भगवान विष्णु जी ने कराई गरीब बेटी की शादी | Bhakti Kahani | Hindi Kahani | Bedtime Stories | Kahani

 भगवान विष्णु जी ने कराई गरीब बेटी की शादी | Bhakti Kahani | Hindi Kahani | Bedtime Stories | Kahani



 यशोदा भगवान विष्णु पर बहुत आस्था रखती थी उसे विश्वास था विष्णु जी हर कदम पर उसका साथ जरूर देंगे पति के जाने के बाद यशोदा के जीवन में बहुत सी कठिनाइयां आई पर उसकी हिम्मत नहीं टूटी यशोदा ने छोटी मोटी मजदूरी करके घरों में काम करके अपनी बेटी सुमन को पाल पोस कर बड़ा किया यशोदा का ब एक ही सपना है कि एक अच्छे घर में उसकी बेटी सुमन की शादी हो जाए ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे ओम जय जगदीश हरे हे प्रभु मेरी सुमन के कोई अच्छा वर मिल जाए मेरी सुमन की शादी हो जाए बस यही प्रार्थना करती हूं मां तुम

(01:06) तो मुझे हमेशा भेजने के लिए सोचती रहती हो मैं तुम्हें अकेला छोड़कर कहीं नहीं जाने वाली अगर मैं चली गई तो तुम्हारा ख्याल कौन रखेगा हम मुझे शादी नहीं करनी मुझे आपको छोड़कर नहीं जाना ऐसा नहीं कहते बेटियों को शादी करके अपने ससुराल जाना ही पड़ता है यही समाज की रीत है तू दुल्हन के जोड़े में सजक ससुराल जाएगी तो पता है मुझे कितनी खुशी होगी तो कभी मंदिर के पंडित जी आ जाते हैं नमस्ते यशोदा बहन मैं सुमन बिटिया को आज शाम के कीर्तन के लिए बुलाने आया हूं सुमन बिटिया समय पर आ जाना क्योंकि तुम्हारे भजनों से ही कीर्तन में रौनक लगती है और भक्तों को आनंद भी आता है

(01:46) तुम्हारे मीठे भजन सबके मन को बहुत आनंदित करते हैं आज शाम को ठीक है पंडित जी मैं आ जाऊंगी पंडित जी कोई अच्छे घर का रिश्ता हो तो आप भी देखना मैं तो बस सुमन की शादी की चिंता में रहती हूं अरे यशोदा बहन सुमन की शादी की चिंता क्यों करती हो तुम तो बस यही समझ लो सुमन की शादी तो भगवान विष्णु ही करवाएंगे सुमन और तुम दोनों उनकी इतनी पूजा करते हो इतनी सेवा करते हो तो वह पूजा का फल जरूर देंगे अच्छा सुमन बिटिया समय पर मंदिर पहुंच जाना कीर्तन 4 बजे शुरू हो जाएगा जी पंडित जी मैं आ जाऊंगी सुमन बहुत ही सुंदर भजन गाती थी इसलिए

(02:26) पंडित जी जब भी कीर्तन होता था तो सुमन को भजन गाने के लिए जरूर बुलाते थे सुमन की चाची उमा जो पड़ोस में ही रहती थी व सुमन से बहुत जलती थी जब भी मंदिर में कोई सुमन की तारीफ करता तो वह जल भुन जाती इतने सुंदर भजन गाती है यशोदा की बेटी और एक तरफ उसकी चाची उमा को देखो अपनी बेटी को ना ही कभी मंदिर लाती है ना ही कभी कुछ सिखाया है जब देखो इसकी लड़की गांव में लड़कियों के साथ घूमती हुई दिखाई देती है हर बार की तरह उस दिन भी उमा गुस्से में घर आ गई क्या हो गया उमा तुम इतने गुस्से में क्यों हो तुम तो मंदिर से आ रही हो फिर तो

