भगवान शिव ने बताया कि घर मे कुत्ता पालने से स्वर्ग मिलता है या नरक, कुत्ता पालने वाले जरूर सुनें -

  भगवान शिव ने बताया कि घर मे कुत्ता पालने से स्वर्ग मिलता है या नरक, कुत्ता पालने वाले जरूर सुनें 


 दोस्तों एक बार नारद भगवान शिव से कहते हैं प्रभु मेरे मन में आज एक प्रश्न उठ रहा है आप उसका उत्तर बताकर मेरी दुविधा को दूर करने की कृपा करें भोलेनाथ भगवान शिव कहते हैं नारद आपकी शंका का समाधान अवश्य किया जाएगा आप निसंकोच होकर अपनी शंका प्रकट करें नारद कहते हैं प्रभु जो मनुष्य अपने घर में कुत्ता पालते हैं उन्हें स्वर्ग मिलता है या फिर नर्क मिलता है और कुत्ता पालने से गरीबी आती है अमीरी आती है या उनके घर में दरिद्रता आती है या उनका पतन होता है नारद का प्रश्न सुनकर के भगवान से कहते हैं नारद आपके सभी प्रश्नों का उत्तर मैं एक

(00:56) छोटी सी कथा के माध्यम से देता हूं और जो भी मनुष्य इस कथा को ध्यान पूर्वक सुनता है वह समझ जाता है कि कुत्ता पालने से मनुष्य को कौन सा लाभ होता है और कौन सी हानि होती है और उसे स्वर्ग मिलता है या फिर नर्क मिलता है भगवान शिव कथा को सुनाना प्रारंभ करते हैं भगवान शिव कहते हैं नारद प्राचीन काल की बात है एक गांव में एक बुढ़िया रहती व बहुत दान पुण्य और पूजा पाठ किया करती थी उस बूढ़ी मां को कुत्ते से बड़ा ही लगाव था इसलिए उसने अपने घर पर एक कुत्ते को पाल रखा था व बुढ़िया उस कुत्ते को रोज स्नान कराती खाना खिलाती और बिस्तर पर सुलाया

(01:49) करती थी उस बुढ़िया के घर में वह कुत्ता हर स्थान पर घूमने फिरने के लिए स्वतंत्र था फिर एक दिन क्या हुआ अचानक उस बुढ़िया की तबीयत खराब हो जाने के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है और उसके उपरांत यमराज ने अपने दो यम दूतों को भेजा और कहा कि तुम जाओ और उस बुढ़िया को लेकर आओ यमराज का आदेश अनुसार दोनों यमदूत वहां से सीधे मृत्यु लोक यानी कि पृथ्वी लोक पर पहुंच जाते हैं यमदूत उस बूढ़ी मां के घर प्रवेश करते हैं यमदूत उस बूढ़ी मां की आत्मा शरीर से निकालकर सीधे यमपुरी के लिए चल देते हैं फिर थोड़ी दूर चलने के बाद रास्ते में एक बहुत ही गहरी नदी दिखाई

(02:39) देती वहां पर पहुंचकर यमदूत उस बढ़िया से कहने लगे कि क्या तुमने कभी अपनी जीवन में गाय का दान किया है क्योंकि हमें यहां से आगे जाने के लिए इस नदी को पार करना पड़ेगा और इस नदी को वही पार कर सकता है जिसने अपनी जीवन काल में किसी गाय का दान किया आगे भगवान शिव कहते हैं नारद माता यमदूत की बातों को सुनक के वह बुढ़िया सच्चे मन से गाय का ध्यान करने लगी क्योंकि उसने गाय का दान किया था और फिर अचानक वहां पर एक गाय प्रकट हो गई जिसकी पूंछ पकड़कर वह बुढ़िया उस नदी को पार कर लेती है बुढ़िया यम दूतों के साथ आगे की ओर चलती है फिर थोड़ी दूर चलने के बाद एक कौवा उस

