर वह आकर्षित हो गया और वह कमल पुष्प के अंदर जाने लगा जैसे ही वह कमल के अंदर बैठा वैसे ही कमल पुष्प बंद हो गया और कमाम गिरी उसमें फंस गया उसने बाहर निकलने

(05:46) के अनेक प्रयास किए लेकिन सारे व्यर्थ उसकी सांसें अब फूलने लगी थी आखिर उसने अपने इष्टदेव कमाम श्वर महादेव को याद किया और फिर जगन्नाथ जी से भी प्रार्थना की उनकी शरणागति स्वी का की और उसी समय कमल पुष्प की पंखुड़ियां खुल गई और वह तुरंत उसमें से बाहर आकर बरगद के पेड़ पर वापस आ गया इतनी देर कमल के अंदर रहने के कारण वो कमजोरी का अनुभव कर रहा था इसलिए उसने कुछ समय विश्राम किया लेकिन उसने सोचा कि अब वो राजा के सामने कैसे जाएगा क्या बताएगा वोह राजा को आखिर उसने वर्षों से चली आ रही इस प्रथा का प्रतिकार किया था यह सब सोचकर कमाम गिरी ने सोचा कि वह

(06:26) फिर एक बार मंदिर के अंदर जाएगा और अंदर क्या चल रहा है वो देखने का प्रयास करेगा फिर से वह मंदिर के पास आया और अपनी योग सिद्धि से उसने अदृश्य रूप धारण कर लिया जिसे कोई देख ना सके जैसे ही दैता पति दरवाजा खोलकर अंदर जाने लगे तो कमाम गिरी भी अदृश्य रूप में उनके साथ अंदर चला गया अब देखिए दहिता पति तो उसे नहीं देख पाए लेकिन जगन्नाथ जी तो सब कुछ देख सकते हैं ना तो बस जैसे ही अदृश्य रूप में कमाम गिरी ने अंदर प्रवेश किया तो उसने देखा उसके चारों ओर आठ दिशाओं में आठ सुंदर देवियां उसके आसपास खड़ी हुई थी वे सभी अत्यंत सुंदर थी और कमाम गिरी के सामने

(07:07) देखकर जोर-जोर से हंस रही थी यह देखकर कमाम गिरी अत्यंत घबरा गया उसके शरीर पर प्रस्त की बूंदे आने लगी और श्वास की गति तीव्र होने लगी वह तुरंत उस स्थान से निकलकर बाहर आ गया उसने तुरंत राजा के पास जाकर कहा हे राजन सच में यह श्री क्षेत्र अत्यंत अद्भुत है आज मैंने जगन्नाथ जी की लीला को स्वयं अनुभव किया यहां पर मेरी सारी तंत्र साधना विफल हो गई मैं जगन्नाथ जी के अनाव सर लीला के रहस्य को ढूंढने चला था लेकिन इसमें मेरी बुरी तरह से पराजय हुई है मैं अपनी भूल स्वीकार करता हूं और आपसे तथा जगन्नाथ जी से अपने अहंकार के लिए क्षमा मांगता हूं अब मैं

(07:48) आजीवन इसी पूरी क्षेत्र में रहना चाहता हूं कृपया मुझे कोई स्थान प्रदान करिए इतना कहकर कमाम गिरी ने वह सारी घटना राजा को कह सुनाई जो उसने मंदिर के अंदर देखी थी इस घटना के बाद उसने आजीवन जगन्नाथ पुरी धाम में निवास किया और जगन्नाथ जी की शरण ग्रहण की उन्होंने पूरी में एक मठ की स्थापना की जहां कमाम मेश्वर महादेव को विराजमान करवाया गया आज भी वह मठ पूरी में है लेकिन अब वह अत्यंत जरजर अवस्था में आ चुका है तो यह थी जगन्नाथ जी की एक और सुंदर लीला कहते हैं ना कि जब तक भगवान की इच्छा ना हो या फिर उनके शुद्ध भक्त की कृपा ना हो तब तक कोई भी व्यक्ति भगवान की

(08:29) विशेष कृपा प्राप्त नहीं कर सकता हमें आशा है कि जगन्नाथ जी की यह सुंदर लीला आपको अच्छी लगी होगी अगर ऐसा है तो इसे अपने मित्रों और परिवार जनों को भी शेयर कर दीजिए और खास करके अपने बच्चों को तो जरूर सुनाइए जगन्नाथ जी के गुणगान का प्रचार जितना किया जाए उतना कम है जैसे आपने अभी यह जगन्नाथ जी की एनिमेशन कथा देखी वैसे ही हम भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित एनिमेशन कथा श्रृंखला भी लेकर आ रहे हैं हमारे इस प्रोजेक्ट का नाम है कृष्ण नायन इसमें हमने श्रीमद् भागवत पुराण से यथा रूप में भगवान की बाल लीलाओं को एनिमेशन फॉर्म में प्रस्तुत करने का

(09:07) प्रयास किया है जिसके कुछ क्लिप्स अभी आप स्क्रीन पर देख रहे होंगे ये ऐसी कथाएं हैं जो आप और आपके बच्चे बिना किसी चिंता के एक साथ बैठकर देख सकते हैं इससे वे भगवान श्री कृष्ण के साहस और पराक्रम को सीखेंगे और आपको भी संतुष्टि होगी कि आपने अपने बच्चों को कुछ अच्छा स्क्रीन टाइम दिया है यह एनिमेशन प्रोजेक्ट है और इसका आधा काम पूरा हो चुका है लेकिन इसे जल्द ही पूर्ण करने के लिए और जल्द से जल्द आप तक पहुंचाने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है तो यदि आप चाहे तो इस प्रोजेक्ट को बनाने में आप अपना यथाशक्ति आर्थिक योगदान भी हमें भेज सकते हैं इसके

(09:43) लिए आप हमारे ऑफिशियल नंबर पर हम मिलेंगे आपसे बहुत जल्द एक और नई सुंदर और शिक्षा पूर्ण पौराणिक कथा के साथ हरे कृष्णा [संगीत]


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.