शिव जी ने बनाया माँ पार्वती का झूला | Shiv Ji Ne Banaya Jhula | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Story

शिव जी ने बनाया माँ पार्वती का झूला | Shiv Ji Ne Banaya Jhula | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Story 


सावन का महीना आ चुका था माता पार्वती भगवान शिव से पिछले कुछ दिनों से झूला झूलने के लिए कह रही थी पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे इसलिए उस समय उन्होंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया इससे माता पार्वती नाराज हो गई और उन्होंने शिवजी से बात करनी बंद कर दी पार्वती आज खाने में क्या बनाया है बहुत भूख लगी है मैंने आज कुछ नहीं बनाया मेरा आज उपवास है इसलिए आज अपना भी उपवास समझिए आज कुछ नहीं बनाऊंगी मुझे दूसरे काम भी करने हैं मैं जा रही हूं क्या हुआ पार्वती क्या तुम हमसे नाराज हो आपसे नाराज होने का क्या ही फायदा आप

(00:57) कुछ करते तो हो नहीं मेरी बातों पर तो आपने आज तक कभी ध्यान दिया ही नहीं मैं तो बस बोलती रहती हूं पति अपनी पत्नी के लिए कितना कुछ करते हैं एक मैं हूं जो आप मेरे लिए कुछ भी नहीं करते कुछ बोलती हूं तो भूल जाते हो तुमने मुझे कुछ कहा था और मैं भूल गया अरे सुनो तो पार्वती कहां जा रही हो कहीं नहीं जा रही हूं कुछ देर विश्राम करूंगी सोने जा रही हूं मेरे सिर में बहुत दर्द है माता पार्वती कक्ष में विश्राम करने के लिए चली गई तभी नंदी भगवान शिव के पास आए प्रभु माता आपकी कितनी चिंता करती हैं हमेशा आपका ख्याल रखती हैं आपकी हर

(01:34) इच्छा को पूरा करने की पूरी चेष्टा करती हैं पर मैं कुछ दिनों से देख रहा हूं माता शायद माता की नाराजगी इसी कारण है कि आपने उनके लिए सावन का झोला नहीं बनाया अरे हां पार्वती तो मुझे झूला बनाने के लिए कह रही थी मैं भूल गया मैं तपस्या में लीन था इसलिए मैं पार्वती की बातों पर विशेष ध्यान नहीं दे पाया पर अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं क्या है प्रभु माता पार्वती की इच्छा को पूरा कीजिए आपको उनके लिए झूला बनाना होगा तुम ठीक कह रहे हो नंदी मुझे झूला बनाने की तैयारी करनी होगी अभी पार्वती सो रही है मैं पार्वती के उठने से पहले ही एक

(02:15) सुंदर झूला तैयार कर दूंगा इसके पश्चात शिवजी ने अपने सभी गणों को बुलाया और उन्हें झूला बनाने के लिए सामग्री लाने के लिए निर्देश दिया नंदी तुम सबसे मजबूत लकड़ी लाओ हमें एक ऐसी लकड़ी चाहिए जो मजबूत और टिकाऊ हो जो आज्ञा प्रभु भृंगी तुम जंगल से सबसे सुंदर और रंग बिरंगे फूल लाओ हमें झूले को सजाने के लिए उनकी आवश्यकता होगी जो आज्ञा प्रभु शिवजी ने अपने सभी शिव गणों को झूला बनाने के लिए कोई ना कोई सामग्री लाने भेजा उनके जाने के पश्चात शिवजी ने पेड़ की कुछ लताओं को तोड़ा और उनसे एक मजबूत रस्सी बनाई कुछ देर बाद शिवगणेश