(03:37) बुढ़िया के सिर पर अपनी चौच से प्रहार करने लगा यह देखकर यमदूत ने बुढ़िया से पूछा कि बुढ़िया क्या तुमने कभी अपने जीवन में किसी साधु संत की सेवा की है फिर बुढ़िया ने कहा कि हमने जीवन भर साधु संतों का सम्मान किया है और उनका आदर सत्कार किया है यमदूत की बात सुनकर बुढ़िया ने सच्चे मन से साधु संतों को याद किया इसके बाद कौवा उस बुढ़िया को चोंच मारना बंद कर देता है और वहां से चला जाता है फिर थोड़ी दूर चलने के बाद रास्ते में बहुत सारे काले कुत्ते आ जाते हैं जो उस बुढ़िया का रास्ता रोक लेते हैं तब यमदूत कहने लगे कि बुढ़िया क्या

(04:29) तुम ने कभी कुत्तों को भोजन खिलाया है तभी यह कुत्ते तुम्हें आगे जाने के लिए रास्ता देंगे यम दूधों की बातों को सुनकर बुढ़िया अपने सच्चे मन से कुत्तों का आवान करने लगती तभी वे सारे कुत्ते अपना रास्ता बदलकर आगे निकल जाते हैं और फिर बुढ़िया और यमदूत आगे की ओर चलते थोड़ी दूर चलने के बाद बुढ़िया के पैरों में कांटे चूमने लगे तभी यमदूत ने बुढ़िया से कहा कि बुढ़िया क्या तुमने कभी अपने जीवन में किसी को जूते चप्पलों का दान किया है उस बुढ़िया ने अपने जीवन में कई बार जूते चप्पल दान किए यमदूत की बात सुनकर बुढ़िया ने जूते चप्पलों का आवान किया देखते ही देखते

(05:22) बुढ़िया के पैरों में चप्पले आ गई फिर बुढ़िया और यमदूत आगे की ओर चलती आगे भगवान कहते हैं कि नारद वे दोनों यमदूत उस बुढ़िया को लेकर के यमराज के पास पहुंचते हैं फिर यमराज चित्रगुप्त से कहते हैं हे चित्रगुप्त जरा देखिए तो उस बुढ़िया ने अपने जीवन काल में कौन सा कर्म किया है तभी चित्रगुप्त अपनी मोटी सी किताब को खोलकर उस बुढ़िया का लेखा जोखा देखते हैं कि इस बुढ़िया ने अपने जीवन काल में कितने अच्छे कर्म किए हैं और कितने बुरे कर्म किए यह सब देखने के बाद चित्रगुप्त कहते हैं हे धर्मराज इस बुढ़िया ने अपने पूरे जीवन में बहुत ही दान पुण्य किया

(06:15) है भगवान का भजन भी किया है मगर इसने एक सबसे बड़ी गलती की जिसकी वजह से इसे इसके पुण्य का फल नहीं मिल सका और यह स्वर्ग में ही स्वर्ग में भी नहीं जा स तब वह बुढ़िया बोलती है कि हे धर्मराज मैंने ऐसा कौन सा काम किया है मेरी पूजा पाठ और दान पुण्य में ऐसी क्या कमी रह गई है जिसकी वजह से मुझे स्वर्ग में स्थान नहीं मिलेगा फिर यमराज कहने लगे बुढ़िया देखो तुम्हारी एक गलती की वजह से तुम्हारे सारे पूर्वजों की आत्मा आज भी भटक रही है और तुम्ह भी भटकना होगा क्योंकि तुमने अपने घर के अंदर कुत्ते को पाला था और वह तुम्हारे सारे घर के अंदर घूमा करता था

(07:10) इसके प्रभाव की वजह से तुम्हारे सारे दान पुण्य का फल नष्ट हो गया है क्योंकि जिस घर में कुत्ता पाला जाता है उसके यहां पर देवता भोजन ग्रहण नहीं करते यदि कुत्ता घर में हो और किसी भी किसी की भी मृत्यु हो जाए तो देवता तक पहुंचने वाली वस्तुएं भी देवता स्वीकार नहीं करते धर्मों के अनुसार कुत्ता पालने वालों के यहां ब्राह्मण भी नहीं आते वही कुत्ते की दृष्टि जिस भोजन पर पड़ जाती है तो वह भोजन भी खाने के योग्य नहीं रहता है वही कुत्ता यदि किसी को सूंघ लेता है तो कुत्ते के सूंघने मात्र से इंसान अपवित्र हो जाता है इन्हीं कर्मों से कुत्तो को

