भगवान पर आस्था की शक्ति – Hindi Kahani

 दोस्तों आज का यह आर्टिकल भगवान के प्रति भक्त की आस्था पर लिखी गई हैं ,, कहानी का टॉपिक “भगवान् पर आस्था की शक्ति” हैं ,, और ये बात तो बिलकुल सत्य हैं की जब कोई भक्त अपने जीवन की नय्या भगवन को थमा देते हैं तो भगवान् उनको धोखा नहीं देते हैं ,, और उनकी नाव किनारे लगा देते हैं ||

एक बार की बात हैं , गाँव में दो भाई रहते थे. उनके पिता खेती का कारोबार संभालते थे , खेती ज्यादा तो नहीं थी लेकिन उनके घर का गुजारा तो हो जाता था ,, दोनों भाई बहुत होशियार थे . बड़ा भाई पिता के साथ खेती में काम कराता था , और छोटा भाई शहर में काम करता था ||

बड़ा भाई भगवन का बहुत बड़ा भक्त था ,, वह हर वक्त और हर एक कार्य को करने से पहले भगवन को याद करता रहता था ,, लेकिन छोटे भाई यह बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था ,, उसका भगवान पर भरोसा नहीं था वह ये सब एक अन्धविश्वास समझता था ||

दोनों भाई की अभी तक शादी नही हुई थी , दोनों भाई बहुत ईमानदारी से अपना काम करते थे .. बड़ा भाई सोचता था कि कैसे अपने कारोबार को और ज्यादा क्षेत्र में फेलाया जाये और ज्यादा पैसे कमाकर हम तीनों किसी अच्छी जगह जाकर रहने लगेंगे और दोनों की शादी भी कर लेंगे ||

लेकिन इधर छोटा भाई सोचता हैं कि कुछ भी करके मुझे इतना धन इकट्टा करना होगा जिसे देखकर कोई भी अपनी लड़की की शादी मुझसे करा दे , फिर मैं और मेरी पत्नी कही दूर जाकर रहने लगेंगे . आराम की जिन्दगी जियेंगे ||

हमारे पिता को तो चिंता ही नहीं हैं , हमारे दोनों भाइयो की शादी की और किया भी क्या हैं ? पूरी जिन्दगी हो गयी काम करके कुछ भी नहीं किया आज तक ?

एक दिन पिता ने दोनों भाइयो को बुलाया और कहा मेरे पास दो अनमोल हीरे हैं. जो मेरे दादाजी ने तुम्हारे दादाजी को दिया और तुम्हारे दादाजी ने मुझे दिया था , और मेने अच्छी तरह से संभालकर रखे थे , मैं आज वो दोनों हीरे एक एक दोनों को दूँगा ||

जिसको बेचकर पैसों की सहायता से अपने अपने दिमाक का उपयोग करके अपना घर बसा लेना और मुझे पता हैं कि तुम दोनों बहुत होशियार हो . हीरो का सही इस्तमाल करके जिन्दगी में खुशिया भर लेंगे |अब मेरी जिन्दगी तो ढलान की ओर चल पड़ी हैं , मैं इन हीरो का क्या करूँगा ?

दोनों भाई ने अपने अपने हीरे लेकर सोचने लगे कि किस तरह से हीरे का उपयोग किया जाये ,, बड़े भाई ने सब अपने भगवान पर छोड़ दिया ,, और बोला प्रभु आप ही मुझे सत्बुद्धि देना ,, की मैं किस तरह हीरे को बेचकर अपने खेती के कारोबार को और ज्यादा बढ़ाया जाये , आस-पास की सारी बिकाऊ जमीन को खरीदकर जी जान से मेहनत करके बहुत सारे पैसे कमाऊंगा ||

पैसों से गाँव में एक बड़ा घर बनाऊंगा और इतने में कोई न कोई रिश्ता आ ही जायेगा और शादी करके पिताजी के साथ ख़ुशी की जिन्दगी जीने लगेंगे .. और फिर अपना काम शुरु किया और बहुत बड़ी लगन से मेहनत करने लगा ||