(03:00) प्रारंभ किया तभी माता पार्वती अंदर से आवाज लगाती हैं क्या बात है नंदी बाहर से इतनी आवाज क्यों आ रही है तुम सब क्या कर रहे हो मुझे नींद भी नहीं लेने दे रहे प्रभु माता जाग जाएंगी जल्दी कीजिए बस हो गया नंदी यह रस्सी अच्छे से बांध दूं ताकि टूटे ना और फिर कुछ ही समय में कैलाश पर्वत के उपवन में एक बहुत ही सुंदर फूलों से सजा झूला बनकर तैयार हो गया वो झूला जिसे भगवान शिव ने स्वयं अपने हाथों से बनाया जैसे ही माता पार्वती उठकर आती हैं तो उपवन की ओर देखती हैं आज ये सारे शिव गण वहां उपवन में क्या कर रहे हैं महादेव तो इस समय तपस्या में लीन होने चले जाते

(03:42) हैं पर आज तो यह अपने शिव गणों के साथ मस्ती कर रहे हैं देखो तो जरा यह सब एक साथ थे तभी इतनी देर से शोर मचा रखा था माता पार्वती तो कुछ और ही सोच रही थी पर उन्होंने जैसे ही उपवन में प्रवेश किया तो अपने सामने एक बहुत सुंदर फलो और वृक्ष की लताओं से सजा हुआ झूला देखा मां पार्वती की खुशी का ठिकाना नहीं था माता देखिए भोलेनाथ ने आपके लिए स्वयं अपने हाथों से कितना सुंदर झूला बनाया है इन सबने भी सामग्री लाने में मेरी सहायता की है देखो पार्वती झूला कैसा लग रहा है अति सुंदर आपने मेरे लिए इतना सुंदर झूला तैयार किया मैं बहुत खुश हूं स्वामी चलो

(04:28) आओ इस पर बैठक दिखाओ तुम्हें कैसा लगता है माता पार्वती झूले पर बैठती हैं और भगवान शिव उन्हें झूला झुला हैं वह बहुत खुश हो रही थी सभी शिव गण अपने दूसरे कामों के लिए चले गए और कुछ देर झूला झूलने के पश्चात भगवान शिव और माता पार्वती भी अपने दूसरे कामों में लग जाते हैं तभी आकाश मार्ग से कुछ राक्षस गुजरते हुए यह सब नजारा देख रहे थे उन्होंने शिवजी और माता पार्वती को तंग करने के बारे में सोचा राक्षस की प्रवृत्ति ऐसी ही वो ना तो खुद ही खुश रहते हैं और ना ही किसी दूसरे को खुश रहने देते हैं अरे देखो देखो शिवजी ने अपने उपवन में एक झूला

(05:09) बनाया है हमारे होते हुए यह झूला यहां पर टिक नहीं सकता तो चलो हम झूले को तोड़ देते हैं जब इस झूले पर महादेव और पार्वती झूलने के लिए बैठेंगे तो यह झूला टूटकर गिर जाएगा और बहुत मजा आएगा तो चलो फिर यही मौका है झूले की रस्सी को किनारों से थोड़ा-थोड़ा काट देते हैं जैसे ही रस्सी टूटेगी धड़ाम से महादेव और पार्वती जमीन पर गिर जाएंगे और फिर यह नजारा देखने वाला होगा हां जब झूला टूटकर नीचे गिरेगा तो पार्वती शिव पर क्रोधित हो जाएगी और फिर इन दोनों में घमासान युद्ध होगा और हम इस युद्ध का खूब आनंद लेंगे अंधेरा हो चुका था सभी राक्षस नजरें

(05:59) बचाए उपवन में गए और उन्होंने रस्सी के ऊपरी हिस्से को अपनी तलवार से थोड़ा-थोड़ा काट दिया ताकि धीरे-धीरे रस्सी घिसकर अपने आप ही टूट जाए इसके पश्चात सभी राक्षस वहां से चले गए तभी वहां शिवजी के दो नाग उपवन में बने अपने बिल से बाहर आए तो उनकी नजर आकाश मार्ग से वापस जाते हुए राक्षसों पर पड़ गई दोनों नागों को शक हुआ मुझे लगता है यह राक्षस सरूर उपवन में कुछ ना कुछ गड़बड़ करके गए हैं वरना वह इतनी रात को यहां क्यों आते आप पर वह सब महादेव द्वारा बनाए हुए इस झूले के आसपास क्या कर रहे थे चलो हम चलकर देखते हैं कहीं इन्होंने झूले को कोई

