शिव जी बने भक्त के मामा | Shiv Mahima | Hindi Kahaniya | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Kahaniya

 शिव जी बने भक्त के मामा | Shiv Mahima | Hindi Kahaniya | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Kahaniya - 



 सुंदरवन गांव में सुधार नाम की महिला अपने तीन साल के बेटे मा और भाई नीरज के साथ रहती थी तकरीबन साल भर पहले सुधा के पति का देहांत हो गया लेकिन ना तो नीरज आए और ना ही उसकी कोई

(01:19) खबर सुधा और मा को दिन-रात उसकी चिंता सताती थी मा अक्सर अपने मामा को याद करता और रोटी हुए कहता मां-मां मेरे मामा कब आएंगे मुझे उनकी बहुत याद आई है मां तू परेशान मत हो मेरे बच्चे वो जल्दी वापस आएंगे और तू देखना वो तेरे लिए बहुत सारे खिलौने और मिठाइयां भी वापस लेंगे ऐसी कुछ महीने बीट गए एक दिन मा उदास बैठा हुआ था तभी सुधा उससे कहती है मा बेटा तुम्हें जो भी बात कहानी हो वो तुम शिवाजी से का सकते हो वो तुम्हारी हर बात तुम्हारी नीरज मामा तक पहुंच देंगे इसके बाद मा ने ठीक वैसा ही किया जब भी उसे अपने मामा तक कोई बात

(01:59) पहुंच नहीं होती तो वह शिवा जी के मंदिर पहुंच जाता मा हर वक्त शिवाजी से बातें करता राहत था ऐसे ही समय बीता गया फिर एक दिन सुधा बहुत बीमा हो गए और उसने बिस्तर पकड़ लिया अपनी बीमारी के चलते सुधा इतनी कमजोर हो गई की वह खाना तक बनाने की हालात में नहीं थी बेचारी दोनों मां बेटे दो दिन तक भूखे रहे फिर तीसरी दिन सुबह मा पड़ोस के गांव में खाने की तलाश में गया मा चला रहा कुछ डर चलने पर उसने देखा गांव के बीच में एक पेड़ है जिसमें कई सारे पैक हुए आम लगे हैं अरे वह इतने सारे आम मुझे तो बहुत भूख लगी है इससे तो मेरा और मां का पेट भर जाएगा लेकिन मैंने तोड़ो कैसे

(02:42) तभी उसका ध्यान पेड़ के नीचे रखें शिवलिंग पर जाता है वह उसके ऊपर पर रखकर पेड़ पर चढ़ जाता है और उन नाम को तोड़ने लगता है उसकी पसीने की बंदे एक-एक करके शिवलिंग पर गिरने लगी लेकिन काफी डर तक कोशिश करने के बाद भी मा के हाथों नमो तक नहीं पहुंचे तभी वहां गांव के कुछ लोग कठे हो गए और मा पर चिल्लाने लगे तू क्या कर रहा है शिवलिंग पर पर क्यों रखा तूने अरे तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था अभी शैतान बच्चे की मूर्खता के करण हम सभी गांव वालों को शिवा जी के गुस्से का शिकार होना पड़ेगा मा जोर-जोर से रन लगा फिर सभी गांव वाले उससे नाराज होकर वहां से चले गए उन

(03:30) गांव वालों की बातें सुनकर मा डर गया और डर के मारे रन लगा और रोटी हुए शिवलिंग को अपने गले लगा कर खाने लगा मुझे माफ कर दीजिए शिवा जी मुझे बहुत बड़ी गलती हो गई मैंने यह जानबूझकर नहीं किया खाली पेट कुछ समझ नहीं आया उसकी इतना कहती शिवाजी वहां प्रकट हो गए मा बेटे उदास मत हो तुमने कुछ गलत नहीं किया तुमने जो भी किया वह मजबूरी में किया और मैं तुमसे क्रोधित नहीं हूं बल्कि मैं तो तुमसे बहुत प्रश्न हूं आज तुम्हारे पसीने की बूंद से मेरा अभिषेक हुआ है तुम्हारा मां सचमुच में बहुत पवित्र है और इसी कारणवश आज मुझे तुम्हें दर्शन देने