और इधर छोटा भाई सोचता हैं कि इस हीरे को बेच कर एक बहुत बड़ा घर बनाकर शादी करके पिताजी के साथ आराम की जिन्दगी जियेंगे ,, हिरा बहुत महंगा हैं . काफी पैसे आयेंगे काम भी नहीं करना पड़ेगा ||

हिरा बेचकर छोटे भाई ने बहुत बड़ा मकान बनाया जिसमे आधा पैसा खर्च हो गया , और आधे पैसे से अपनी शादी करके रहने लगा .. धीरे-धीरे घर खर्चे में पैसे ख़त्म होने लगे और घर का बोझ भी बढ़ गया था , और दो बच्चे भी हो गये थे , तथा कुछ दिनों में सारे पैसे खर्च हो गये ||

इधर बड़े भाई ने खेती के कारोबार में बढोत्तरी करके एक अच्छी लाइन बना ली और बहुत सारे पैसे भी कमाए , मकान भी बनाया ,, और उसी में भगवान का एक मंदिर भी बनवाया ,, और बागवान की कृपा से रिश्ता आने पर शादी भी करली ,, तथा अपने पिता के साथ बेहद ख़ुशी की जिन्दगी जीने लगा ||

और इधर छोटा भाई पैसे ख़त्म होने पर फिर से गाँव चला गया और भाई की सम्पति देखकर हैरान हो गया , तभी उसकी पत्नी ने पूछा तुम दोनों के पास तो बराबर सम्पति और एक एक हिरा था , तो फिर बड़े भाई के पास इतनी ज्यादा सम्पति और ख़ुशी की जिन्दगी कैसे ?.

तभी छोटे भाई ने कहा ये सभी तो बुद्धि और किस्मत की करामात हैं ,,वह बागवान पर भरोसा करता था ,, और मैं कैसा नालायक हु जो उन्हें एक अंधविश्वास कहता था ,, इसने अपने बुद्धि से हीरे का सही इस्तमाल करके एशोआराम की जिन्दगी जीने लगा | और मेने हीरे का गलत उपयोग करके आज फिर वही खड़ा हूँ. जहा कुछ समय पहले था ,, और मेरा भाई कितना आगे बड़ गया हैं ||

घर के बाहर बड़े छोटे भाई को देखकर बड़े भाई ने उसे घर के अंदर बुलाया और हाल चाल पूछा तो छोटा भाई उसके सामने रोने लगा ,, बड़े भाई ने उसके दुःख का कारण पूछा और उसके हीरे के बारे जाना तो बड़े भाई को पहले तो उसपर बहुत गुस्सा आया ,, पास ही उनके पिताजी खड़े थे ,, उन्होंने भी छोटे भाई को बहुत सुनाई लेकिन अब क्या होने का था सो हो गया ,, बड़े भाई ने उससे फिर से अपने घर में रख लिया ,, अब फिर से दोनों भाई मिलाकर कमाने लगे ,, फिर से वो ही खुशियाँ महक गई ||

दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती हैं ,, कभी भी अपने परिवार के प्रति इर्ष्या न करे अपना परिवार अपना होता हैं , जिसकी जगह कोई नहीं ले सकता हैं ,, हम हर बार सोचते हैं की मैं अब परेशान हो गया हूँ ,, तंग आ चूका हूँ ,, अब मैं आपसे दूर रहना चाहता हूँ ,, ये सारी बाते गलत हैं ,, परिवार का साथ कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए ,, और भगवन पर भरोसा करने वाले को भगवन कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जाने देते हैं ,, उनकी अच्छाई और बुराई का जिम्मेदार खुद भगवन होते हैं ||

#MotivationalStory: भगवान कहीं और नहीं, आपके दिल में ही बसते हैं

7 साल के बच्चे ने एक बार मां से पूछा, ''मां, क्या हम भगवान से मिल सकते हैं?''

''हां बेटा, जिस दिन तुम सच्चे मन से ईश्वर की खोज करोगे, उस दिन वे तुमसे मिलने ज़रूर आएंगे.'' कहते हुए मां ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा.