(07:59) कभी घर के अंदर नहीं पालना चाहिए आगे भगवान शिव कहते हैं नारद यदि कोई मनुष्य कुत्ते को उ पालता है तो उस कुत्ते को घर के अंदर प्रवेश करना नहीं देना चाहिए क्योंकि यदि कुत्ता घर के अंदर प्रवेश करता है तो माता लक्ष्मी रूड जाती है और उसके घर में सदैव दरिद्रता बनी रहती है फिर आगे भगवान शिव कहते हैं नारद एक बार कुत्ते के साथ व्यवहार करने के कारण युधिष्ठिर को भी स्वर्ग के बाहर ही रोक दिया गया जब युधिष्ठिर ने भगवान श्री हरि से पूछा कि मेरे साथ यहां तक आने वाले इस कुत्ते को मैं अपने साथ स्वर्ग क्यों नहीं ले जा सकता तब भगवान श्री हरि कहते हैं कि

(08:48) हे धर्मराज कुत्ता पालने वाले के लिए स्वर्ग में स्थान नहीं है ऐसे मनुष्यों का स्वर्ग में प्रवेश वर्जित है क्योंकि कुत्ते से फलित घर में किए गए यज्ञ और पुण्य कर्म को क्रोध बस नाम का राक्षस धरण कर लेता है और तो और उस घर में घर के सदस्य कोई दान पुन हवन इत्यादि को भी पुण्य इकट्ठा करते हैं वह सब घर में कुत्ते के पालने से या कुत्ते की दृष्टि पड़ने से वह सारा फल निष्फल हो जाता है इसलिए कुत्ते को घर में पालना पूरी तरह से वर्जित है भगवान कहते हैं नारद कुत्ते का संरक्षण होना चाहिए और उसे भोजन भी खिलाना चाहिए घर की रोज एक रोटी पर कुत्ते का अधिकार

(09:40) होता है वही कुत्ते को कभी भी प्रताड़ित नहीं करना चाहिए और द्वार के बाहर ही उनकी सेवा करनी चाहिए घर के अंदर नहीं बल्कि घर के बाहर कुत्ते की सेवा करनी चाहिए घर के अंदर केवल अतिथि और गाय को रखना चाहिए और उनकी सेवा करनी चाहिए घर के बाहर हमेशा कुत्ता कौआ आदि जीव जंतु को भोजन कराना चाहिए जो अत्यंत ही फलदाई होता है आगे भगवान शिव कहते हैं नारद मृत्यु लोक पर अक्सर देखने को मिलता है कि इस कलयुग में मनुष्य इतना मूर्ख हो गया है कि गाय और अपने बूढ़े माता पिता को लोग घर से बाहर निकाल देते हैं और कुत्ते को घर के अंदर पालते हैं और उसे थाली में भोजन देते हैं

(10:31) और घर के अंदर बिस्तर पर भी सुला लेते हैं और पूरे घर के अंदर उसे आजादी से घूमने देते हैं और वह पूरे घर में घूम घूम कर नकारात्मक ऊर्जा फैला देता है जिससे घर में दरिद्रता आ जाती है और ऐसे घर के अंदर जो सदस्य रहते हैं वह सभी बीमारी के चपेट में आ जाते हैं तथा जिस घर में ऐसा होता है उस घर का एक ना एक दिन निश्चित ही पतन हो जाता है इसलिए यदि स्वर्ग में जाना है सुख भोगना है घर में सुख समृद्धि लानी है और जीवन का पतन होने से बचाना है तो अपने बूढ़े माता-पिता को घर के अंदर रखिए कुत्ते को बाहर रखिए क्योंकि कुत्ते को घर के बिस्तर या गलीचा आदि पर सुलाने से घर

(11:22) का पतन हो जाता है कुत्ते को पालना गलत बात नहीं है लेकिन घर के अंदर पालना गलत बात है कुत्ते को उनके उसके स्थान पर ही रखना चाहिए और खाना खिलाना चाहिए क्योंकि कुत्ते को खाना खिलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और सकारात्मक शक्तियां आसपास नहीं भटकती कुत्ता भूत प्रेत और आत्मा को रोक सकता है उन्हें देख सकता है घर में कुत्ता पालने से जल्द संतान की प्राप्ति होती है हिंदू धर्म में कुत्ते को भगवान भैरव का वाहन बताया गया है कहते हैं कि कुत्ते को रखने से आकाश में दुर्घटना का डर खत्म हो जाता है जिस घर के लोग कुत्ते को खाना खिलाते