(03:02) मन शांत होना चाहिए था अरे गई तो मंदिर थी मन ठीक करने पर वहां तुम्हारी भतीजी की शक्ल देखकर और पड़ोस की औरतों की बातें सुनकर मन अशांत हो गया तंग आ गई हूं मैं जब देखो जिसको देखो सुमन की तारीफ करता रहता है अरे मेरी बेटी में भी क्या कमी है बस यह कि वह सुमन की तरह मंदिर में भजन कीर्तन नहीं करती बस सहेलियों के साथ घूमती है इससे भी लोगों को दिक्कत है अरे तो क्यों तू उसके चक्कर में अपना मन खराब करती है देख मैं गरम-गरम जलेबी लाया हूं तीनों मिलकर खाते हैं एक दिन मंदिर में बहुत बड़ा उत्सव था इसलिए पंडित जी ने सुमन को भजन के लिए बुलाया हुआ था मंदिर

(03:36) में बहुत भीड़ थी भक्तों के बीच सुमन ने भजन गाना शुरू किया सुमन की मधुर आवाज मंदिर के बाहर तक घूंट रही थी वहां से राजवीर नाम का एक युवक गुजर रहा था सुनिए भैया क्या आप बता सकते हैं यह मीठी आवाज में इतने सुंदर भजन कौन गा रहा है भैया जी यह तो हमारे गांव के यशोदा बहन की बेटी सुमन है दोनों मां बेटी भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त है सुमन यहां लक्ष्मी नारायण मंदिर में अक्सर भजन और कीर्तन के समय बहुत सुंदर भजन गाती है अच्छा मुझे मंदिर में कुछ प्रबंध देखने हैं मैं चलता हूं अच्छा ठीक है भैया अब अपना काम करो धन्यवाद राजवीर असलियत में चंदनपुर नगर का

(04:15) राजकुमार था जो भेस बदलकर अपनी प्रजा का हालचाल देखने निकला था और उसी दौरान उसे सुमन की आवाज सुनने को मिली उसी रात भगवान विष्णु ने राजवीर को स्वप्न में दर्शन दि राजवीर सुमन मेरी परम भक्त है वह बहुत अच्छी है तुम उससे विवाह करो तुम्हारा जीवन उससे विवाह के बाद और भी उज्जवल होगा विष्णु जी अंतर्ध्यान हो गए राजवीर का सपना टूटा तो उसे विष्णु जी की कहीं बात याद आई और वह अगले दिन ही अपने माता-पिता से इस बारे में बात करता है राजवीर के माता-पिता इसे भगवान विष्णु की आज्ञा मानकर अपने बेटे को इस विवाह के लिए हां कह देते हैं अगले दिन ही राजवीर सुमन के

(04:56) पिता से मिलने के लिए जाता है छोटे से गांव की छोटी सी गली में और छोटी सी झोपड़ी में जब बड़े महल का एक राजा अपना रथ रोकता है तो आसपास में भीड़ लग जाती है जिसमें सुमन के चाचा चाची भी शामिल थे आखिर यह चंदनपुर का राजकुमार तुम्हारी भिखारी भाभी के घर क्यों आए है कहीं तुम्हारी भाभी ने राज महल में चोरी तो नहीं कर ली अरे तुम यहां खड़ी होकर अपने आप से ही सारी बातें सोच रही हो एक बार चलकर देखते हैं ना सुमन के चाचा चाची उसके घर पहुंचते हैं मुझे भगवान विष्णु ने स्वप्न में दर्शन दिए थे और आज उन्हीं की आज्ञा से मैं सुमन का हाथ मांगने आया हूं

