मांस बेचने वाला विष्णु भक्त | Vishnu Bhakt Kasai | Bhakti Kahani | Hindi Kahani | Bedtime Stories -


मांस बेचने वाला विष्णु भक्त | Vishnu Bhakt Kasai | Bhakti Kahani | Hindi Kahani | Bedtime Stories - 


यह कहानी है भगवान विष्णु के परम भक्त सदना कसाई की बहुत समय पहले की बात है किसी गांव में सदना नाम का एक कसाई रहता था व बहुत ईमानदार था भले ही पेशे से वह एक कसाई था और मांस बेचता था पर उसके मुख पर सदैव भगवान विष्णु का ही नाम रहता था और वह भगवान विष्णु के नाम य तक मांस को काटते बेचते हुए भी वह भगवान विष्णु का ही नाम गुनगुनाता रहता था भजमन नारायण नारायण हरि हरि श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि भैया जरा दो किलो मास तोल देना अभी देता हूं भैया जय श्री हरि जय श्री हरि कैसा कसाई है मा बेता है और भगवान का नाम जपता है तुम रहे

(00:59) हो भन ते बते र इस कसाई के मुख पर तो सदैव विष्णु भगवान का ही नाम रहता है लोग सदना के बारे में यही बातें करते थे एक दिन सदना अपनी ही धुन में कहीं जा रहा था कि उसके पैर से एक पत्थर टकराया वह रुक गया अरे यह काले रंग का गोल पत्थर कैसा इसे उठाकर रख लेता हूं देखने में तो बहुत बढ़िया दिखाई पड़ता है यह पत्थर मास तोलने के काम आ जाएगा आज इसी पत्थर से वजन तोलता हूं हां भैया कितना मास देना है एक किलो तोल दो भैया इसका मतलब यह पत्थर एक किलो वजन का है भैया जरा ढाई किलो मास देना अरे यह क्या यह पत्थर ढाई किलो वजन का कैसे हो गया एक बार 5 किलो रख कर देखता

(01:52) हूं यह कैसे हो सकता है यह पत्थर कोई साधारण पत्थर नहीं है यह तो कोई जादुई पत्थर है जितना वजन तोलना होता है यह पत्थर उतने वजन का ही हो जाता है धीरे-धीरे यह बात फैलने लगी कि सदना कसाई के पास वजन करने वाला पत्थर है वह जितना चाहता है पत्थर उतना ही तौल देता है किसी को एक किलो मांस देना होता तो तराजू में उस पत्थर को एक तरफ डालने पर दूसरी ओर एक किलो का मानस ही तुल अगर किसी को दो किलो चाहिए हो तो वह पत्थर दो किलो के भार जितना भारी हो जाता इस चमत्कार के कारण उसके यहां लोगों की भीड़ चुटने लगी भीड़ चुटने के साथ ही सदना की दुकान की बिक्री

(02:35) बढ़ गई मुझे तो लगता है यह किसी जादूगर का पत्थर रास्ते में कहीं गिर गया होगा और यह मुझे मिल गया इस जादुई पत्थर के आ जाने से मेरी बिकरी और बढ़ गई है जय श्री हरि जय श्री हरि एक दिन सदना की बात उस गांव के पंडित तक भी पहुंची हालांकि वह ऐसी अशुद्ध जगह पर नहीं जाना चाहते थे जहां मांस कटता हो व बिकता हो किंतु जब एक भक्त ने उन्हें उस पत्थर के बारे में बताया तो पंडित जी के मन में उस चमत्कारिक पत्थर को देखने की उत्सुकता जाग गई पंडित जी आप नहीं जानते उस सदना कसाई के पास सचमुच एक जादुई पत्थर है हां जो अपना वजन सामान के अनुसार ही कर

