शिवलिंग पर बेलपत्र क्यों चढ़ाते हैं? shivling per balptra kyon chadhate hai


 

क्यों चढ़ाते हैं शिवलिंग पर बेलपत्र?

क्या है शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका?

कैसा होना चाहिए बेलपत्र और कैसे चढ़ाया जाना चाहिए

इस दिन भूलकर भी बेलपत्र न तोड़ें,

इन सभी सवालो का जवाब इस वीडियो में मिलेगा ,तो चलिए जानते है ,

भगवान शिव को बेलपत्र है बेहद प्रिय, शिवलिंग पर इसे ऐसे चढ़ाने से होगा फायदा

धर्म और शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि भगवान शिव की पूजा में उनकी प्रिय चीजों को चढ़ाने से वह खुश हो जाते हैं। वैसे तो भगवान शिव की पूजा में बहुत सारी चीजें चढ़ाई जाती हैं लेकिन सबसे ज्यादा महत्व बेलपत्र का होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित शास्त्री बताते हैं, ‘शिवलिंग की पूजा में बहुत सारी चीजें चढ़ाई जाती हैं, लेकिन बेल पत्र भगवान शिव को अति प्रिय है। बेल के पेड़ की पत्तियों का शिव पूजन में बहुत ही अधिक महत्व है। इस पेड़ की पत्तियां एक साथ 3 की संख्या में जुड़ी होती हैं और इसे 1 ही पत्ती माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि बिना बेलपत्र के शिव जी की उपासना पूरी नहीं होती है।’शास्त्रों में भगवान शिव को बेलपत्र आर्पित करने की एक विधि होती है। चलिए जानते हैं कि शिवलिंग पूजा में किस विधि से बेलपत्र चढ़ाया जाना चाहिए।

हिंदू मान्यताओं के बीच महाशिवरात्री का पर्व एक विशेष महत्व रखता है। 

Belpatra Niyam: देशभर में महाशिवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन भोलेनाथ के साथ-साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है।  इसी दिन शिवजी ने अपना वैराग्य जीवन त्यागकर अपना घर बसाया था। महा शिवरात्री के दिन भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक किया जाता है इसके साथ ही  भांग धतूरा और बेलपत्र भी चढ़ाया जाता है आपको बता दें कि बेलपत्र चढ़ाने से व्यक्ति की  हर मनोकामना पूरी होती है। लेकिन बेलपत्र चढ़ाने से पहले कुछ बातें हैं जिनका हमें ध्यान रखना चाहिए।

शिव भक्तों का प्रिय त्योहार शिवरात्रि आने में सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। हर साल फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र काफी जरुरी माना जाता है। इसके बिना पूजा भी अधूरी मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। परंतु इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से पहले कुछ नियमों का खास ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं इनके बारे में...



क्यों चढ़ाते हैं शिवलिंग पर बेलपत्र?

भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र विशेष महत्व रखते है। माना जाता है कि यह भोलेनाथ को बहुत पसंद हैं। मान्यता है कि भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव खुश हो जाते हैं। और भक्तों पर सदा अपनी कृपा बरसाए रखते हैं। उनके सभी काम भी बन जाते हैं। माना जाता है कि शिवलिंग पर 3 से 11 बेलपत्र चढ़ाना शुभ होता है। लेकिन आप इससे ज्यादा भी चढ़ा सकते हैं। मान्यता है कि शीघ्र विवाह के लिए शिवलिंग पर 108 बेलपत्र चढ़ाने चाहिए।

बेलपत्र का महत्व

ज्योतिषाचार्य पण्डित शास्त्री बताते हैं, ‘बिल्वाष्टक और शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है। वहीं स्कंदपुराण में बल पत्र के महत्व के बारे में बताया गया है। ऐसा कहा गया है कि यदि बेलपत्र के साथ शिवलिंग की पूजा की जाए तो सभी पापों का नाश होता है।’ एक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती को बहुत पसीना आ रहा था। तब उन्होंने अपनी उंगलियों से माथे के पसीने को साफ किया। इससे पसीने की कुछ बूंदे मदार पर्वत पर जा गिरी और उन्हीं बूंदों से बेल का पेड़ उत्पन्न हुआ। बेलपत्र का महत्व यही खत्म नहीं होता है। ज्योतिषाचार्य पण्डित शास्त्री बताते हैं,

‘ बेलपत्र बहुत ही पवित्र होता है। इसमें मां पार्वती के कई रूपों का वास होता है। इस वृक्ष की जड़ों में माँ गिरिजा, तने में मां महेश्वरी, इसकी शाखाओं में मांं दक्षयायनी, बेल पत्र की पत्तियों में माँ पार्वती, इसके फूलों में मांं गौरी और बेल पत्र के फलों में माँ कात्यायनी का वास हैं। इतना ही नहीं इसमें माता लक्ष्मी का भी वास होता है। अगर आप घर में बेल का पेड़ लगाती हैं तो इससे माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं और घर में वैभव आता है।’


क्या है शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका?

लेकिन वहीं अगर भगवान शिव पर सही तरीके से बेलपत्र ना चढ़ाए जाएं तो वे क्रोधित भी हो सकते हैं। इसलिए शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से पहले उसकी सही विधि जान लेना बहुत जरूरी है। तो आइए जानते हैं कि क्या है शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने का सही तरीका?