(06:38) नुकसान तो नहीं पहुंचा दिया दोनों नाग झूले पर इधर उधर घूमकर देखने लगे तभी उनकी नजर रस्सी के किनारों पर पड़ी जो राक्षस थोड़ी-थोड़ी काट कर गए थे दोनों नाग समझ गए कि यह करतूत उन राक्षसों की है तभी सुबह हो गई और महादेव और माता पार्वती प्रातः काल झूले पर बैठने के लिए आ गए दोनों नागों को जब कुछ नहीं सोझा तो वे दोनों रस्सी के उन कटे हुए हिस्सों पर मजबूती से लिपट गए ताकि रस्सी नीचे ना गिरे महादेव और पार्वती झूला झूलने लगे अचानक झूला झूलते हुए माता पार्वती की नजर झूले के ऊपरी किनारों पर जाती है तो वह हैरान रह जाती हैं कि वहां पर दोनों नाग

(07:18) लिपटे हुए क्यों हैं स्वामी आपके यह दोनों नाग रस्सी के किनारों पर लिपटे क्यों हुए हैं अगर हमने ज्यादा तेज झूले को हिलाया तो यह दोनों धरती पर गिर जाएंगे और फिर इन दोनों को गहरी चोट आएगी आप इन्हें मना कीजिए कि ये दोनों नीचे उतर आए हां मैं अभी बोलता हूं देवदत्त शंखपाल तुम दोनों यहां रस्सी से क्यों लिपटे हुए हो चलो झूले से नीचे उतरो नहीं तो तुम्हें चोट आ जाएगी अरे मेरी बात को सुन क्यों नहीं रहे हो क्या कारण है जो आज तुम मेरी आज्ञा का पालन नहीं कर रहे क्या कारण है जो आज तुम ऐसा कर रहे हो देखो मैं तुम दोनों को कुछ

(07:56) नहीं कहूंगा पर मैं तुम पर बिल्कुल भी क्रोधित नहीं हूं आप आराम से नीचे आओ दोनों नाग शिवजी की बात नहीं मानते तो शिवजी खुद ही उन्हें हटाने लगते हैं तभी उनकी नजर कटी हुई रस्सियों पर जाती है और वे पूरी बात समझ जाते हैं स्वामी इसी कारण आपके यह दोनों नाग इन रस्सियों पर लिपटे हुए थे ताकि झूला गिरे नहीं तुम ठीक कह रही हो पार्वती परंतु यह सब किसने किया यह रस्सिया तो लग रहा है कि तलवार से काटी गई है रुको जिसने भी यह किया है मैं उसे अभी सबक सिखाता हूं मेरे सामने जिसने भी यह करतूत की है वह मेरे क्रोध की अग्नि में जलकर भस्म हो जाएगा कौन है

(08:36) जिसने ऐसा घोर अपराध किया है भगवान शिव के क्रोध को देखकर राक्षस डर जाते हैं वे सब तो छिपकर झूले के गिरने की प्रतीक्षा कर रहे थे सभी राक्षस त्राहिमाम करते हुए भगवान शिव और माता पार्वती से क्षमा मांगते हैं अब हमें क्षमा कर दीजिए प्रभु हमसे भूल हो गई हम अब कभी ऐसा नहीं करेंगे भगवान शिव तो भोलेनाथ हैं जब भी उनसे कोई क्षमा प्रार्थना करता है तो भी क्षमा कर देते हैं इसके पश्चात राक्षस वहां से चले जाते हैं भगवान शिव अपने चमत्कार से झूले की रस्सियों को दोबारा जोड़ देते हैं दोनों नाग स्नेह से उनसे लिपट जाते हैं भगवान शिव भी उन्हें खूब