(03:14) लेता है एक बार चलकर देख ले तो अवश्य ही वह पत्थर देखकर आप चकित हो जाएंगे अब तो इतना जोर दे ही रहा है तो दूर से मैं उस पत्थर को देख लूंगा पर निकट नहीं जाऊंगा चल देखो तो आखिर कौन सा जादुई पत्थर उस कसाई के पास है भक्त की बात सुनकर पंडित जी उसके साथ सदना की दुकान के पास पहुंचे और दूर से खड़े होकर सदना कसाई को मीट तोलते देखने लगे उन्होंने देखा कि कैसे वह पत्थर हर प्रकार के वजन को बराबर तौल रहा था वह ध्यान से उस पत्थर पर दूर से नजरें गड़ाए रहे अचानक पंडित जी के शरीर के रोए खड़े हो गए यह कैसे हो सकता है यह पत्थर तो मुझे इस कसाई के पास जाकर बात कर करनी

(04:00) ही होगी अब पंडित जी आप और मुझ कसाई की दुकान पर मैं आश्चर्य चकित हूं आइए कृपा करके यहां बैठिए मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं सदना तुम्हारे इस चमत्कारिक पत्थर को देखने के लिए ही मैं तुम्हारी दुकान पर आया हूं या यूं कहे कि यह चमत्कारी पत्थर ही मुझे खींच करर तुम्हारी दुकान पर ले आया है पर शायद तुम इस बात से पूरी तरह अनजान हो तुम जिसे पत्थर समझकर मांस तोल रहे हो वास्तव में वह शालिग्राम जी है जो कि भगवान विष्णु का स्वरूप है तुम यह नहीं जानते शालिग्राम जी को इस तरह गले कटे मांस के बीच में रखना व उनसे मांस तोलना बहुत बड़ा पाप

(04:39) है भगवान विष्णु का पत्थर शालिग्राम पंडित जी फिर तो मैं बहुत बड़ा पाप कर रहा हूं मुझसे भूल हो गई श्री हरि मुझे क्षमा करना मैं आपके इस रूप को पहचान नहीं पाया पंडित जी आप तो ब्राह्मण है अतः आपसे उत्तम सेवा और पूजा भगवान शालिग्राम के इस पत्थर स्वरूप की कोई नहीं कर सकता मैं भी नहीं कृपया करके यह पत्थर आप रख लीजिए ठीक है सदना मैं भगवान शालिग्राम की सेवा करने के अवसर को भला कैसे ठुकरा सकता हूं लाओ यह मैं ले जाता हूं पंडित जी उस शालिग्राम पत्थर को बहुत सम्मान से घर ले आए घर आकर उन्होंने वह पूजा अर्चना आरंभ कर दी कुछ

(05:19) दिन ही बीते थे कि एक रात पंडित जी के स्वप्न में श्री शालिग्राम जी आए और बोले हे ब्राह्मण मैं तुम्हारी सेवाओं से प्रसन्न हूं किंतु तुम मुझे उसी कसाई के पास छोड़ आओ हे प्रभु क्या मुझसे आपकी पूजा अर्चना करने में कोई भूल हुई है ब्राह्मण तुम मेरी अर्चना पूजा करते हो मुझे अच्छा लगता है परंतु जो भक्त मेरे नाम का गुणगान कीर्तन करते रहते हैं उनको मैं अपने आप को भी बेच देता हूं सदना तुम्हारी तरह मेरी पूजा अर्चना नहीं करता है परंतु वो हर समय मेरा नाम गुनाता रहता है जो कि मुझे अच्छा लगता है इसीलिए तो मैं उसके पास गया था और जो भी मेरा नाम

(06:08) सुबह शाम जड़ता है मैं तो उसी के अधीन हो जाता हूं सदना के मुख पर सदैव मेरा ही नाम रहता है इसलिए मुझे वो अति प्रिय है सतना मुझे निस्वार्थ प्रेम से याद करता है मैं जानता हूं तुम्हारी ही तरह वो भी मेरा परम भक्त है ठीक है प्रभु जैसी आपकी आज्ञा मैं कल ही आपका यह स्वरूप उस कसाई को सौंप आऊंगा पंडित जी अगले दिन ही सदना कसाई के पास गए वह उनको प्रणाम करके सारी बात बताई सदना तुम महान हो भगवान विष्णु श्री हरि ने स्वयं तुम्हारे पास रहने की इच्छा जताई है वह चाहते हैं कि उनके आशीर्वाद स्वरूप यह शिला सदैव तुम्हारे पास ही रहे और वे