(04:11) पड़े बताओ पुत्र आखिर तुम्हारी क्या इच्छा है और तुम्हें क्या वरदान चाहिए अपना मेरी मां को जल्दी से ठीक कर दो वह बहुत बीमा है अरे बस इतनी सी बात तुम्हें अगर कुछ और भी चाहिए तो मुझे मांग सकते हो प्रभु फिर आप मेरे मामा को जल्दी से वापस भेज दो पुत्र तुम्हारे मामा बहुत जल्दी तुम्हारे पास लोट आएंगे यह लो यह आम तुम घर ले जो और अपनी मां के साथ मिलकर का लेना मा खुशी खुशी वो फल लेकर जल्दी से अपने घर पहुंच जहां उसे देखा की उसकी मां बिल्कुल ठीक हो गई है और वह रसोई में खाना बना रही है मामा तुम ठीक हो गई मां हां मेरे बच्चे अब

(04:53) मैं बिल्कुल ठीक हूं ना जान मेरे अंदर कौन सी शक्ति आई और मैं पुरी तरह ठीक हो गई सब भोले बाबा का चमत्कार है मा ने सुधा को साड़ी बात बताई मां तुम जानती हो उन्होंने मुझे कहा की मेरे मामा जल्दी घर वापस ए जाएंगे और फिर एक दिन मा बेटा मा कहां है तू तुझे देखने के लिए मेरी आंखें तरस गई थी दूर खड़ी सुधा उसे देख हैरान र गई जबकि मा बहुत खुश हुआ मेरे मामा ए गए मेरे मामा ए गए अब मैं आपको कहानी भी नहीं जान दूंगा मामा हां हां मेरे भांजे ये देख तो मैं तेरे लिए शहर से क्या-क्या लाया हूं उसके लिए देर सारे नए कपड़े चॉकलेट चिप्स नए-नए खिलौने और भी

(05:43) डॉन बाहर लाया था जिसे देख मा बहुत खुश होता है सर दिन अपने मामा के साथ खेलकर मा रात को खाना खाकर जब सो जाता है तब सुधार जा कर नीरज के पर पकड़ लेती है और रोटी हुए कहती है आप ही अपना किया हुआ वादा पूरा करने आए हैं ना मैं जानती हूं प्रभु क्योंकि सच तो यह है की मेरा भाई तो बहुत पहले ही इस दुनिया से जा चुका है नहीं देख सका और इससे अपना वादा पूरा करने चला आया लेकिन ध्यान रहे इस बात का पता मा को ना चले कुछ दिन शिवाजी मा के साथ रहकर ही उसके साथ खूब खेलने मस्ती करते और उसकी सभी इच्छाओं को पूरा करते और फिर एक दिन अच्छा मा अब मुझे शहर नौकरी पर वापस जाना

(06:35) होगा मैं बीच-बीच में तुमसे मिलने आता रहूंगा मामा अब आप फिर जा रहे हो अब फिर आप वापस कब आओगे भांजे तू चिंता मत कर मैं समय समय पर यहां आता रहूंगा इस प्रकार निक दिल मा की सच्ची भक्ति से शिवाजी और मा के बीच जीवन भर का संबंध बन गया अब शिवा जी हर महीने नीरज का विश्व बनाकर मा के साथ कुछ दिन रहने चले आते उसके लिए डॉन समाज ले आते और सुधा को भी कुछ पैसे दे देते धीरे-धीरे सुधा के घर की स्थिति काफी अच्छी हो गई और मा और सुधा अच्छे से अपना जीवन यापन करने लगे 



मोहनपुर गांव में सेवाराम नाम का एक सेठ रहता था उसकी सोने चांदी की दुकान थी वह बहुत दयालु आदमी थावो भगवान शिवा का बहुत बड़ा भक्ति स्वभाव से भी वह बहुत दयालु था सेवाराम के पास सब कुछ था पर कमी थी तो एक

(07:29) संतान की शादी के कई वर्ष बीट जान के बाद भी सेवाराम को औलाद का सुख प्राप्त नहीं हुआ था उसकी पत्नी मालती भी इसी करण उदास रहती थी सुनो अब दूसरा विवाह कर लो मैं आपको संतान का सुख नहीं दे साकी तुमने आज यह बात का दी पर दोबारा मत कहना तुम मेरी अर्धांगिनी हो हम इस दुख को मिलजुल कर बाटेंगे और मुझे विश्वास है एक दिन भगवान शंकर हमारी संतान की इच्छा जरूर पुरी करेंगे उनकी इच्छा जरूर पुरी करेंगे अपनी पत्नी मालती से कहा मालती मेरा मां है की हम लोग एक बार बाबा बर्फानी की गुफा के दर्शन करके आए बाबा अमरनाथ की यात्रा करके उनका दर्शन प्राप्त करने से मुझे