(12:10) हैं ऐसे घरों में कभी भी बुरी आत्माएं प्रवेश नहीं कर पाती वही कुत्ते को रोटी खिलाने से भगवान शनिदेव के आशी आशीर्वाद के साथ-साथ कुंडली में मौजूद राहु केतु के दोष समाप्त हो जाते हैं कुत्ते को खाना खिलाने से घर में जल्द ही बच्चे का जन्म होता है इसलिए कुत्ते को कभी पालना हो तो घर के अंदर नहीं घर के बाहर किसी एक स्थान पर ही पालना चाहिए क्योंकि कुत्ते को घर के बाहर पालने और खाना खिलाने से हमेशा घर की उन्नति होती है यह बात सुनकर व बुढ़िया आश्चर्य चकित हो जाती है और यमराज से कहने लगती है कि हे यमराज आप मुझे केवल सा का समय दे दीजिए और मुझे

(13:02) वापस धरती लोक पर भेज दीजिए इसके बाद में कुत्ते को बाहर नियत स्थान पर रखूंगी और पुनः पूजा पाठ करूंगी दान पुण्य करूंगी भगवान का सुमर करूंगी आगे भगवान शिव कहते हैं नारद उस बुढ़िया की बात सुनकर के यमराज उस बुढ़िया को वापस पृथ्वी लोक पर भेज देते हैं फिर जब वह बुढ़िया धरती लोक पर आ जाती है और जब गाव के लोग उस बुढ़िया को देखते हैं तो वह सब भयभीत हो जाते हैं और उससे डरने लगते हैं उस स्थान से व सभी लोग चारों तरफ भागने लगते हैं और कहने लगते हैं कि यह तो भूतनी बन गई चारों यहां से फिर जब वह बुढ़िया अपने बेटे और बहू के पास जाती तो वह भी उससे डर जाते हैं और

(13:53) अपने दरवाजे और खिड़कियां बंद कर लेते हैं बाद में व बुढ़िया अपने बेटे और को बताती है कि मुझे यमराज ने सात दिन का समय दिया है क्योंकि मेरी पूजा में कोई कमी रह गई ी जिसको मैं पूरा करने के लिए आई तुम्हें मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं अभी तक मैं अपने घर के अंदर कुत्ता पालती थी यह बात मुझे पता नहीं थी कि घर के अंदर कुत्ता नहीं पालना चाहिए और घर के अंदर कुत्ता पालने से कभी भी स्वर्ग में स्थान नहीं मिलता है और जो भी पूजा पाठ दान पुण्य होता है वह सब निष्फल हो जाता है इसलिए मैं घर के अंदर से इस कुत्ते को निकालकर बाहर करने आई अब मैं इस कुत्ते को

(14:42) घर के बाहर एक निश्चित स्थान पर रखूंगी और इसको खाना खिलाऊंगी और दान पुण्य करूंगी भगवान की पूजा पाठ करूंगी हवन यज्ञ करूंगी तभी मुझे मेरे किए गए दान पुण्य का फल प्राप्त होगा और मुझे में स्थान मिलेगा फिर उस बुढ़िया की बात सुनक के उसके बेटे और बह उसकी बात को मान लेते हैं और उसे घर में रहने की अनुमति दे देते हैं साथ ही पूजा पाठ करने के लिए सारी सामग्री भी लाकर दे देते हैं घर में आने के बाद वह बुढ़िया उस कुत्ते को घर से बाहर निकाल देती है और एक निश्चित स्थान पर रख कर के उसे भोजन खिलाती धीरे धीरे बुढ़िया भगवान का नाम स्मरण करती