(09:19) स्नेह देते हैं क्योंकि आज उन दोनों नागों ने अपना सेवक धर्म निभाया था इसके पश्चात श्रावण मास में रोजाना ही माता पार्वती और भगवान शिव उस झूले का आनंद लेते और माता पार्वती के चेहरे पर प्रसन्नता देखकर भगवान शिव भी बहुत प्रसन्न [संगीत] होते 




जल्दी आइए प्रभु जल्दी आइए क्या हुआ नंदी प्रभु अनर्थ हो गया अनर्थ अनर्थ क्या किसी असुर ने फिर से स्वर्ग लोक पर हमला कर दिया नहीं प्रभु तो क्या कोई दुष्ट पृथ्वी लोक पर नहीं प्रभु नहीं तो फिर क्या हुआ है बता में कौन बताओ कौन मुसीबत में है हम प्रभु हम क्या व्यर्थ की बातें कर रहे हो नंदी

(10:06) प्रभु ब्रह्मा जी आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं आप शीघ्र चले आप अब वही आपको इस भीषण समस्या से अवगत कराएंगे नंदी की बात सुनकर अब तो भगवान शिव भी परेशान हो गए वह जल्दी से वहां गए जहां ब्रह्मा जी परेशान बैठे थे प्रणाम ब्रह्मा जी कहिए कैसे आना हुआ महादेव को प्रणाम है बड़ी विपत्ति आन पड़ी है प्रभु विपत्ति वो भी आप पर नाम बताइए उसका जिसने आपको यहां मेरे पास आने पर विवश कर दिया महादेव वह आपकी पत्नी देवी पार्वती है अ पार्वती उन्होंने क्या किया उन्होंने कुछ नहीं किया अपि तो आपने किया है प्रभु पर हमने क्या किया आपसे अनजाने

(10:47) में बहुत बड़ा अनर्थ हो गया भोले भंडारी पर क्या किया है मैंने यह तो बताइए आपने देवी पार्वती को रुष्ट कर दिया है प्रभु कल शिवरात्रि का त्यौहार था पृथ्वी लोक पर आपने हर एक भक्त की मनोकामना पूर्ण की किंतु आप अपनी ही पत्नी देवी पार्वती को ही भूल गए उन्होंने भी कल शिवरात्रि के अवसर पर आपके लिए व्रत रखा था और कल आप उनके पास आए ही नहीं संपूर्ण संसार के भक्तों की पुकार तो आपने सुन ली प्रभु किंतु देवी पार्वती वह आपकी प्रतीक्षा ही करती रह गई यह तो सच में अनर्थ हो गया हमसे मैं अभी देवी पार्वती से क्षमा मांग लेता हूं नहीं मांग पाएंगे प्रभु क्योंकि

(11:27) वो कैलाश पर है ही नहीं देवी रुष्ट होकर यहां से चली गई है लगता है इस बार देवी पार्वती को मनाना कठिन होगा मैं अभी पता लगाता हूं कि वह कहां है और फिर मैं उनके पास जाकर उनसे क्षमा याचना करूंगा जैसे ही भगवान शिव ने देवी पार्वती को ढूंढने के लिए अपनी आंखें बंद की तो ब्रह्मा जी ने फौरन उनका हाथ पकड़ लिया और बोले नहीं महादेव आप ऐसा नहीं कर सकते देवी पार्वती मेरे पास आई थी उन्होंने ही मुझे अपने रुष्ट होने का कारण बताया साथ ही उन्होंने मुझसे आग्रह भी किया कि मैं उन्ह ढूंढने के लिए आपको आपकी शक्तियों का प्रयोग ना करने दूं देवी पार्वती की इच्छा है कि आप