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि,

  • बेलपत्र का चिकना भाग शिवलिंग पर बना रहे।

  • आप चाहें तो ऊपर से बेलपत्र पर चंदन भी लगा सकते हैं।

  • शिवलिंग पर बिना जल चढ़ाए कभी भी बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।

  • शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र को चुनते वक्त इस बात का ध्याना चाहिए कि पत्ता कहीं से फटा हुआ न हो और न ही उस पर ज्यादा धारियां हों।

  • जिस बेलपत्र पर धारियां होती हैं उसका पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए।

कैसा होना चाहिए बेलपत्र और कैसे चढ़ाया जाना चाहिए

ज्योतिषाचार्य पंडित शास्त्री के अनुसार, ‘बेल पत्र के तीनो पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप् भगवान शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। अगर आप शिवलिंग पूजा के दौरान बेलपत्र चढ़ाती हैं तो इससे भगवान शिव खुश होंगे और आपकी मनोकामना पूरी करेंगे।’ मगर, बहुत जरूरी है कि बेलपत्र चढ़ाने से पहले आप जान लें कि बेलपत्र कैसा होना चाहिए और कैसे चढ़ाया जाना चाहिए। 



बेलपत्र चढ़ाने के लाभ

  • इसका सबसे बड़ा लाभ होता है कि भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।

  • वहीं बेलपत्र चढ़ाने से सुख के साथ घर में वैभव और धन भी आता है। यानि आपको कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता।

  • अगर आप पुण्य कमाना चाहती हैं तो आपको बेल के पत्तियों में ॐ नम: शिवाय या राम राम लिखकर उसे भगवान भोलेनाथ पर अर्पित करना चाहिए।

  • शास्त्रों के अनुसार आप रविवार के दिन अगर बेलपत्र की पूजा करते हैं तो आपके सारे पाप धुल जाते हैं।

  • केवल भगवान भोलेनाथ ही नहीं आप भोलेनाथ के प्रिय क्रबेर जी पर तृतीया को बेलपत्र चढ़ा कर उनकी पूजा करेंगी तो पीढि़यों तक आपके घर में धन की कभी कमी नहीं होगी।

  • ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र और जल चढ़ाने से भगवान शंकर का मस्तिष्क ठंडा रहता है और वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं


बेलपत्र चढ़ाने से पहले इन बातों का रखें विशेष ध्यान


तोड़ते समय ध्यान में रखें ये नियम 

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.. महिलाएं यदि शिव पूजा के समय बेलपत्र अर्पित करती हैं तो इससे उन्हें अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। 

. बेलपत्र पर चंदन से राम या फिर ओम नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी। 

इस दिन भूलकर भी बेलपत्र न तोड़ें

 

. बेलपत्र को तोड़ने से पहले भगवान शिव का याद कर लें। इसके अलावा बेल के पेड़ से पत्ता तोड़ने से पहले  पेड़ को नमस्कार जरुर करें।

बेलपत्र को महाशिवरात्रि, शिवरात्रि, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, प्रदोष व्रत और सोमवार के दिन कभी नहीं तोड़ना चाहिए। इस दिन बेलपत्र चढ़ाने के लिए बेलपत्र को एक दिन पहले ही तोड़कर रख लेना चाहिए। बेलपत्र तोड़ते समय भगवान शिव का स्मरण अवश्य करना चाहिए। बेलपत्र तोड़ते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसे टहनी सहित न तोड़ें, केवल बेलपत्र की पत्तियां ही तोड़ें।

अच्छे से धोकर चढ़ाएं 

बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाने से पहले इसे अच्छे से धो लें। पूजा करते समय शिवलिंग पर बेलपत्र जरुर अर्पित करें। यदि आपके पास घर में बेलपत्र नहीं है तो आप पूजा के समय मौजूद बेलपत्र धोकर ही शिवलिंग पर अर्पित कर दें। यह कभी भी झूठा या बासी नहीं होता। 

नहीं चढ़ाएं ऐसे बेलपत्र
भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से पहले यह जरूर देख लें कि यह कहीं से भी कटा-फटा नहीं होना चाहिए.   बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिव को चढ़ती है.  अगर कोई पत्ती कटी फटी है तो ऐसा बेलपत्र न चढ़ाए.

कैसे चढ़ाएं बेलपत्र
भोले बाबा को किसी भी तरह की पूजा में  हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाना चाहिए. ध्यान रखें कि बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं. मध्य वाली पत्ती को पकड़कर महादेव को अर्पित करें.

 महादेव की पूजा करते समय बेलपत्र के साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।






इस तरह चढ़ाएं बेलपत्र 

 

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र का चिकना भाग ही शिवलिंग पर रखें। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र 11 या 21 की संख्या में ही चढ़ाएं। इसके अलावा एक बेलपत्र भी शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। अगर आपके पास बेलपत्र नहीं है तो आप शिवलिंग पर चढ़ाए गए बेलपत्र को धोकर दोबारा चढ़ा सकते हैं।

कितने चढ़ाएं बेल पत्र
भगवान शिव की पूजा करते समय बेलपत्र कितनी संख्या में चढ़ाएं ये सही से पता होना चाहिए.  सावन के इस महीने में बेलपत्र आसानी से मिल जाता है. आप शिवलिंग पर 11,21,51 और 101 बेलपत्र को चढ़ा सकते हैं. वैसे तो ये आपकी भक्ति पर भी निर्भर करता है, एक बेलपत्र भी भोले को खुश कर सकता है. 


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