(06:55) तुम्हारे द्वारा की गई सेवा का लाभ उठाए सच पंडित जी प्रभु श्री हरि ने ऐसा कहा वह मुझ कसाई के पास रहना चाहते हैं यदि प्रभु मेरे पास इस दुकान पर जहां मैं मांस बेचता हूं रह सकते हैं तो मैं क्यों उनके लिए अपना सर्वस्व छोड़कर उनकी भक्ति में नहीं लग सकता मैं आपसे मांस नहीं बेचूंगा मैं अपने श्री हरि विष्णु भगवान की भक्ति में लीन रहूंगा मेरा आज से यही नियम है भगवान श्री हरि की भक्ति करना पंडित जी ने श्री शालिग्राम जी को सदना को सौंप दिया सदना का साई की आंखों में आंसू आ गए मन ही मन उसने मांस बेचने के कार्य को छोड़ देने का

(07:34) विचार और निश्चय किया कि यदि मेरे ठाकुर को कीर्तन पसंद है तो मैं अधिक से अधिक समय नाम कीर्तन ही करूंगा आगे चलकर सदना कसाई भगवान विष्णु के परम भक्त कहलाए और उनकी कीर्ति वा नाम चारों दिशाओं में विख्यात हो [संगीत] गया 




बहुत समय पहले की बात है समुद्र के किनारे एक छोटी सी गौरैया गड में घोसला बनाकर रहती थी एक दिन उस गौरैया ने दो अंडे दिए सुबह हो गई है मैं दाना चुप कर आती हूं तब तक मेरे अंडे यही है यहां भला किसको पता मैंने दो अंडे दिए हैं मैं जल्दी से दाना चुक कर आ जाऊंगी गौरैया दाना चुगने चली जाती है गौरैया को दाना चुग कर आने में शाम हो जाती है लेकिन जब व

(08:22) वापस आती है अरे मेरे अंडे कहां गए यहां तो आसपास कोई भी दिखाई नहीं दे रहा ये समुद्र मुझे देखकर हंस क्यों रहा है समुद्र क्या तुमने मेरे अंडे लिए हैं फिर तुम हंस क्यों रहे हो मुझे सच सच बता दो मेरे अंडे कहां है तुमने ही मेरे अंडे चुराए हैं मेरे अंडे वापस करो नहीं मैंने तुम्हारे अंडे नहीं लिए मैं क्यों भला तुम्हारे अंडे लूंगा मुझे तुम्हारे अंडे चुराकर भला क्या मिलेगा मुझे नहीं पता तुम्हारे अंडे कहां है मुझे परेशान मत करो ढूंढ सकती हो तो खुद ढूंढ लो अपने अंडे समुद्र की बातें सुनकर गौरैया को गुस्सा आने लगा वह समुद्र

(09:13) से बोली अगर तुमने मेरे अंडे वापस नहीं किए तो मैं तुम्हें पूरा सुखा दूंगी एक मां की ताकत को शायद तुम नहीं जानते मां अपने बच्चों पर कोई आंच नहीं आने देती तू सुखाए गी मुझे तू पि गौरैया चल यह कोशिश भी करके देख ले गौरैया गुस्से में एक टक बहुत देर तक समुद्र को देखती रहती है समुद्र की आती जाती लहरों के बीच भी वो टस से मस्त नहीं होती अब देख समुद्र मैं तेरा सारा पानी सुखा कर ही दम लूंगी गौरैया गुस्से में अपनी छोटी सी चोंच में समुद्र का पानी भरती और किनारे पर उड़ेल देती अरे गौरैया बहन आज तुम दाना चुगने नहीं आई और तुम यह क्या कर रही हो