(12:06) उन्हें एक सामान्य मानव की तरह ढूंढे और उन्हें ढूंढकर उनकी पसंद की वस्तु भेंट में दे उसके पश्चात ही वह कैलाश वापस आएंगी किंतु यह कैसे संभव होगा प्रभु हमारे लिए कुछ असंभव नहीं है नंदी यदि देवी पार्वती की यही इच्छा है तो ऐसा ही होगा चलो हमारे साथ नंदी हे प्रभु आप अपनी थोड़ी सी शक्ति का प्रयोग तो कर ही सकते हैं माता को ढूंढिए ना ऐसा नहीं हो सकता नंदी यह ब्रह्मा जी के आदेश की अवहेलना होगी साथ ही देवी पार्वती की इच्छा का निरादर भी हमें देवी पार्वती को ऐसे ही ढूंढना होगा कृपा करो मुझ बैल पर प्रभु चलते चलते तीन चार किलो

(12:47) वजन कम हो गया मेरा दो दिनों से ऐसे ही माता पार्वती को ढूंढ रहे हैं अगर ऐसे ही चलते रहे तो मैं बैल से बकरी बन जाऊंगा प्रभु दया कीजिए अगर ऐसी बात है तो बुद्धि लगाओ नंदी देवी पार्वती का क जा सकती है मैं समझ गया प्रभु हो ना हो वो पर्वतों पर अपने पिता के पास गई होंगी तुम सच में बैल बुद्धी हो नंदी देवी पार्वती इतनी आसान चुनौती तो नहीं देंगी हमें कुछ और सोचना पड़ेगा नंदी आओ चले मुझे ज्ञात है देवी पार्वती कहां मिलेंगी यह तो आपका ही मंदिर है प्रभु कितना भव्य और विशाल है पर यहां क्या आप स्वयं से सहायता मांगने आए हैं नहीं नंदी देवी पार्वती चाहे कितनी

(13:30) भीष्ट हो जाए पर व मेरी पत्नी है साथ ही मेरी परम भक्त भी मुझे पूर्ण विश्वास है कि वह हमें यही मिलेंगी बस अब इन नारियों में मुझे देवी पार्वती को पहचानना है पर यहां पर तो हर नारी घूंघट में है महादेव अब माता पार्वती को पहचानेंगे कैसे वह मुझे पता है पर क्या तुम्हें पता है कि देवी पार्वती को सबसे प्रिय वस्तु क्या है नहीं महादेव चूड़िया उन्हें बहुत प्रिय है अच्छा अच्छा तो खड़े क्या मूर्ख जाओ जाकर चूड़ियां लेकर आओ इतना सुनते ही नंदी फौरन भागकर सामने की दुकान से हरी हरी चूड़ियां लेकर आ गए और इधर भगवान शिव माता पार्वती

(14:10) को पहचानने की कोशिश करने लगे तभी उन्होंने देखा कि घूंघट उड़े एक महिला गरीबों को खाना खिला रही है और यह देखते ही भगवान शिव उनके पास दबे पांव गए और उनका हाथ पकड़कर झट से उसमें चूड़ियां पहना दी चूड़ियां पहनाते ही माता पार्वती ने अपना घूंघट ऊपर किया और फिर झुक महादेव के चरण स्पर्श कि हमें क्षमा कर दो देवी पार्वती कर दिया प्रभु और आपकी बुद्धि और विवेक को भी मान गई देख लिया माता ढूंढ लाए ना आपको मैंने ही कहा था प्रभु से कि हो ना हो आप यही महादेव के मंदिर में ही मिलेंगी नंदी की बात सुनकर तीनों जोर जोर से हंसने लगे उसके बाद नंदी

(14:50) पर सवार होकर भगवान शिव और देवी पार्वती कैलाश की तरफ चल दिए लेकिन माता पार्वती की नजरें तो बस अपनी कलाइयों पर ही टिकी थी जिन पर महादेव की भेंट की हुई चूड़ियां खूब जच रही थी


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.