बच्चे के दिमाग में यह बात बैठ गयी. वह रोज इसी बारे में सोचने लगा. एक दिन उसने बिना सोचा कि आज वह ईश्वर के साथ बैठ कर खाना खाएगा. उसने चार रोटियां बांधीं और घर में बिना कुछ बताए वह एक ओर चल पड़ा.

चलते चलते बच्चा बहुत दूर निकल गया. सुबह से शाम हो गयी. थकान और भूख के कारण उसका बुरा हाल हो गया. तभी उसे कुछ दूरी पर एक तालाब नज़र आया. उसके एक किनारे पर कोई महिला बैठी हुई थी.

बच्चा उस महिला की ओर देखा. उसकी उम्र 70-80 साल रही होगी. लेकिन इसके बावजूद उनकी आंखों में गज़ब की चमक थी. वह महिला भी उसे देख कर मुस्कराई और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा. बच्चे को लगा जैसे वह इस सुनसार जंगल में उसी का इंतज़ार कर रही थीं.

बच्चा वहीं पर बैठ गया. तभी उसे अपनी भूख का एहसास हुआ. उसने थैले से रोटी निकाली और खाने लगा. लेकिन अगले ही पल उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. उसने एक रोटी बुजुर्ग महिला की ओर बढ़ाई और मुस्करा कर बोला, ''माई, रोटी खाओगी?''

यह देख कर म‍हिला के झुर्रियों वाले चेहरे पे अजीब सी ख़ुशी आ गई आैर आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे. यह देखकर बच्चा बोला, ''तुम क्यों रो रही हो माई? क्या तुम्हारा कोई सामान खो गया है?''

''नहीं बेटा, ये तो खुशी के आंसू हैं.'' महिला ने बच्चे के सिर पर हाथ फेरा, ''आज मेरी हर इच्छा पूरी हो गयी.''

यह सुनकर बच्चा मुस्करा दिया. उसने अपने हाथ से रोटी तोड़कर बुजुर्ग महिला को ख‍िलाई. यह देखकर फिर से महिला की आंखों से आंसुओं की धार बह चली. उसने भी अपने हाथ से बच्चे को रोटी ख‍िलाई और उसे दुलार किया.

रोटी खाने के बाद बच्चे को अपनी मां की याद आई. उसे लगा कि घर पर मां परेशान हो रही होंगी. इसलिए उसने उस बुजुर्ग महिला से इजाजत ली और अपने घर वापस लौट पड़ा.

बच्चा जब अपने घर पहुंचा, तो मां दरवाजे पर ही मिल गयी. उसने बच्चे को अपनी गोद में उठा लिया और उसे जोर-जोर से चूमने लगी. यह देखकर बच्चा बोला, ''मां, आज मैं भगवान से मिला, मैंने उनके साथ बैठ कर रोटी खाई. मैं बहुत खुश हूं मां.''

उधर वह बुजुर्ग महिला जब अपने घर पहुंची, तो उनकी खुशी देखकर घर वाले हैरान रह गये. उनके पूछने पर वे बोलीं, ''मैं 2 दिन से तालाब के किनारे अकेली भूखी बैठी थी. मुझे विश्वास था कि भगवान आएंगे और मुझे अपने हाथों से खाना खिलाएंगे. आज सचमुच भगवान ने मुझे दर्शन दिए और अपने हाथों से रोटी खि‍लाई.''

इस कहानी में उस बच्चे और बुजुर्ग महिला दोनों को ईश्वर की तलाश थी. ईश्वर कहीं नहीं था, उनके दिलों में था, इसीलिए उन्होंने उसका रूप किसी दूसरे व्यक्ति में खोज लिया, तो स्वयं ईश्वर की तलाश में निकला था. ईश्वर किसी मंदिर में नहीं बल्कि आपके दिल में रहता है. ईश्वर को ढूंढने के लिए उसे महसूस करने की जरूरत है. वो हर शख्स में बसता है, ये आप पर निर्भर करता है कि आप उसे देख पाते हैं या नहीं.

Tags: Motivational Story

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