(05:32) मैंने कल मंदिर में सुमन के भजन सुने थे शायद भगवान विष्णु ने मेरे मन की बात को जान लिया मैं सुमन से विवाह करना चाहता हूं हे प्रभु हे श्री हरि विष्णु यह सब आपका चमत्कार है जो आज मेरी बेटी के लिए एक राज महल का रिश्ता आया है सुमन के चाचा चाची जब इतने बड़े घर का रिश्ता सुनते हैं तो उनके कान खड़े हो जाते हैं सुमन की चाची उमा के मन में और भी जलन पनपने लगती है और जब शादी के दिन सुमन दुल्हन बनने लगती है तो उसकी चाची उमा उसके पानी में एक ऐसी चीज मिला देती है जिससे व्यक्ति की आवाज चली जाए अरे सुमन बिटिया कितनी देर से गर्मी में तैयार होकर बैठी है यह ले

(06:10) ठंडा ठंडा शरबत पी ले मुझे सचमुच बहुत प्यास लगी थी अच्छा व आप यह ले आई उमा तुम सुमन की कितनी देखभाल कर रही हो यह देखकर मैं बहुत खुश हूं मां मुझे भी ब्याह करना है अपनी सुमन दीदी की तरह दुल्हन बनना है जानबूझकर तुम दोनों मां बेटी मुझे जलाने की कोशिश कर रही हूं मैं सब जानती हूं पर यह शादी कभी नहीं होगी क्योंकि यह शरबत पीने के बाद सुमन हमेशा के लिए अपनी आवाज खो देगी सुमन उमा का दिया हुआ शर्बत पीने लगती है तभी सुमन के चाचा उमा को बुला लेते हैं उमा जरा बाहर तो आना इन्हे भी चैन नहीं जब देखो आवाज लगाते रहते हैं ठीक है सुमन तुम शरबत पियो मैं अी आती हूं कुछ

(06:52) देर बाद उमा वापस आती है तो देखती है सुमन पर शरबत का कोई असर नहीं हुआ था यह देखकर उमा हैरान रह गई क्या हुआ सुमन क्या हुआ सुमन तुमने शरबत नहीं पिया चाची शरबत कोमल ने पी लिया उसे पता नहीं था कि वो आप मेरे लिए लाए थे वो शरबत पीकर बाहर गई है क्या वो शरबत कोमल ने पी लिया नहीं ऐसा नहीं हो सकता ये मैंने क्या कर दिया कोमल कोमल क्या हुआ उमा उसने पी लिया तो कोई बात नहीं सुमन के लिए तुम और बना लाओ तभी कोमल आ जाती है क्या हुआ मां तुम आवाज क्यों लगा रही हो मैं तो जीजा जी के स्वागत की तैयारी कर रही थी तू तो बोल रही है तूने

(07:30) शरबत पिया था ना फिर फिर तेरी आवाज क्यों नहीं गई हां मां दीदी वाला शरबत मैंने पी लिया पर मेरी आवाज क्यों जाएगी मां हे भगवान आपका लाख लाख शुकर है मेरी बच्ची बिल्कुल ठीक है वरना आज मेरे कारण यशोदा और सुमन सब कुछ देख रहे थे पर कुछ बोल नहीं पा रहे थे उमा समझ गई थी कि यह सब विष्णु भगवान के चमत्कार से हुआ है उमा सुमन को पहली बार ऐसे गले लगाती है मानो सुमन उसकी खुद की बेटी हो सुमन तू बहुत भाग्यशाली है जिस लड़की की शादी स्वयं भगवान विष्णु करवा रहे हैं उनका आशीर्वाद जब साथ हो तो कुछ भी गलत नहीं हो सकता सुमन मैंने ईर्ष्या में आकर शर्बत में ऐसा