(08:17) विश्वास है की भोला भंडारी तुम्हारी जोली खाली हाथ नहीं लोट आएंगे हम अमरनाथ की यात्रा पर चलते हैं ठीक है जी मैं जान की तैयारी कर लेती हूं सेवाराम और उसकी पत्नी अमरनाथ की यात्रा के लिए निकाल पढ़ते हैं रास्ते में जगह जगह वो दान पुण्य करते हुए जाते हैं बाबा अमरनाथ की यात्रा के रास्ते में जितने भी लंगर कमेटियान देखते हैं सेवाराम वहां यात्रियों की सहायता के लिए किया जान वाले इंतजामों में अपनी मदद देता है खूब दान करता है उसे सच्ची भक्ति थी की बाबा भोलेनाथ उसे खाली हाथ नहीं लोट आएंगे ओम नमः शिवाय का जब करते हुए वह अमरनाथ

(08:56) पहुंचने हैं मालतीकितना सुंदर और अद्भुत नजर है जय भोले बर्फानी सच में अमरनाथ की गुफा में शिवलिंग के दर्शन करके मां प्रश्न हो गया [संगीत] [संगीत] है भोलेनाथ मालती की सुनी गोद भर दो प्रभु हे भोलेनाथ मुझ पर बहुत विश्वास से यहां आई हूं


हे भोलेनाथआप अपने परम भक्ति की संतान प्रताप की इच्छा क्यों नहीं पुरी कर रही यह लोग सच्ची भक्ति का फल आप से मांग रहे हैं देवी पार्वती मैं भी चाहता हूं अपने भक्तों को उनकी इच्छा अनुसार वरदान देकर उनकी पूजा और विश्वास को सफल बना पर सेवाराम को जो पुत्र प्राप्त होगा उसकी पिछले जन्म के कर्मों के करण अल्पायु अवस्था में ही मृत्यु हो जाएगी 

जो बालक जन्म लगा आखिर पिछले जन्म में उसने ऐसा

(09:59) क्या पाप किया है जो इस जन्म में छोटी आयु का योग है तो सुनो देवी पार्वती पिछले जन्म में यह बालक जो दोबारा जन्म लगा डाकू मंगल था लूटपाट करके लोगों को मार देना यही इसका कम था एक दिन अरे लगता है कोई बारात जा रही है इससे लूटने में बहुत धन की प्रताप होगी [हंसी] रुक जो 12 तभी आगे जाएगी जब ये साड़ी धन दौलत रुपया पैसा तो मुझे दे डॉग नहीं पिताजी इस डाकू को कुछ मत देना यह लोग ऐसे ही भोले भले लोगों को दारा धमकाकर ल लेते हैं तो यह लेती लड़की को तलवार से मार देता है जितने

(11:06) भी बारात वह भी बचाने की कोशिश करते हैं पर मंगल सबको मार देता है मैं तुझे श्राप देता हूं तू भी ऐसे ही तड़प तड़प कर मारेगा डाकू मंगल बारात को लौटकर सर धन दौलत ले जाकर एक पेड़ के खोल में छिपने लगता है उसे खोल में एक नाग राहत था नाग डाकू मंगल के हाथ पर दास लेट है नाक के डक करने से डाकू मंगल तड़पने लगता है और उसकी मृत्यु हो जाति है जी बालक को डाकू मंगल ने तत्काल मृत्यु दी थी वह उसे वक्त 21 वर्ष का था इसलिए डाकू मंगल इस जन्म में मेरे भक्ति सेवा राम के पुत्र के रूप में यदि जन्म लगा तो उसकी उम्र भी 21 वर्ष ही होगी पर भोलेनाथ आप