(10:00) मैं समुद्र का पानी सुखाकर अपने अंडे समुद्र से वापस लूंगी तुम जाओ मुझे अपना काम करने दो पर गौरैया बहन यह कार्य असंभव है इस तरह तुम समुद्र का पानी नहीं सुखा पाओगी गौरैया ऐसे दृढ़ निश्चय के साथ अपने कार्य में लगी रही जब वह थक जाती तब वह थोड़ी देर रुक जाती और फिर अपने काम में लग जाती इस कार्य में गौरैया को तीन चार दिन हो चुके थे इसी कारण भूखी प्यासी गौरैया की तबीयत खराब होने लगी यह देखकर सभी पक्षी चिंतित हो गए अरे भाई यह गौरैया अगर इसी तरह भूखी प्यासी इस कार्य में लगी रही तो अनर्थ हो जाएगा चिंता की बात तो है हमें गरुण देव

(10:42) के पास चलकर सहायता मांगनी चाहिए क्या बात है सब ठीक तो है आज सभी पक्षी एक साथ मेरे पास आए हैं गरुण देव एक छोटी गौरैया अपनी जिद पर अड़ी है और इतने विशाल समुद्र का पानी सुखाने का का प्रयास कर रही है इसी वजह से गौरैया का स्वास्थ्य भी गिर रहा है गरुण देव गौरैया की मदद कीजिए गरुण देव पक्षियों की प्रार्थना सुनकर समुद्र तट पर गौरैया के पास जाते हैं गौरैया मेरी चोंच थोड़ी बड़ी है क्या इस कार्य में मैं तुम्हारी कुछ सहायता करूं नहीं गरुण देव आप मेरी वजह से परेशान मत होइए यह मेरी लड़ाई है मैं इसे खुद लडूंगी मुझे की मदद नहीं चाहिए मैं यह कार्य खुद कर लूंगी

(11:33) बच्चों की वजह से यह चिड़िया गुस्से में किसी की नहीं सुनेगी इस वक्त इसके लिए अंडों को ढूंढने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कोई कार्य नहीं मुझे भगवान श्री हरि के पास जाना होगा और उनसे विनती करनी होगी अब वही कुछ कर सकते हैं पक्षियों के राजा गरुण देव भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना की हे नारायण आपकी जय हो आओ पक्षीराज करोड़ देव किस कारण से आना हुआ हे प्रभु आप सृष्टि के रचयिता हैं अब आप ही कुछ चमत्कार कर सकते हैं यह नन्ही गौरैया जिद में आकर समुद्र का पानी सुखाने की ठान बैठी है जो कि संभव नहीं है गरुड़ देव यह गौरैया इतने विश्वास के साथ निरंतर अपना

(12:32) कार्य कर रही है मैं इसकी दृढ़ता देखकर अति प्रसन्न हूं हे समुद्र देव आप पीछे हट जाइए और गौरैया को अपने अंडे लेने दीजिए आज एक मां अपने बच्चों की रक्षा के लिए कोई भी जोखिम उठाने के लिए तैयार है इसलिए मैं गौरैया के साथ हूं आपको पीछे हटना होगा और गौरैया के अंडे उसे लौटाने जो आज्ञा प्रभु भगवान विष्णु की आज्ञा अनुसार समुद्र पीछे हट गया और गौरैया ने अपने अंडे निकाल लिए गौरैया मुझे माफ कर दो आज तुम्हारा विश्वास जीत गया मैंने कर दिखाया मेरे अंडे मुझे वापस मिल गए जिस गौरैया का दृढ़ निश्चय सफल हुआ इससे एक बात साबित होती है यदि कोई भी व्यक्ति दृढ़ निश्चय

(13:35) कर ले तो असंभव कार्य को पूरा करने में ईश्वर भी उसकी मदद अवश्य करते हैं







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