(08:06) पदार्थ मिला दिया था जिससे तुम्हारी आवाज चली जाती पर श्री हरि विष्णु ने तुम्हारी भी रक्षा की और मेरी बेटी कोमल की भी उन्होंने मुझे सबक दिया कि हमें कभी भी किसी के प्रति ईर्ष्या नहीं रखनी चाहिए मैं वादा करती हूं अब मैं किसी से भी ईर्ष्या नहीं रखूंगी मेरी बच्ची मुझे माफ कर दे भाभी भाभी मुझे माफ कर दो सुमन और यशोदा की आंखों में भी खुशी के आंसू आ जाते हैं सब भगवान विष्णु को धन्यवाद कहते हैं आज भगवान विष्णु की कृपा से सुमन के जीवन में बहुत सारी खुशियां आई उसकी शादी खूब धूमधाम से राजकुमार राजवीर के साथ संपन्न हो जाती है और सुमन अपने परिवार

(08:41) वालों से खुशी-खुशी मिलकर अपनी ससुराल विदा हो जाती 



एक समय की बात है मोहनपुर नामक गांव में सदानंद नाम का एक गरीब ब्राह्मण रहता था वो स्वभाव से बहुत धर्म कर्म और पूजा पाठ करने वाला था ब्राह्मण नियम से रोजाना सुबह पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाता था उसी पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास था एक दिन ब्राह्मण की पूजा से प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी ने एक लड़की का रूप धारण किया और पीपल में से निकलकर उस ब्राह्मण के पास आई तुम कौन हो बेटी तुमने मुझे पिता कहा है मेरा इस दुनिया में कोई भी नहीं है मैं आपको रोजाना यहां पीपल पर जल चढ़ाते हुए

(09:21) पूजा करते देखती हूं इसलिए मैंने आपको अपना पिता कहा है पिताजी क्या मैं भी आपके साथ आपके घर चलूं मेरे साथ पर मेरी तो पहले से ही छह लड़कियां हैं अगर मैं इसे अपने घर ले गया तो खिलाऊंगा क्या हम तो रूखा सुखा खा लेते हैं पर ये बेचारी रूखा सुखा कैसे खा पाएगी ब्राह्मण कुछ नहीं बोला और वापस घर लौट आया अब ब्राह्मण जब भी पीपल पर जल चढ़ाने जाता तो ऐसा हर रोज होने लगा इसी चिंता में ब्राह्मण बहुत कमजोर हो गया उसका मन अशांत रहने लगा एक दिन ब्राह्मण की पत्नी उससे बोली सुनो जी क्या बात है आप कुछ दिनों से अशांत और दुखी दिखाई दे रहे हो मैं आपकी इतनी सेवा

(09:56) करती हूं फिर भी आप इतने कमजोर क्यों होते जा रहे हो इसका क्या कारण है आपको कौन सी चिंता सता रही है मुझे कहिए शायद मैं आपकी कोई सहायता कर सकूं यशोदा कुछ दिनों से मैं जब भी पीपल पर जल चढ़ाने जाता हूं उस पीपल में से एक लड़की निकल कर आती है और मुझे बड़े प्रेम से पिताजी कहकर बुलाती है और रोजाना मेरे साथ आने की बात कहती है अब तुम ही बताओ हम उस कन्या को क्या खिलाएंगे और उसकी क्या सेवा करेंगे अरे तो इसमें चिंता की क्या बात है जहां हमारे छह लड़कियां हैं वहां एक और सही और उसने आपको पिता कहा है अब वह हमारे यहां आएगी तो

(10:28) अपना भाग्य सा साथ लेकर आएगी इसलिए उसे कल अपने साथ ले आना अगले दिन जब कन्या रूप में मां लक्ष्मी ने ब्राह्मण को घर साथ चलने के लिए कहा तो व लड़की को अपने साथ घर ले आया जिस दिन से ब्राह्मण उस लड़की को घर लाया उसी दिन से उसके दिन बदलने लगे यशोदा तुम्हें पता है भिक्षा के लिए जहां रोज मुझे एक या दो कटोरी आटा मिलता था आज मुझे बोरी भरकर आटा चावल मिले हैं यशोदा मुझे तो लगता है कमला हमारे लिए देवी लक्ष्मी का रूप बनकर आई है वैसे हमारी सब बिटियां बाहर खेल रही हैं पर कमला बिटिया कहां है रसोई में जबरदस्ती खुद खाना बनाने चली गई है मैंने तो उसे कहा कि तू अभी