(15:30) भगवान का भजन कीर्तन करती है भगवान को भोग लगाती है दान पुण्य करती है हवन यज्ञ आदि करती है और गाय को भोजन कराती है फिर सात दिन बाद यमराज उस बुढ़िया के द्वारा किए गए कर्मों से प्रसन्न होकर उसे स्वर्ग में लाने के लिए अपना दिव्य विमान धरती लोक पर भेज देते हैं उस दिव्य मवान को देखकर सभी लोग आश्चर्य चकित हो जाते हैं फिर जब गांव के लोग स्वर्ग से आए हुए उस दिव्य विमान को देखते हैं तो वह मन ही मन सोचने लगते हैं कि यह बुढ़िया स्वर्ग जा रही है तो हम सभी इस दिव्य विमान में बैठ जाए जिससे हमें भी स्वर्ग में स्थान मिल जाएगा भगवान शिव

(16:17) कहते हैं नारद जब उस गांव के लोग स्वर्ग से आए उस दिव्य विमान में बैठने का प्रयास करते हैं तो वह गुड़िया सभी लोगों से कहती है कि तुम लोग ने धर्मराज की कथा नहीं सुनी जिसके कारण तुम मेरे साथ नहीं जा सकते तुमने दान पुण्य नहीं किया तुमने अपने बूढ़े माता-पिता की सेवा नहीं की तुमने भूखे को भोजन नहीं कराया है तुमने यज्ञ हवन आदि पुण्य कार्य नहीं किए हैं इसी कारण मेरे साथ स्वर्ग लोक नहीं जा सकते मेरे साथ केवल मेरी पड़ोसन जा सकती क्योंकि उसने सात दिन तक मेरे साथ बैठकर भगवान की कथा सुनी पूजा पाठ किया है दान पुण्य किया है और सच्चे मन से ईश्वर का

(17:08) ध्यान भी किया है उस बुढ़िया की बात सुनकर गांव के लोग कहने लगे कि हमारा आपसे निवेदन है कि हमें भी ईश्वर की महिमा सुनाओ जिससे हमारा भी कल्याण हो जाए गांव वालों की बात सुनकर के बुढ़िया सभी को भगवान की महिमा सुनाने लगती इसके बाद गांव के जो लोग भगवान की महिमा सुनते हैं वे सभी लोग उस दिव्य विमान में बैठकर स्वर्ग लोक में पहुंच जाते हैं स्वर्ग लोक में सभी लोगों को देखकर यमराज कहते हैं कि मैंने तो सिर्फ इस बुढ़िया के लिए यह दिव्य विमान भेजा था परंतु तुम सब लोग कैसे आ गए तब वह बुढ़िया यमराज से कहती है कि हे धर्मराज मैंने

(17:55) अपने पूरे जीवन में जितना भी पुण्य कमाया है उसका आधा पुण्य इन सभी को दे दिया है इसलिए इन्ह स्वर्ग में ही रहने दो फिर बुढ़िया की बात को सुनकर के यमराज सभी लोगों को स्वर्ग में रहने का स्थान दे देते आगे भगवान शिव कहते हैं नारद इसीलिए मनुष्य को कुत्ता पालना है तो घर के बाहर ही पालना चाहिए कुत्ते को घर के अंदर पालने से स्वर्ग की प्राप्ति नहीं होती है तथा पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति भी नहीं होती और ऐसा घर कभी भी उन्नति नहीं करता है ऐसे घर से माता लक्ष्मी दूर चली जाती है और ऐसे घर का हमेशा पतन हो जाता है वही घर के बाहर

(18:42) कुत्ते को खाना खिलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है जिसकी वजह से माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है और इससे घर का हमेशा उद्धार होता है और घर के किसी भी सदस्य पर आई हुई विपदा टल जाती दोस्तों इस प्रकार से भगवान शिव ने नारद को बताया है कि कुत्ते को घर के अंदर पालना चाहिए या बाहर पालना चाहिए तो दोस्तों आप लोगों को भी इस कथा के माध्यम से पता चल गया होगा कि कुत्ते को घर में पालना चाहिए या फिर नहीं कुत्ते को हमेशा घर से बाहर उचित स्थान पर ही पालना चाहिए जिससे हमेशा आपके घर में सुख समृद्धि बनी रहे साथ ही स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो

(19:30) दोस्तों अगर यह कथा आप लोगों को पसंद आई हो तो वीडियो को लाइक और सब्सक्राइब जरूर करें धन्यवाद [संगीत]


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