(12:12) अपने भक्ति सेवा राम को भी तो निरसा नहीं कर सकते वो आप पर पूर्ण विश्वास करके ही अमरनाथ की यात्रा पर निकाला है आप उसकी विश्वास को कैसे तगमकाने दे सकते हैं प्रभु ठीक है देवी पार्वती मैं सेवाराम और मालती की संतान प्रताप की इच्छा पुरी कर देता हूं अमरनाथ में शिवलिंग के दर्शन करके सेवाराम और मालती एक आप लेकर घर वापस ए जाते हैं रात को सपना में उठो सेवाराम तुमने बड़े विश्वास के साथ मेरी अमरनाथ यात्रा पुरी की है तुम्हारी भक्ति से मैं प्रश्न हूं ठीक 9 महीने बाद तुम्हारी पत्नी मालती एक पुत्र को जन्म देगी पर वह पुत्र सिर्फ 21 वर्ष

(13:03) तक ही जीवित रहेगा उसके पश्चात उसकी मृत्यु हो जाएगी यह बात तुम्हें ध्यान में रखती है भगवान शंकर सेवाराम को संतान का वरदान देकर उज्हल हो जाते हैं सेवाराम की नींद खुला जाति है वह शिवाजी बताई गई बात को ध्यान में रखना है और बिना घबराए बस प्रभु को धन्यवाद देता है ठीक नो मां के पश्चात मालती एक सुंदर से पुत्र को जन्म देती है ये देखकर सेवाराम खुशी से फुल नहीं समता भगवान भोले नाथ का वरदान है मेरा बच्चा इसलिए इसका नाम भोला रखेंगे मेरा प्यार बेटा मेरा भोला धीरे-धीरे भोला बड़ा होने लगता है सेवाराम बचपन से ही भोला के मां में शिवा भक्ति की लगन पैदा करता है

(13:52) एक दिन शिवा मंदिर में भोला तुम्हें बात हमेशा याद रखती है की तुम्हें हर पाल ओम नमः शिवाय मंत्र का जब करना है ठीक है पिताजी मैं आपसे ऐसा ही करूंगा भोला हमेशा ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय मंत्र गोवर्धन की यात्रा भी करो धीरे-धीरे 21 वर्ष पूरे होने वाले थे एक दिन सुनो जी आप भोला को भैया के साथ कहां भेज रहे हो वो भी एक मां के लिए मैं अपने बच्चे के बिना कैसे रहूंगी एक मां की पश्चात तो इसका 21वां जन्मदिन भी है भोला को काशी नगरी भेज रहा हूं वहां एक महीना र कर अपने मामा के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा और साधना करेगा ताकि इस

(14:48) पर भगवान शंकर की कृपा बनी रहे सेवाराम जानता था की भोला की मृत्यु का समय निकट ए रहा है इसलिए वह भोला को उसके मामा के साथ समझा बूझकर काशी नगरी भेज देता है कल सोमवार है तो कल तुम्हारी पूजा संपूर्ण हो जाएगी भोला पूरा दिन शुभ दिन करता रहा अचानक वह अपने मामा से बोला मामा जी मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं ग रही मैं कुछ डर विश्राम करना चाहता हूं ठीक है भोला तुम चल कर कक्षा में थोड़ी डर आराम कर लो मेरे भांजे मेरे बच्चे

(16:03) अरे उठ अरे यह अचानक तुझे क्या हो गया तो कुछ बोल क्यों नहीं रहा जब से धरती पर गया है आपकी ही पूजा भक्ति की है फिर तो उसके पिछले जन्म के बुरे कर्म इस जन्म में मिठनी चाहिए आपकी श्रवण मास की मा में [संगीत] आजा का पालनपुर करते हुए उसके सिर्फ अच्छे कर्म किया हैं क्या अभी आप इसकी आयु की संकट को दूर नहीं करेंगे इसलिए मैं इस जन्म में इसका भाग्य बादल कर इसे लंबी आयु प्रधान करता हूं उठो भोला उठो [संगीत] भोला एकदम उठकर बैठ जाता है जैसे उसे किसी ने नींद से जगाया हो मामा मुझे क्या हुआ था ऐसा लगा मानो भगवान

(17:09) भोलेनाथ मुझे गहरी नींद से उठाने आए थे और साड़ी बात बताता है जिसे सुनकर सेवाराम की आंखों में आंसू भर जाते हैं ओम नमः शिवाय


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