(11:03) बहुत छोटी है तेरा हाथ जल जाएगा पर वो नहीं मानी हम सबके लिए भोजन बना रही है अच्छा फिर तो मैं जल्दी से हाथ मुह धो लेता हूं अपने कमला बिटिया के हाथ का गरम-गरम भोजन खाऊंगा कन्या ने गूंथने के लिए आटा निकाला तो आटे की परात अपने आप भर गई वो कन्या जिस किसी चीज को हाथ लगाती वह दुगनी हो जाती कन्या रूपी देवी लक्ष्मी ने कई प्रकार के भोजन बना दिए सभी ने उस दिन भर पेट भोजन किया कमला तुमने तो बहुत स्वादिष्ट भोजन बनाया है पिताजी फिर तो आप थोड़ी सी दाल और ले लो सब भोजन कर चुके थे थोड़ी देर बाद ब्राह्मणी का भाई मिलने गया यशोदा बहन कहां हो अरे ज्ञान भैया आप

(11:40) अचानक हां वो गांव में थोड़ा जरूरी काम था सोचा तुमसे मिलता चलूं तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूं यशोदा बहन बहुत जोरों की भूख लगी है कुछ खाने को हो तो वो भी लेती आना सब तो भोजन कर चुके हैं अब मैं ज्ञान भैया को क्या खिलाऊंगी मां क्या हुआ आप क्यों परेशान हो बेटी तेरे मामा आए हैं रसोई में कुछ भी खाना ने को नहीं है अब भैया को क्या दूं उन्होंने खुद से भोजन की इच्छा जताई है मां आप चिंता मत करो मैं कुछ करती हूं कमला तो साक्षात देवी लक्ष्मी थी वह रसोई में गई और अपने मामा के लिए स्वादिष्ट भोजन बना लाई उन्होंने खुशी-खुशी भोजन किया शाम हुई तो

(12:14) कमला ब्राह्मणी से बोली मां आप दिया चलाकर यहीं कोठरी में रख दो आज मैं यहीं सोंगी पर कमला बेटी तू अभी बहुत छोटी है यहां अकेले कैसे सो पाएगी तू डर गई तो मां आप चिंता मत करो मैं नहीं डरूंगी यशोदा को समझाकर कमला बनी लक्षमी मां कोठरी में ही सो गई आधी रात को कन्या के रूप में मां लक्ष्मी उठी और कोठरी में चारों ओर देखने लगी और देखते ही देखते कोठरी में धन दौलत और अनाज के भंडार भर गए मां लक्ष्मी अपने देवी रूप में आ गई और वहां से जाने लगी तभी ब्राह्मण ने उन्हें आवाज लगाई देवी लक्ष्मी आप मेरे घर में एक कन्या के रूप में बेटी बनकर आई और मैं आपको पहचान भी

(12:50) नहीं सका हे लक्ष्मी मां हम पर कृपा करो हे देवी लक्ष्मी हमसे कोई भूल हुई हो तो हमें क्षमा कर देना तुम दोनों ने तो मेरी बहुत सेवा की है और मैं तुम दोनों की सेवा से बहुत प्रसन्न हूं तुम दिन रात पूजा पाठ में ध्यान लगाते हो मेरी पूजा करते हो सबका भला करते हो तुम्हारा स्वभाव बहुत ही दयालु है यह देखकर मुझे अपार प्रसन्नता हुई है मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ रहेगा और तुम्हारे जीवन में धन दौलत वैभव और शांति में वृद्धि होगी इतना कहकर देवी लक्ष्मी अंतर्ध्यान हो गई और उस दिन से ब्राह्मण के घर में सभी प्रकार के सुखों का वास हो गया


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